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कल्पना करें कि आप एक ऐसी दुनिया में हैं जो बिल्कुल शांत, आरामदायक और गर्म है । फिर अचानक से आप ऐसी जगह जाते हैं जहाँ ठंड है, गर्मी भी है, हवा है, शोर है और भूख भी महसूस होने लगी है। जी हाँ! ऐसा ही कुछ एक शिशु के उसके पैदा होने के बाद होता है और इन सारी चीजों से उन्हें गुजरना पड़ता है। उनके लिए भी गर्भ से बाहर की दुनिया अलग है और वह यहाँ आते ही वातावरण को समझना शुरू कर देता है । माता–पिता के रूप में आप हमेशा अपने बच्चे के साथ रहते हैं और आपसे बेहतर उनके विकास के बारे में कोई नहीं जान सकता है, क्योंकि आप बच्चे की सारी हरकतों पर नजर रखती हैं कि क्या वह सही रूप विकास कर रहा है या नहीं ।
2 सप्ताह के बच्चे का विकास
यदि आपके बच्चे को किसी चीज की जरूरत है तो, सबसे पहले वह अपनी बात समझाने के लिए रोने का सहारा लेते हैं । इस समय बच्चे की आँखों की पूर्ण दृष्टि विकसित नहीं हुई होती है, जो उनका ध्यान किसी चीज पर केंद्रित करने और समझने में सक्षम होने के लिए आवश्यक होती है। लेकिन बच्चों को इंसानों के चेहरे के प्रति एक आकर्षण होता है और यह बहुत महत्वपूर्ण है कि वह आपके चेहरे को ज्यादा से ज्यादा बार देखे। अपने बच्चे को अपनी बांहों में लेना उसे प्यार करना, त्वचा का स्पर्श देना आदि, बच्चे को याद रहता है आप पर भरोसा करने लगते है और आपके चेहरे को पूरी तरह जाने बिना भी आपकी मौजूदगी को समझना शुरू कर देता है।
दो सप्ताह के बच्चे की महत्वपूर्ण गतिविधियां
दूसरे सप्ताह में शिशु का गर्भनाल सूखकर गिर जाता है, जिससे पेट पर नाभि गाँठ बन जाती है। इसलिए, जब तक गर्भनाल ठीक तरह से नहीं निकल जाती है, तब तक यह बहुत जरूरी है कि बच्चे के पेट के उस हिस्से को लेकर सावधानी बरती जाए। आप अपने बच्चे को बाथटब में नहलाने के बजाय उसे स्पंज स्नान कराएं, जो बच्चे को साफ भी रखता है और इससे उसकी नाभि भी सुरक्षित रहती है।
यह वह समय है, जब आप अपने बच्चे के लिए एक दिनचर्या स्थापित करने की सोच रही होगी। बच्चा ज्यादातर हॉस्पिटल में या घर के भीतर रहा है, जिसका मतलब है कि आप भी बच्चे के साथ उसी जगह पर रही होंगी। हर समय घर में रहने से आप ऊब सकती हैं और ये बच्चे के लिए भी उबाऊ हो सकता है। यदि आपके घर के पीछे टहलने की जगह है तो थोड़ा टहलें या थोड़ी देर के लिए बाहर जाए और अपने बच्चे को भी साथ ले जाएं।
स्तनपान
दो सप्ताह की उम्र के शिशु को स्तनपान कराना ही उसके लिए उसका भोजन प्राप्त करने का प्राथमिक साधन है। कई बार, दूध पिलाने की प्रक्रिया माताओं के लिए थोड़ी परेशानी का कारण या दर्दनाक हो सकती है, क्योंकि आपके निप्पल सामान्य प्रसव के बाद अधिक संवेदनशील हो जाते हैं। हालांकि, स्तनपान की प्रक्रिया महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस तरह से बच्चे को आपके स्तन की आदत पड़ने लगती है और उसके अनुसार आपके स्तन भी सहज होने लगते हैं, जो हर बार स्तनपान कराने से प्रक्रिया आसान करने में मदद करता है।
2 सप्ताह के शिशु को खिलाने की मात्रा उसकी वृद्धि से लेकर उसके वजन आदि तक भिन्न हो सकती है। आपके स्तनों को उसकी भूख के समय के साथ तालमेल बैठाने में भी कुछ समय लगेगा। दो हफ्तों में, बच्चे के खाने के लिए एक निश्चित दिनचर्या या कार्यक्रम स्थापित करना काफी जल्दबाजी होगी । बच्चे जब भी भी दूध की मांग करे तो उसे दूध पिलाएं यह उसके लिए अच्छा रहेगा साथ ही यह आपके स्तन के दूध के उत्पादन को बच्चे की दूध की मांग के अनुसार भी निर्धारित करता है ।
सोना
2 सप्ताह के बच्चे के लिए सोना और खाना ही उसका पूरा जीवन है। ऐसा पूरे दिन चलता रहता है। हो सकता है कि आपका बच्चा भूख से रोता हो, खाना खाता हो, फिर कुछ समय तक जागता हो, अपने आस–पास की दुनिया को देखता हो, और वापस सो जाता हो। कभी–कभी, आपका बच्चा दूध पिलाने के बाद भी रोना शुरू कर सकता है, और आप यह जानने कि कोशिश करें कि वास्तव में बच्चे को क्या परेशान कर रहा है। हो सकता उसे शांत करने के लिए आजमाए सभी तरीके विफल हो जाएं और हो सकता है अपने बारे में यह विचार करने लगें कि क्या आप एक अच्छी माँ हैं या नहीं।हालांकि, आशा नहीं खोना चाहिए और न ही पने बारे में बुरा महसूस चाहिए। उसे अपनी बाहों में लेकर उसके कानों में गुनगुना कर, उसे धीरे से हिलाते हुए या उसे नहला कर आप बच्चें को शांत करा सकती हैं और यह कोशिश करें कि बच्चा वापस से सो जाए।
सोते समय, यह बेहतर होगा अगर आपके बच्चे को उसके पालने में या अलग से बिस्तर में सुलाया जाए जो आपके बगल में स्थित हो। यह बहुत जरूरी है कि आप लगातार यह जाँच करती रहें कि वह ठीक है और उसे भूख तो नहीं लगी है। आपके बच्चे का आपके करीब होना दोनों के लिए चीज़ों को आसान बनाता है। अपनी नींद की अवधि के दौरान बच्चे कई तरह की आवाजें निकालते हैं। वे कराह सकते हैं, घुरघुर कर सकते हैं, घूम सकते हैं, या अजीब आवाज कर सकते हैं, ये सभी आपके बच्चे के विकास के बिल्कुल सामान्य चिह्न हैं।
व्यव्हार
जैसा कि हर इंसान का व्यवहार अलग होता है, वैसे ही एक बच्चे से दूसरे बच्चे का व्यवहार अलग होता है। हालांकि, उनमें से ज्यादातर भूख–नींद के तहत होता है। यह बात को पूरे यकीन के साथ तो नहीं कहा जा सकता है, लेकिन एक बच्चा अपनी ऊर्जा का भरपूर उपयोग स्तन से दूध पीने में करता है, जिसके कारण वो दूध पीने के तुरंत बाद सो जाता है। समय से पहले हुए बच्चे दूसरों की तुलना में अधिक सोते हैं और डॉक्टर आपको उन्हें जगाने की सलाह दे सकते हैं, ताकि उन्हें पूरी तरह से आवश्यक भोजन मिल सके।
दूसरे मामलों में, कुछ बच्चे पूरी तरह से जगे हुए और बहुत जिज्ञासु होते हैं। वे लंबे समय तक जागते हैं, ध्वनियों का जवाब देते हैं, जब उन्हें नए चेहरे दिखाई देते हैं, तो उनको देखते हैं और अपने आप को अभिव्यक्त करने की भी कोशिश करते हैं । स्तनपान के दौरान भी, उनका ध्यान चारों ओर रहता और किसी भी आवाज को सुनकर यह देखने की कोशिश करते हैं की वह कहाँ से आ रही है । आपके बच्चे की कुछ गतिविधियां या चेहरे के भाव आपको अपने बचपन या जीवनसाथी के बचपन की याद दिला सकते हैं। हालांकि, यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि अधिकांश शिशुओं की प्रवृत्ति समान होती है और वे अपने आप में विशिष्ट रूप से विकास करते हैं।
2 सप्ताह के नवजात शिशु के लिए देखभाल करने की टिप्स
- जिस भी पालने में आपका बच्चा सोता है वह उसके लिए आरामदायक होना चाहिए। पालने की सलाखों के बीच बहुत चौड़ी जगह नहीं होनी चाहिए। पालना का बिस्तर मजबूत होना चाहिए। इसे इस तरह से रखें कि इसमें सीधी हवा न जाए। पालने में अनावश्यक खिलौने न रखें।
- अपने बच्चे के नहाने के लिए पानी तैयार करते समय अपने हाथों को पानी में डुबोकर उसके तापमान की जाँच करें। सुनिश्चित करें कि यह शिशु के लिए बहुत गर्म नहीं होना चाहिए क्योंकि आपकी तुलना में बच्चे की त्वचा बहुत अधिक संवेदनशील होती है।
- उसके साथ खेलते समय या उसकी देखभाल करते समय शिशु के आसपास कोई भी छोटी वस्तु नहीं रखें। क्योंकि वह इसे अपने हाथ से पकड़ कर अपने मुँह में डाल सकता है।
- दो सप्ताह में, बच्चे अपने शरीर को पूरी तरह से सरका या हिलाने में सक्षम नहीं होते हैं। इसलिए, अपने बच्चे को उसकी पीठ के बल लिटाकर सुलाना आवश्यक है। उसके करीब कोई कंबल न रखें जिससे उसका चेहरा ढंकने का खतरा हो।
- अपने बच्चे को कभी भी अकेला नहीं छोड़ें। यदि आवश्यक हो तो घर को सही ढंग से चाइल्डप्रूफ करें और बेबी मॉनिटर का उपयोग करें।
- यदि आपका बच्चा समय से पहले पैदा हुआ है या यदि डॉक्टर उसमें कम रोग प्रतिरोधक शक्ति का उल्लेख करते हैं, तो अपने बच्चे को ज्यादा भीड़ और बहुत लोगों के सम्पर्क से दूर रखें। अपने बच्चे को कम से कम लोगों के हाथ में दें । इस बात का ख्याल रखें कि यदि कोई आपके बच्चे छूता है तो उससे वह सैनिटाइजर का उपयोग करे।
- अपने डॉक्टर के नंबर को संभाल कर रखें और अगर आपको अपने बच्चे में बुखार या चिड़चिड़ेपन जैसे लक्षण दिखाई दे, तो तुरंत इसकी जाँच करवाएं।
जाँच और टीकाकरण
अधिकांश परीक्षण और टीकाकरण शिशु के पहले सप्ताह में ही दिए जाते हैं। इसमें टी.बी के लिए बी.सी.जी वैक्सीन, पोलियो के लिए आई.पी.वी, और हेपेटाइटिस बी वैक्सीन लगाई जाती है। यदि किसी कारण से यह पहले सप्ताह में न लग पाए तो, डॉक्टर की सलाह के अनुसार दूसरे सप्ताह में यह टिका लगवाया जा सकता है। यदि ये शिड्यूल के अनुसार बच्चे को लगवाया गया है तो, 2 सप्ताह में बच्चे को काफी कम टीका लगाया जाता है।
खेल और गतिविधियां
जब आपका बच्चा अपने आस–पास विभिन्न चीजों की खोज कर रहा होगा, तब स्पर्श एक ऐसी चीज़ होगी जिसे वो सबसे पहले महसूस कर सकेगा और याद रख सकेगा। वह उसके चारों ओर विभिन्न चीजों को अपने हाथों से पकड़ने की कोशिश करता और उसे यह समझने की कोशिश करता है कि जो जैसा महसूस हो रहा है वह वैसा क्यों है। यह न केवल उन्हें वस्तुओं को बेहतर समझने में मदद करता है, बल्कि वे समझने लगते हैं कि वे क्या देख रहे हैं और वे एक निश्चित दिशा में जाने के लिए अपने हाथों को नियंत्रित कर सकते हैं। हाथ और आँख का ये समन्वय विकास और बेहतर होता जएगा।
आप अलग प्रकार की बनावट वाली विभिन्न चीजों का उपयोग करके अपने बच्चे के साथ खेल सकती हैं। आप बच्चे को बेबी फ्रेंडली प्लास्टिक के ही खिलौने खेलने के लिए दें, आप मखमल का कपड़ा, रेशम का दुपट्टा, किसी मुलायम कंबल, या फिर आप उन्हें आपके बालों के साथ खेलने दे सकती हैं । अपने बच्चे को इनके साथ एक एक कर के खेलने दें और उनकी प्रतिक्रिया का निरीक्षण करें। साथ ही बच्चे के साथ बातें भी करती रहें और जाने की वह इनके साथ खेलते वक्त कैसा महसूस कर रहे हैं । बच्चे हमारे भावनात्मक संवाद से बहुत कुछ सीखते हैं। यदि आपका बच्चा अपने मुँह में कोई वस्तु डालने की कोशिश करता है और उसे महसूस करना चाहता है, तो उसे ऐसा करने दें जब तक कि यह साफ है और बच्चे को कोई नुकसान नहीं पहुँचाता है। कभी–कभी, यह उस वस्तु को बेहतर रूप से समझने में उनकी मदद करता है।
आपका बच्चा नई नई चीजों की खोजने में व्यस्त है, इस दौरान और सहज महसूस करने लिए उसकी हलकी हलकी मालिश कर सकती हैं। बच्चों की मालिश करने वाला तेल को अपने हाथों पर लगा रगड़े ताकि यह हल्का गर्म हो जाए । अपने बच्चे के पैरों से मालिश करना शुरू करते हुए जांघों और पेट तक मालिश करती हुई जाएं और साथ में बच्चे से बातें भी करती रहें । पेट और छाती पर मालिश करते वक्त थोड़ी सावधानी बरतें यदि बच्चे की गर्भनाल पेट से नहीं गिरी है तो ध्यान से मालिश करें नहीं तो बच्चे को चोट लग सकती है । बच्चे को बहलाने के लिए उनकी तरफ देखे उनसे बात करें और तरह तरह की आवाजे निकाल कर उनका मन बहलाएं । यदि आपका बच्चा मालिश करवाने से इनकार करता है तो, उसकी मालिश करना बंद कर दें, ताकि वह रोने न लगे।
चिकित्सक से कब परामर्श करें
कुछ ऐसे मामले हैं जिसमें आपको अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए ।
पीलिया
ज्यादातर बच्चे जब छोटे होते हैं तो पीलिया से पीड़ित हो जाते हैं, लेकिन इसे अच्छे से देखभाल करके और अच्छी तरह से स्तनपान करा कर ठीक किया जा सकता है या अगर मामला ज्यादा गंभीर हो जाए तो अपने बच्चे को डॉक्टर को दिखाने की जरूरत है । यदि आपको बच्चे के चेहरा और छाती पीले रंग की दिखाई देने लगे तो बिना देर किए बच्चे को तुरंत किसी बाल रोग विशेषज्ञ के पास ले जाएं ।
कब्ज
कब्ज एक ऐसी समस्या है जिसका सामना कई बच्चों को करना पड़ता है और इसकी वजह से उन्हें मल को त्यागने में बहुत परेशानी होती है।बच्चे ठीक तरह से मल त्याग कर सकें इसके लिए आप उन्हें पानी दे सकती हैं या फिर कोई दूसरे फार्मूला आजमा सकती हैं । लेकिन,आपको यही सलाह दी जाती किसी भी प्रयास को करने से पहले, अपने डॉक्टर से जरूर बात कर लें।
छींक या बहती नाक
चारों तरफ धूल के कणों से प्रदूषित हवा के कारण आपके बच्चे को छींक आने लगती है और इस वजह से उसकी नाक बहने लगती है। यदि मामला गंभीर होने लगे तो नमक के पानी की बूंदों को बच्चे की नाक में डालने की कोशिश करें।
त्वचा के लाल चकत्ते
मुँह से लगातार लार टपकने के कारण बच्चों को चकत्ते पड़ने लगते हैं, जो स्वच्छता रखने पर खुद से ठीक हो जाते हैं। यदि यह ठीक न हों और अधिक बढ़ने लगे तो, बच्चे को तुरंत अपने डॉक्टर को दिखाएं।
सूखी और परतदार त्वचा
ज्यादातर शिशुओं को रूखी त्वचा की समस्या होती है, जिसे खास बच्चों के इस्तेमाल किए जाने वाले साबुन का उपयोग करके इसे ठीक किया जा सकता है। मॉइस्चराइजिंग लोशन का उपयोग करने से यह बच्चे की त्वचा के भीतर की नमी को बनाए रखने में मदद करता है।
प्रतिवाह/ रिफ्लक्स
अक्सर शिशु में बार–बार उलटी करने की समस्या पाई जाती है, ऐसा इसलिए होता है जब वह जरूरत से ज्यादा खाना खाते है। यदि आपके शिशु का वजन अपेक्षित तरीके से बढ़ रहा है और भोजन करने बाद उसे आराम से निगल पा रहा है तो थोड़ा बहुत थूकना इतनी परेशानी वाली बात नहीं है । आप उसे उसकी भूख से थोड़ा कम ही खिलाएं और उसके बाद बच्चे जो डकार जरूर दिलाएं ।
आँखों में पानी भरा रहना
कई बार, बच्चे की आँसू वाहिनियां अवरुद्ध हो सकती हैं, जिससे आँखें में कभी–कभी पानी से भर सकती है। यह चिंता वाली बात नहीं है, जब तक कि यह आँख का संक्रमण होने के लक्षण प्रकट नहीं करते हैं। ऐसी में, आपका डॉक्टर शिशु को सुरक्षित आई ड्रॉप देने की सलाह दे सकता है।
डायपर के कारण लाल चकत्ते पड़ना
लंबे समय तक डायपर बंधे रहने से बच्चों को लाल चकत्ते हो सकते हैं। डायपर को नियमित रूप से बदलती रहे और उस क्षेत्र को थोड़ा हवा लगने दें।
श्वांस संबंधी समस्याएं
खाँसी और ठंड लगने के कारण बच्चे श्वांस की समस्या से पीड़ित हो सकता है। यदि बच्चे का बुखार बढ़ने लगने या श्वांस लेने में तकलीफ होने लगे तो अपने डॉक्टर को दिखाएं ।
दो हफ्तों में, आपका बच्चा काफी विकसित हो जाता है। इसके साथ उसका वजन भी बढ़ता है और उसकी भोजन की मांग भी बढ़ जाती है और इस प्रकार आपको पता चल जाएगा कि आपका बच्चा स्वस्थ रूप से विकास कर रहा है साथ ही आने वाले समय में आपको उसके अंदर और भी बदलाव देखने को मिलेंगे जो आपके लिए एक खूबसूरत एक अहसास होगा ।