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ये कहानी लक्ष्मी नाम की गाय की है, जो की गलती से शेर की गुफा के पास पहुंच गई थी। शेर उसे खाना चाहता था, लेकिन गाय ने शेर से विनती की उसे उस दिन जाने दिया जाए और अपने बछड़े को आखिरी बार प्यार करने का मौका दें। उसके बाद वह अगले दिन आने का वादा कर के वहां से चली जाती है। भले ही अगले दिन उसकी मौत लिखी हुई थी, लेकिन इसके बावजूद भी वह अपना वचन पूरा करने आती है। लेकिन अंत में उसके साथ क्या होता है और हम गाय को गाय माता क्यों कहते हैं, ये सब आपको पूरी कहानी पढ़ने के बाद पता चलेगा।
कुछ साल पहले की बात है, एक पहाड़ी के नीचे रामगढ़ गांव था और उस गांव के सभी जानवर घास खाने के लिए पहाड़ी के ऊपर जाते थे और शाम होने के बाद घर में वापस लौट आते थे।
हमेशा की तरह एक लक्ष्मी नाम की गाय अपनी साथी गायों के साथ पहाड़ी पर घास खाने गई थी। वह घास खाने में इतना मग्न हो गई कि कब शेर की गुफा के पास पहुंच गई उसे पता ही नहीं चला। शेर गुफा में आराम कर रहा था और दो दिनों से उसने कुछ खाया भी नहीं था। लक्ष्मी गाय जैसे ही शेर की गुफा के पास पहुंची, उसकी महक से शेर की नींद खुल गई।
शेर धीरे से गुफा के बाहर झांका और गाय को वहां देखकर बहुत खुश हो गया। उसके मन में ख्याल आया कि आज वह अपनी दो दिनों की भूख को अच्छे से मिटाएगा। आज वह एक हष्ट-पुष्ट गाय का मांस मजे से खाएगा और तभी उसने एक तेज दहाड़ लगाई। जैसे ही लक्ष्मी गाय ने शेर की आवाज सुनी, वह बहुत डर गई। वह अपने आसपास देखने लगी, लेकिन वहां दूसरी कोई भी गाय मौजूद नहीं थी।
जब उसने थोड़ा साहस कर के पीछा देखा, तो उसके पीछे शेर खड़ा हुआ था। शेर लक्ष्मी को देखकर एक बार फिर से दहाड़ने लगा और लक्ष्मी गाय से कहता है, “मुझे पिछले दो दिनों से कोई शिकार नहीं मिला है और मैं भूखा हूं। यही वजह है कि भगवान ने तुम्हें मेरा पेट भरने के लिए यहां भेजा है। आज मैं तुम्हें खाकर अपनी सारी भूख मिटा लूंगा।”
शेर की बातों की सुनकर लक्ष्मी घबरा जाती है। वह रोने लगती है और कहती है, “मुझे मत खाओ, मुझे जाने दो। मेरा एक छोटा बच्चा है, जो सिर्फ मेरा दूध ही पीता है और वह अभी तक घास नहीं खा पाता है।” शेर लक्ष्मी की बातों को सुनकर हंसने लगा और बोला, “तो क्या मैं अपना शिकार इतनी आसानी से जाने दूं? मैं तो तुझे आज खाकर ही रहूंगा।”
शेर की बातों को सुनकर गाय का बुरा हाल था और वह शेर से प्रार्थना करने लगी कि, “भगवान के लिए मुझे आज जाने दो। मैं आज आखिरी बार अपने बछड़े को दूध पिला दूंगी और बहुत सारा प्यार देकर, कल तुम्हारे पास वापस आ जाउंगी। फिर तुम मुझे आराम से खा लेना और अपना पेट भर लेना।” शेर लक्ष्मी गाय की इस बात को स्वीकार कर लेता है और कहता है कि, “अगर कल तू नहीं आई, तो मैं तुम्हारे गांव पहुंच जाऊंगा और तुझे और तेरे बच्चे दोनों को खा जाऊंगा।”
लक्ष्मी गाय शेर की बात को सुनने के बाद खुश होती है और शेर से वादा कर के गांव वापस चली जाती है। लक्ष्मी वहां से निकलने के बाद अपने बछड़े के पास तुरंत पहुंचती है। उसे अपना दूध पिलाती है और खूब सारा प्यार देती है। उसके बाद बछड़े को शेर वाली पूरी घटना बताई और कहने लगी कि अब तुम अपना अच्छे से ध्यान रखना। वह कल सुबह होते ही अपने वादे के तहत शेर के पास चली जाएगी।
बछड़ा अपनी माँ लक्ष्मी की बातों को सुनकर बहुत उदास हो जाता और रोने लगता है। अगले दिन लक्ष्मी अपनी इम्मंदारी साबित करते हुए जंगल की ओर बढ़ जाती है और शेर की गुफा के पास पहुंचकर उसे बुलाने लगती है और कहती है, “अपने वादे के अनुसार मैं तुम्हारे पास आ गई हूं। अब तुम मुझे खा सकते हो।”
गाय की आवाज सुनने के बाद शेर अपनी गुफा से बाहर निकलता है जो भगवान के रूप में सामने आते हैं। वह लक्ष्मी से कहते हैं, “मैं तो बस तुम्हारा इम्तेहान ले रहा था। तुम अपने वादे की पक्की हो। मैं तुम्हारी इस बात से बहुत खुश हूं और अब तुम अपने घर वापस अपने बछड़े के पास जा सकती हो।”
इसके बाद भगवान गाय को गौ माता होने का दर्जा देते हैं और उस दिन आज तक लोग गाय को गौ माता के रूप में पूजते हैं।
गाय और शेर की इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है कि, चाहे आप कितनी भी मुसीबत में क्यों न हों, लेकिन अपनी ईमानदारी कभी नहीं छोड़नी चाहिए और अपने वचन को तोड़ना नहीं चाहिए। यही एक मजबूत व्यक्तित्व को दर्शाता है।
यह कहानी पंचतत्र की कहानी के अंतर्गत आती है। जिसमें हमेशा अपने वचन निभाने को महत्व बताया गया है।
गाय में सभी देवताओं का निवास है, क्योंकि गाय हमारी माँ की तरह पूरी दुनिया को दूध देती है, इसलिए वह हमारी माँ है।
गाय और शेर की इस कहानी में हमें ये बताया गया है कि कैसे गाय द्वारा निभाया उसका वचन उसके लिए एक वरदान साबित होता है।
ईमानदार होने से और किसी को दिया गया वचन निभाने से आप एक अच्छे व्यक्ति के रूप में सामने आते हैं। आपके जीवन में चाहे जितनी परेशानियां हो, लेकिन अगर आप अपना वचन निभा रहे हैं तो आप मिसाल बनते हैं।
गाय और शेर की कहानी का तात्पर्य ये है कि हमें इतना भी मग्न नहीं हो जाना चाहिए कि हम किसी मुसीबत में फंस जाए, इसलिए हमेशा अपने आस-पास का ध्यान रखना चाहिए। साथ ही यदि आपने किसी को वचन दिया है, तो उसे निभाए जरूर ऐसा करने से आपका मजबूत व्यक्तित्व भी सबके सामने आता है।
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