In this Article
- कहानी के पात्र (Characters Of The Story)
- अलीबाबा और चालिस चोर की कहानी | Alibaba And 40 Thieves Story
- अलीबाबा और चालिस चोर की कहानी से सीख (Moral of Alibaba And The Forty Thieves Hindi Story)
- अलीबाबा और चालिस चोर की कहानी का कहानी प्रकार (Story Type of Alibaba And 40 Thieves Hindi Story )
- अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
- निष्कर्ष (Conclusion)
इस कहानी में अलीबाबा नाम के युवक के बारें में बताया गया है, जिसको उसके बड़े भाई ने घर से निकाल दिया था। लेकिन उसके बाद भी वह अपने जीवन को लकड़हारे का काम करते हुए व्यतीत करता था। लेकिन एक दिन अचानक से उसके जीवन में 40 चोर आते हैं और उसकी जिंदगी पूरी तरह से बदल जाती है। इस कहानी में हमें लालच, ईर्ष्या आदि के बुरे प्रभाव के बारे में बताया गया है। कैसे लालची स्वाभाव के चलते अलीबाबा के भाई ने अपनी जान गवाई और साथ कैसे अलीबाबा और उसकी पत्नी की समझदारी ने उन्हें अमीर होने में मदद की। यह बहुत रोमांचक और रहस्यों से भरी कहानी है, जिसे बच्चों को पढ़ना और सुनना दोनों बहुत पसंद है। आप भी ऐसी कहानियों के साथ एंटरटेन हो सकते हैं यदि हमारे साथ ऐसे ही जुड़े रहेंगे।
कहानी के पात्र (Characters Of The Story)
- अलीबाबा, छोटा भाई
- कासिम, बड़ा भाई
- अलीबाबा की पत्नी
- कासिम की पत्नी
- 40 घुड़सवार जो चोर हैं
- एक चोरों का सरदार
अलीबाबा और चालिस चोर की कहानी | Alibaba And 40 Thieves Story
कई साल पहले फारस नाम का एक देश था जहां अलीबाबा और कासिम दो भाई रहते थे। कासिम बड़ा भाई और अलीबाबा छोटा भाई था और दोनों अपने पिता की मृत्यु के बाद उनका व्यापार एक साथ संभालते थे। दोनों भाइयों में बड़ा भाई कासिम लालची स्वाभाव का था और उसने धोखे से अपने पिता का पूरा व्यापार हथिया लिया और छोटे भाई को घर से भगा दिया। इसके बाद अलीबाबा अपनी पत्नी के साथ किसी बस्ती में एक छोटी झोपड़ी में गरीबी की जिंदगी बिताने लगा। अलीबाबा रोज सुबह जंगल जाकर लकड़ियां काटकर बाजार में बेचने जाता था, जिससे उसकी रोजी-रोटी चल रही थी।
एक दिन जब अलीबाबा जंगल में लड़कियां काट रहा था कि तभी उसे चालीस घुड़सवार वहां से आते हुए दिखाई दिए। उन सभी घुड़सवारों के पास खजाने की पोटली और खंजर थे। ये सब देखकर अलीबाबा समझ गया कि वह सभी चोर हैं। अलीबाबा पेड़ के पीछे छुपकर उन्हें देखने लगा और तभी सारे घुड़सवार एक बड़े पहाड़ के पास जाकर खड़े हो गए। वहां मौजूदा चोर के सरदार ने पहाड़ के सामने खड़े होकर बोला “खुल जा सिम-सिम”। तभी अचानक से पहाड़ की एक गुफा का दरवाजा खुला। सभी घुड़सवार उस गुफा के अंदर चले गए और दरवाजा बंद करने के लिए बोला “बंद हो जा सिमसिम”।
ये सब देखने के बाद अलीबाबा बहुत हैरान हो गया। कुछ समय बाद गुफा का दरवाजा फिर से खुला और सारे घुड़सवार वहां से चले गए। अलीबाबा को यह जानने की बहुत उत्सुकता हो रही थी कि आखिर इस गुफा में ऐसा क्या है और वो सब वहां क्या कर रहे थे। इसके बाद वो गुफा के अंदर जाने का सोचता है और पहाड़ के सामने खड़ा हो जाता है और घुड़सवारों के सरदार के शब्दों को बोलने लगा – “खुल जा सिमसिम”
अलीबाबा और चालिस चोर की कहानी | Alibaba And The Forty Thieves Story
अलीबाबा के बोलने पर गुफा की द्वार खुल गई और जब वो अंदर पहुंचा तो वहां मौजूद सोने की गिन्नियां, अशर्फियां, गहने आदि देखकर भौचक्का रह गया। हर तरफ खजाना ही खजाना था। यह देखकर वह बहुत खुश हुआ क्योंकि उसे पता चल गया था कि चोर सारा चोरी का माल यहां छुपाते हैं। उसने जल्दी से एक पोटली में सोने की अशर्फियां भर लीं और अपने घर लौट गया।
घर पहुंचने के बाद अलीबाबा ने ये सारा किस्सा अपनी बीवी को बताया और एक साथ इतनी ज्यादा सोने की अशर्फियां देखकर उसकी आंखों को भी भरोसा नहीं हुआ और वह उन्हें गिनने लगी। इस पर अलीबाबा बोले कि ये बहुत सारी अशर्फियां जिनको गिनते-गिनते रात हो जाएगी। इन अशर्फियों को गड्ढे में छुपा देता हूं ताकि किसी को हम पर शक न हो। तभी अलीबाबा की बीवी ने कहा – मैं इन्हें गिन नहीं सकती, तो क्या हुआ इन्हें तोल कर अंदाजा लगा सकती हूं।
अलीबाबा की पत्नी भागकर उसके भाई कासिम के घर पहुंची और वहां उसकी पत्नी से अनाज तौलने के लिए तराजू मांगा। यह सब देखकर कासिम की पत्नी के मन में शंका पैदा हुई और वह सोचने लगी कि ये लोग तो गरीब हैं और आखिर इनके पास इतना अनाज कहा से आया। वो अंदर जाकर अपने तराजू के नीचे गोंद लगाकर लाई और अलीबाबा की पत्नी को दे दिया।
रातभर अलीबाबा की पत्नी से सारी अशर्फियों को तोला और सुबह जाकर उनका तराजू वापस कर आई। जब कासिम की पत्नी ने अपने तराजू के पीछे देखा तो उसमे एक सोने की अशर्फी चिपकी हुई थी और ये बात उसने पति को तुरंत बताई। ये देखकर कासिम और उसकी पत्नी में जलन की भावना पैदा हुई और ये सोचकर उन्हें रातभर नींद नहीं आई। फिर यह दोनों सुबह सुबह अलीबाबा के घर गए और उनसे उस अशर्फी के बारें में पूछने लगे। ये बात सुनकर अलीबाबा ने कहा – “आपसे कोई गलती हुई है, मैं तो मामूली लकड़हारा हूं।”
कासिम ने बताया कि कल तुम्हारी पत्नी मेरे घर से अशर्फियां तोलने के लिए तराजू ले गई थी और उस तराजू में सोने की अशर्फी चिपकी हुई मिली। मुझे सब सच जानना है नहीं तो मैं यह बात सबको बता दूंगा की तुमने ये चोरी की है। ये सुनकर अलीबाबा डर गया और उसने सब सच बता दिया।
अलीबाबा की कहानी सुनकर उसके भाई के मन में लालच आ गई और उसने खजाने को पूरी तरह से हथियाने की योजना बनाई और अगले दिन गुफा के पास पहुंच गया। कासिम अपने साथ एक गधा भी लेकर गया था ताकि उस पर खजाना रखकर ला सके। गुफा के बाहर कासिम वही बोला जैसे अलीबाबा ने उसे बताया था। उसके खुल जा सिमसिम बोलते ही गुफा का दरवाजा खुल गया और जब कासिम अंदर पहुंचा और वहां इतना सारा खजाना देखकर वो हैरान हो गया। उसके बाद उसने अपनी बोरी में सोना भरना शुरू कर दिया लेकिन बाहर निकलते वक्त क्या बोलना था वह भूल गया।
कासिम गुफा में फंस गया था कर उसने वहां से निकलने की बहुत कोशिश भी की लेकिन नाकामयाब रहा। वह गुफा में कैद हो गया और थोड़ी देर बाद वहां सभी चोर आ गए और उन्होंने गुफा के बाद खड़ा हुआ गधा देखकर समझ गए कि वहां कोई आया है। उसके बाद चोर अंदर जाते हैं और कासिम को ढूंढकर उसकी हत्या कर देते हैं।
जब कासिम बहुत देर से घर नहीं पहुंचा तो उसकी पत्नी भागकर अलीबाबा के घर पहुंची और उसके बड़े भाई को ढूंढने के लिए कहती है। अलीबाबा उसके बाद अपने भाई को ढूंढते हुए गुफा के पास पहुंचा, वहां उसने अपने भाई के गधे को घास चरते हुए देखा तो वह समझ गया कि कासिम उसके अंदर गया होगा और चोर ने उसे पकड़ लिया होगा। जब वह अंदर गया तो उसको वहां अपने भाई की लाश मिली और वो उसे लेकर घर लौट आया और किसी को पता नहीं चले इसलिए अपने भाई की मौत को प्राकृतिक मौत बताया और अंतिम संस्कार कर दिया। बाद में कासिम की पत्नी के कहने पर अलीबाबा और उसकी बीवी को कासिम का व्यापार संभालने एक साथ रहने लगे।
वहीं दूसरी तरफ जब चोर गुफा वापस लौटते हैं तो उन्हें वहां कासिम की लाश नहीं मिलती है तो वह समझ जाते हैं कि कोई और है जिसे इस गुफा के बारे में पता है। फिर वह गांव पहुंचकर ये पता लगाते हैं कि बीते दिनों किसके यहां मौत हुई है और फिर चोर को अलीबाबा का घर मिल जाता है। अलीबाबा के घर के बाहर वह क्रॉस का निशान बना देते हैं, जिससे रात में उन्हें घर ढूंढने में आसानी हो। उसके बाद जब अलीबाबा ने अपने घर के बाहर निशान देखा, तो उसे समझ में आ गया की चोर को उनका पता चल गया है। इसलिए उसने गांव के सभी घरों के बाहर वैसा ही निशाँ बना दिया और जब चोर रात में वहां पहुंचे जो सभी घरों के बाहर एक जैसा निशान देखर दुविधा में पढ़ गए और लौट गए।
लेकिन चोर का सरदार इतनी आसानी से चुप नहीं रहने वाला था और उसके लिए उसने गांव में अपने आदमी को भेजकर ये पता करवाया की अभी हाल ही में कौन अमीर हुआ है। ऐसे उनको अलीबाबा का पता चलता है। उसने अलीबाबा के घर को अच्छे से देख लिया और रात में उसके घर एक तेल का व्यापारी बनकर पहुंचा। वह अपने साथ चालीस तेल के कंटेनर ले गया, जिनमे 39 में चोर छिपे थे और एक में तेल था। उसने योजना बनाई थी कि जब रात में सब सो जाएंगे तो वह अपने साथियों के साथ मिलकर अलीबाबा को मार देगा। इसकी वजह से उसने अलीबाबा से दोस्ती की और रात में उसके घर पर ही रूकने की इजाजत मांगी। अलीबाबा ने भी उसे खाना दिया और ठहरने के लिए बोल दिया।
लेकिन अलीबाबा की बीवी को इस व्यापारी पर शक हुआ और उसने तेल के पीपों को परखना शुरू कर दिया ऐसे में उसे पता चला की 39 पीपों में चोर छिपे हुए हैं और सिर्फ एक में तेल है। अलीबाबा की पत्नी ने अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करते हुए तेल वाले पीप से तेल निकाला और गर्म कर के बाकी 39 पीपों में डाल दिया। ऐसा करने से चोरों की मौत हो गई। रात में जब चोरोंके सरदार ने चोरों से बाहर निकलने का इशारा किया तो कोई भी चोर बाहर नहीं निकला। उसने तेल के पीपों को देखा, तो उसके सभी चोर मर चुके थे। यह दृश्य देखकर वो घबरा गया और वहां से भाग निकला।
जब सुबह हुई तो अलीबाबा की बीवी ने उसे रात की सारी कहानी बताई, जिसे सुनने के बाद वह खुश हुआ। इसके बाद उन चोर के सारे खजाने पर सिर्फ अलीबाबा का अकेला हक था। ऐसे में वह देश का सबसे रईस और पैसेवाला आदमी बन गया था और अपने परिवार के साथ खुशहाल जीवन बिताने लगा था।
अलीबाबा और चालिस चोर की कहानी से सीख (Moral of Alibaba And The Forty Thieves Hindi Story)
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें कभी भी लालच नहीं करनी चाहिए। हमेशा ईमानदारी का साथ देना चाहिए, किसी के भी प्रति जलन की भावना नहीं रखना चाहिए। चाहे को भी मुसीबत आ जाए हमेशा धैर्य रखनी चाहिए और अपने विवेक से फैसला लेनी चाहिए।
अलीबाबा और चालिस चोर की कहानी का कहानी प्रकार (Story Type of Alibaba And 40 Thieves Hindi Story )
अलीबाबा और चालिस चोर की कहानी एक प्रेरणादायक, नैतिक और शिक्षाप्रद कहानी है जिससे बच्चों को काफी कुछ सीखने को मिलती है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. अलीबाबा और चालिस चोर की कहानी से क्या नैतिक शिक्षा मिलती है?
अलीबाबा और 40 चोर की इस कहानी का मकसद यह बताना है कि हमारे पास जो है हमें उसमे ही खुश रहना चाहिए अधिक लालच आपको नुकसान पहुंचा सकती है। इसलिए दूसरों से खुद की तुलना नहीं करनी चाहिए बल्कि आपकी अपनी मेहनत से जो फल मिलता है उसमे खुश रहना चाहिए।
2. हमें लालच क्यों नहीं करना चाहिए?
हमें हमेशा लालच करने से बचना चाहिए क्योंकि इससे इंसान के दिमाग में बुरे और गलत काम करने के ख्याल आते हैं जिसकी वजह से उन्हें बुरे परिणाम झेलने पड़ते हैं। लालच इंसान के सोचने और समझने की क्षमता को कम कर देता है। इसलिए इससे बचने में ही हम सब की भलाई है।
निष्कर्ष (Conclusion)
इस कहानी का मुख्य उद्देश्य है कि लालच करने से बचें क्योंकि कभी-कभी दूसरों के प्रति आपकी जलन और अधिक पाने की लालच आपको बहुत बड़ी मुसीबत में डाल सकती है, जैसे कासिम का इस कहानी में हुआ। यह कहानी बच्चों के लिए काफी प्रेरणादायक है साथ में उन्हें पढ़ने में भी मजा आएगा। ये कहानी रोमांच, रहस्य आदि से भरी हुई है इसलिए इसे पढ़ने में लोगों को बेहद दिलचस्पी होगी। हम कामना करते है आपको यह कहानी पसंद आई होगी और इसे आपके बच्चे को बहुत कुछ सीखने को भी मिलेगा।