In this Article
- कहानी के पात्र (Characters Of The Story)
- अकबर-बीरबल की कहानी: आगरा कौन सा रास्ता जाता है? | Agra Kaun Sa Rasta Jata Hai Story In Hindi
- आगरा कौन सा रास्ता जाता है की कहानी से सीख (Moral Of Agra Kaun Sa Rasta Jata Hai Hindi Story)
- आगरा कौन सा रास्ता जाता है की कहानी का कहानी प्रकार (Story Type of Agra Kaun Sa Rasta Jata Hai Hindi Story )
- अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
- निष्कर्ष (Conclusion)
अकबर-बीरबल की “आगरा कौन सा रास्ता जाता है” कहानी बादशाह अकबर और बीरबल की कहानियों में से एक है। जिसमें बीरबल के बचपन को दिखाया गया है और ये भी बताया गया है कि कैसे बीरबल पहली बार बादशाह अकबर से मिले थे। इस कहानी में ये भी बताया गया है कि बीरबल बचपन से ही बेहद समझदार थें और हर काम बहुत ही सूझबूझ के साथ किया करते थे। बचपन से उन्हें लोगों की सहायता करना पसंद था। ये कहानी बच्चों को भी अपनी तरफ आकर्षित जरूर करेगी। उन्हें ये कहानियां जरूर पढ़ कर सुनाएं।
कहानी के पात्र (Characters Of The Story)
- बादशाह अकबर
- बाल रूप बीरबल (महेश दास)
- महाराज के सैनिक
अकबर-बीरबल की कहानी: आगरा कौन सा रास्ता जाता है? | Agra Kaun Sa Rasta Jata Hai Story In Hindi
एक समय की बात है बादशाह अकबर को शिकार करने का बहुत शौक था, इसी के चलते वह अपने सैनिकों के साथ शिकार के लिए महल से निकल गए। बादशाह शिकार में इतना लीन हो गए कि वह अपने झुंड से अलग हो गए। उनके साथ बस कुछ ही सैनिक मौजूद थे। संध्या का समय हो गया था और सूर्यास्त भी होने वाला था। इतनी देर में अकबर और सैनिकों को तेज की भूख भी लगने लगी थी।
जब बादशाह आगे बढ़ने लगे तो उन्हें ये अहसास हुआ कि वह लोग रास्ता भूल गए हैं। वहां पर कोई भी व्यक्ति मौजूद नहीं था जिससे आगे का रास्ता पूछा जा सके। कुछ देर आगे चलने के बाद अकबर को तिराहा दिखाई पड़ा और उसे देखकर बादशाह बहुत खुश हुए क्योंकि घर पहुंचने की एक उम्मीद जागी थी। उन्हें लग रहा था कोई न कोई रास्ता उन्हें आगरा तक पहुंचा देगा।
लेकिन, सभी लोग असमंजस में थे आखिर कौन सा रास्ता चुना जाए। तभी बादशाह के सैनिकों की नजर वहां पर खड़े एक छोटे बच्चे पर पड़ी। वह लड़का बादशाह के सैनिकों, घोड़ों और हथियारों को बहुत ध्यान से देख रहा था। तभी सैनिकों ने लड़के को पकड़ा और महाराज के सामने ले आए।
अकबर ने उस बालक से पूछा,”सुनो लड़के, इन रास्तों में कौन सा रास्ता आगरा की ओर जाता है?” यह बात सुनकर वो बालक जोर जोर से हंसने लगा। बालक को इस प्रकार हंसता देखकर अकबर को गुसा आया, लेकिन अपने गुस्से को हावी न करते हुए राजा अकबर ने उसके लड़के के हंसने की वजह पूछी। लड़के ने जवाब देते हुए कहा, “रास्ते चलते नहीं है, ये आगरा कैसे जाएगा। अगर आपको आगरा जाना है तो खुद चलना पड़ेगा।”
बादशाह अकबर उस बच्चे की समझदारी को देखकर खुश हुए और उससे उसका नाम भी पूछा। लड़के ने अपना नाम महेश दास बताया। बच्चे से प्रसन्न हो कर बादशाह अकबर ने उसे सोने की अंगूठी दी और महल में भी बुलाया। इन सब के बाद महाराज ने फिर एक बार लड़के से आगरा पहुंचने का रास्ता पूछा, “क्या तुम बताओगे किस रास्ते पर चलने से मैं आगरा पहुंच जाऊंगा?” अबकी बार बालक ने राजा अकबर को सही रास्ता बताया जिसके बाद वह और उनके सैनिक आगरा के लिए रवाना हो गए।
ये लड़का बड़े होकर बीरबल नाम से सुप्रसिद्ध हुआ और बादशाह अकबर के नवरत्नों में से एक खास रत्न कहलाया जाने लगा।
आगरा कौन सा रास्ता जाता है की कहानी से सीख (Moral Of Agra Kaun Sa Rasta Jata Hai Hindi Story)
अकबर और बीरबल के आगरा कौन सा रास्ता जाता है कि इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमेशा दूसरों के ज्ञान और सूझबूझ का सम्मान करना चाहिए। मुसीबत में फंसने पर कभी-कभी दूसरों की सलाह काम आ जाती है।
आगरा कौन सा रास्ता जाता है की कहानी का कहानी प्रकार (Story Type of Agra Kaun Sa Rasta Jata Hai Hindi Story )
यह कहानी अकबर-बीरबल की कहानियां के अंतर्गत आती है। इससे हमें नैतिक शिक्षा भी मिलती है कि दूसरों के ज्ञान को कम नहीं समझना चाहिए, अक्सर दूसरों का सामान्य ज्ञान भी आपके लिए मददगार साबित हो सकता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. आगरा कौन सा रास्ता जाता है कि नैतिक कहानी क्या है?
आगरा कौन सा रास्ता जाता है कि कहानी में बीरबल का पहली बार बादशाह अकबर से मिलना दिखाया गया है और साथ ही ये भी कि वह बचपन में भी उतने ही चतुर और समझदार थें जितना बड़े होकर होशियार थे। यह दूसरों के ज्ञान और समझदारी का सम्मान करना भी सिखाता है।
2. हमें सोच-समझकर कार्य क्यों करना चाहिए?
हमें हमेशा ही कोई भी कार्य सोच समझकर ही करना चाहिए क्योंकि जल्दबाजी और बिना सोचा-समझा कार्य आपको मुसीबत में डाल सकता है। इसलिए कभी-कभी दसरों का दिया गया ज्ञान और सूझबूझ अपनाने में कोई दिक्कत नहीं है।
निष्कर्ष (Conclusion)
इस कहानी का यह निष्कर्ष निकलता है कि यदि आप कभी भी मुसीबत में पड़ते हैं या आपको किस बात का फैसला लेने में दिक्कत हो रही है तो ऐसे में आप किसी दूसरा व्यक्ति की सलाह जरूर ले सकते हैं। उस दौरान दुसरे व्यक्ति का ज्ञान और उसकी सूझ-बूझ का सम्मान करना बहुत जरूरी होता है।