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ये कहानी एक ऐसी लड़की की है जिसका नाम रॅपन्ज़ेल था, जिसे बचपन में ही उसके माता-पिता से एक गोथल नाम की जादूगरनी ने अलग कर दिया गया था और फिर वही उसका पालन-पोषण करती है। रॅपन्ज़ेल की एक खासियत थी, उसके बाल। उसके बाल सुनहरे, बेहद लम्बे और जादुई थे, जिसके बारे में उसे खुद भी पता नहीं था। आगे इस कहानी में रॅपन्ज़ेल में जीवन में राजकुमार आया और उसकी जिंदगी को कैसे बदला और उसे अपने असली माता-पिता से कैसे मिलवाया जानने के लिए पूरी कहानी पढ़ें।
कहानी के पात्र (Characters Of The Story)
- रॅपन्ज़ेल
- राजकुमार
- जॉन (रॅपन्ज़ेल के पिता)
- नैल (रॅपन्ज़ेल की माँ)
- जादूगरनी गोथल
- गोथल के गुरु
रॅपन्ज़ेल की कहानी | Rapunzel Story In Hindi
काफी पुरानी बात है, जर्मनी के एक गांव में जॉन नाम का व्यक्ति अपनी पत्नी नैल के साथ रहता था। उन दोनों पति-पत्नी का कोई बच्चा नहीं था और उन्हें एक प्यारे बच्चे की कामना थी। बच्चे के लिए दोनों भगवान से रोज प्रार्थना करते थे। फिर एक दिन उनकी सभी प्रार्थनाओं का असर हुआ और नैल गर्भवती हो गई। ये बात नैल ने अपने पति जॉन को तुरंत बताई। इस खबर को सुनने के बाद दोनों पति-पत्नी की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा और वह भगवान का धन्यवाद करने लगे।
जब से नैल गर्भवती हुई, तब से जॉन उसका अधिक ध्यान रखने लगा था। वह उसकी हर छोटी से छोटी मांग को पूरा करने लगा था। एक दिन दोनों साथ में खाना खा रहे थे, लेकिन नैल को उसकी तबियत कुछ ठीक नहीं लग रही थी, इसलिए वह अपने घर की बालकनी में हवा खाने के लिए चली जाती है। वहां उसकी नजर एक छोटे बच्चे पर पड़ती है जिसे देखकर अपने पति से कहने लगी –
“देखिए, वो बच्चा कितना प्यारा है।” जॉन ने भी कहा, “हां, सच में बहुत प्यारा है।”
उसके बाद नैल ने अपनी दूसरी तरफ देखा, तो वहां उसको रॅपन्ज़ेल के पत्तों पर पड़ी। वो बोली, “वाह! रॅपन्ज़ेल के पत्ते कितने ताजे और स्वादिष्ट लग रहे हैं। काश! इन्हें मैं खा सकती।” नैल की बातों को सुनकर जॉन घबरा गया और कहने लगा, “अरे! ऐसा मत कहो। वो महल जादूगरनी गोथल का है वहां जाने के बारे में सोचना भी नहीं, क्योंकि वो नामुमकिन है। वो जादूगरनी अपने बगीचे में किसी को जाने नहीं देती। तुम उसकी जगह कुछ और खा लो।” लेकिन नैल नहीं मानी और रॅपन्ज़ेल के पत्ते खाने की जिद करने लगी।
जॉन क्या करता अपनी पत्नी की जिद के आगे झुक गया और जादूगरनी गोथल की हवेली रॅपन्ज़ेल के पत्ते मांगने पहुंच गया। इस बात पर जादूगरनी ने कहा –
“तुम्हारी इतनी हिम्मत तुम यहां पत्ते मांगने आ गए। तुम यहां से चले जाओ तुम्हें कुछ नहीं मिलेगा।”
जादूगरनी गोथल की बातों को सुनकर जॉन उदास होकर वहां से निकल गया। लेकिन उसके दिमाग में एक योजना आई। वह आधी रात को जादूगरनी के बगीचे में टोकरी लेकर गया और वहां उसने रॅपन्ज़ेल के पत्ते चुरा लिए और चुपचाप निकल गया। लेकिन उसे चोरी करती हुए जादूगरनी ने अपने हवेली की खिड़की से देख लिया था।
अगले दिन जॉन ने नैल को रॅपन्ज़ेल के पत्ते दिए, तो वह बहुत खुश हो गई और उन पत्तों का सलाद बनाने लगी। जैसे ही नैल ने वो सलाद खाने की तैयारी की वैसे ही वहां वह जादूगरनी गोथल आ गई। उसने टेबल पर रॅपन्ज़ेल के पत्तों को देखा और वह जॉन पर चिल्लाने लगी। जॉन उसे देखकर बहुत डर गया और उससे माफी मांगने लगा।
जॉन बोला, ‘गोथल! मुझे क्षमा कर दो। मैं बहुत मजबूर था, मेरी बीवी गर्भवती है और उसका रॅपन्ज़ेल के पत्तों को खाने का बहुत मन था। मैंने तुमसे पत्ते मांगे थे, लेकिन तुमने मुझे भगा दिया था। न चाह कर के भी मुझे पत्ते चुराने पड़े।’
जॉन की बातों को सुनकर जादूगरनी बोली, “तुमने मेरे रॅपन्ज़ेल के पत्तों को चुराकर बहुत बड़ी गलती की है। इसकी सजा तुम्हे जरूर मिलेगी। लेकिन तुम चाहो तो मेरी सजा से बच सकते हो। इसके लिए तुम्हें तुम्हारा बच्चा होने के बाद उसे मुझे दे देना होगा।’
इतना कहने के बाद जादूगरनी वहां से चली गई। जादूगरनी की बातों को सुनकर जॉन और नैल बहुत घबरा गए और वो अपने बच्चे के पैदा होने के बाद उस शहर को छोड़ने की योजना करते हैं।
कुछ समय बाद नैल ने एक बहुत ही प्यारी सी बच्ची को जन्म दिया। बच्ची के पैदा होने के बाद नैल और जॉन शहर से भागने लगते हैं। लेकिन उन्हें रास्ते में जादूगरनी गोथल मिल जाती है और उनकी बच्ची को लेकर गायब हो जाती है। नैल और जॉन अपनी बच्ची को खोने के गम से बहुत रोते हैं। दूसरी तरफ जादूगरनी बच्ची का बहुत अच्छे से ध्यान रखती है। उसने उस बच्ची को रॅपन्ज़ेल नाम दिया था। रॅपन्ज़ेल के बड़े होते-होते उसके बाल भी दोगुना बड़े हो गए थे।
जादूगरनी रॅपन्ज़ेल के बालों को संवार रही थी, तभी उसके गुरु वहां आ जाते हैं। गुरु गोथल से बोलते हैं, ‘सुनो गोथल! अब वक्त आ गया है कि तुम रॅपन्ज़ेल को लेकर मेरी मीनार में आ जाओ। अब तुम्हें ही उस मीनार की देखभाल करनी है।’ इतना कहने के बाद गोथल के गुरु उसे और रॅपन्ज़ेल को वहां से लेकर अपने मीनार पहुंचे।
मीनार पहुंचने के बाद गोथल के गुरु ने उसे और रॅपन्ज़ेल को एक कमरे में बंद कर दिया और कहने लगे, ‘गोथल अब मुझे आराम करना है, इसलिए तुम्हें ये मीनार संभालनी होगी। इसकी देख-रेख अच्छे से करना। यदि मीनार को कुछ भी हुआ तो मैं तुम्हे कठोर सजा दूंगा।’ इस बात पर जादूगरनी गोथल बोली, ‘गुरु जी आप परेशान न हो मैं इस मीनार की देखभाल अच्छे से करूंगी।’ इसके बाद गोथल के गुरु वहां से चले गए।
गुरु जी के वहां से जाने के बाद गोथल ने रॅपन्ज़ेल से बोला, ‘मैं बाजार से कुछ सामान लेने जा रही हूं। तब तक तुम महल की देखरेख करना।’ गोथल की बातों को सुनने के बाद रॅपन्ज़ेल ये सोचने लगती है कि वह इस मीनार से नीचे कैसे जाएंगी, यहां तो उतरने के लिए कोई सीढ़ी भी नहीं है। ऐसे में गोथल रॅपन्ज़ेल के लंबे बालों को मीनार से नीचे लटका देती है और कहती है, ‘मैं तुम्हारे लंबे बालों के सहारे नीचे उतरूंगी और जब बाजार से वापस आउंगी तब तुम्हें आवाज देकर बुला लूंगी। तब तुम अपने बाल मीनार से नीचे लटका देना, ताकि मैं उसके सहारे ऊपर चढ़ सकू। इस बात पर रॅपन्ज़ेल भी हामी भरती हुई बोली, ‘ठीक है’।
रॅपन्ज़ेल के बालों के सहारे गोथल नीचे उतरती और बाजार चली जाती है। उसके बाद मीनार में अकेली रॅपन्ज़ेल खुद ही गाना गाने लगती है। इसी समय एक राजकुमार वहां से सैर करते हुए जा रहा था। तभी उसे रॅपन्ज़ेल की सुरीली आवाज सुनाई पड़ती है। उसकी आवाज को सुनकर राजकुमार सोच में पड़ जाता है कि ऐसी सुनसान जगह पर इतना मधुर गाना कौन गा रहा है। फिर क्या राजकुमार उस आवाज की ओर बढ़ने लगता है और तभी उसकी नजर मीनार पर पड़ती है।
मीनार के पास पहुंचकर राजकुमार एक पेड़ के पीछे छिप जाता है और गाना सुनने लगता है। ऐसे में वो देखता है कि गोथल वहां पहुंचती है और रॅपन्ज़ेल से अपने बालों को नीचे लटकाने के लिए कहती है, फिर वह उन्हीं बालों के सहारे मीनार में ऊपर चढ़ आती है। राजकुमार ये सब देखकर आश्चर्य में पड़ जाता है। दूसरे दिन फिर राजकुमार वहां आता है और वही दृश्य दुबारा देखता है कि गोथल रॅपन्ज़ेल के बालों के सहारे नीचे उतर कर बाजार चली जाती है।
जब गोथल थोड़ी दूर निकल जाती है, तो राजकुमार नीचे से रॅपन्ज़ेल को आवाज देता है, रॅपन्ज़ेल.. रॅपन्ज़ेल..तू अपने बालों को नीचे लटकाओं! ये सुनकर रॅपन्ज़ेल एक बार फिर अपने बालों को नीचे गिरा देती है। उसके बालों की मदद से राजकुमार मीनार में घुस आता है। अनजान राजकुमार को देख रॅपन्ज़ेल घबरा जाती है और पूछने लगती है, तुम कौन हो?’
ऐसे में राजकुमार उसे समझाते हुए कहता है, ‘अरे! तुम मुझसे डरो नहीं, मैं कोई चोर नहीं हूं। मैंने तुम्हारा गाना सुना था इसलिए यहां आया हूं। तुम बहुत मीठा गाती हो।’ ये बात सुनकर रॅपन्ज़ेल बहुत उत्साहित हो जाती है और फिर से गाना गाने लग जाती है। इसी तरह राजकुमार रोज रॅपन्ज़ेल से मिलने मीनार आने लगता है और दोनों को एक-दूसरे से मोहब्बत हो जाती है।
एक दिन रॅपन्ज़ेल ने अपने बारे में राजकुमार को बताया। वह कहने लगी, ‘गोथल मेरी मां नहीं है। उसने मुझे कैद कर के रखा हुआ है और वो मुझे कहीं भी जाने नहीं देती है। रॅपन्ज़ेल की बातों को सुनकर राजकुमार उससे वादा करता है कि वह जल्द ही उसे उसके असली माता-पिता से जरूर मिलवाएगा। ये कहने के बाद राजकुमार वहां से निकल जाता है लेकिन उस दिन गोथल राजकुमार को मीनार से जाते हुए देख लेती है।
गोथल तुरंत रॅपन्ज़ेल को बाल नीचे गिराने की आवाज देने लगती है, रॅपन्ज़ेल.. रॅपन्जे़ल.. तुम अपने बालों को नीचे गिराओ! फिर गोथल बालों की मदद से मीनार पर चढ़ जाती है। मीनार में घुसते ही गोथल रॅपन्ज़ेल पर चिल्लाने लगती है और कहती है, ‘मैंने तो सोचा था की मैं तुम्हें बाहरी दुनिया से दूर रखने में कामयाब हो गई हूं, लेकिन ऐसा बिलकुल नहीं है।’ गोथल बेहद गुस्से में थी और उसने गुस्से में ही रॅपन्ज़ेल के सारे बाल कैंची से काट देती है और फिर उसे एक सुनसान रेगिस्तान में छोड़कर आती है।
इन बातों से अनजान राजकुमार अगले दिन रॅपन्ज़ेल से मिलने मीनार के पास पहुंचा और रॅपन्ज़ेल को आवाज देता है, रॅपन्जे़ल… रॅपन्जे़ल…तुम अपने बालों को नीचे गिराओ। रोज की तरह बाल तो नीचे आते हैं और वह उन्हें पकड़कर मीनार चढ़ भी जाता है। लेकिन वहां का दृश्य देखकर वो भौचक्का रह जाता है क्योंकि वहां रॅपन्ज़ेल की जगह गोथल थी। उसे देखते ही राजकुमार पूछता है, ‘रॅपन्ज़ेल कहा है?’
गोथल बोली, ‘तुम जिस रॅपन्ज़ेल को ढूंढ रहे हो, वो अब यहां नहीं है।’ उसके बाद गोथल राजकुमार को मीनार से नीचे धक्का दे देती है और राजकुमार बुरी तरह से जख्मी हो जाता है, लेकिन उसके बावजूद वो हार नहीं मानता और अपने सैनिकों के साथ रॅपन्ज़ेल को ढूंढने के लिए निकल पड़ता है। कुछ समय तक भटकने के बाद राजकुमार उसी रेगिस्तान के पास पहुंचता है, जहां गोथल ने रॅपन्ज़ेल को छोड़ा था। तभी उसे रॅपन्ज़ेल के गाने की आवाज सुनाई देती है। राजकुमार खुशी-खुशी गाने की आवाज की तरफ बढ़ने लगता है। कुछ दूर जाने के बाद उसे रॅपन्ज़ेल मिल जाती है। रॅपन्ज़ेल को देखकर राजकुमार बहुत खुश होता है और उसे लेकर वापस मीनार की तरफ बढ़ जाता है।
मीनार पहुंचने के बाद राजकुमार ने अपने सैनिकों को उसे तोड़ने के लिए कहता है। ऐसे में गोथल ने सैनिकों को बहुत रोकने का प्रयास करती है, लेकिन वह असफल रहती है। इतने में ही गोथल के गुरु वहां आ जाते हैं और मीनार को टूटते हुए देखकर वह बहुत नाराज हो जाते हैं और वे गोथल बहुत कठोर सजा भी देते हैं और वहां से चले जाते हैं।
इन सब के बाद राजकुमार रॅपन्ज़ेल को अपने साथ अपने महल ले आता है और वहां वह उसे उसके असली माँ-बाप से मिलवाता है। अपने असली माता-पिता से मिलकर रॅपन्ज़ेल की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। रॅपन्ज़ेल ने राजकुमार को इसके लिए धन्यवाद दिया और इसके बाद सभी लोग एक साथ खुशहाल जीवन व्यतीत करने लगे।
रॅपन्ज़ेल की कहानी से सीख (Moral of Rapunzel Hindi Story)
रॅपन्ज़ेल की इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है कि हमें कभी किसी का बुरा नहीं सोचना चाहिए और न ही किसी के साथ बुरा करना चाहिए, क्योंकि बुरे का अंत हमेशा से बुरा ही होता है।
रॅपन्ज़ेल की कहानी का कहानी प्रकार (Story Type of Rapunzel Hindi Story )
यह कहानी नैतिक कहानियों के अंतर्गत आती है, जिसमें यह बताया गया है कि आपके बुरे इरादे एक दिन असफल हो जाएंगे और बुरा करने वालों का अंत बुरा ही होता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. रॅपन्ज़ेल की नैतिक कहानी क्या है?
इस कहानी में हमें ये बताया गया है कि यदि आप किसी के साथ बुरा करते हो तो उसके बुरे परिणाम आपको खुद ही भगतने पड़ते हैं। जैसे जादूगरनी ने रॅपन्ज़ेल और उसके माँ-बाप के साथ गलत किया था, इसी वजह से अंत में उसके साथ भी बुरा हुआ।
2. हमें किसी का बुरा क्यों नहीं करना चाहिए?
हमें कभी भी किसी साथ बुरा नहीं करना चाहिए क्योंकि हो सकता है आज वक्त तुम्हारा है लेकिन कुछ समय बाद सामने वाले व्यक्ति का भी अच्छा वक्त आएगा। यदि आप आज किसी के साथ गलत करेंगे तो उसका बुरा परिणाम या फल आपको भी आगे चलकर भुगतना जरूर पड़ेगा।
निष्कर्ष (Conclusion)
इस कहानी का ये निष्कर्ष है कि जो कुछ भी जादूगरनी गोथल ने रॅपन्ज़ेल व उसके माता-पिता के साथ जो किया था उसका परिणाम भी उसे इसी जन्म में भुगतना पड़ा। इस कहानी में रॅपन्ज़ेल और राजकुमार की प्रेम कहानी भी दिखाई गई है और कैसे राजकुमार ने अपने प्यार की वजह से रॅपन्ज़ेल को गोथल की चुंगुल से छुड़ाया और उसके असली माता-पिता से भी मिलवाया। ऐसी कहानियां बच्चों को पढ़ने में बहुत दिलचस्प लगती हैं।
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