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शिशु को उसके जन्म के बाद से 17 सप्ताह का होते हुए देखना, सच में बेहद हैरान कर देने वाला होता क्योंकि बच्चे में उसके जन्म से लेकर अब तक में बहुत सारे बदलाव आ जाते हैं। जब आपका शिशु नवजात था, तो बहुत मुश्किल से केवल अपनी ऑंखें ही खोल पाता था, लेकिन अब जब वह 17 सप्ताह का हो गया है, तो वह अनेक प्रकार की चीजें करने लगा है, तरह-तरह की आवाजें निकालने लगा है और अपने आसपास की मौजूद चीजों को जानने व समझने की कोशिश करने लगा है। यह सारी गतिविधियों से जाहिर होता है कि आपका बच्चा तेजी से विकास कर रहा है।
इस चरण में भी, आपके शिशु का विकास पूरी तरह से जारी है। जब 17 सप्ताह का शिशु असंख्य गतिविधियाँ करना शुरू कर देगा तो उसके विकास की वृद्धि स्वयं ही दिखाई देने लग जाएगी। जिन दृश्यों को वह देख सकता है और जो ध्वनियाँ वह सुन सकता है उन्हें ग्रहण करके, उसका मस्तिष्क जीवन की जटिलताओं को समझने के लिए स्वयं को तैयार कर रहा होगा। यह मानसिक विकास चक्र आपके शिशु को बेहतर संवाद करने और साथ ही चलने की कोशिश करने के लिए तैयार करते हैं। और जब यह सब उसके साथ हो रहा होता है, वह अपनी भावनाओं को दूसरों के साथ साझा करने और यथासंभव उनके साथ बातचीत करने के लिए उत्सुक होता है।
यदि आपके बच्चे का ध्यान किसी भी आवाज या नई चीजों को देखने पर भटक जाता है, तो फिर ऐसे में बच्चे को ठीक से दूध पिलाना बहुत मुश्किल हो जाता है । इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपका शिशु स्तनपान पर निर्भर है या बोतल से दूध पीता है । वह जब भी कोई आकर्षक वस्तु को देखता है या अपने आसपास विभिन्न प्रकार की आवाजें सुनता है तो ध्यान दूध पीने से हटाकर उस वस्तु की ओर चला जाता है, एक बार उनका ध्यान भटक गया तो फिर वह दोबारा दूध पीने से इंकार कर देता है । यदि आप उन्हें जबरस्दस्ती दूध पिलाने की कोशिश करेंगी तो चिड़चिड़े होने लगेंगे । इसलिए यह बहुत जरूरी है कि जब बच्चा दूध पी रहा हो तो उसे ऐसी जगह बैठ कर दूध पिलाएं जहाँ उनका ध्यान कम भटके। बच्चे को दूध पिलाने के लिए एक ऐसा कमरा चुने जहाँ शांति हो। इसी प्रकार, यदि आपके पड़ोस में दिनभर शोर रहता है, तो वह दिन की अपेक्षा शाम और रात को, जब माहौल शांत रहता है उस वक्त ज्यादा देर तक स्तनपान कराने की कोशिश करें।
यदि दूध पिलाना एक चुनौती है, तो उसकी तुलना में शिशु को सुलाना उससे भी बड़ा कठिन काम होगा। 17 सप्ताह के शिशु की नींद का चक्र अभी तक व्यवस्थित नहीं होता है और किसी भी विकर्षण या प्रोत्साहन के कारण वे उत्तेजित हो जाते हैं और जिससे उनकी नींद गायब सकती है। यह आमतौर पर उस समय होता है जब ज्यादातर माएं दिन या रात में किसी भी वक्त आराम से सो जाती हैं। जरूरी नहीं है कि जब बच्चे देर तक सोए तभी उसकी नींद पूरी होती है। कभी-कभी, शिशु कुछ ही घंटे सोते है लेकिन अपनी पर्याप्त नींद लेते हैं। अपने बच्चे को किसी भी ऐसी चीज से दूर रखें जो उनकी नींद में बांधा डाल सकती है, आप बच्चे को लोरी सुनाकर या हल्का संगीत बजाकर सुलाने की कोशिश करें। बच्चे को जब भी सुलाना हो शांति से गोद में लेकर टहलाएं, यह उन्हें सुलाने का काफी अच्छा तरीका है । बच्चों का सोते समय ज्यादा हिलना-डुलना उनकी नींद खराब कर सकता है इसलिए आप उन्हें एक कपड़े में हल्के से लपेट दें । हालांकि अब वह संभवतः धीरे-धीरे अपने हाथों और पैरों को बाहर निकालने में सक्षम हो सकते हैं ।
17 सप्ताह में, केवल वही टीकाकरण आवश्यक हैं जो पहले छूट गए हैं। यदि उन सभी टीकों को सफलतापूर्वक लगा दिया गया है, तो इस सप्ताह में उन्हें किसी टीकाकरण की जरूरत नहीं है।
आपके बच्चे को अब लोगों और चीजों की काफी पहचान होने लगी है । वह कई घंटों तक आपके चेहरे की बनावट को करीब से अवलोकन करने के बाद आपकी तस्वीर को अपनी स्मृति में बसा लेता है। आपकी आवाज का लहजा, आपके देखने और मुस्कुराने का तरीका, ये सभी आपकी पहचान बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। अब वह पहले की तुलना में ज्यादा अजीब-अजीब चेहरे बनाना और हास्यजनक आवाजें निकालना शुरू कर देंगे । बच्चा चीजें और सही ढंग से समझ पाए इसके लिए आप उन्हें अलग-अलग तरह के बर्तन, खिलौने या अन्य वस्तुएं को स्पर्श करने को दें, ताकि वो चीजों को और भी अच्छी तरह से समझ सकें। अपने बच्चे के साथ लुका-छिपी का खेल खेलें, उनके साथ मिलाकर अलग-अलग आवाजें निकालें। यह सब आपके लाडले के लिए बहुत मनोरंजक होगा और उसे यह सब करने में बहुत मजा आएगा। अब आपका शिशु ठीक से बैठने में सक्षम है, इसलिए वह आपके साथ बैठकर भी खेल सकता है। आप अपने बच्चे के साथ एक नाव चलाने का अभ्यास कर सकती हैं। इससे शिशु की भुजाओं का व्यायाम होता है और साथ ही पीठ के बल शरीर को सहारा देना में मदद करता है। अपने शिशु को बेड पर बैठने दें और यदि उसे सहारे की आवश्यकता हो तो उसके पीछे तकिया रख दें। फिर, शिशु के बाजुओं को अपने हाथों में पकड़ें और उन्हें बारी-बारी से आगे पीछे खींचे। आप बच्चे गाने सुनाएं या फिर नर्सरी की कविता भी गा कर सुना सकती हैं।
संभवतः आपका शिशु सामान्य रूप से प्रगति कर रहा होगा और सही समय पर सभी विकासक्रम को पार कर रहा होगा। लेकिन कुछ मामलों में ऐसा हो सकता है कि आपको अपने बच्चे के लिए डॉक्टर से परामर्श करने की जरूरत पड़े। जब आपका बच्चा बैठने या पलटने की कोशिश करे, लेकिन वह ऐसा करने में नाकाम हो जाए या खुद के शरीर के भार को संभाल नहीं पा रहा हो या अभी भी सिर स्थिर नहीं रहता हो, तो संभावना है कि उसका विकास ठीक तरह से नहीं हो रहा है जैसे कि होना चाहिए । ऐसे हालात में आपको तुरंत अपने डॉक्टर से मिलना चाहिए। इसके अलावा, ज्यादातर बच्चे आवाजों और विभिन्न स्वरों को सुनने पर प्रतिक्रिया देने में सक्षम होते हैं। हर बार जब आप अपने बच्चे को उसके नाम से बुलाती हैं चाहे वह उस समय दूध पी रहा हो, नहा रहा हो या आवाजें निकाल रहा हो।वह आपकी आवाज पर प्रतिक्रिया जरूर देगा। वे अपनी भावनाओं को आपके सामने व्यक्त करने के लिए किलकारी मारना, हँसना या पैर पटकना आदि शुरू कर देता है। चाहे आप कितनी बार भी उसे पुकारें वह हर बार आपको अलग-अलग प्रकार प्रतिक्रिया देगा । यदि आपका बच्चा आपकी आवाज पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देता है, तो उसकी संवेदी धारणा या मानसिक विकास में कुछ समस्या हो सकती हैं। इन दोनों मामलों की जाँच कराने के लिए अपने बाल रोग विशेषज्ञ को दिखाएं। अपने बच्चे के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताएं यह आप और आपके बच्चे के बीच के संबंध को और मजबूत करेगा। वह आपको पहले से कहीं ज्यादा पहचानने लगेगा और आपकी बातों पर प्रतिक्रिया भी देगा। अपने बच्चे के साथ बिताए यह अद्भुत क्षण हर माँ के लिए बहुत खास होते हैं । जैसे-जैसे आपका बच्चा बड़ा होता है, वैसे-वैसे उनकी नटखट शरारतें बढ़ने लगेंगी और आपका सारा वक्त उनके पीछे-पीछे दौड़ते ही गुजरेगा।
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