शिशु

15 सप्ताह का बच्चा – विकास, पड़ाव और देखभाल

आपका बच्चा अब 15 सप्ताह का हो गया है और अब आपको उसकी दिनचर्या बदलने की थोड़ी जरूरत है। आपको अपने बच्चे को कैसे पालना चाहिए, अब तक आपको इसके ढेरों सुझाव अपने दोस्तों और परिवार के लोगों से मिले होंगे और अब आप काफी हद तक समझ चुकी होंगी की आपको अपने बच्चे की देखभाल कैसे करनी है। आपका 15 सप्ताह का बच्चा तरह-तरह की आवाजें निकालना शुरू कर देगा और परिवार के लोगों के साथ बातचीत करने की पूरी कोशिश करेगा। 15 सप्ताह यानी 4 महीने और इस दौरान आपके बच्चे ने अलग-अलग कई के विकास किए हैं। लेकिन 15 सप्ताह के शिशु में वह विकास किस प्रकार हैं, यह जानने के लिए इस लेख को पढ़ें। 

15 सप्ताह के बच्चे का विकास

  • आपका बच्चा अब अपने शरीर के भार को संभालने में सक्षम है और अब वह अपने शरीर की ताकत का इस्तेमाल करते हुए घुटनों के बल चलने की कोशिश करेगा, खुद से करवट लेने लगेगा, पेट के बल आराम से लेट सकेगा आदि। हालांकि, कुछ शिशुओं को अभी भी हल्के से सहारे की जरूरत होती है, लेकिन इन सब गतिविधियों को करने के लिए अपने बच्चे को हमेशा प्रोत्साहित करती रहें।
  • आपका 15 सप्ताह का बच्चा अपने सिर को इधर-उधर घुमाने में सक्षम है, आप जहाँ-जहाँ जाएंगी वह आपको देखने की कोशिश करेगा और साथ ही आवाजों के आने पर भी प्रतिक्रिया देगा ।
  • बच्चे की दृष्टि में पहले से बहुत सुधार होगा और अब उसकी सभी इंद्रियां बेहतर तरीके से काम करेंगी, जो एक साथ मिलकर शरीर को सामान रूप से चलाने के लिए समन्वय बैठाने में मदद करेगी। इस प्रकार बच्चा फूल को पहचानने के साथ-साथ उसकी खुशबू भी पहचान सकेगा ।
  • विभिन्न रंगों को देखना, आकृतियों में अंतर को समझना शुरू कर देगा, यह सभी संकेत बताते हैं कि बच्चे का मस्तिष्क सही से विकास कर रहा है।
  • आपका बच्चा अपने हाथों से खिलौने को पकड़ने की कोशिश करेगा क्योंकि वह अपने शरीर के अंगों के प्रयोग को धीरे-धीरे समझ रहा है।
  • इस उम्र में बच्चों को खुद को दर्पण (शीशे) में देखना बहुत अच्छा लगता है वह अपने आप को शीशे में घूरेंगे और अपने हाथ पैर चलाने की कोशिश करेंगे । इस प्रकार उनके शरीर और आँखों के समन्वय को बढ़ावा मिलेगा।

स्तनपान

आपके बच्चे के 15 सप्ताह के होने शायद आपको ऐसा लगे कि आप उन्हें पूरी तरह समझने लगी हैं, हालांकि जैसे जैसे आपका बच्चा बढ़ने लगेगा उसका व्यवहार भी बदलने लगेगा। जैसे तेजी से उसके मस्तिष्क का विकास हो रहा है वैसे-वैसे उसकी बात करने की क्षमता भी बेहतर होती जाती है। हो सकता है कभी आपका बच्चा ठीक से दूध पीना चाहे तो कभी हो सकता है कि वह दूध पीने के साथ-साथ खेलना भी चाहे। यह भी संभव है कि वह थोड़ा सा दूध पीकर झपकी ले और जागने के बाद दोबारा दूध की मांग करे। बच्चों में नई चीज के प्रति बढ़ती जिज्ञासा के कारण उनका ध्यान दूध पीने से ज्यादा दूसरी चीजों की ओर होगा, ऐसे में उनका दूध पीने की ओर से ध्यान हट सकता है । ऐसा मुमकिन है कि बच्चा दूध पीने से इंकार कर दे या फिर जबरदस्ती दूध पिलाने पर वह इसे बाहर उगल दे ।   

आपके बच्चे का ध्यान पल भर में भटक सकता है और उनमें इतना धीरज नहीं है कि वह अपना खाना पूरा खत्म करें जो बहुत जरूरी है । इसलिए दूध पिलाते वक्त अपने बच्चे को इस तरह से गोद में लें कि वह ज्यादा इधर-उधर न देख पाए इससे उनका ध्यान नहीं भटकेगा और वह ठीक से दूध पी सकेंगे। आप बच्चे को दूध पिलाते समय उन्हें गाना गा कर सुनाएं या फिर गुनगुनाती रहे ताकि वह दूध पीते-पीते ऊबे नहीं। आपको बच्चे को रात में दूध पिलाने के लिए जागना पड़ सकता है, जिसमें बच्चा सोना नहीं चाहता है और बार-बार दूध पीने की मांग करता है। यदि आप उसे नहीं देंगी तो वह रोना चालू कर सकता है।यह उन बच्चों पर भी लागू होता है जो बोतल से दूध पीते हैं।

सोना

आपके 15 सप्ताह के बच्चे की नींद का शेड्यूल इस समय थोड़ा बिगड़ सकता है, लेकिन इस बात का ख्याल रहे कि बच्चे को उसकी पूरी नींद अच्छे से मिले। इस समय आपके बच्चे को 15 घंटे की नींद की जरूरत होती है । बच्चे को सुलाने के लिए आप उसे अपने हाथों पर उठा कर लोरी सुनाते हुए अपने बिस्तर पर सुलाएं । रात में सोते वक्त अपने बच्चे के पास ही लेटें ताकि जब वह जागे तो आप उसे दूध पिला सकें और उसकी भूख को शांत कर सकें। यदि आपका बच्चा रात में दूध पीने के बाद सोने से इनकार करता है, तो आप उसके शिड्यूल को थोड़ा फेर बदल कर सकती हैं, आप उन्हें मालिश करके या उन्हें नहला सकती हैं। इससे बच्चा शांत महसूस करेगा और उसे गहरी नींद में सोने में मदद मिलेगी। बच्चे के सोने के समय ज्यादा बातें या उनके पसंदीदा गाने न गाएं इससे वह उत्तेजित हो सकते हैं और उनकी नींद खराब हो सकती है ।  आप उन्हें लोरी सुनाकर सुला सकती हैं । आप बच्चे को सुलाने के लिए प्रैम का सहारा ले सकती हैं लेकिन अगर आपके आस पड़ोस में बहुत शोर-शराबा हो उन्हें बाहर ले जाने से बचे।

15 सप्ताह के शिशु के लिए देखभाल के टिप्स

15 सप्ताह तक आते-आते आप देखेंगी की आपके बच्चे में कई सारे बदलाव आए हैं और अब आपको अपने बच्चे पर और ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि अब वह धीरे-धीरे चलना और घूमना सीख गया हैं । यहाँ आपको अपने बच्चे का ख्याल रखने के लिए कुछ सुझाव दिए गए हैं।

  • आपका बच्चा इधर-उधर लुढ़कने लगेगा, इसलिए ख्याल रखें कि अपने बच्चे को अकेला न छोड़ें और अगर कुछ मिनट के लिए छोड़ती भी हैं तो उन्हें कोई ऐसी मजेदार एक्टिविटी करने को दें ताकि वह उसमें व्यस्त रहे, लेकिन फिर भी बेड के चारों ओर सपोर्टर लगा होना चाहिए ताकि बच्चा गिरे नहीं ।
  • अपने बच्चे को पेट के बल न सुलाएं ।
  • आपका बच्चा लार गिराना शुरू कर देगा, इसलिए हर समय उसका मुँह साफ करती रहे। बच्चे का अत्यधिक लार टपकना हमेशा दाँत निकलने का संकेत हो सकता है।अपने बच्चे में दाँत निकलने के लक्षण की जाँच करती रहे ।

जाँच और टीकाकरण

बच्चों को ज्यादातर पहले और दूसरे सप्ताह में जरूरी टीके लगा दिए जाते हैं और अगर यह आपके बच्चे को ठीक से लगाए गए हैं तो अब  किसी अन्य टीकाकरण की आवश्यकता नहीं है।

खेल और गतिविधियां

बच्चे आपको देखकर बहुत कुछ सीखते हैं। यदि आप अपने रिश्तेदारों या दोस्तों से फोन पर बात कर रही हैं, तो वे आपको ओर देखना शुरु कर देंगे और आपके साथ बातचीत करने की कोशिश भी करेंगे। यदि संभव हो, तो बच्चे को खेलने के लिए एक खिलौने का टेलीफोन लाकर दें। आप अपने कान पर हाथ रखें जैसे आप फोन पर बात करती हैं ठीक उसी तरह अपने बच्चे से भी बात से भी बात करें। यदि आपका बच्चा प्रतिक्रिया देना, शुरु कर देता है, तो यह एक अच्छी बात है।  

आपका बच्चा चमकती हुई चीजों की ओर ज्यादा आकर्षित होता है, जैसे टोर्च की रोशनी, आप जब टोर्च की रोशनी दीवार पर डालेंगी तो यह प्रतिबिंब की तरह दिखाई पड़ेगा जिसे आपका बच्चा देखकर उत्साहित जाएगा। आप अलग-अलग जानवर का प्रतिबिंब बनाकर और उनकी आवाजें साथ में निकालकर बच्चे के साथ खेल सकती हैं ।   

चिकित्सक से परामर्श कब करें

यदि आपके 15-सप्ताह के बच्चे का चिड़चिड़ाना बढ़ रहा है और वह शांत नही हो रहा, लगातार रो रहा है, तो उसे कुछ परेशानी हो सकती है जिसकी डॉक्टर से जाँच कराने की आवश्यकता होगी।

अधिकांश बच्चे इस उम्र में घुलटने का प्रयास करते हैं। यदि आपका शिशु ऐसा नहीं कर रहा है, तो आपको अपने डॉक्टर से इस विषय पर बात करनी चाहिए ।

यह आमतौर पर वह उम्र होती है, जब अधिकांश माता-पिता इस बारे में बात करना शुरू कर देते हैं कि उनका बच्चा कितनी जल्दी बड़ा हो रहा है और उनमें विकास के सभी लक्षण जाहिर हो रहे हैं । यदि आपको अपने बच्चे में उनके विकास के लक्षण नहीं नजर आ रहे हैं, तो ज्यादा चिंता न करें। हर बच्चे का विकास अपनी अलग-अलग गति से होता है लेकिन फिर भी आप एक बार अपने डॉक्टर से इस विषय पर जरूर बात कर लें।

समर नक़वी

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