शिशु

1 सप्ताह का बच्चा – विकास, पड़ाव और देखभाल

आपने अपनी गर्भावस्था के सारे चरण को सफलतापूर्वक पार लिए हैं और प्रसव से गुजरने के बाद आप अपने बच्चे को जन्म दे चुकी हैं और अब आपका बच्चा आपकी गोद में है। कितना लंबा था न ये सफर? लेकिन अब आप एक माँ हैं और अब आपकी जिम्मेदारियां और भी बढ़ने वाली है क्योंकि बच्चे के लिए बाहरी दुनिया आपकी कोख के सामान सुरक्षित नहीं है। आपका बच्चा जिन भावनाओं और एहसास का अनुभव करेगा, उसके साथ-साथ यह आपके लिए भी एक नया अहसास होगा। एक तरह से कह सकते हैं कि यह आप दोनों के लिए एक नया जीवन है – प्रेम से परिपूर्ण, सीखने और साथ-साथ बढ़ने वाला जीवन।

1 सप्ताह के शिशु का विकास

यदि आपके बच्चे का जन्म नार्मल डिलीवरी से हुआ है, तो आपके बच्चे के सिर का आकार थोड़ा लंबा हो सकता है। इसका कारण यह है, कि उसका सिर थोड़ा दबाकर निकाला जाता है, क्योंकि वह आपके जनन-मार्ग से होकर बाहर आता है। इसमें कोई चिंता की बात नहीं है, उसका सिर कुछ दिनों के भीतर अपने प्राकृतिक आकार में वापस आ जाएगा।

आकार के आलावा बच्चे के सिर पर मुख्य रूप से दो नरम क्षेत्र होते हैं, एक शीर्ष पर और एक पीछे की ओर। इन्हें ‘फॉन्टानेल्स’ कहा जाता है। यह एक सुरक्षात्मक कवर होता है, हालांकि, यह क्षेत्र अभी भी संवेदनशील है और खोपड़ी बनने की प्रक्रिया में है लेकिन अगले कुछ वर्षों में भर जायेगा।

हो सकता है बच्चे के शुरुआती सप्ताह में आपको उसकी त्वचा पर छोटे लाल पैच, चकत्ते या रैशेस दिखाई दें । यह आमतौर पर बाहरी दुनिया के प्रति अत्यधिक संवेदनशीलता के कारण होता है और जल्द ही खुद-ब -खुद ठीक भी हो जाता है। इस समय बच्चे की हथेलियों और तलवों की त्वचा निकलने लगती है ।

प्रसव के दौरान गर्भनाल को अलग करने के बाद, डॉक्टरों बच्चे के गर्भनाल को बाँध देते हैं और यह बच्चे के पेट पर एक छोटी गांठ के रूप में दिखाई पड़ता है। यह आमतौर पर एक या दो सप्ताह में सूख जाता है, और सूखकर खुद ही गिर जाता है। उस अवधि के दौरान, इस क्षेत्र के आसपास छूते वक्त सावधानी बरतें, यदि आपको उसे नहलाना हो तो उसे स्पंज बाथ कराएं ताकि उसे किसी प्रकार की कोई चोट न पहुँचे।

कुछ माता-पिता जब अपने बच्चे के जननांगों में सूजन और लालिमा देखते हैं, तो वह परेशान हो जाते हैं। आप चिंता न करें, क्योंकि यह माँ के हार्मोन का प्रभाव है जिसका असर बच्चे पर भी पड़ता है।

इस दौरान, आप अपने शिशु को अनियमित ढंग से हल्की या लंबी सांसे लेते हुए देख सकती हैं।जब वह छोटी-छोटी सांस लेते हैं तो ऐसा लगता है जैसे वो सांस नहीं ले रहे हैं। आपका बच्चा सांस लेते समय भी आवाजें निकाल सकता है। यह कोई चिंता का विषय नहीं यह सिर्फ उनकी नई गतिविधि का एक हिस्सा है जो, आमतौर पर 4 -6 सप्ताह में सामान्य हो जाता है।

1 सप्ताह के शिशु की विकासात्मक उपलब्धियां

APGAR टेस्ट एक प्रमुख जाँच है जिससे बच्चे को गुजरना होता है । APGAR पांच अक्षरों से मिलकर बना है और वह है Appearance (रूप), Pulse (हृदय गति), Grimace (प्रतिक्रिया), Activity (गतिविधि), और Respiration (श्वसन)। शिशु के जन्म के तुरंत बाद इन 5 मापदंडों के आधार पर उनकी जाँच की जाती है। यह समझने के लिए कि क्या त्वचा का रंग ठीक है, हृदय गति सामान्य है, मांसपेशियां अच्छी तरह विकसित हो रही हैं और सांस सामन्य रूप चल रही है आदि। डॉक्टर इसके दवारा पता लगाते हैं कि बच्चा स्वस्थ है या नहीं और आगे क्या कार्रवाई की जा सकती है ।

अधिकांश बच्चे जन्म के बाद भी सिकुड़े हुए ही रहते हैं जैसे वे गर्भ के अंदर हुआ करते थे। आपका बच्चा अभी अपने आस-पास की चीजों को देखने में सक्षम नहीं होता है, वह शायद ही कुछ सेकंड के लिए अपनी नजरों को घुमाए और बहुत मुश्किल से केवल 15 से.मी. की दुरी से चीजों को देख सकता है। जब आप अपने बच्चे को अपनी बाहों में लेती हैं, तो वह आपकी उपस्थिति को महसूस करेगा और आपके चेहरे को लंबे समय तक घूरता रहेगा और पहचानने की कोशिश करेगा ।

बच्चा कुल मिलाकर 15-19 घंटों की नींद लेता है और यह अवधि सामान्य मानी जाती है, बच्चों की नींद भूख लगने और स्तनपान के कारण टूट जाती है। लगभग हर कुछ घंटों में एक बार आपके बच्चे को भूख लग जाती है, फिर वह सो जाता है और शौच भी करता है। शुरुआत में शौच गाढ़ा और हरे रंग का होता है। यह बच्चे के आंत में एक पदार्थ की उपस्थिति के कारण होता है और जब वह एक भ्रूण था, इसे ‘मेकोनियम’ कहा जाता था। शिशु जब स्तनपान करने लगेगा तब उसका शौच पीला रंग का हो जाएगा।

शिशु की हथेली पर जब आप अपनी अगुंली रकेंगे तो वह आपकी अंगुली पकड़ लेगा और छोड़ना नहीं चाहेगा । यदि आप उसके गाल या होंठ को छुएंगी तो वह अपना मुँह उस तरफ मोड़कर उसे चूसने की कोशिश करेगा। यह सभी शिशुओं में जन्मजात होता है, जिसे रूटिंग रिफ्लेक्स कहा जाता है, जो उन्हें स्तन को खोजने और खुद को जीवित रखने के लिए दूध पीने में मदद करता है।

स्तनपान

भूख और खाना वह चीज है जिसे बच्चे को महसूस होते ही तुरंत इसकी जरूरत पढ़ती है।1 सप्ताह के शिशु के आहार की मात्रा इस बात पर निर्भर करती है कि क्या उसे स्तनपान कराया जा रहा है या बोतल से दूध पिलाया जा रहा है।

छोटा बच्चा जब भूखा होता है तो तुरंत उसके आसपास मौजूद चीजों को चूसना शुरू कर देता है ताकि वह अपनी भूख के बारे में संकेत दे सके। तेज भूख लगने पर वह आपकी ओर लपकेगा और स्तन को ढूंढने की कोशिश करेगा, जब तक उसका पेट न भर जाए तब तक वह दूध पीता रहेगा। यदि आपको दूध न बन पाने जैसी समस्या हो रही हो तो अपने बच्चे के मुँह में अपना निप्पल देकर उसे चूसने दें, ऐसा करने से होनेवाली संवेदना से शरीर दूध बनाना शुरु करने के लिए सक्रिय हो सकता है।

यदि आप बच्चे को फार्मूला दूध देती हैं, तो इसे डॉक्टर द्वारा निर्धारित मात्रा में ही देना चाहिए दूध के डिब्बे पर दिए गए निर्देशों के अनुसार ही फार्मूला दूध तैयार किया जाना चाहिए।

नींद

1 सप्ताह का बच्चा अधिक समय तक सोता है । प्रसव की पूरी प्रक्रिया बच्चे के लिए भी काफी भारी और थका देने वाली होती है, जिसके बाद वह अपनी नई दुनिया को स्वीकार करने तथा सभी संवेदनाएं और भावनाएं महसूस करने लगते हैं, जिसे उन्होंने इससे पहले कभी महसूस नहीं किया था।

शुरुआती सप्ताह में, अपने बच्चे को उसकी पीठ के बल सोने दें, क्योंकि यह उसके लिए सबसे सुरक्षित और आरामदायक स्थिति होती है। कमरे का तापमान उचित होना चाहिए और कमरे में किसी भी धुएं या प्रदूषकों का प्रवेश होने से रोकना चाहिए। बच्चे में नींद की प्रवृत्ति बहुत शक्तिशाली होती है और बच्चों का इस पर कोई जोर नहीं होता है। जिसकी वजह से अक्सर बच्चे स्तनपान करते समय बीच में ही सो जाता है । दूध पीना में भी आपके बच्चे के लिए एक ऊर्जा खपत गतिविधि है जिसके कारण वह तुरंत थका हुआ महसूस करने लगते हैं और उन्हें नींद आ जाती है।

व्यवहार

आने वाले अगले हफ्तों के मुकाबले इस समय ज्यादातर बच्चे शांत होते हैं और उतना हंगामा नहीं करते हैं। यह केवल तभी शोर करते हैं जब इनको भूख लगी हो या फिर उनका डाइपर गीला हो गया हो। बाकी समय में या तो वह सोते हैं या फिर अपने आसपास की चीजों को देखने और समझने में खुद को व्यस्त रखते हैं।1 सप्ताह का बच्चा पूरी रात बिना जागे सोता रहे यह काफी दुर्लभ है, क्योंकि ज्यादातर बच्चे रात को उठकर कर दूध की मांग करते हैं, अपनी माँ की तरफ देखते रहते है या आवाज सुनते हैं और फिर सो जाते हैं।

कई माता-पिता और रिश्तेदार अपने बच्चे के शुरुआती सप्ताह के आधार पर उसके होने वाले व्यक्तित्व का आंकलन करने लगते हैं। वह अनुमान लगाने की कोशिश करते हैं कि आगे चलकर कर बच्चा एक उपद्रवी होगा, शांत स्वभाव का होगा या फिर कुछ और। ज्यादातर बच्चों का अगर पेट भरा होता है तो शांत रहते हैं, त्वचा से त्वचा का स्पर्श मिलने पर वह आपकी छाती पर आराम से नींद ले पाते हैं। इस समय उनके लिए सारी चीजें नई हैं इसलिए वह नई आवाजों को सुनने और उसे पहचानने की कोशिश करता है । यदि आपके बच्चे की दिनचर्या बाधित हो जाती है और उसे वह नहीं मिलता है जो उसको चाहिए तो वह रोना शुरू कर देता है ।

1 सप्ताह के नवजात शिशु की देखभाल संबंधी सुझाव

यहाँ आपके नवजात शिशु की देखभाल करने के लिए, कुछ सुझाव दिए गए हैं।

१. बच्चे का रात में जागना

बच्चे के रातभर जागने का डर आपको बहुत परेशान कर सकता है। लेकिन थोड़े समय के बाद आपका बच्चा पूरी रात आराम से सोएगा और आप भी उसके साथ रात की नींद ले पाएंगी । तब तक, आपको अपने बच्चे के सोने के समय के बीच का अंतर जानने जरूरी है, जितना संभव हो सके बच्चे के कमरे में रात को शांति बनाए रखें और रोशनी भी कम कर दें।

२. नवजात शिशु को पर्याप्त मात्रा में जल देना आवश्यक है

कभी-कभी, आपका बच्चा जितनी उसे जरूरत है वह उतनी मात्रा में स्तनपान नहीं करता है। जिसकी वजह से उसे बुखार, उल्टी या लगातार दस्त आने जैसी बीमारी हो सकती है। ये सभी बीमारी आपके बच्चे के शरीर में पानी की कमी पैदा करते हैं, जो बच्चे के लिए काफी हानिकारक हो सकता है। इसलिए अपने बच्चे को डॉक्टर के पास ले जाएं।

३. गर्भनाल के प्रति सावधानी बरतें

हाँ, भले ही यह दिखने में अच्छा न लगे। लेकिन ठूँठ (स्टंप) को सूखने और खुद से गिरने के लिए समय की आवश्यकता होती है। इसे अपने हाथों से हटाने की या इसके सतह को छूने की कोशिश भी न करें। गर्भनाल को सूखने के लिए कुछ हफ्ते का समय दें यह खुद बा खुद काला होकर पेट से गिर जाएगा।

४. हरे रंग का मल देखकर डरें नहीं

पहली बार बने माता-पिता अपने बच्चे के हरे रंग के मल को देखकर घबराएं नहीं। यह गर्भ से बाहर आता है तो हरे रंग मल त्याग करता है। बच्चे का प्रारंभिक मल ज्यादातर चिपचिपा व हरे और काले रंग का होते है। समय के साथ, यह पीले रंग में बदल जाता है।

५. बच्चे के पैर को पालने के निचले हिस्से से स्पर्श होने दें

जब आपका बच्चा अपनी पीठ के बल सोता है, तो उसे इस स्थिति में रखें कि, उसके छोटे पैर खाट या पालने के निचले हिस्से को स्पर्श करते हों। ऐसा करने से बच्चे नीचे की ओर नहीं फिसलेंगे और इस प्रकार उनका चेहरा भी कंबल से नहीं ढंकेगा।

६. अपने बच्चे को आराम से लपेटें

शिशु को लपेटने के लिए एक हल्के कपड़े का उपयोग करने से उसके अंगों को सुरक्षित रखने में मदद मिलती है, क्योंकि वे आमतौर पर बहुत ज्यादा हिलते डुलते हैं जिससे वह अपने ही चेहरे को चोट पहुँचा सकते हैं, इससे उनकी नींद खराब हो सकती है । कपड़े में लपेटने से वह सुरक्षित महसूस करते हैं और शांति से आराम करते हैं।

७. परीक्षण करने के लिए थोड़ा खून देने में कोई समस्या नहीं है

कुछ डॉक्टर शिशु पर कुछ रक्त परीक्षण करने की सलाह दे सकते हैं और धीरे से उसकी एड़ी पर सुई चुभाकर रक्त का नमूना लेंगे। हो सकता ऐसा करने से आपका बच्चा रोने लगे, लेकिन ठीक है, इसमें कोई नुकसान वाली बात नहीं है, इसमें परीक्षण के लिए बच्चे के खून की कुछ बूँदें ही ली जाती हैं।

जाँच और टीकाकरण

प्रसव के पहले सप्ताह के भीतर बच्चे को तीन प्रमुख टीके लगाए जाते हैं, उनमें से एक जन्म के 12 घंटे के भीतर लगाया जाता है। यह टीका हेपेटाइटिस बी का टीका होता है, यह टीका बच्चे को सबसे पहले दिया जाता है ताकि बच्चे के लीवर में किसी भी संक्रमण को होने से रोका जा सके।

अन्य टीके जैसे पोलियो के लिए आई.पी.वी और टी.बी के लिए बी.सी.जी का टीका आता है। यदि आपको या किसी रिश्तेदार को पहले से ही टी.बी का रोग है या इसके लक्षण हैं, तो आपका डॉक्टर बी.सी.जी का टीका देने से परहेज करने को कह सकता है।

खेल और गतिविधियां

इस समय आपका शिशु नई-नई चीजों के प्रति बेहद उत्सुक होता है। आप अपनी उंगलियों का उपयोग करके और अलग अलग ध्वनियों और आवाजों का प्रयोग करके बच्चे को इन्हे जानने और समझने में व्यस्त रख सकती हैं। यदि आपके पास उंगली वाले छोटे मोजे हैं, तो आप इनका उपयोग कठपुतलियों के रूप में कर सकती है और तरह तरह की आवाजे निकाल कर उनके साथ खेल सकती हैं। धीरे-धीरे वह अलग अलग ध्वनियों को पहचानने के साथ अपनी गतिविधि में तालमेल बैठाना शुरू कर देंगे ।

आपके बच्चे के लिए, एक और उत्सुक चीज आपका चेहरा है। इसलिए सुनिश्चित करें कि वह इसे बहुत अधिक और हर संभव रूप में देखे। सामान्य से लेकर एक प्रसन्न और एक दुखी से लेकर मजाकिया जैसे तरह तरह के चेहरे के भाव बनाकर उसे यह दिखाना है कि चेहरा कैसे काम करता है ,और कैसे अलग-अलग भावों के साथ, व्यक्ति अभी भी वही है।

डॉक्टर से परामर्श कब करें

यदि आपको बच्चे में निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं, तो डॉक्टर से परामर्श करने की सलाह दी जाती है।

१. कब्ज

यदि आपका शिशु उतना मल त्याग नहीं कर रहा है जितना उसने करना चाहिए, या यदि उसका मल सूखा और कठोर है, तो ये उसके कब्ज होने के संकेत हो सकते हैं।

२. हिचकी

बच्चों को हिचकी आना काफी सामान्य है। लेकिन अगर आपका बच्चा उससे असहज महसूस करता है या फिर उसे लगातार हिचकी आ रही है, तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

३. प्रतिवाह (रिफ्लक्स)

डकार दिलाते वक्त बच्चे के मुँह से अगर थोड़ा दूध बाहर आ जाता तो यह सामान्य है। लेकिन अगर वह ज्यादा मात्रा में उलट रहा है तो यह प्रतिवाह सकता है, ऐसे में अपने डॉक्टर से मिलें ।

४. त्वचा का निकलना

यह सामान्य है और हर बच्चे में अलग अलग तरह से होता है। यदि बच्चे की त्वचा अलग तरह निकलने लगती है या उसकी त्वचा निशान पड़ने लगते हैं तो, ऐसी स्थिति में बच्चे को अपने डॉक्टर को दिखाएं ।

५. भेंगापन

शिशुओं को किसी चीज पर अपना ध्यान केंद्रित करने में संघर्ष करना पड़ता है और उनकी आंखों में भेंगापन/तिरछापन दिखाई देता है। यदि यह समस्या आपके बच्चे में लगातार बनी रहती है तो इसे डॉक्टर को दिखाएं।

६. चिड़चिड़ाना

शिशु नई दुनिया में खुद को समायोजित करने की कोशिश करते हैं। लेकिन अगर उनमें यह चिड़चिड़ापन बना रहता है तो हो सकता है कि बच्चे को किसी तरह की कोई परेशानी हो, इसलिए ऐसा होने पर आप डॉक्टर से सलाह लें ।

७. पीलिया

हालांकि बच्चे के पैदा होने के बाद के शुरुआती दिनों में आपको उनकी आँखों और त्वचा पर पीलापन दिखाई दे सकता है, यदि यह ज्यादा दिनों तक बना रहता है तो अपने डॉक्टर को बताएं।

८. आँख घूमना

नींद के दौरान, बच्चे अपनी आंखों को घुमाते है। यदि वह जागने के बाद भी ऐसा करना यह जारी रखते हैं, तो डॉक्टर से इसकी जाँच करवाना बहुत जरूरी है ।

९. आँखों में स्राव होना

यदि बच्चों की आँखों में थोड़ा चिपचिपापन है तो यह परेशानी वाली बात नहीं है जब तक की यह उनकी आँखों में आंसुओं को विकसित नहीं करता है। लेकिन यदि उनकी आँखों से पानी जैसा स्त्राव ज्यादा बनने लगे और आँखे सूजी हुई दिखाई देने लगे, तो इसका मतलब यह है कि बच्चे को संक्रमण हो सकता है।

बच्चे को अपनी बाहों में लेना एक खूबसूरत एहसास होता है जिसकी कोई तुलना नहीं की जा सकती है। अपने आप को खुश रखें और बच्चे के प्रति आवश्यक सावधानी बरतें, ताकि आपके बच्चे को पालने की यह यात्रा आपके लिए आसान और बेहद शानदार साबित हो।

समर नक़वी

Recent Posts

मिट्टी के खिलौने की कहानी | Clay Toys Story In Hindi

इस कहानी में एक कुम्हार के बारे में बताया गया है, जो गांव में मिट्टी…

19 hours ago

अकबर-बीरबल की कहानी: हरा घोड़ा | Akbar And Birbal Story: The Green Horse Story In Hindi

हमेशा की तरह बादशाह अकबर और बीरबल की यह कहानी भी मनोरंजन से भरी हुई…

19 hours ago

ब्यूटी और बीस्ट की कहानी l The Story Of Beauty And The Beast In Hindi

ब्यूटी और बीस्ट एक फ्रेंच परी कथा है जो 18वीं शताब्दी में गैब्रिएल-सुजैन बारबोट डी…

19 hours ago

गौरैया और घमंडी हाथी की कहानी | The Story Of Sparrow And Proud Elephant In Hindi

यह कहानी एक गौरैया चिड़िया और उसके पति की है, जो शांति से अपना जीवन…

1 week ago

गर्मी के मौसम पर निबंध (Essay On Summer Season In Hindi)

गर्मी का मौसम साल का सबसे गर्म मौसम होता है। बच्चों को ये मौसम बेहद…

1 week ago

दो लालची बिल्ली और बंदर की कहानी | The Two Cats And A Monkey Story In Hindi

दो लालची बिल्ली और एक बंदर की कहानी इस बारे में है कि दो लोगों…

2 weeks ago