In this Article
- क्या ब्रेस्टफीडिंग के दौरान पपीता खाना सही है?
- ब्रेस्फीडिंग के दौरान पपीता खाने के फायदे
- पपीता खाने से ब्रेस्टमिल्क की आपूर्ति पर कैसे प्रभाव पड़ता है?
- ब्रेस्टफीडिंग के दौरान डायट में पपीता कैसे शामिल करें
- कच्चा या पका पपीता – स्तनपान के दौरान कौन सा बेहतर है?
- क्या ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली माँओं के लिए पपीते को पकाकर डिश के रूप में खाना कच्चे पपीते जैसा ही फायदेमंद है?
- ब्रेस्टफीडिंग के दौरान आपको पपीता कब नहीं खाना चाहिए?
- पपीते से एलर्जी होने के कारण क्या हैं?
- पपीते से एलर्जी होने के लक्षण
यदि आप अपने बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराती हैं तो इस दौरान अपनी डायट का पूरा ध्यान रखती होंगी ताकि बच्चा सुरक्षित व हेल्दी रहे। कुछ माँएं अपनी पूरी केयर करने के लिए बैलेंस्ड डायट का सेवन करती हैं और रोजाना फल भी खाती हैं ताकि बच्चे को उचित मात्रा में न्यूट्रिशन मिल सके। इसमें सबसे बेहतरीन फल पपीते को माना जाता है। इसलिए डायटिशन अक्सर इसे लेने की सलाह देते हैं क्योंकि इसमें विटामिन व मिनरल भरपूर होते हैं जो दूध की क्वालिटी व मात्रा को प्रभावित करते हैं और डिलीवरी के बाद रिकवरी करने में भी मदद करते हैं। ब्रेस्टफीडिंग माँओं के लिए पपीता खाने के क्या फायदे हैं यह जानने के लिए आगे पढ़ें।
क्या ब्रेस्टफीडिंग के दौरान पपीता खाना सही है?
पपीते में बहुत न्यूट्रिशन होता है इसलिए डिलीवरी के बाद इसे खाना सही है। इस बात का ध्यान रखें कि आप गर्भावस्था के दौरान कच्चा पपीता न खाएं क्योंकि इससे लेबर उत्तेजित हो सकता है। यह फल मीठा होने के बाद भी इसमें शुगर बहुत कम होता है इसलिए यह एक बेहतरीन फूड आइटम है। लैक्टेटिंग माँओं के लिए पपीता एक अच्छा फल है। बस इस बात का ध्यान रखें कि आपको इस फल से एलर्जी न हो और इसे संयमित मात्रा में खाएं।
ब्रेस्फीडिंग के दौरान पपीता खाने के फायदे
पपीते में नर्सिंग माँओं के लिए पर्याप्त न्यूट्रिशन होता है। इस फल का नारंगी रंग का गूदा बेहद न्युट्रिश्यस, क्रीमी और मीठा होता है जो इसे कई लोगों का फेवरेट बनाता है। कई जगहों पर इसकी सब्जी बनाई जाती है और यह स्वास्थ्य संबंधी फायदों के लिए लोकप्रिय भी है। ब्रेस्टफीडिंग के दौरान पपीता खाने के कई फायदे हैं, इनमें से मुख्य क्या हैं, आइए जानें;
1. दिल के रोगों से बचाता है
पपीता खाने से ब्लड वेसल में कोलेस्ट्रॉल नहीं बनता है। इसमें पोटैशियम भरपूर होता है और यह हार्ट रेट व ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मदद करता है। इससे दिल की बीमारी होने की संभावनाएं कम होती हैं और सर्कुलेटरी सिस्टम भी ठीक रहता है।
2. डिलीवरी के बाद वजन को मैनेज करने में मदद करता है
पपीता सेल्यूलाइट का विकास करने में मदद करता है। इसमें डिटॉक्सिफाइंग प्रभाव भी होते हैं व यह फैट को कम करता है। इस फल में कैलोरी की मात्रा बहुत कम होती है इसलिए इसमें कोलेस्ट्रॉल बिलकुल भी नहीं होता है और यह वजन को कंट्रोल रखने में मदद करता है।
3. इम्युनिटी बढ़ाता है
पके हुए पपीते में स्वास्थ्य संबंधी कई फायदे होते हैं इसलिए ब्रेस्टफीडिंग के दौरान इसे खाना सही है। फ्रेश और पके पपीते में विटामिन ‘सी’ होता है जो एक इम्यून सिस्टम एजेंट है। इसमें एंटीइंफ्लेमेटरी गुण भी पाए जाते हैं जो इन्फेक्शन को ठीक करने में मदद करते हैं।
4. ब्रेस्टमिल्क बढ़ता है
पपीते को लैक्टोजेनिक प्रभावों के लिए भी जाना जाता है जो नर्सिंग माँओं में ब्रेस्टमिल्क को बढ़ाने में मदद करता है। हरा पपीता ज्यादा लैक्टोजेनिक होता है और इसलिए स्तनपान कराने वाली महिलाओं को इसकी रेसिपीज ट्राई करनी चाहिए।
5. बॉवल मूवमेंट ठीक होता है
पपीते में डायट्री फाइबर होता है जो कब्ज व बवासीर से छुटकारा दिलाने में मदद करता है। इसका नियमित रूप से सेवन करने से पाचन तंत्र को फायदे मिलते हैं। यह बढे हुए कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करता है और खून में ग्लूकोज को भी नियंत्रित करता है।
पपीता खाने से ब्रेस्टमिल्क की आपूर्ति पर कैसे प्रभाव पड़ता है?
स्वादिष्ट पपीते से सिर्फ खाने में टेस्ट ही नहीं मिलता है बल्कि इससे हेल्थ से जुड़े फायदे भी मिलते हैं। कच्चे व हरे पपीते से शरीर में ऑक्सीटोसिन नामक हॉर्मोन्स भी रिलीज होते हैं जिससे माँ के शरीर में दूध का प्रोडक्शन नियंत्रित होता है। यह ब्रेस्टमिल्क में विटामिन और मिनरल बढ़ाने के अलावा इसे फोर्टिफाई भी करता है।
ब्रेस्टफीडिंग के दौरान डायट में पपीता कैसे शामिल करें
हर महिला को यह समझना चाहिए कि बच्चे की ग्रोथ व डेवलपमेंट माँ की डायट पर निर्भर करती है। वास्तव में पपीता फ्लेवर और स्वास्थ्य संबंधी फायदे प्रदान करता है जो बच्चे के विकास के लिए बहुत जरूरी है। आप सलाद के रूप में भी पका हुआ पपीता खा सकती हैं और डायट में कच्चा पपीता शामिल करने के कई तरीके हैं। इसे कुक करके, कच्चा या करी के रूप में भी खाया जा सकता है। पपीते को डायट में शामिल करने के अनेक तरीके हैं, आइए जानें;
- हरे पपीते की करी: हरे पपीते में मसाले डालकर इसकी करी भी पकाई जा सकती है।
- फ्राई किया हुआ कच्चा पपीता: कच्चे पपीते को हल्का फ्राई करके आप इसे एक साइड डिश के रूप में भी ले सकती हैं।
- सलाद: आप कच्चे पपीते में नींबू, नमक और काली मिर्च डाल कर खाएं। स्वाद बढ़ाने के लिए आप इसमें तुलसी व मिंट भी मिला सकती हैं।
- कच्चे पपीते की स्मूदी: कच्चे पपीते की स्मूदी नाश्ते में लेना सबसे बेहतरीन है और इसमें पालक, गाजर और दही भी डाला जा सकता है।
- पराठा: गाजर के पराठे की तरह ही आप आटे में कच्चा पपीता स्टफ करके इसके पराठे बना सकती हैं और खाने में शामिल कर सकती हैं।
- हरे पपीते का सूप: आप कच्चे पपीते का फ्रेश सूप भी पका सकती हैं या इसे मछली व चिकन के सूप में सामग्री की तरह इस्तेमाल करें
कच्चा या पका पपीता – स्तनपान के दौरान कौन सा बेहतर है?
पके पपीते का स्वाद कच्चे पपीते से ज्यादा अच्छा होता है पर मेडिकल नजर से देखा जाए तो दूध पिलाने वाली माँओं को नियमित रूप से कच्चा पपीता खाना चाहिए। कच्चे पपीते में कंसन्ट्रेटेड एन्जाइम्स और मिनरल होते हैं इसलिए यह ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली माँओं के लिए ज्यादा हेल्दी है।
क्या ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली माँओं के लिए पपीते को पकाकर डिश के रूप में खाना कच्चे पपीते जैसा ही फायदेमंद है?
पके हुए पपीते के विपरीत कच्चे पपीते का स्वाद बहुत अच्छा नहीं होता है। कई लोग अजीब स्वाद के कारण इसे खाना पसंद नहीं करते हैं पर इसमें मौजूद न्यूट्रिशन वैल्यू के कारण इसे नजरअंदाज भी नहीं कर सकते हैं। इसलिए वे इसे अन्य सब्जियों के साथ सूप, स्ट्यू, करी, सलाद आदि के रूप में खाते हैं या फ्राई करते हैं।
स्तनपान कराने वाली जिन माँओं को पपीते से थोड़ी बहुत एलर्जी होती है वे पकाया हुआ पपीता खाती हैं। कच्चे पपीते को पकाने से प्रोटीन में केमिकल बदलाव होते हैं जिसकी वजह से एलर्जिक रिएक्शन होता है। एलर्जी को ठीक करने के लिए आप मेडिकल सलाह भी ले सकती हैं।
ब्रेस्टफीडिंग के दौरान आपको पपीता कब नहीं खाना चाहिए?
यद्यपि नर्सिंग मांओं को पपीता खाने की सलाह दी जाती है पर इसे खाने से पहले आप निम्नलिखित सावधानियां जरूर बरतें, आइए जानें;
- यदि आपको पपीते से एलर्जी है तो आपको यह फल नहीं खाना चाहिए। इसके छिलके में लैटेक्स जैसे ही एन्जाइम्स हैं जिससे शरीर में एलर्जेन उत्पन्न होते हैं। यदि आपको कोई भी लक्षण दिखाई देते हैं तो आप पपीता खाना छोड़ दें।
- बहुत कम मात्रा में पपीता खाना चाहिए। यह ज्यादा खाने से माँओं के शरीर में एलर्जिक रिएक्शन हो सकता है।
पपीते से एलर्जी होने के कारण क्या हैं?
पपीता खाने से कभी-कभी सेंसिटिव मांओं को गंभीर रूप से एलर्जी हो जाती है। जिन महिलाओं को लैटेक्स से एलर्जी है उन्हें डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए या यह फल बिल्कुल भी नहीं खाना चाहिए। पपीते के छिलके में एन्जाइम्स होते हैं जिसकी वजह से महिलाओं को एलर्जिक रिएक्शन हो सकता है। यदि आप बच्चे को दूध पिलाती हैं तो आपको इससे संबंधित पूरी सावधानी बरतनी चाहिए क्योंकि इससे नर्सिंग माँओं के स्वास्थ्य पर सीधा असर पड़ता है जिससे बच्चे को भी हानि हो सकती है।
पपीते से एलर्जी होने के लक्षण
पपीते में बहुत सारे न्यूट्रिशनल गुण होते हैं इसलिए इसे एक अद्भुत फल माना जाता है। पर यदि इसे खाने से आपको निम्नलिखित कोई भी लक्षण दिखाई देते हैं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें;
- सांस लेने में दिक्कत होना
- फल का शरीर के संपर्क में आने से खुजली होना।
- होंठों में सूजन होना
- गले और मुँह में इरिटेशन होना
- एलर्जेन को खत्म करने के लिए डायरिया और उल्टी होना
- पपीता खाते समय जलन और ओरल कैविटी में सूजन होना
- सांस लेने में दिक्कत होने के साथ-साथ चक्कर आने के गंभीर लक्षण दिखाई देना
पपीता खाने से स्तनपान में कई फायदे मिलते हैं जिसकी वजह से यह फल ब्रेस्टफीड कराने वाली माँओं का फेवरेट हो चुका है। इस फल में भरपूर न्यूट्रिशन होता है जिसे डिलीवरी के बाद की डायट में शामिल करने से माँ और बच्चे को बेहतर फायदे मिलते हैं। पर दुर्भाग्य से सभी मांएं इसका सेवन नहीं कर सकती हैं। हालांकि यदि आप पपीता खाना चाहती हैं तो पहले डॉक्टर से चर्चा करें।
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