शिशु

बच्चों को न दें ये 10 खाद्य पदार्थ

बच्चों को ठोस आहार खिलाने की शुरुआत करना उनके जीवन का एक बहुत बड़ा कदम होता है। अपने बच्चे की भोजन में रूचि विकसित करने हेतु आप उसे तरह-तरह के स्वादिष्ट पदार्थ खिलाने के बारे में सोचती होंगी। भले हर चीज मुँह में डालने की बच्चे की जिज्ञासा उसे कुछ भी खिलाने के लिए आपकी मददगार हो लेकिन शिशु को इस आयु में सभी तरह के खाद्य पदार्थ दिए जाएं ये जरूरी नहीं है।

शिशुओं का पाचन तंत्र नाज़ुक होता है और कुछ विशेष खाद्य पदार्थों से उस पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है जो उनके शरीर के अनुकूल नहीं हैं एवं जिससे कई तरह की फूड एलर्जी विकसित हो सकती है। एक नए माता-पिता के रूप में, आपको अपने बच्चे के लिए सुरक्षित और असुरक्षित भोजन की जानकारी होना आवश्यक है।

10 खाद्य पदार्थ जो शिशु को नहीं देने चाहिए

जैसे ही आपका बच्चा 6 महीने का होता है, उसे स्तनपान या फार्मूला दूध के अलावा कुछ ठोस भोजन देने का समय आ जाता है । यद्यपि यह समय आप और शिशु, दोनों के लिए अत्यंत उत्सुकता भरा होता है, तथापि बच्चे को रोचक लगने वाला प्रत्येक पदार्थ न खिलाएं । यहाँ उन खाद्य पदार्थों की सूची दी गई है, जिन्हें आपको अपने शिशु के आहार में बिल्कुल शामिल नहीं करना चाहिए:

1. शहद

यह मीठा भी है और पूरी तरह प्राकृतिक भी! फिर भी इसमें क्लोस्ट्रीडियम बोटुलिनम बैक्टीरिया के बीजाणु होने के आसार होते हैं, जिससे आगे घातक बैक्टीरियल संक्रमण होने की संभावना रहती है । इससे शिशु में सुस्ती, चूसने की कम शक्ति, कब्ज आदि भी हो सकता है। इसके अलावा बच्चे को गैस, जलन और और चक्कर आने के जैसी तकलीफ हो सकती है । 1 वर्ष से कम उम्र के शिशुओं में शहद के सेवन से दुर्लभ प्रकार का संक्रमण होने की संभावना होती है और इसीलिए एक अच्छी सलाह यह है कि पहला जन्मदिन मनाने तक अपने शिशु के लिए शहद से पूर्ण परहेज रखें।

2. गाय का दूध

जैसा कि व्यापक रूप से पता है, एक माँ का दूध उसके बच्चे के लिए सबसे अच्छा होता है। सभी पोषक तत्वों और एंजाइम के साथ, स्तनपान एक नन्हे शिशु के लिए एक पूर्ण स्वस्थ आहार है। गाय के दूध में लैक्टोज़ की मात्रा अधिक होती है, जो कि बच्चे के पेट को प्रभावित कर सकती है और उससे भी अधिक, इससे गुर्दे (किडनी) में भी विकार भी हो सकते हैं। कुछ मामलों में आँतों से खून बहना और आयरन की कमी के कारण एनीमिया भी देखा गया है।

3. नट और पीनट बटर

स्वादिष्ट, स्वस्थ और प्रोटीन से भरपूर पीनट बटर हर बच्चे का पसंदीदा होता है, लेकिन यह इस बात पर निर्भर करता है कि माता-पिता इसे कितनी जल्दी शुरू करना चाहते हैं। यदि परिवार में पहले ही मूंगफली से एलर्जी का इतिहास रहा है, तो शिशु का एलर्जी परीक्षण करवाना एक अच्छा सुझाव होगा। पीनट बटर, जो कि गले में चिपकने से घुटन का कारण बन सकता है, चार वर्ष से कम आयु के बच्चों को पूरी तरह मैश करके देना चाहिए ।

4. सी फूड और शेलफिश

समुद्री भोजन और विशेष रूप से शेलफिश जैसे झींगा, लॉबस्टर, आदि से शिशुओं को एलर्जी हो सकती है जब तक वे कम से कम एक वर्ष के नहीं हो जाते। उपर्युक्त खाद्य पदार्थों में पारा की मात्रा एक से कम उम्र के बच्चों द्वारा सेवन किए जाने के हिसाब से बहुत अधिक होती है। यदि आप फिर भी अपने बच्चे को समुद्री भोजन खिलाना चाहती हैं, तो आप सफेद मछली जैसे कॉड, फ्लाउंडर, आदि से शुरुआत कर सकती हैं। ध्यान रहे कि ये भी सप्ताह में एक बार से अधिक नहीं। बेहतर है कि किसी भी एलर्जी से बचने के लिए सी फूड की शुरुआत के पहले अपने डॉक्टर से सलाह ले लें।

5. चॉकलेट

चॉकलेट शिशुओं के लिए सबसे असुरक्षित खाद्य पदार्थों में से एक है क्योंकि इसमें कैफीन होता है। आप अपने शिशु को कभी भी कैफीन नहीं खिलाना चाहेंगी, है ना? ठोस पदार्थ पचाना बच्चों का उनके पहले वर्ष में एक और विकास का पड़ाव होता है और आपको यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि आपका शिशु पेट की परेशानी से दूर रहें। इसके अलावा चॉकलेट में बहुत सारी चीनी भी होती है। जब तक आपका बच्चा एक वर्ष का पूर्ण न हो जाए, तब तक चॉकलेट खिलाने के लिए प्रतीक्षा करें ।

6. अंडे का सफेद भाग

अंडे का सफेद भाग, जब बच्चे द्वारा सीमित मात्रा में लिया जाए, तो विटामिन, प्रोटीन और खनिजों से परिपूर्ण आहार हो सकता है। तथापि अत्यंत छोटी उम्र में शिशुओं द्वारा अंडे का सफेद भाग सेवन करने से उन्हें अंडे से एलर्जी विकसित होने का खतरा होता है । यह जलन, चकत्ते और यहाँ तक कि पाचन तंत्र में गड़बड़ी और दस्त का कारण बन सकता है।

7. फलों के डिब्बाबंद जूस

फलों के रस में एक साथ कई पोषक तत्व होते हैं। हालांकि डिब्बाबंद और टेट्रा पैक में आने वाले फलों के जूस में प्रिजर्वेटिव्स होते हैं । यही प्रमुख कारण है इसे शिशुओं को देने से बचना चाहिए। इसके अतिरिक्त बच्चे को ताजे फलों के रस की शुरुआत करने से पहले एक बालरोग विशेषज्ञ से परामर्श करने की पुरजोर सलाह दी जाती है ।

8. बेरीज़ / खट्टे फल

स्ट्रॉबेरी, ब्लूबेरी, ब्लैकबेरी, रास्पबेरी और अन्य सभी खट्टे फलों में उच्च मात्रा में प्रोटीन होता है जो बच्चों को पचाने में मुश्किल होता है । खट्टे फलों में प्रमुख रूप से एसिड होता है जिससे पेट में गड़बड़ हो सकती है और यहाँ तक कि शरीर के निचले हिस्से में चकत्ते उत्पन्न हो सकते हैं । एक अच्छा सुझाव यह है कि लगभग एक वर्ष तक प्रतीक्षा करें या फिर फलों का रस निकालकर और उसमें पानी मिलाकर उसे पतला कर लें ।

9. गेहूँ

एक और एलर्जी कारक, यह सुझाव दिया जाता है कि आपको अपने बच्चे को गेहूँ से बना कोई भी भोजन खिलाने से बचना चाहिए। ऐसा कम से कम तब तक करने का सुझाव दिया जाता है जब तक कि बच्चा एक साल का न हो जाए। इससे परहेज करने का एक और प्रमुख कारण यह हैं कि गेहूँ में लासा होता है, जो एक प्रोटीन है, जो शिशुओं के पेट की परेशानी का कारण बन सकता है। साथ ही, एलर्जी के किसी भी लक्षण पर बालरोग विशेषज्ञ से परामर्श करने का सुझाव दिया जाता हैं।

10. कच्ची सब्जियां

कच्ची सब्जियां गले में अटकने का बहुत खतरा होता है! आपको उन खाद्य पदार्थों के बारे में सावधान रहने की आवश्यकता है जो शिशुओं के लिए असुरक्षित हैं। सब्जियां जैसे बीट, काहू, सौंफ आदि में उच्च मात्रा में नाइट्रेट होते हैं जो बच्चे को कम उम्र में पचाने में मुश्किल होते हैं। एक साल से कम के शिशुओं में पेट का अम्ल कमजोर होता हैं, जो नाइट्रेट को तोड़ नहीं पाता जिसके कारण वो शरीर के सभी भागों में रक्त को पहुँचाने की रक्त की क्षमता को अवरुद्ध करते हैं। सबसे खराब परिणाम ब्लू बेबी लक्षण हो सकता हैं जिसमें शिशु के शरीर में ऑक्सीजन का स्तर अत्यधिक निम्न स्तर पर पहुँच जाता है ।

ये संकलन व्यक्तिपरक हैं। प्रत्येक शिशु का आहार और पाचन तंत्र उसकी शारीरिक प्रकृति पर निर्भर करता है। यह सुझाव दिया जाता है कि यदि आप नहीं चाहते हैं कि आपका बच्चा पेट में गड़बड़ का शिकार बने, तो आपको निश्चित रूप से बालरोग विशेषज्ञ से परामर्श करना चाहिए जो आपको सही खाद्य पदार्थ चुनने में सहायता कर सकते हैं और शिशुओं को परहेज करने वाले खाद्य पदार्थों की जानकारी भी दे सकते हैं।

श्रेयसी चाफेकर

Recent Posts

अच्छी आदतों पर निबंध (Essay On Good Habits in Hindi)

छोटे बच्चों के लिए निबंध लिखना एक बहुत उपयोगी काम है। इससे बच्चों में सोचने…

6 hours ago

कक्षा 1 के बच्चों के लिए मेरा प्रिय मित्र पर निबंध (My Best Friend Essay For Class 1 in Hindi)

बच्चों के लिए निबंध लिखना बहुत उपयोगी होता है क्योंकि इससे वे अपने विचारों को…

9 hours ago

मेरा प्रिय खेल पर निबंध (Essay On My Favourite Game In Hindi)

खेल हमारे जीवन में बहुत अहम भूमिका निभाते हैं। ये न सिर्फ मनोरंजन का साधन…

2 days ago

पुस्तकों के महत्व पर निबंध (Essay On Importance Of Books In Hindi)

पुस्तकें सीखने, जानने, समझने और आत्मविश्वास बढ़ाने का सबसे आदर्श पर्याय मानी जाती हैं। ये…

3 days ago

कक्षा 2 के बच्चों के लिए मेरी माँ पर निबंध (My Mother Essay For Class 2 in Hindi)

बच्चों के लिए निबंध लिखना एक बहुत ही मजेदार और सीखने वाली गतिविधि होती है।…

3 days ago

कक्षा 1 के बच्चों के लिए मेरा परिचय पर निबंध (Essay On Myself For Class 1 In Hindi )

निबंध लेखन बच्चों के लिए एक महत्वपूर्ण एक्टिविटी होती है। इससे बच्चों की रचनात्मक लेखन…

4 days ago