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यह कहानी किशन नाम के किसान की है, जो पीतल नगर में अपने बीमार पिता के साथ रहता था और जमींदार के यहां मजदूरी कर के वे अपना गुजारा करता और पिता का इलाज कराता था। लेकिन उसे अचानक से एक दिन जादुई पतीला मिला जिससे उसके जीवन के दुख तकलीफे कम होने लगी, पर उसकी खुशी ज्यादा दिन तक नहीं टिकी और जमींदार उससे वो पतीला ले कर चला जाता है। मगर जमींदार से भी वो पतीला वहां के राजा ने ले लिया और अपनी मूर्खता की वजह से जान गवा दी। इस कहानी में हमें ये बताया गया कि कैसे मूर्खता और लालच में किया गया काम आपके लिए ही हानिकारक साबित हो सकता है। साथ में यह भी कि आपको किसी भी वस्तु का दुरूपयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि ये आपको मुसीबत में डाल सकती है। आगे पूरी कहानी दी गई है उसे ध्यान से पढ़ें और बच्चों को भी पढ़ाएं।
कुछ साल पहले एक पीतल नगर नामक गांव था, जहां किशन नाम का किसान रहता था। किशन गांव के बड़े जमींदार के खेत में काम कर के अपना गुजारा करता था।
किशन हमेशा से गरीब नहीं था, पहले उसके भी खेत थे लेकिन अपने पिता की बीमारी की वजह से सारे खेत बेच दिए थे। जमींदार के खेत में काम करने से उसे जो पैसे मिलते थे उससे अपने पिता का इलाज और घर का खर्चा चलाने में दिक्कत हो रही थी।
किशन हमेशा यही सोचता रहता था कि कैसे अपने घर के हालात को सुधारे और बेहतर करे। ऐसे ही सोचते-सोचते वह सुबह जमींदार के खेत काम करने के लिए चल दिया।
जब वह खुदाई कर रहा था कि तभी उसकी कुदाल किसी भारी धातु से टक्कर खाई और बहुत तेज आवाज हुई। आवाज सुनकर उसने सोचा की आखिर यहां ऐसा क्या है? किशन ने उसी वक्त वहां खोदना शुरू कर दिया और वहां से एक बड़ा सा पतीला निकला, जिसे देख वह दुखी हो गया।
उसके मन में आया कि पतीले की जगह उसे कोई सोने के जेवरात मिल जाते तो उसके घर की स्थिति सुधर जाती। फिर किशन ने खाना खाने की सोची और खाना खाने के लिए उसने अपनी कुदाल उसी पतीले में डाल दी और हाथ-मुंह धोकर खाना खाने लगा। जब खाना खाने के बाद अपनी कुदाल लेने पतीले के पास पहुंचा।
पतीले के अंदर देखकर वह भौचक्का रह गया, पतीले में एक कुदाल की जगह बहुत सारे कुदाल मौजूद थे। उसे ये देखकर कुछ समझ नहीं आया। दुबारा परखने के लिए किशन ने उस पतीले में कटोरी डाली और पतीले के अंदर जाते ही बहुत सारी कटोरियां हो गई। ये दृश्य देखकर किशन बेहद खुश हुआ और उस जादुई पतीले को अपने घर लेकर चला गया।
अब किशन रोज अपने औजारों को पतीले में डालता और जब वो अधिक हो जाते, तब उन्हें बाजार में जाकर अच्छे पैसे में बेच आता था। ऐसा करने से उसके घर की आर्थिक स्थिति सुधरने लगी। ऐसा कर के वह बहुत पैसे कमाने लगा और अपने पिता का इलाज भी अच्छे से कराया। कुछ पैसे जोड़कर उसने गहने खरीदें और उन्हें भी अधिक करने के लिए पतीले में डाला और वहां बहुत गहने आ गए। ऐसा करते-करते किशन अमीर होने लगा और उसने जमींदार के यहां खेती करना भी छोड़ दिया।
किशन को अचानक से इतना अमीर होता देखकर जमींदार को उसपर संदेह हुआ और वो किशन के घर पहुंच गया। वहां उसको जादुई पतीले की जानकारी हुई और उसने किशन से पूछा, “तुम्हें ये पतीला कब मिला और इसको किसके घर से चुराया है?” किशन डर गया और बोला, “साहब! ये पतीला मुझे खुदाई करते वक्त मिला था। मैंने इसे चुराया नहीं है।”
किशन की बात सुनकर जमींदार उससे बोला, “यह पतीला जब मेरे खेत से मिला है, तो ये मेरा हुआ।” किशन ने जमींदार से बहुत मिन्नतें की और गिड़गिड़ाया भी कि वह जादुई पतीला नहीं लेकर जाए, लेकिन उसने उसकी एक बात नहीं मानी और जबस्दस्ती अपने साथ वो पतीला लेकर चला गया।
जमींदार ने भी किशन द्वारा बताए गए तरीके से पतीले में अपनी चीजें डालना शुरू कर दिया। वह अपने सारे जेवर भी उस पतीले में डाला और रातोंरात एक बहुत अमीर आदमी बन गया।
जब पीतल नगर के राजा को जमींदार के अमीर होने की खबर मिली, तो उसने पता लगाया और उसे भी जादुई पतीले के बारे में ज्ञात हुआ। बस इतना सुनते ही राजा ने जमींदार के घर अपने आदमी भेजे और वो जादुई पतीला राजमहल मंगवा लिया।
जब वो जादुई पतीला राजमहल पहुंचा तब से ही राजा ने उसमें अपने सभी सामान डालना शुरू कर दिया। जब सामान की मात्रा बढ़ने लगी है तो राजा के मन में लालच आ गया और वह उत्साहित होकर खुद भी उस पतीले के अंदर चला गया। उसके बाद उस पतीले से बहुत सारे राजा बाहर निकलकर आए।
पतीले से निकला हुआ हर राजा ये बोला, “मैं पीतल नगर का असली राजा हूँ, तुम तो इस जादुई पतीले से निकले हो।” ऐसा बोलते-बोलते सभी राजा आपस में लड़ने लगे और मर गए। उसी दौरान वो जादुई पतीला भी टूट गया।
इस जादुई पतीले की वजह से राजमहल में हुए इस भयंकर घमासान के बारे में पूरे पीतल नगर के लोगों को पता चला। इस बात की जानकारी मजदूर किशन और मोहन जमींदार को भी हुई। दोनों सोचने लगे कि अच्छा हुआ कि उन्होंने पतीले का सही तरह से उपयोग किया। राजा की मूर्खता और अधिक लालच की वजह से उसे अपनी जान से हाथ धोना पड़ा।
जादुई पतीले की इस कहानी से हमें ये सीखने को मिलती है कि आपको कभी भी लालच में आकर अधिक चीजों की मांग नहीं करनी चाहिए और साथ ही बेवकूफी में कोई भी कार्य करने से बचना चाहिए क्योंकि ये आप पर भी भारी पड़ सकता है। इस कहानी से हम सबको सबक लेना चाहिए कि किसी भी सामान को बहुत ही समझदारी के साथ इस्तेमाल करें।
जादुई पतीला की कहानी पंचतंत्र की मनोरंजक कहानियों में से एक है। यह बच्चों को अच्छी नैतिक शिक्षा भी देती है।
जादुई पतीला की नैतिक कहानी ये है कि हमें दूसरों की तरक्की से जलकर और आवेश में आकर कोई काम नहीं करना चाहिए। मूर्खता से भरे काम का नतीजा बहुत होता है। जैसे राजा को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा।
मूर्खता से लिया गया कोई फैसला आपके खिलाफ जा सकता है और आपके लिए हानिकारक साबित हो सकता है, इतना ही कभी कभी लोगों की जान भी चली जाती है। इसलिए कोई भी काम को हमेशा सूझभूझ के साथ करें और अपने अंदर धैर्य जरूर रखें।
जादुई पतीला की कहानी से हमे किशन की किस्मत और मुर्ख राजा द्वारा किया कार्य दोनों ही बातों की जानकारी मिलती है। एक को पतीला मिला तो उसने अपने हालात को सुधारने का प्रयास किया वहीं दूसरी ओर राजा ने अपनी लालच को बढ़ाते हुए मूर्खता से काम किया जिसकी वजह से उसकी जान चली गयी। ये कहानी बच्चों को बेहद पसंद आने वाली है क्योंकि इसमें जादुई पतीले का जिक्र किया गया है। यह कहानी बच्चों का मनोरंजन करने के साथ उन्हें बहुत कुछ सिखाती भी है। बच्चे भी ऐसी कहानियों को बहुत दिलचस्पी के साथ पढ़ते है।
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