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जैसे ही आप गर्भवती होती हैं, आपको ज्यादा खाने के लिए समझाया जाता है, हालांकि , कहावत “दो के लिए खाओ” माँ बनने जा रही महिला के लिए सच नहीं है। गर्भवती होने का मतलब यह नहीं है कि आपको जरूरत से ज्यादा खाना चाहिए, बल्कि यह कि आपको अपने और बढ़ते बच्चे के लिए पोषक तत्वों की अतिरिक्त आवश्यकता को पूरा करने के लिए संतुलित आहार का सेवन करना चाहिए। सब्जियों और फलों के बिना आपका आहार चार्ट अधूरा है। यदि आप सब्जियों और फलों का अपेक्षित मात्रा में सेवन नहीं करती हैं, तो आपका शरीर बच्चे के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की जरूरत को पूरा नहीं कर पाएगा। आइए, गर्भावस्था के दौरान फलों के महत्व को देखें कि, आपको उन्हें अपने दैनिक आहार में शामिल करने के लिए सचेतन प्रायस क्यों करना चाहिए।
दिलचस्प बात यह है कि कनाडा में बाल विकास विशेषज्ञों ने हाल ही में पाया है कि गर्भावस्था के दौरान अधिक फलों का सेवन करने वाली महिलाओं द्वारा जन्म दिए गए बच्चों ने 12 महीने की उम्र में उन पर किए गए विकास परीक्षण में बेहतर परिणाम दिखाए।
फल आपके आहार का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं, और विटामिन, फाइबर और खनिजों से भरपूर फल खाने से माँ और बढ़ते बच्चे को पोषण मिलता है। फलों में से कुछ प्रमुख पोषक तत्व प्राप्त होते हैं, और वे आपको और बच्चे को निम्नलिखित तरीकों से मदद कर सकते हैं:
गर्भावस्था में अपने दैनिक आहार के हिस्से के रूप में निम्न फलों को खाना बुद्धिमानी है :
केला फलों की सूची में सबसे ऊपर है क्योंकि इसमें फोलेट, विटामिन सी, बी 6, पोटेशियम और मैग्नीशियम जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व होते हैं। फोलेट न्यूरल ट्यूब दोष से भ्रूण की रक्षा करने का काम करता है और विटामिन बी 6 आपके सोडियम के स्तर को संतुलित करने में मदद करता है। असंतुलित द्रव का स्तर गर्भवती महिलाओं में मतली और उल्टी का कारण बन सकता है, लेकिन केले में मैग्नीशियम भरपूर माात्रा में मौजूद है जो उपयुक्त तरल पदार्थ का संतुलन सुनिश्चित करता है । आमतौर पर, आपके पहले त्रैमासिक अवधि के दौरान हर दिन एक केला खाने की सिफारिश की जाती है।
कीवी इस सूची में दूसरे स्थान पर है क्योंकि यह विटामिन सी, ई, ए, पोटेशियम, फास्फोरस, मैग्नीशियम, फोलिक एसिड और आहार फाइबर जैसे पोषक तत्वों से भरा हुआ है। कीवी श्वसन प्रणाली पर स्वास्थ्यप्रद प्रभाव डालती है। कीवी आपको सर्दी और खांसी से बचाने में भी मदद करती हैं। यह रक्त के थक्के बनने के जोखिम को कम करती हैं, क्योंकि कीवी में फॉस्फोरस की मात्रा अधिक होती है और यह लौह को अवशोषित करने में मदद करती है।
इसमें मौजूद पोषक तत्वों के कारण गर्भवती महिलाओं को इन्हें जरूर खाना चाहिए। यह विटामिन सी, ई, आइसो–फ्लेवोनोइड्स, कैरोटेनॉयड्स और पॉलीफेनोल्स से भरपूर है। अमरूद पाचन को भी ठीक करता है और बच्चे के तंत्रिका तंत्र को शक्ति प्रदान करता है।
गर्भवती होने के दौरान खाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण फलों में से यह एक है क्योंकि इसे खाने से आपके बच्चे की प्रतिरक्षा और शक्ति में वृद्धि होती है। जैसे जैसे बच्चा बढ़ता है यह आपके बच्चे में घरघराहट, अस्थमा और एक्जिमा के खतरे को कम करता है। सेब पोषक तत्वों से भरपूर होता है और इसमें विटामिन ए, ई और डी और जिंक हैं।
नाशपाती सेब के समान ही है और इसमें उच्च मात्रा में फोलिक एसिड होता है। यह विटामिन सी का एक समृद्ध स्रोत भी है।
ये विटामिन ए औऱ सी से भरपूर होते हैं और इस कारण बढ़ते बच्चे की आंखें बाल,त्वचा और शरीर के ऊतकों के लिए जरूरी होते हैं। इस मौसमी फल को खाने की अनुशंसा की जाती है क्योंकि यह आपके बच्चे के संज्ञानात्मक विकास को सुधारता है।
अनार में कैल्शियम, फोलेट, लोह, प्रोटीन और विटामिन सी मौजूद है। इसलिए, गर्भावस्था के दौरान इसे खाने की ज़ोर देकर अनुशंसा की जाती है।
यह अन्य फलों की तुलना में अधिक मात्रा में फोलेट मौजूद होने के लिए जाना जाता है। ये विटामिन सी, बी और के का भी एक बेहतरीन स्रोत हैं, और इनमें फाइबर, कोलीन, मैग्नीशियम और पोटेशियम होते हैं। एवोकाडो में लौह भी होता है। कोलीन आपके बच्चे के मस्तिष्क और तंत्रिका विकास के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि कोलिन की कमी बच्चे की याददाश्त को प्रभावित कर सकती है।
आम में विटामिन सी की उच्च मात्रा होती है जो पाचन में मदद करती है, कब्ज को रोकती है और आपको मामूली संक्रमणों से बचाती है। हालांकि, आम मौसमी फल हैं और हर मौसम में उपलब्ध नहीं होते हैं।
चेरी विटामिन सी से भरपूर होती हैं, और यह आम तौर पर सर्दी जैसे संक्रमण से लड़ने में मदद करती है। चेरी प्लेसेन्टा में रक्त की पर्याप्त आपूर्ति भी सुनिश्चित करती है।
स्ट्रॉबेरी विटामिन, फाइबर और फोलेट से भरपूर होती है। इनमें मैंगनीज और पोटेशियम भी होता है जो आपके बच्चे की मजबूत हड्डियों के विकास में सहायता करते हैं।
तरबूज में विटामिन ए, सी, बी 6, मैग्नीशियम और पोटेशियम होते हैं। खनिजों से भरे, ये फाइबर में भी समृद्ध हैं। अपने आहार में तरबूज को शामिल करें, विशेष रूप से गर्भधारण की अंतिम तिमाही में, क्योंकि यह छाटी में जलन तथा हाथ और पैरों में सूजन (एडिमा) से राहत देने में मदद करता है और मांसपेशियों की ऐंठन को कम करता है।
चीकू इलेक्ट्रोलाइट्स, विटामिन ए, कार्बोहाइड्रेट और ऊर्जा से भरपूर होते हैं। यह चक्कर आने और मतली को कम करने के अलावा आपके आंत्र विकार को भी कम करने में मदद करते हैं।
ब्लूबेरी विटामिन सी, फोलेट, कैल्शियम और फाइबर में समृद्ध होती हैं। जब आप इन्हें खरीदें, तो यह देख लें कि वे ऑर्गेनिक किस्में हों जिनमें कीटनाशक नहीं होने चाहिए।
यह रसदार फल पोटेशियम का एक अच्छा स्रोत है और उच्च रक्तचाप को कम करने में मदद करता है।
अंगूर ग्लूकोज, फ्रक्टोज, फ्फेलोबाफेन, गैलिक एसिड, सिलिसिक एसिड, ऑक्जेलिक एसिड, पेक्टिन, मैग्नीशियम, कैल्शियम, लोह, फोलिक एसिड और विभिन्न प्रकार के विटामिन जैसे बी 1, बी 2, और बी 6 जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं।
अधिकांश फल पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं, परन्तु उनमें से कुछ, जैसे कि काले अंगूर, पपीता और अनानास का गर्भावस्था में सेवन करने से निम्न कारणों से बचा जाना चाहिए :
पपीता: कच्चे या अर्ध–पके पपीते में लेटेक्स ज्यादा होने के कारण गर्भाशय के संकुचन शुरू हो सकते हैं और प्रसव समय के पहले हो सकता है। आखिरी तिमाही में इनको खाने से बचें।
काले अंगूर: पहली तिमाही में काले अंगूरों से परहेज करें क्योंकि ये शरीर में गर्मी पैदा करते हैं जो बच्चे के लिए हानिकारक हो सकते हैं।
अनानास: अनानास में ब्रोमेलैन होता है जो गर्भाशय ग्रीवा को नरम कर सकता है और समय से पहले प्रसव होने का कारण बन सकता है।
खजूर: खजूर गर्भाशय की मांसपेशियों को उत्तेजित करता है और शरीर में गर्मी उत्पन्न करता है। इनका अधिक मात्रा में सेवन करने से बचें।
आपको सलाह दी जाती है कि आप हर दिन अपने आहार में दो से चार फलों की सर्विंग शामिल करें। आप उन्हें ताजा खा सकते हैं, डिब्बाबंद फल ले सकते हैं, जूस या सूखे रूप में भी सेवन कर सकते हैं, लेकिन जितना संभव हो उतना ताजा फल लेने की कोशिश करें। कुछ फल, जो केवल एक ही पर्याप्त होते हैं, जैसे कि सेब, केला या नाशपाती, उनका :
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