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बच्चों में स्पीच और भाषा के डेवलपमेंट के लिए सुनने की क्षमता होना बहुत जरूरी है। पहले के समय में बच्चों में सुनने की समस्या को समझ या जान पाना बहुत कठिन था। हालांकि आज एडवांस मेडिकल साइंस और टेक्नोलॉजी की वजह से बच्चे में सुनने की समस्या को शुरूआत के चरणों में ही जाना जा सकता है। यदि आपको लगता है कि बच्चे में सुनाई न देने की समस्या है तो आपको तुरंत डॉक्टर की मदद लेनी चाहिए ताकि अन्य कोई कॉम्प्लिकेशन न हो। बच्चों में सुनाई ने देने की समस्या के बारे में पूरी जानकारी और इसे प्रभावी रूप से कैसे ठीक किया जा सकता है, यह जानने के लिए आप आगे पढ़ें।
बच्चों में कम सुनाई देने की समस्या कई कारणों से होता है पर इसका 60% तक रोके जा सकने वाले कारणों से होता है। डब्ल्यूएचओ के द्वारा बहरेपन पर की हुई स्टडीज के अनुसार पूरी दुनिया में 360 मिलियन लोगों को सुनने की समस्या है और इस पूरी जनसंख्या में 32 मिलियन बच्चे हैं। इस संख्या के अनुसार पूरी दुनिया में लगभग 5% लोगों को सुनाई कम देने या बहरेपन की समस्या है।
कम सुनाई देना या बहरापन तब होता है जब व्यक्ति को थोड़ा बहुत या पूरी तरह से सुनाई नहीं देता है। कम सुनाई देने की समस्या तब होती है जब बच्चे को कुछ डेसीबल तक आवाज नहीं सुनाई देती है (25 डेसीबल या अधिक)। बच्चे को सुनाई न देने की समस्या माइल्ड, मॉडरेट या पूरी तरह से भी हो सकती है। यदि बच्चे को नॉर्मल बातचीत सुनने या समझने में दिक्क्त होती है तो यह माइल्ड या पूरी तरह से न सुनाई देने की वजह से होता है। कभी-कभी सुनाई न देने के माइल्डर मामले भी पूरी तरह से बहरेपन में बदल सकते हैं। यदि बच्चे को पूरी तरह से सुनाई नहीं दे रहा है तो उसके दोनों कान में समस्या होती है और इसकी वजह से वह कम्युनिकेशन के लिए साइन लैंग्वेज का उपयोग करते हैं। हालांकि बहरेपन की समस्या को तीन भागों में बांटा गया है, आइए जानें;
बच्चे में कुछ भी बोलने या शब्दों को समझने से पहले ही सुनाई देने की क्षमता नहीं होती है।
जब बच्चे में बोलने या शब्दों को समझने के बाद सुनाई देने की क्षमता नहीं होती है।
यदि बच्चे को एक कान से सुनने में दिक्कत होती है तो इसे युनीलेटरल बहरापन कहते हैं और जब बच्चे को दोनों कानों से सुनाई नहीं देता है तो इसे बायलेटरल बहरापन कहते हैं।
सुनाई न देने या बहरेपन की समस्या निम्नलिखित कई प्रकार से होती है, आइए जानें;
ऑडिटरी प्रोसेसिंग डिसऑर्डर वह समस्या है जिसमें दिमाग शब्दों को एक संदेश के रूप में बदलने में सक्षम नहीं होता है। इस समस्या की वजह से व्यक्ति को आवाज का स्रोत समझने में दिक्कत होती है।
कंडक्टिव हियरिंग लॉस वह समस्या है जिसमें शरीर साउंड वेव को संचालित करने में सक्षम नहीं होता है। यह कान के कैनाल में साउंड वेव का पैसेज प्रभावित होने की वजह से होता है। ओटाइटिस मीडिया भी होता है जो आमतौर पर कान के बीचों बीच की सूजन को कहते हैं। यह समस्या बच्चों में होना बहुत आम है और इसकी वजह से सुनने की क्षमता कम हो जाती है जिसका अर्थ है कि बच्चों को कुछ आवाजों की फ्रीक्वेंसी सुनने में दिक्कत होगी।
इस प्रकार से कम सुनाई देने का मतलब है कि बच्चे के कान के अंदर कोई दिक्कत है। जब कान के आंतरिक हिस्सा या आंतरिक नर्व्ज डैमेज हो जाती है और उसे कम आवाज सुनने में कठिनाई होती है तो इसे सेंसरीन्यूरल हियरिंग लॉस होता है। यह समस्या हमेशा के लिए हो जाती है जो सिर में चोट लगने, गंभीर बीमारी होने, जेनेटिक कारणों से या दवाओं के साइड इफेक्ट्स से होती है।
यदि बच्चे को कंडक्टिव हियरिंग लॉस और सेंसरीन्यूरल एक साथ होता है तो इसे मिक्स्ड हियरिंग लॉस भी कहते हैं। यह तब होता है जब काम के बीच व अंदर का हिस्सा डैमेज होने की वजह से सुनाई नहीं देता है। यह समस्या काम में गंभीर इन्फेक्शन होने की वजह से होती है जो कान के बीच के हिस्से व अंदर के हिस्से को इन्फेक्ट कर देता है।
ऊपर बताए हुए प्रकारों के अलावा सुनाई न देने की समस्या को हाई फ्रीक्वेंसी हियरिंग लॉस और लो फ्रीक्वेंसी हियरिंग लॉस में बांटा गया है।
जब बच्चे को 2000 से 8000 हर्ट्ज सुनने में कठिनाई होती है तो उसे यह समस्या है। यह दिक्कत जेनेटिक कारणों, तेज आवाज सुनने, विशेष बीमारियां होने, दवा से साइड इफेक्ट्स होने से भी हो सकती है।
जब 2000 हर्ट्ज या उससे कम आवाज को सुनने में दिक्कत होती है तो इसे लो फ्रीक्वेंसी हियरिंग लॉस कहते हैं। सेंसरीन्यूरल हियरिंग लॉस की वजह से बच्चे को लो फ्रीक्वेंसी आवाज सुनने में दिक्क्त होती है।
बच्चों में सुनाई न देने की समस्या होने के कई कारण निम्नलिखित हैं, आइए जानें;
बच्चों में कॉग्निटल हियरिंग लॉस जन्म से ही होता है। यह समस्या जेनेटिक व नॉन जेनेटिक कारणों से हो सकती है। इसके कुछ नॉन जेनेटिक कारण निम्नलिखित हैं, आइए जानें;
बच्चों में कम सुनाई देने के नॉन जेनेटिक कारण 25% तक हटे हैं। हालांकि जन्म के बाद बच्चे में सुनाई कम देने के जेनेटिक कारण 50% तक होते हैं। बच्चों में इस समस्या के जेनेटिक कारण निम्नलिखित हैं, आइए जानें;
यद्यपि ऊपर बताए हुए जेनेटिक और नॉन-जेनेटिक समस्याओं के परिणामस्वरूप कॉग्निटल हियरिंग लॉस की समस्या होती है पर इनमें से कुछ मामले जन्म से ही होते हैं यह कहना कठिन है।
ट्रांसिएंट हियरिंग लॉस कान के बीचों बीच इन्फेक्शन होने या ओटाइटिस मीडिया से होता है। बच्चों में ओटाइटिस मीडिया की समस्या होना बहुत आम है जो यूस्टेकियन ट्यूब की पोजीशन के कारण होता है। विकास के दौरान यह ट्यूब बहुत छोटा और हॉरिजॉन्टल होता है जिसकी वजह से ब्लॉकेज और इन्फेक्शन हो सकता है। सुनाई न देने की यह समस्या टेम्पररी है और यह अपने आप ही ठीक हो जाती है पर यदि कान के किसी भी इन्फेक्शन का इलाज नहीं किया गया तो इससे इयर ड्रम, हड्डी और ऑडिटरी नर्व्ज डैमेज हो सकते हैं।
बच्चों में यह समस्या जन्म से ही नहीं होती है बल्कि जन्म के बाद होना शुरू होती है। बच्चों में अक्वायर्ड हियरिंग लॉस होने की समस्या कई कारणों से होती है, आइए जानें;
बच्चों में सुनाई कम देने की समस्या किसी भी आयु में हो सकती है। कुछ बच्चों में अचानक से सुनाई कम देने लगता है या नहीं सुनाई देता है। यद्यपि यह आम नहीं है पर कान का आंतरिक, बाहरी हिस्सा या पूरा कान डैमेज होने की वजह से होता है।
यद्यपि हर बच्चा अलग है इसलिए उसके विकास आयु के अनुसार ही होता है। यदि आपके बच्चे में यह नहीं हो रहा है तो आप डॉक्टर से संपर्क करें क्योंकि हो सकता है कि उसे कोई गभीर समस्या हो।
बच्चों में कम सुनाई देने की समस्या का डायग्नोसिस निम्नलिखित तरीकों से होता है, आइए जानें;
हालांकि, ऑडिटरी स्क्रीनिंग टेस्ट कब होता है, आइए जानें;
बच्चों में कम सुनाई देने की समस्या का डायग्नोसिस करने के लिए निम्नलिखित कुछ टेस्ट करने की सलाह दी जाती है, आइए जानें;
बच्चे को कम सुनाई देने की समस्या का ट्रीटमेंट इसकी गंभीरता व लक्षणों पर निर्भर करता है। इसके लिए डॉक्टर आपको निम्नलिखित ट्रीटमेंट लेने की सलाह दे सकते हैं, आइए जानें;
यदि कान में इन्फेक्शन की वजह से बच्चे को सुनाई देने में दिक्कत होती है तो डॉक्टर इन्फेक्शन को ठीक करने के लिए एंटीबायोटिक लेने की सलाह देते हैं।
यदि बच्चे को सेंसरीन्यूरल हियरिंग लॉस की समस्या होती है तो डॉक्टर उसके लिए अन्य उपचार करने की सलाह देते हैं क्योंकि इस प्रकार की समस्या को ठीक करने के लिए दवा या सर्जरी से कोई भी मदद नहीं मिल पाती है।
यदि बच्चे को काम में ब्लॉकेज या वैक्स की वजह से कम सुनाई देता है तो डॉक्टर इसके लिए सर्जरी कराने की सलाह दे सकते हैं।
यदि बच्चे को सुनाई देने में दिक्कत होती है तो डॉक्टर इम्प्लांटेशन की सलाह देते हैं। इम्प्लांटेशन सर्जरी की मदद से आवाज इलेक्ट्रॉनिक इम्पलसेस में बदल जाती है जो बाद में कान के अंदर पहुँचती है।
यदि सुनाई न देने की वजह से बच्चे को बोलने में दिक्कत होती है तो डॉक्टर उसे कॉक्लियर इम्प्लांट या इसके अन्य उपचार करने के बाद स्पीच थेरेपी की सलाह भी दे सकते हैं।
यदि बच्चे को ओटाइटिस मीडिया की समस्या है तो डॉक्टर आपको इंतजार करने की सलाह दे सकते हैं क्योंकि यह समस्या कुछ समय के बाद अपने आप ही ठीक हो सकती है।
कम सुनाई देने की समस्या या अक्वायर्ड हियरिंग लॉस की समस्या को ठीक किया जा सकता है। बच्चों में कम सुनाई देने की समस्या को ठीक करने के तरीके निम्नलिखित हैं, आइए जानें;
बच्चे में कम सुनाई देने या बहरेपन से संबंधित पेरेंट्स के लिए टिप्स:
सुनाई न देने की समस्या की वजह से आपके बच्चे पर कई तरीकों से प्रभाव पड़ता है। इसलिए यह बहुत जरूरी है कि जैसे ही आपको बच्चे में कम सुनाई देने के लक्षण दिखाई देते हैं तो आप डॉक्टर से मदद लें। सही गाइडेंस और उपचार से आपको काफी मदद मिल सकती है।
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