शिशु

शिशुओं में स्लीप रिग्रेशन से कैसे निपटें

क्या आप जानते हैं, कि आपके बच्चे के दिमाग का विकास उसके बर्ताव पर असर डाल सकता है। नींद शरीर के उन मुख्य कार्यों में से एक है, जहाँ पर यह स्पष्ट रूप से दिखता है। जहाँ नवजात शिशु तुरंत ही गहरी नींद में सो सकते हैं, वहीं वयस्कों के सोने का पैटर्न इससे बिल्कुल अलग होता है, जिसमें वे पहले हल्की नींद और फिर गहरी नींद में जाते हैं। स्लीपिंग पैटर्न्स में होने वाला यह बदलाव, शिशुओं में नहीं देखा जाता है। लेकिन, बिल्कुल उनके शारीरिक विकास की तरह ही, उनके दिमागी विकास को भी आप कुछ ही महीनों में तेजी से बढ़ते हुए देखेंगे। दुख की बात यह है, कि इस समय के दौरान बच्चे चिड़चिड़े हो जाते हैं और हमेशा पेरेंट्स से चिपके रहते हैं, क्योंकि इन सब बदलावों से उनके स्लीपिंग पैटर्न पर बुरा असर पड़ता है। 

स्लीप रिग्रेशन क्या होता है?

एक शिशु में विकास संबंधी बदलाव के कारण, नींद में आने वाली रुकावट को स्लीप रिग्रेशन कहा जाता है। यह अलग-अलग उम्र में होता है – जब बच्चा 4 महीने, 8 महीने, 11 महीने, 18 महीने और 2 साल का होता है। 6 महीने का स्लीप रिग्रेशन भी बच्चों में काफी आम है। उल्लेख किए गए महीनों के दौरान, हर बच्चा स्लीप रिग्रेशन से गुजरे, ऐसा जरूरी नहीं है। लेकिन बच्चों में स्लीप रिग्रेशन का अनुभव होना बहुत आम होता है। 

स्लीप रिग्रेशन कब होता है?

यहाँ पर स्लीप रिग्रेशन के कुछ महीने और उनसे निपटने के तरीके दिए गए हैं: 

1. 4 महीने का स्लीप रिग्रेशन

जब आपका बच्चा लगभग 4 महीने का होता है, तब आप उसके स्लीपिंग पैटर्न में पहली बार बदलाव देखते हैं। लेकिन यह 3 से 5 महीने के बच्चों को भी हो सकता है।

4 महीने के स्लीप रिग्रेशन में क्या होता है? 

जहाँ इसके पहले आपका बच्चा एक बार में लंबे समय तक सोता था, वहीं अब आप देखेंगे, कि वह रात को बार-बार उठता है और उसकी नींद भी छोटी हो जाती है। इस समय इस दौरान वह लगभग हर 2 घंटे में उठता रहता है। 

यह क्यों होता है? 

आपके बच्चे के दिमागी विकास के कारण उसकी नींद में यह बदलाव आता है। चूंकि उसका मस्तिष्क विकसित होने लगता है, इसलिए उसके सोने की पद्धति में बदलाव आते हैं और वह वयस्कों जैसा बर्ताव करने लगता है। वह नींद के दो पड़ावों का अनुभव शुरू कर देता है – हल्की और गहरी नींद, जो कि आपके बच्चे का संभवत: स्लीप रिग्रेशन का पहला अनुभव होता है। 

इससे कैसे निपटें? 

4 महीने के बच्चे में स्लीप रिग्रेशन के लिए कुछ उपाय यहाँ दिए गए हैं: 

  • आप अपने सामान्य तरीके से ही उसे सुलाने की कोशिश करें, लेकिन इसके लिए एक निश्चित समय तय करें। आमतौर पर आप बच्चे को सुलाने के लिए उसे दूध पिलाती हैं। जब तक उसे नए रूटीन की आदत नहीं पड़ जाती, तब तक ऐसा करती रहें। बाद में आप धीरे-धीरे ब्रेस्टफीडिंग छुड़वा सकती हैं।
  • बच्चे को सुलाने के समय उसे आराम देने के लिए पैसीफायर का इस्तेमाल करने की कोशिश करें। जब बच्चे को सुलाने का समय हो, तो उसे शांत करने के लिए अपनी बाहों में भर कर प्यार जताएं।
  • उसके लिए एक आरामदायक और सुरक्षित वातावरण तैयार करें। इसका अक्सर यह मतलब होता है, कि आपको घर पर ही रहना चाहिए और कहीं जाना नहीं चाहिए। अगर आप घर से बाहर हों, तो बच्चे का गहरी नींद में सोना मुश्किल होता है।
  • ड्रीम फीड नामक एक चीज होती है, जो कि कई माता-पिता के लिए उपयोगी होती है। खासकर अगर बच्चा 6 महीने से कम उम्र का हो, तो इस तकनीक में आप बच्चे को सुलाने के समय बिना उसे जगाए उसे दूध पिलाती हैं और फिर खुद सोने से पहले बच्चे के नींद में रहते हुए सावधानी से उसे एक नाइटकैप देती हैं।

2. 8 महीने का स्लीप रिग्रेशन

बच्चे के आम रूटीन में नींद में बदलाव देखने का यह दूसरा समय होता है। कुछ बच्चे 7 महीने की उम्र में भी स्लीप रिग्रेशन का अनुभव करते हैं। 

8 महीने के स्लीप रिग्रेशन में क्या होता है? 

इस दौरान बोध ज्ञान में होने वाला विकास बच्चे की नींद को प्रभावित करता है। इस समय तक बच्चा सोने से मना करने लगता है और नींद से लड़ने लगता है। अधिकतर समय ये रिग्रेशन नींद में बदलाव के दौरान देखे जाते हैं। 

यह क्यों होता है? 

आपका बच्चा इस दौरान कई माइलस्टोन और कुछ शारीरिक बदलावों से गुजर रहा होता है। अब तक वह दोनों हाथ और पैरों की मदद से चलना, घूमना और बात करने की कोशिश की शुरुआत भी कर देता है। कुछ बच्चों में अब तक दाँत भी आने शुरू हो जाते हैं। ये सारे बदलाव आपके बच्चे की नींद को प्रभावित करते हैं।
बच्चों में स्लीप रिग्रेशन करने वाली दूसरी चीज होती है, हल्की नींद से गहरी नींद में जाना। आमतौर पर यह वो उम्र होती है, जब तक दिन की तीसरी नींद खत्म हो जाती है, खासकर अगर आपका बच्चा हर समय नींद से लड़ता रहता है तो। जब नींद में होने वाले एक बदलाव को ठीक से मैनेज नहीं किया जाता है तो इससे रिग्रेशन हो सकता है।
8 महीने के बच्चे को होने वाला स्लीप रिग्रेशन इस उम्र में होने वाले सेपरेशन एंग्जायटी के विकास के कारण भी हो सकता है और वह हमेशा माता-पिता से चिपका रह सकता है। 

इससे कैसे निपटें?

8 महीने के बच्चे के स्लीप रिग्रेशन से निपटने के कुछ तरीके नीचे दिए गए हैं: 

  • सोने के नियमित रूटीन से चिपके रहें, क्योंकि रूटीन में बदलाव करने पर स्थिति और भी बिगड़ सकती है। आखिरकार नींद में होने वाला यह रिग्रेशन टेंपरेरी होता है।
  • आपके बच्चे ने जो भी नई चीजें सीखी हैं, दिन के दौरान उनकी प्रैक्टिस करने के लिए बहुत सारा समय दें। जैसे कि खड़ा होना या घूमना। इससे वह रात को अपने क्रिब में यह सब करने की कोशिश नहीं करेगा।
  • बच्चे के सोने के लिए 2 रूटीन बनाएं। इसमें से एक में दो बार सोना हो और दूसरे में 3 बार सोना हो। आपको बारी-बारी से इन दोनों पर अमल करना चाहिए। लेकिन अगर आप 2 बार सोने वाले रूटीन को फॉलो कर रही हैं, तो उसे जल्दी सुलाने की कोशिश करें।
  • अपने बच्चे के सोने की जगह को जितना संभव हो सके उतना डल रखें, ताकि उसे जगा हुआ रखने के लिए कोई आकर्षण ना दिखे। उसके सोने की जगह अंधेरी, सुरक्षित और आरामदायक होनी चाहिए।

3. 11 महीने का स्लीप रिग्रेशन

यह वैसे तो बहुत ही दुर्लभ होता है, क्योंकि कई बच्चे रिग्रेशन के इस स्टेज को स्किप कर जाते हैं।

11 महीने के स्लीप रिग्रेशन में क्या होता है?

अब तक आपका बच्चा उसकी दूसरी नींद के लिए भी मना करने की कोशिश करने लगता है और वह केवल एक बार ही सोना चाहता है। पर इसे बढ़ावा नहीं देना चाहिए, क्योंकि शिशुओं को 15 महीने की उम्र तक कम से कम 2 बार सोने की जरूरत होती है। 

ऐसा क्यों होता है? 

अक्सर यह स्लीप रिग्रेशन तब होता है, जब पेरेंट्स अपने बच्चे को बिना उसके तैयार हुए ही सुलाने की कोशिश करते हैं। हालांकि अधिकतर बच्चे इस उम्र तक बदलने की प्रक्रिया बंद कर देते हैं और बिल्कुल ठीक होते हैं। लेकिन वहीं कुछ के साथ ऐसा नहीं होता है और वैसे मामलों में स्लीप रिग्रेशन हो सकता है। 

इससे कैसे निपटें? 

यह बिल्कुल वाजिब लग सकता है, लेकिन इस उम्र में स्लीप रिग्रेशन से निपटने के लिए यह बहुत जरूरी है, कि बच्चे को दो बार सोने वाले रूटीन पर टिका कर रखा जाए। जहाँ आपको ऐसा लग सकता है कि आपका बच्चा प्राकृतिक रूप से एक बार सोने वाली पद्धति को अपना रहा है, वहीं आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए, कि बहुत जल्द ही वह चलना और बाकी की चीजें शुरू करने वाला है, जिससे उसे बहुत थकान हो सकती है। यही कारण है, कि बच्चों को दो बार सुलाना अच्छा होता है और भविष्य में अधिक स्लीप रिग्रेशन से बचाव भी होता है। 

4. 18 महीने का स्लीप रिग्रेशन

18 महीने की उम्र में बच्चे का स्लीप रिग्रेशन, बाकी सभी स्लीप रिग्रेशन में से सबसे बुरा होता है। 

18 महीने के स्लीप रिग्रेशन में क्या होता है?

एक ही पल में आपका बच्चा गहरी नींद में सो रहा होता है और दूसरे ही पल वह जाग जाता है। ऐसे स्लीप रिग्रेशन के दौरान सोने के समय बहुत अधिक ड्रामा होता है। यह बहुत परेशानी भरा होता है और रातों को लगातार जागना पड़ता है। इस समय के दौरान बच्चे में चिड़चिड़ेपन को केवल बढ़ता हुआ ही देखा जाता है और उसे बार-बार क़डल करना पड़ता है और आप बच्चे की भूख में भी एक बदलाव महसूस करते हैं। 

यह क्यों होता है?

इस उम्र में आपका बच्चा थोड़ा और स्वतंत्र होना सीख रहा होता है और चूंकि इन सबमें उसका खुद चम्मच से खाना या अपनी पैंट खुद पहनना जैसी चीजें शामिल होती हैं, तो वह आपकी बात मानने से इंकार करना भी शुरू कर देता है। यह विरोध अक्सर ही सोने के समय भी देखा जाता है, क्योंकि वह या तो सोने के लिए जाना नहीं चाहता है या फिर जब तक आप उसे पुचकार नहीं लेते या रिलैक्स नहीं करते, तब तक वह सोना नहीं चाहता है और रोता रहता है। इस उम्र तक दाँत भी आने लगते हैं और यह वो उम्र होती है, जब उसके केनाइन दाँत और पहली अकल दाढ़ दिखने लगती है। इससे उसे तकलीफ भी होती है और वह बेचैन भी हो सकता है। इस उम्र में बच्चे सेपरेशन एंग्जायटी का भी अनुभव करते हैं। वह रातों को जगा हुआ रह सकता है और अगर आप उसके आसपास न हों, तो परेशान हो सकता है या फिर वह आपसे दूर नहीं होना चाहता है, इसलिए सोने से भी मना करता है। 

इससे कैसे निपटें?

यहाँ पर कुछ ऐसी चीजें दी गई हैं, जिन्हें अपनाने से आपको और आपके बच्चे को इस चुनौती भरे दौर से निपटने में मदद मिल सकती है:

  • सोने की एक स्थिर रूटीन को अपनाने की कोशिश करें, जैसे कि सोने से पहले अपने बच्चे के साथ थोड़ा अच्छा समय बिताएं। इससे उसे आराम मिलेगा। सोने से पहले आप हर रात प्रार्थना भी कर सकते हैं, इससे वह ये समझ पाएगा, कि यह सोने के समय का एक संकेत है।
  • अपने बच्चे को एक टेडी बेयर या उसकी पसंद के एक कंबल के जैसी कोई आरामदायक वस्तु दें। जब सोने के समय बच्चे के पास कुछ आरामदायक या मुलायम चीज होती है, तो वे आपको बार-बार नहीं बुलाते हैं।
  • सोने के समय प्रोटीन से भरपूर घर का बना कोई स्नैक उसे खाने को दें। इससे उसे देर रात भूख परेशान नहीं करेगी। विकास के दिनों में जब स्लीप रिग्रेशन परेशान करने लगते हैं, ऐसे में भी ये स्नैक काफी कारगर होते हैं। सोने से पहले उसे ब्रश करवाना न भूलें।
  • अगर आप चीजों को जटिल बनाने की कोशिश करते हैं, तो आपका बच्चा उसे समझने में सक्षम नहीं होता है। लेकिन सीधे-सीधे जितने सरल शब्दों में हो सके, बच्चे को यह बताएं, कि उसे सोने की जरूरत क्यों है।  इससे सोने के समय होने वाले ड्रामा से छुटकारा मिलने में मदद मिलती है।
  • कुछ बच्चों में इस उम्र तक रात के समय डर का विकास होने लगता है। इसलिए बच्चे के कमरे में एक नाइट लाइट रखने से सोने के समय उसे अच्छा महसूस होता है।
  • हो सकता है, कि आपका बच्चा इस स्लीप रिग्रेशन से 2 सप्ताह तक परेशान रहे। कभी-कभी चीजों में अधिक समय लग जाता है। ऐसी स्थिति में, आपको फिर से बच्चे को सोना सिखाने की जरूरत पड़ सकती है।
  • अपने बनाए नियमों पर टिके रहें और ध्यान रखें, कि आपको क्या करना है और क्या नहीं करना है।  उदाहरण के लिए, अगर आपके बच्चे को आपके बिस्तर में आने की इजाजत नहीं है, तो सिर्फ उसके स्लीप रिग्रेशन के कारण उसे अपने बिस्तर में ना आने दें। जिस दूसरी बात के लिए आपको अडिग रहना चाहिए वो यह है कि, अगर आधी रात को आपका बच्चा जाग जाता है और आपको बुलाता है, तो आप उसके पास जाने में कितना समय लगाएंगे। बच्चों को खुद वापस सोना सिखाने के लिए आमतौर पर इंतजार करने को प्रोत्साहन दिया जाता है। इसलिए अगर आपने बच्चे के पास जाने के लिए खुद को 5 मिनट का समय दिया है, तो इसे बरकरार रखें और इस समय के पहले ना जाए।

5. 2 साल की उम्र में स्लीप रिग्रेशन

यह सबसे कठिन हो सकता है, हालांकि इस बात को लेकर निश्चिंत रहें, कि यह आपके बच्चे का अंतिम स्लीप रिग्रेशन होने वाला है, जिसे आपको गुजारना है।

2 साल के स्लीप रिग्रेशन में क्या होता है? 

दूसरे स्लीप रिग्रेशन के मामलों की तरह ही, आपका बच्चा दिन में या रात में सोने के समय हंस-खेल सकता है। वहीं दूसरे मामलों में वह अधिकतर समय चिल्ला सकता है। कभी-कभी वह अपने आप शांत हो सकता है, पर जैसे ही आप उसे अकेला छोड़ते हैं वह फिर से चिड़चिड़ा हो जाता है। 

ऐसा क्यों होता है?

इस उम्र में बच्चे सेपरेशन एंग्जायटी से गुजरते हैं और कभी-कभी उन्हें लगता है, कि उनके बिना आप बहुत मजे करने वाले हैं और वह उसे मिस नहीं करना चाहता है। 2 साल की उम्र में आपका बच्चा, जीवन के कुछ खास बदलावों से गुजरता है। अधिकतर बच्चों को इस उम्र में पॉटी ट्रेनिंग दी जाती है और कुछ बच्चे क्रिब को छोड़कर बच्चों के बेड पर सोने की शुरुआत करते हैं। कुछ बच्चों को इस उम्र में अपने भाई या बहन के स्वागत से भी रूबरू होना पड़ता है, जो कि अधिकतर बच्चों को परेशान करता है, क्योंकि उन्हें लगता है, कि अब उन्हें इतना प्यार नहीं मिलेगा।
इस स्टेज पर आप यह देखेंगे, कि वह काफी जागरूक हो जाता है और इसलिए वह दिन में सोने से कतराता है। इस समय तक बच्चे में कल्पना करने का विकास हो जाता है। चूंकि यह खेलने के लिए तो बहुत अच्छा है, लेकिन वहीं इसके कारण रातों को उसे डर भी लग सकता है, क्योंकि उसे अब तक यह पता चल चुका होता है, कि दुनिया में कुछ बुरी चीजें भी होती हैं, जो उसे नुकसान पहुँचा सकती हैं। 

इससे कैसे निपटें? 

नीचे कुछ तरीके दिए गए हैं, जिनके माध्यम से आप अपने बच्चे को उसके स्लीप रिग्रेशन से निपटने में मदद कर सकते हैं: 

  • अगर आपका बच्चा लाइफस्टाइल में आने वाले किसी भी बदलाव के कारण स्लीप रिग्रेशन से गुजर रहा है, जैसे कि पॉटी ट्रेंनिंग या बिस्तर में बदलाव, तो रुकें और कुछ महीनों तक इंतजार करें, जब तक आपका बच्चा इन बदलावों को झेलने के लिए सचमुच तैयार नहीं हो जाता।
  • बच्चे को अधिक समय तक जगा हुआ रखने के लिए, आप उसके स्लीपिंग पैटर्न में कुछ बदलाव कर सकते हैं। इसके लिए या तो आप दोपहर की उसकी नींद को थोड़ा पहले प्लान कर सकते हैं या फिर रात के सोने के समय को थोड़ा आगे बढ़ा सकते हैं।
  • अगर आपका बच्चा सोने से मना कर रहा है, तो इस बात का ध्यान रखें, कि सोने से पहले उसे थोड़े समय के लिए आराम करने दें। इसके लिए आप उसके सोने की जगह पर कुछ किताबें यहाँ कुछ खिलौने भी रख सकते हैं, इससे उसे यह समझ आएगा, कि वह जगा रह सकता है, लेकिन उसे अपने बिस्तर पर रहने की जरूरत है। यह आपके लिए भी फायदेमंद है, क्योंकि अगर ऐसा करते हुए उसे नींद आ जाती है तो भी वह अपने सोने की जगह पर ही होता है।
  • अगर उसे रात के समय डर लगता है, तो ऐसे में सबसे बेहतर यह है, कि आप शांत रहें और उसकी बातों पर ओवररिएक्ट ना करें। क्योंकि वह अधिकतर चीजें आप से ही सीखता है। शांत रहें, क्योंकि इससे आप बच्चे को सोने में मदद करती हैं। लेकिन कभी भी उसकी बुरी आदतों को बढ़ावा ना दें, जैसे उसे अपने बिस्तर पर बुला लेना या उसके बिस्तर पर खुद चले जाना।

हमेशा याद रखें, कि आपका बच्चा जिन स्लीप रिग्रेशन से गुजरता है, वे स्थाई नहीं होते हैं, केवल चौथे महीने के दौरान होने वाले स्लीप डिप्रेशन के अलावा। अगर आपने सोने के दौरान बच्चे की ब्रेस्टफीडिंग छुड़वा दी है, तो उसे आराम दिलाने के लिए दोबारा शुरू ना करें। उसे आराम महसूस कराने के लिए आप कई दूसरी चीजें भी अपना सकती हैं। 

यह भी पढ़ें: 

नवजात शिशु का बहुत ज्यादा सोना
क्या छोटे बच्चे को करवट से सुलाना चाहिए?
बच्चे का बार-बार नींद से जागना – कारण और उपचार

पूजा ठाकुर

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