In this Article
- ध्वनि प्रदूषण पर 10 लाइन (10 Lines On Noise Pollution In Hindi)
- ध्वनि प्रदूषण पर निबंध 200-300 शब्दों में (Short Essay on Noise Pollution in Hindi 200-300 Words)
- ध्वनि प्रदूषण पर निबंध 400-500 शब्दों में (Essay on Noise Pollution in 400-500 Words)
- ध्वनि प्रदूषण के बारे में रोचक तथ्य (Interesting Facts about Noise Pollution in Hindi)
- ध्वनि प्रदूषण के इस निबंध से हमें क्या सीख मिलती है? (What Will Your Child Learn from a Noise Pollution Essay?)
- अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
दुनिया जितनी तेजी से विभिन्न क्षेत्रों में विकास कर रही है उतना ही ज्यादा प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग किया जा रहा है। जो कहीं न कहीं हमारे जीवन को आसान बनाने के साथ ही हमें नुकसान पहुंचा रहा है। हम जिस समस्या की बात कर रहे हैं वह है ध्वनि प्रदूषण। इस लेख में ध्वनि प्रदूषण पर निबंध के अलग-अलग सैंपल दिए गए हैं जिसमें पर्यावरण पर इसका किस प्रकार प्रभाव पड़ रहा है बताया गया है। हम जब एक दूसरे से बातचीत करते हैं तो ध्वनि उत्पन्न होती है और बाद में ये ध्वनि कानों से टकराकर आवाज का रूप लेती है। लेकिन जब ध्वनि सीमा से अधिक तेज हो जाती है तो यह हमारे कानों, दिल और किसी अस्वस्थ व्यक्ति को किस हद तक नुकसान पहुंचा सकती है यह सब निबंध में दिया गया है। वाहनों का शोर, ब्लास्ट, स्पीकर की तेज आवाज आदि ध्वनियां मानव जाति को हानि पहुंचा रही हैं और ध्वनि प्रदूषण का बड़ा कारण बनती हैं। किसी भी वस्तु, वाहन और सामान की ध्वनि जो हमारे स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल रही है, उस ध्वनि को शोर कहा जाता है और यह ध्वनि प्रदूषण का कारक है। शोर वह आवाज है जो किसी को भी पसंद नहीं आती, फिर चाहे वो ट्रेन की आवाज हो, गाड़ियों का हॉर्न या लाउडस्पीकर पर बजने वाले गाने। अगर आवाज कानों में चुभ रही है, तो यह शोर ही कहलाती है। ध्वनि प्रदूषण की समस्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, जिसके लिए केवल सरकार को ही नहीं बल्कि हम सबको उच्च कदम उठाने की जरूरत है।
ध्वनि प्रदूषण पर 10 लाइन (10 Lines On Noise Pollution In Hindi)
अगर बच्चे को कम शब्दों में ध्वनि प्रदूषण पर निबंध या अनुच्छेद लिखना है तो नीचे ध्वनि प्रदूषण के बारे में दी गई 10 लाइन के निबंध का यह नमूना उसके काम आ सकता है।
- जो शोर कानों को सहन न हो सके उससे ध्वनि प्रदूषण होता है।
- ध्वनि प्रदूषण इंसानों द्वारा निर्मित प्रदूषण है।
- ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में शहर में ध्वनि प्रदूषण अधिक होता है।
- जब ध्वनि की तीव्रता 65 डेसीबल से अधिक हो, तो उसे ध्वनि प्रदूषण कहा जाता है।
- ध्वनि प्रदूषण के कुछ मुख्य स्रोत में वाहन, निर्माण कार्य में लगने वाली मशीनें, औद्योगिक उपकरण, घरेलू उपकरण आदि हैं।
- लंबे समय तक ध्वनि प्रदूषण से प्रभावित इंसानों और यहां तक कि जानवरों के सुनने की क्षमता प्रभावित हो जाती है।
- ध्वनि प्रदूषण की वजह से चिड़चिड़ापन, तनाव, हृदय रोग, अनिद्रा, मस्तिष्क में खून का रिसाव आदि समस्याएं हो सकती हैं।
- ध्वनि प्रदूषण से जानवरों में आक्रामकता बढ़ती है और यह पक्षियों, व्हेल, डॉल्फिन, चमगादड़ आदि के लिए भी घातक है।
- वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (डब्लूएचओ) के अनुसार ध्वनि प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर खतरा है।
- तेज आवाज वाली मशीनों का कम से कम उपयोग, नियंत्रित लाउडस्पीकर, हॉर्न के इस्तेमाल को कम करने आदि उपायों से ध्वनि प्रदूषण को कम किया जा सकता है।
ध्वनि प्रदूषण पर निबंध 200-300 शब्दों में (Short Essay on Noise Pollution in Hindi 200-300 Words)
ध्वनि प्रदूषण की समस्या तेजी से बढ़ती जा रही और यह व्यक्ति को मानसिक व शारीरिक रूप दोनों से प्रभावित कर रही है। यदि आप बच्चे के लिए ध्वनि प्रदूषण के मुद्दे पर एक अच्छा निबंध चाहते हैं, या शार्ट पैराग्राफ चाहते हैं तो हिंदी में दिए गए इस सैंपल निबंध को पढ़ें।
रोजमर्रा की जिंदगी में हम कई आवाजें सुनते हैं और हमें इन आवाजों का सामना हर दिन करना पड़ता है, लेकिन जब यह आवाजें असहनीय हो जाएं और कानों को चुभने लगें तो ये शोर का रूप ले लेती हैं। यही शोर ध्वनि प्रदूषण का मुख्य कारण बनता है। ध्वनि प्रदूषण ज्यादातर इंसानों के द्वारा ही निर्मित किया गया है जैसे गाड़ियों के हॉर्न, लाउडस्पीकर, फैक्ट्री की मशीनों का शोर आदि। अगर कोई आवाज आपके कानों तक पहुंच रही है लेकिन उसकी तीव्रता 65 डेसीबल से कम है तो वह आवाज सामान्य तरह आप झेल सकते हैं लेकिन वो अगर 65 डेसीबल के ऊपर गयी तो खतरनाक साबित हो सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार 65 डेसीबल (डीबी) से ऊपर के शोर को ध्वनि प्रदूषण माना जाता है, वहीं 75 डीबी पर शोर हानिकारक और 120 डीबी पर दर्दनाक हो जाता है। इस प्रदूषण से लोगों के स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। सुनने शक्ति कम हो जाती है और कभी-कभी कुछ लोग पूरी तरह बहरे हो जाते हैं। इससे दिल पर भी बुरा असर पड़ता है और वे मानसिक रूप से अस्थिर होने लगते हैं। ध्वनि प्रदूषण सिर्फ मनुष्यों को ही बल्कि सभी जीवों पर प्रभाव डालता है। इस प्रदूषण को बढ़ाने के बहुत से कारण हैं जिनमें से सबसे अधिक वाहन, घरों-सड़कों आदि का निर्माण, लाउडस्पीकर, कॉन्सर्ट आदि शामिल हैं। जो लोग शोर के करीब लगातार रहते हैं, उनके स्वास्थ्य पर अधिक प्रभाव पड़ता है जैसे हवाई अड्डे या रेलवे स्टेशन के करीब रहना। ध्वनि प्रदूषण की समस्या हर दिन बढ़ती जा रही है और सरकार भी इसको कम करने के उपाय अपनाने के लिए लोगों को प्रेरित कर रही है। हमें भी इस समस्या को कम करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाने चाहिए और तेज आवाज वाली वस्तुएं उपयोग करने से बचना चाहिए।
ध्वनि प्रदूषण पर निबंध 400-500 शब्दों में (Essay on Noise Pollution in 400-500 Words)
अगर आपका बच्चा भी निबंध प्रतियोगिता में हिस्सा लेना चाहता है और उसमें उसे देश की गंभीर समस्या ध्वनि प्रदूषण के बारे में निबंध लिखने को दिया गया है, तो वह हमारे द्वारा लिखे गए लंबे निबंध के नमूने की मदद से खुद एक बेहतरीन निबंध लिख सकता है। आइए ध्वनि प्रदूषण पर दिए गए हिंदी निबंध को पढ़ते हैं।
ध्वनि प्रदूषण क्या है? (What Is Noise Pollution?)
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के अनुसार जो भी आवाज 65 डेसीबल से ऊपर होती है वह शोर के अंतर्गत आती है और इसी से ध्वनि प्रदूषण बढ़ता है। यह प्रदूषण न सिर्फ इंसानों के जीवन को प्रभावित करता है बल्कि जानवरों को भी नुकसान पहुंचाता है। यदि शोर 75 डीबी से ज्यादा होता है तो वह बेहद खतरनाक रूप ले लेता है, जिससे हमारे स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ता है। आम जीवन में हर कोई कई शोर और तेज आवाजों को सुनता है लेकिन ऐसे में इसके कारण उत्पन्न होने वाले खतरे को पहचान पाना बहुत मुश्किल है। अनचाहा शोर मनुष्य को चिड़चिड़ा बना सकता है और मानसिक रूप से काफी प्रभावित करता है। इसलिए जितना हो सके इसको रोकने का उपाय जरूर अपनाना चाहिए ताकि आप अपनी सुनने की क्षमता को न खोएं और साथ ही इसका दुष्परिणाम आपके स्वास्थ पर न पड़े।
ध्वनि प्रदूषण के कारण (Reasons Of Noise Pollution)
ध्वनि प्रदूषण बढ़ने के वैसे तो बहुत से कारण हैं, लेकिन कुछ प्रमुख कारण ये रहे –
- सडकों पर वाहन चलाते समय बेवजह हॉर्न बजाना ध्वनि प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है।
- शादियों और त्योहारों में तेज आवाज में बजने वाले गाने, रॉक संगीत के कॉन्सर्ट इसका कारण बनते हैं।
- लोगों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले लाउडस्पीकर से भी यह प्रदूषण बढ़ता है।
- कारखानों में ऐसी मशीनों का प्रयोग होता है जो काफी तेज आवाज करती हैं।
- बादल गरजना, सुनामी, चक्रवात, तूफान आदि ध्वनि प्रदूषण का प्राकृतिक रूप हैं।
- चुनाव के दौरान निकाली जाने वाली रैलियों में काफी शोर होता है।
ध्वनि प्रदूषण के बुरे परिणाम (Consequences Of Noise Pollution)
ध्वनि प्रदूषण के बुरे परिणाम निम्नलिखित हैं –
- तेज ध्वनि के कारण इंसान बहरा हो सकता है।
- अधिक शोर में रहने की वजह से मानसिक समस्या बढ़ जाती है और सिरदर्द भी काफी होता है।
- यह प्रदूषण न सिर्फ इंसानों पर प्रभाव डालता है बल्कि पक्षी व अन्य जीव भी इससे प्रभावित होते हैं।
- लगातार शोर वाले वातावरण में रहने से तनाव और उच्च रक्तचाप हो सकता है।
- ध्वनि प्रदूषण हमें कई तरह की कान की बीमारियों से घेर देता है।
- इस प्रदूषण के कारण लोग अधिक चिड़चिड़े हो जाते हैं और उनमें सहन करने की क्षमता कम होने लगती है।
- इसके कारण माइग्रेशन, दिल का दौरा और अनिद्रा जैसी गंभीर बीमारियां भी हो सकती हैं।
ध्वनि प्रदूषण को रोकने के उपाय (Ways To Prevent Noise Pollution)
देश में बढ़ते ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए जरूरी उपाय अपनाने चाहिए क्योंकि इससे मानव जाति स्वस्थ रहेगी। यह रहे वे उपाय जिनसे जिनसे ध्वनि प्रदूषण को कम किया जा सकता है।
- सड़क पर गाड़ियां चलाते समय बिना वजह के हॉर्न नहीं बजाना चाहिए।
- जितना हो सके लाउडस्पीकर का इस्तेमाल कम से कम करें।
- शादी और पार्टियों में गाने बजाने का समय सीमित कर दें।
- कारखानों को शहरों के रिहायशी इलाके से दूर स्थापित करें।
- जितना हो सके शोर-शराबे वाली जगहों से दूर रहना चाहिए।
- अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाएं क्योंकि पेड़ शोर को अवशोषित करते हैं।
ध्वनि प्रदूषण के बारे में रोचक तथ्य (Interesting Facts about Noise Pollution in Hindi)
- संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश का मुरादाबाद दुनिया का दूसरा सबसे अधिक ध्वनि प्रदूषित शहर है, जहां शोर का स्तर 114 डीबी है।
- हियरिंग हेल्थ फाउंडेशन की रिपोर्ट के मुताबिक बहरा होना विश्व स्तर पर दूसरी सबसे आम स्वास्थ्य समस्या है।
- ध्वनि प्रदूषण का सबसे अधिक प्रभाव बच्चों और बुजुर्गों पर पड़ता है।
- 50% शिक्षकों ने कक्षा के शोर दौरान बात करने से अपनी आवाज को हानि पहुंचाई है।
- सुनने की क्षमता खोने वाले यदि बचाव रखें और शोर के संपर्क में न रहें, तो वे पूरी तरह से सही हो सकते हैं।
ध्वनि प्रदूषण के इस निबंध से हमें क्या सीख मिलती है? (What Will Your Child Learn from a Noise Pollution Essay?)
ध्वनि प्रदूषण काफी संजीदा समस्या है जो दुनिया भर में तेजी से बढ़ती जा रही है, इसलिए इस निबंध की मदद से आपके बच्चे को इस समस्या के बारे में ज्ञात होगा और वो इसकी गंभीरता समझेगा। इतना ही नहीं वो आगे लोगों को भी इसे कम करने लिए प्रेरित कर सकता है। सिर्फ यही नहीं विद्यालय में ध्वनि प्रदूषण पर पूछे गए सवालों का भी सही जवाब देने में सक्षम हो सकता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. भारत में पहली बार ध्वनि प्रदूषण नियम कब पारित किया गया था?
भारत में ध्वनि प्रदूषण नियम पहली बार 14 फरवरी 2000 को पारित किया गया था।
2. ध्वनि प्रदूषण को कम करने के लिए सड़क के किनारे उगाए जाने वाले पौधों को क्या नाम दिया गया है?
ध्वनि प्रदूषण को कम करने के लिए सड़कों के किनारे लगाए जाने वाले हरे पौधे ग्रीन मफलर कहलाते हैं।
3. शोर को किस इकाई में मापा जाता है?
शोर मापने की इकाई डेसीबल है।
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