In this Article
- कहानी के पात्र (Characters Of Story)
- पंचतंत्र की कहानी: ऊंट का शिकार (Panchatantra Story: The Camel Hunting In Hindi)
- पंचतंत्र की कहानी: ऊंट का शिकार से सीख (Moral of Panchatantra Story: The Camel Hunting Hindi Story)
- पंचतंत्र की कहानी: ऊंट का शिकार का कहानी प्रकार (Story Type of Panchatantra Story: The Camel Hunting Hindi Story)
- अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
- निष्कर्ष (Conclusion)
पंचतंत्र की कहानियां बच्चों को बहुत पसंद आती हैं। उन्हीं कहानियों में से एक ऊंट का शिकार बेहद दिलचस्प कहानी है। इस कहानी में जंगल के राजा शेर के साथ तीन चापलूस सेवक बाघ, सियार और कौआ अपना फायदा उठाने के लिए जुड़े थे। एक भोलाभाला ऊंट इस चापलूस मंडली की नजरों में आता है और अंत में उनकी चालाकी का शिकार होकर अपनी जान गंवा देता है।
कहानी के पात्र (Characters Of Story)
- शेर
- बाघ
- सियार
- कौआ
- ऊंट
पंचतंत्र की कहानी: ऊंट का शिकार (Panchatantra Story: The Camel Hunting In Hindi)
बहुत पहले की बात है, एक घना जंगल था जिसमें बहुत सारे जानवर रहा करते थे। उस जंगल का राजा का राजा एक शेर था। शेर की सेवा करने के लिए 3 जानवर थे – बाघ, सियार और कौआ। ये तीनों भले ही शेर के काम करते हों लेकिन जंगल के बाकी जानवर उन्हें चापलूस मंडली कहा करते थे। वो जानते थे कि ये तीनों कोई काम भले अच्छे से करें या न करें लेकिन शेर की चापलूसी अच्छे से करते हैं।
हर रोज ये सभी शेर की तारीफ करते थे, जिससे शेर बहुत खुश हो जाता था। शेर जो भी शिकार करता था, अपना पेट भरने के बाद बाकी बचा हुआ खाना इन तीनों को दे देता था। इस तरह बाघ, सियार और कौए की जिंदगी मजे से कट रही थी। एक दिन कौआ अपने चापलूस दोस्तों के लिए खबर लेकर आया कि काफी देर से उनके जंगल में एक ऊंट घूम रहा है। वह शायद अपने समूह से भटककर जंगल ओर आ गया था। ऊंट का मांस खाने का लालच तीनों के मन में जाग गया और वे तुरंत अपने मालिक शेर के पास गए और उसे पूरी बात बताई।
कौआ शेर से कहने लगा –
“स्वामी, ऊंट नामक यह प्राणी आपके भोजन के लिए बहुत अच्छा रहेगा। आप इसे मारकर खा जाइए।”
शेर ने यह बात सुनकर कहा –
“मैं इस जंगल का राजा हूँ और अपने यहां आने वाले किसी अतिथि को नहीं मारता। कहते हैं कि विश्वस्त और निडर होकर अपने घर आने वाले शत्रु को भी नहीं मारना चाहिए। उस ऊंट को मेरे पास ले आओ मैं उसके यहां आने का कारण पूछता हूँ।”
शेर का आदेश सुनकर तीनों ऊंट को उसके पास ले लाए। ऊंट ने सिंह को प्रणाम किया लेकिन वह डर से कांप रहा था। शेर ने जब उसके जंगल में भटकने का कारण पूछा तो उसने बताया कि वह अपने साथियों से बिछुड़ गया है। शेर ने उसे कहा कि घबराने की जरूरत नहीं है और अब वह इस जंगल में उनके साथ रह सकता है।
शेर के तीनों चापलूस मायूस हो गए लेकिन उनके पास उसका हुक्म मानने के अलावा और कोई चारा नहीं था। तब धीरे से बाघ अपने साथियों से बोला कि चिंता मत करो, हम बाद में इसे किसी तरह मरवा देंगे। इस समय राजा का आदेश मान लेते हैं।
ऊंट अब उस जंगल में स्वच्छंद तरीके से रहने लगा। उसे वहां ताजी घास खाने को मिलती। समय के साथ वह पहले से भी हट्टा कट्टा हो गया। वह शेर की बहुत इज्जत करता था और शेर के मन में भी उसके लिए दया और प्यार का भावना थी। ऊंट शेर की शाही सवारी निकालता और शेर के तीनों खास पद वाले जानवरों को अपनी पीठ पर बैठाकर चलता।
एक दिन शेर का एक हाथी के साथ युद्ध हो गया। शेर ने जब हाथी पर आक्रमण करना चाहा, तो हाथी ने उसे पटक दिया। हाथी के दांतों के प्रहार से शेर बुरी तरह घायल हो गया और उसने जैसे तैसे अपनी जान बचाई। अब शेर चलने-फिरने में असमर्थ हो गया था। वह अधमरे जैसी हालत में था और शिकार नहीं कर सकता था। उसकी इस हालत से उसके साथ उसके मक्कार सेवक भी भूखे रहने लगे।
एक दिन भूख से बेहाल शेर ने सोचा आखिर कब तक ऐसा चलता रहेगा। उसने अपने सेवकों को आज्ञा दी और कहा –
“किसी ऐसे जीव की खोज करो कि जिसको मैं इस अवस्था में भी मारकर खा सकूं।” शेर की आज्ञा पाकर तीनों चापलूस जंगल में हर तरफ शिकार की तलाश में घूमने निकले। लेकिन उन्हें कहीं कुछ नहीं मिला। आखिरकार बाघ अपने मित्रों से बोला –
“इधर-उधर भटकने से क्या उपयोग है? क्यों न इस ऊंट को मारकर उसका ही भोजन किया जाए?”
बाघ की बात सियार और कौए को भा गई और सब एक योजना बनाकर शेर के पास गए। तीनों ने कहा कि उन्हें जंगल में कुछ भी नहीं मिला। फिर सियार शेर से बोला कि महाराज आप कब तक भूखे रहेंगे। मेरा ही शिकार कर लीजिए आपकी भूख मिट जाएगी। यह सुनकर कौआ आगे आया और कहने लगा कि हे महाराज, सियार का मांस अच्छा नहीं है, उसके बदले आप मुझे खा लीजिए। यह सुनकर बाघ नाटक करते हुए कौए को धक्का देता है और कहता है कि कौए का मांस भी कोई खाने की चीज है, इसके बदले आप मुझे खाइए।
ये सारी हरकतें उन तीनों चापलूस जानवरों की एक चाल थी, जो ऊंट को समझ नहीं आया। उसे लगा कि अब उसे भी ऐसा ही कहना चाहिए। बस वह भोला भाला ऊंट बोल पड़ा –
“मेरी जिंदगी तो आपकी ही देन है महाराज, आप भूखे मत रहिए और मुझे मारकर खा लीजिए।”
तीनों चापलूस जानवर बस इसी पल का इंतजार कर रहे थे। उन्होंने तुरंत शेर से बोला, राजा आप ऊंट को ही खा लें। अब तो वह खुद ही कह रहा है कि उसे खा लिया जाए। वह स्वस्थ भी है और उसके मांस भी ज्यादा है। यदि आपकी तबियत सही नहीं लग रही है, तो हम तीनों इसका शिकार कर लेते हैं। इतना कहने के बाद बाघ और सियार ने ऊंट पर हमला कर दिया और देखते-देखते ही ऊंट की मौत हो गई।
पंचतंत्र की कहानी: ऊंट का शिकार से सीख (Moral of Panchatantra Story: The Camel Hunting Hindi Story)
पंचतंत्र की कहानी: ऊंट का शिकार से हमें यह सीख मिलती है कि हमें इतना भी सीधा और भोला नहीं रहना चाहिए कि सामने वाले की नीयत समझ में न आए।
पंचतंत्र की कहानी: ऊंट का शिकार का कहानी प्रकार (Story Type of Panchatantra Story: The Camel Hunting Hindi Story)
यह कहानी प्राचीन काल में विष्णु शर्मा द्वारा रचित पंचतंत्र की कहानियों के अंतर्गत आती है जो शिक्षाप्रद, प्रेरणादायक और आज के जमाने में भी प्रासंगिक हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. ऊंट का शिकार की नैतिक कहानी क्या है?
ऊंट का शिकार कहानी में बताया गया है कि यदि आपके जीवन में झूठे लोगों का साथ हो, तो वे कैसे आपका आपका फायदा उठाते हैं।
2. हमें चापलूसों से क्यों बचना चाहिए?
जीवन में चापलूसों की कमी नहीं होती लेकिन हमें सोच समझकर ही अपने दोस्तों को चुनना चाहिए। क्योंकि चापलूस किसी से भी सिर्फ अपने फायदे के लिए जुड़े रहते हैं और समय आने पर धोखा भी देते हैं।
निष्कर्ष (Conclusion)
ऊंट का शिकार कहानी से ये निष्कर्ष निकालता है कि जिंदगी में झूठे चापलूसों को जोड़ने से बेहतर है, एक सच्चे दोस्त का होना। इसलिए अपने करीब सिर्फ उन्हीं लोगों आने दें, जो आपका भला चाहें।
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