In this Article
- स्ट्रेप थ्रोट क्या है
- किस उम्र के बच्चों में स्ट्रेप थ्रोट का अधिक खतरा रहता है
- क्या स्ट्रेप थ्रोट संक्रामक है?
- बच्चों में स्ट्रेप थ्रोट के क्या कारण हैं
- स्ट्रेप थ्रोट के संकेत और लक्षण
- बच्चों में स्ट्रेप थ्रोट से जुड़े जोखिम क्या हैं
- स्ट्रेप थ्रोट का निदान कैसे किया जाता है
- स्ट्रेप थ्रोट का इलाज
- स्ट्रेप थ्रोट के लिए घरेलू उपचार
- अगर बच्चा बार-बार स्ट्रेप थ्रोट से पीड़ित हो तो क्या करें
- बच्चों को स्ट्रेप थ्रोट से कैसे बचाएं
- डॉक्टर से कब संपर्क करें
स्ट्रेप थ्रोट गले में होने वाला एक आम संक्रमण है जिससे शायद आप भी कभी पीड़ित हो चुके होंगे। इससे बच्चे और वयस्क, कोई भी प्रभावित हो सकता है। इसके कारण गले में दर्द, खाने पीने में तकलीफ और यहाँ तक कि बुखार भी हो सकता है। इस आर्टिकल के जरिए हम बच्चों में स्ट्रेप थ्रोट के कारणों, लक्षणों और इलाज के बारे में विस्तार से बात करेंगे।
स्ट्रेप थ्रोट क्या है
स्ट्रेप थ्रोट एक बैक्टीरियल इंफेक्शन से होता है, जिसकी वजह स्ट्रेप्टोकॉकस नामक बैक्टीरिया होता है। यह संक्रमण एक हफ्ते तक रह सकता है और एंटीबायोटिक दवाओं से इसका इलाज किया जाता है। सही दवाओं और आराम करने से, बच्चे के गले की तकलीफ जल्द ही ठीक हो जाती है।
किस उम्र के बच्चों में स्ट्रेप थ्रोट का अधिक खतरा रहता है
स्ट्रेप थ्रोट संक्रमण का खतरा सबसे ज्यादा स्कूल जाने वाले बच्चों में होता है। इसके अलावा छोटे बच्चों यानी शिशुओं को भी स्ट्रेप थ्रोट इंफेक्शन हो सकता है, यदि वे किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आते हैं। हालांकि, शिशुओं को स्ट्रेप थ्रोट इंफेक्शन आसानी से नहीं होता है।
क्या स्ट्रेप थ्रोट संक्रामक है?
जी हाँ, संक्रमित लोगों की नाक और गले में इसके बैक्टीरिया मौजूद होते हैं। तो ऐसे में यह संक्रमण छींकने, खांसने और संक्रमित व्यक्ति से हाथ मिलाने से फैल सकता है।
बच्चों में स्ट्रेप थ्रोट के क्या कारण हैं
बच्चों में गले का संक्रमण फैलाने वाले बैक्टीरिया अलग-अलग तरीकों से फैलते हैं:
1. आसपास मौजूद हवा के जरिए
जब कोई संक्रमित व्यक्ति छींकता या खांसता है, तो बैक्टीरिया हवा में फैल जाते हैं, जिसे बच्चा सांस के जरिए अंदर ले लेता है।
2. व्यक्तिगत वस्तुएं
तौलिए, रूमाल, प्लेट, चम्मच आदि जैसी चीजें साझा करने से बच्चा संक्रमण की चपेट में आ सकता है। एक ही जगह को शेयर करने से भी बैक्टीरिया फैलने में मदद मिलती है।
3. शारीरिक संपर्क
शारीरिक संपर्क, जैसे किसी संक्रमित व्यक्ति को चूमना या गले लगाना, बच्चे को स्ट्रेप थ्रोट जैसी समस्या से प्रभावित करता है।
स्ट्रेप थ्रोट के संकेत और लक्षण
यहां स्ट्रेप थ्रोट के सामान्य लक्षणों और संकेतों के बारें में बताया गया है:
1. गले में लाली आना
इसमें गले का पिछला भाग सूजने के साथ लाल हो जाता है।
2. टॉन्सिल में सूजन
ऐसे में गले के टॉन्सिल लाल होकर सूज जाते हैं।
3. सफेद धब्बे
इस सफेद धब्बे को पस पॉकेट कहा जाता है। इनमें हमारे शरीर के वाइट ब्लड सेल्स होते हैं जो बैक्टीरिया पर हमला करने और नष्ट करने के लिए संक्रमित जगह पर एकत्रित होते हैं।
4. उल्टी
ऐसी हालत में बच्चा मतली महसूस करता है और वह जो भी खाना खाता है उसे उल्टी में निकाल देता है।
5. तेज बुखार
बच्चे को 100.3 डिग्री फारेनहाइट से अधिक बुखार होता है ।
6. गले में दर्द
कुछ भी खाने या पीने की चीजों को निगलते समय बच्चे को अत्यधिक दर्द होता है जिसके कारण भूख कम लगती है।
7. गले में खराश
बैक्टीरिया बच्चे की आवाज को प्रभावित करता है, जिससे वह कर्कश हो जाती है।
8. शरीर में दर्द
संक्रमित बच्चे को सिरदर्द, पेट दर्द और पूरे शरीर में दर्द होता है।
9. स्कारलेट बुखार
जब संक्रमण बहुत गंभीर हो, तो बच्चे के शरीर पर लाल, खुरदरे चकत्ते, लाल गाल और जीभ पर लाल छाले होने लगते हैं।
बच्चों में स्ट्रेप थ्रोट से जुड़े जोखिम क्या हैं
यदि इस समस्या को बिना किसी इलाज के छोड़ दिया जाए या केवल थोड़ा ही इलाज किया जाए, तो स्ट्रेप थ्रोट बच्चों में नीचे बताई गई कई तरह की जटिलताओं को जन्म देता है:
- नर्व डिसऑर्डर : तंत्रिका विकार: यह बच्चों में ऑटोइम्यून तंत्रिका मनोरोग विकार का कारण बन सकता है, जिससे ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर और मांसपेशियों में ऐंठन की समस्या हो सकती है।
- किडनी की बीमारी: इसके कारण बच्चों में ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस की समस्या उत्पन्न होती है। जिसके कारण किडनी में सूजन आ जाती है, जिससे पेशाब में खून आने लगता है।
- जोड़ों में दर्द वाला बुखार: दिल और नर्वस सिस्टम के वाल्व डैमेज हो जाते हैं, जिससे शरीर के जोड़ों में सूजन आ जाती है।
- पेरिटॉन्सिलर एब्सेस: यदि इस समस्या को बिना इलाज के छोड़ दिया जाता है, तो स्ट्रेप थ्रोट गले के ऊतकों में फैल जाता है, जिसके कारण सूजन और इंफेक्शन फैलता है जिसे पेरिटॉन्सिलर एब्सेस कहा जाता है। गले का आकार बड़ा दिखने लगता है और यह बच्चे को सांस लेने और निगलने में दिक्क्त देता है।
- रेट्रोफैरेनजीज एब्सेस: बैक्टीरिया गले के पीछे, फैरिंक्स की वॉल के पीछे इंफेक्शन को फैलाता है।
- ओटिटिस मीडिया: यह स्ट्रेप थ्रोट के संक्रमण को कान तक फैला देता है। यदि इसका इलाज नहीं किया गया तो बच्चा बहरा भी हो सकता है।
- मेनिन्जाइटिस: इसमें संक्रमण मेनिन्जेस या मस्तिष्क की परत और रीढ़ की हड्डी में फैलता है। इसे मेनिन्जाइटिस कहते हैं।
- निमोनिया: यह गले से फैलना शुरू होता है और फेफड़ों तक संक्रमण पहुंचाता है, जिसे निमोनिया कहा जाता है।
- टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम: यह बहुत दुर्लभ जटिलता है, लेकिन यह जानलेवा भी हो सकती है। स्ट्रेप बैक्टीरिया खून को संक्रमित करता है और जिससे कई अंग काम करना बंद कर देते हैं।
- टॉन्सिलाइटिस: स्ट्रेप थ्रोट के कारण टॉन्सिल में सूजन और इंफेक्शन फैलता है, जिसे टॉन्सिलाइटिस कहा जाता है। लक्षणों में शामिल हैं – तेज बुखार, टॉन्सिल पर सफेद धब्बे, साथ ही लाल और सूजे हुए टॉन्सिल।
- लिम्फ नोड इंफेक्शन: स्ट्रेप बैक्टीरिया शरीर में लिम्फ नोड्स को भी संक्रमित करता है। यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता और अन्य संक्रामक बैक्टीरिया के प्रतिरोध को गंभीर रूप से प्रभावित करता है।
स्ट्रेप थ्रोट का निदान कैसे किया जाता है
स्ट्रेप थ्रोट का निदान निम्नलिखित तरीकों से किया जाता है:
1. शारीरिक जांच
डॉक्टर बच्चे के कान, नाक और गले की जांच करते हैं। वह सूजे हुए टॉन्सिल, लाली, सफेद धब्बे आदि की जांच करते हैं।
2. स्ट्रेप एंटीजन
यह डॉक्टर द्वारा किया जाने वाला एक ऐसा टेस्ट है जहां वह क्यू-टिप के साथ गले के पिछले हिस्से का स्वैब लेते हैं और स्ट्रेप्टोकोकल एंटीजन की मौजूदगी की जांच के लिए इस बलगम का टेस्ट करते हैं। यह एक जल्दी होने वाला टेस्ट है और साथ ही मिनटों में परिणाम भी दे देता है।
3. थ्रोट कल्चर
यदि स्ट्रेप एंटीजन टेस्ट सही परिणाम नहीं दे रहा है, तो टॉन्सिल से बलगम लिया जाता है और पेट्री डिश पर कल्चरिंग के लिए लैब में भेजा जाता है। इस टेस्ट का परिणाम आने में 2 या उससे अधिक दिन लगते हैं।
स्ट्रेप थ्रोट का इलाज
स्ट्रेप थ्रोट की तकलीफ को दूर करने के लिए अक्सर इस्तेमाल किए जाने वाले इलाज के बारे में यहां बताया गया है:
1. एंटीबायोटिक दवाएं
संक्रमित बच्चे के लिए एंटीबायोटिक दवाओं का दस दिन का कोर्स देना चाहिए।
2. अन्य दवाएं
डॉक्टर बच्चे को राहत दिलाने के लिए दर्द निवारक दवाएं जैसे आइबुप्रोफेन और बुखार को नियन्त्रण में रखने वाली दवा जैसे एसिटामिनोफेन लिखते हैं।
स्ट्रेप थ्रोट के लिए घरेलू उपचार
बच्चों में गले की खराश को सही करने के लिए अपनाएं यह घरेलू इलाज:
- खारे पानी से गरारे करना: दिन में तीन बार गुनगुने पानी में नमक डालकर गरारे करने से गले का दर्द कम होता है और हानिकारक बैक्टीरिया बाहर निकल जाते हैं, जिससे बच्चे को खाना निगलने में आसानी होती है।
- पर्याप्त पानी पीना: इस बात का ध्यान रखें कि बच्चे को पीने के लिए पर्याप्त पानी मिले। यह जलन को कम करेगा और संक्रमित जगह चिकनी कर देगा।
- तरल खाना: बच्चे को ठोस खाना चबाने और निगलने में कठिनाई होगी। लेकिन उसे भरपूर पोषण मिले, तो ऐसे में सूप, जूस, दूध, दलिया, फलों की प्यूरी आदि जैसे पेय दें। खाना जितना ही गर्म होगा, वह उतना ही अच्छा महसूस करेगा!
- गुनगुना पानी: बच्चे को गुनगुने पानी के घूंट बार-बार पिलाएं। पानी इतना गर्म होना चाहिए कि वह आराम से निगल सके।
- शहद: एक गिलास गुनगुने पानी में एक चम्मच शहद मिलाकर बच्चे को पिलाएं। यह गले को नम करता है और दर्द को कम करता है।
- भाप लेना: स्टीमर का उपयोग करके अपने बच्चे को मुंह और गले के जरिए भाप लेने दें, जिससे दर्द से राहत मिलेगी।
- दही: बच्चे को एक चम्मच गाढ़ा ग्रीक योगर्ट दें और कुछ मिनट के लिए इसे गले में ही रहने दें। इसमें एंटीसेप्टिक गुण होते हैं जो गले में अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ाने में मदद करते हैं।
- अदरक : पिसी हुई अदरक को पानी में उबाल लें। बच्चे को शहद में मिलाकर पिलाने से गले का दर्द दूर होता है।
- नींबू का रस: नींबू के रस में विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करते हैं। गुनगुने पानी में नींबू का रस और शहद मिलाएं और बच्चे को इस पेय को दिन में कई बार थोड़ा-थोड़ा करके पिलाएं।
- एप्पल साइडर विनेगर: एक चम्मच सेब के सिरके को गर्म पानी में मिलाकर बच्चे को दिन में दो बार पिलाएं। इससे गले के दर्द में आराम मिलेगा।
- लहसुन: लहसुन एक माइक्रोबियल एजेंट है जो हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस को मारता है। लहसुन की कुछ कलियों को पीसकर इसका पेस्ट बना लें। इसे उबलते पानी में डालें और इसे 7 से 10 मिनट तक उबलने दें। एक बार जब यह गाढ़ा हो जाए, तो आंच बंद कर दें, इसे छान लें और इसे ठंडा होने दें। इसे बच्चे को दिन में थोड़ा-थोड़ा देती रहें।
अगर बच्चा बार-बार स्ट्रेप थ्रोट से पीड़ित हो तो क्या करें
बच्चे को बार-बार स्ट्रेप थ्रोट होने की स्थिति में आप नीचे बताए गए उपाय आजमा सकती हैं:
1. बच्चे के हाथों को नियमित रूप से धोएं और साथ ही अपने भी हाथ धोएं
हानिकारक बैक्टीरिया से छुटकारा पाने के लिए सैनिटाइजिंग साबुन या हैंडवाश का इस्तेमाल करें। यदि आप बाहर हैं और साबुन या पानी नहीं हैं तो एक सैनिटाइजर अपने पास जरूर रखें।
2. खाने को साझा न करें
यदि आपका बच्चा बार-बार स्ट्रेप संक्रमण की चपेट में आता है तो उसे किसी के साथ खाना या पानी शेयर न करने दें।
3. संक्रमित लोगों से दूर रहें
ध्यान रखें कि परिवार का कोई संक्रमित सदस्य या भाई-बहन इस दौरान बच्चे से दूर रहे।
बच्चों को स्ट्रेप थ्रोट से कैसे बचाएं
अपने बच्चे को स्ट्रेप थ्रोट संक्रमण से बचाने के लिए आप कुछ नुस्खें अपना सकती हैं:
1. संक्रमित व्यक्ति को एकांत में रखें
बैक्टीरिया को फैलने को रोकने के लिए, संक्रमित व्यक्ति को कम से कम दो दिनों के लिए अलग कमरे में रहें दें, जब तक एंटीबायोटिक दवाएं चल रही हैं।
2. साफ सफाई रखें
बार-बार साबुन से हाथ धोकर अच्छी साफ सफाई रखनी चाहिए, खासकर जब बच्चा खेलने के बाद या स्कूल से घर आता है।
3. पेय साझा न करें
संक्रमित बच्चे की बोतल से पानी पीने से बचाएं और एक ही प्लेट में खाना भी न खाने दें।
4. बच्चे का टूथब्रश बदलें
इंफेक्शन के बाद, बच्चे के टूथब्रश को बदल दें क्योंकि इसमें अभी भी बैक्टीरिया हो सकते हैं और संक्रमण फिर से फैल सकता है।
5. छींकते समय मुंह ढकें
बच्चे को खांसते या छींकते समय अपने मुंह और नाक को ढंकना और रुमाल का इस्तेमाल करना सिखाएं।
डॉक्टर से कब संपर्क करें
प्रीस्कूल जाने वाले बच्चों में स्ट्रेप थ्रोट बहुत ही आम बीमारी है। हालांकि निम्नलिखित स्थितियों में तुरंत डॉक्टर के पास जाने की जरूरत है:
- यदि 1 से 3 महीने के शिशु के शरीर का तापमान बहुत अधिक (100.3 F से अधिक) है
- पूरे शरीर पर लाल चकत्ते पड़ गए हों
- ठीक से सांस लेने या निगलने में दिक्कत हो रही है
- यदि एंटीबायोटिक लेने के 2 दिन बाद भी लक्षण कम नहीं हो रहे हैं
प्रीस्कूल जाने वाले बच्चों और उनसे छोटे बच्चों में स्ट्रेप थ्रोट की समस्या आम है, और इसे केवल एंटीबायोटिक दवाओं द्वारा ठीक किया जा सकता है। बेहतर साफ-सफाई रखने से, संक्रमित बच्चों को अलग रखकर और संक्रमित व्यक्ति से जुड़ी व्यक्तिगत चीजों को साझा न करने से इसे रोका जा सकता है।
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