जैसे ही आपका शिशु 3 महीने का हो जाए, तो आप थोड़ी राहत की सांस लें पाएंगी । जब वह इससे भी छोटा था तब का उसका लगातार रोना जो आपने देखा होगा वह अब काफी कम हो गया होगा और अब आप उसके कुछ अनकहे संकेतों को भी समझने लगी होंगी। वह जो महसूस करता है उसे व्यक्त करने के लिए, उसने तरह–तरह के भाव दिखाने शुरू कर दिए होंगे। तीन महीने के शिशु के विकास को बनाए रखने के लिए, कुछ युक्तियाँ हैं जिन्हें आप किसी भी समस्या के आने पर ख्याल रख सकती हैं ।
अपने लाडले का ख्याल रखते हुए इन बातों का ध्यान रखें।
अधिकांश शिशु 12 सप्ताह के होने पर खाने और सोने की अवधारणा को अपने आप ही समझने लगते हैं। आपका शिशु अब अलग–अलग तरह से रो पाएगा, जो आपको यह जानने में मदद करेगा कि क्या वह भूखा है या सिर्फ सो न पाने के कारण चिड़चिड़ा है या फिर उसने अपना डायपर गीला कर दिया है। अगर आपके बच्चे को बोतल से दूध पिलाया जाता है तो वह सामान्य से थोड़ा अधिक दूध पी सकता है, जिससे वह ज़्यादा समय के लिए (यहाँ तक कि पूरी रात भी) सो सकता है। स्तनपान करने वाले बच्चे नींद से एक–दो बार उठते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि बोतल शुरू कर दी जाए।
आपका शिशु अपने अंगों और विशेष रूप से अपने हाथों की खोज करना शुरू कर देगा। वह इस तथ्य को समझना शुरू कर देगा कि अपने जिन हाथों को वह देख रहा है उन पर उसका अपना कुछ नियंत्रण है। इससे वह जो कुछ पकड़ में आ सके उसे पकड़ सकता है और अपने मुँह में डाल सकता है। यह ध्यान रखें कि उसके पालने में या उसके करीब कहीं भी कोई नुकीली वस्तु या गंदी चीज़ें ना हों, छोटी–छोटी वस्तुएं आसानी से उसके गले में जाकर फँस सकती हैं। यात्रा करते समय, सुनिश्चित करें कि वह कार की सीट से किसी भी वस्तु तक न पहुँच पाए और उसमें सुरक्षित रहे।
3 महीने के बच्चे की देखभाल करना एक बात है, लेकिन एक सामाजिक व्यक्ति के रूप में उसकी परवरिश करना अलग बात है। कई अध्ययनों से पता चलता है कि जो माता–पिता अपने बच्चों के साथ संवाद करते हैं या उनके साथ बातचीत करते हैं, उन बच्चों में सामाजिक संकेतों की बेहतर समझ, बेहतर आई.क्यू और शब्दावली की शीघ्र समझ भी होती है। जब भी आप अपने शिशु के साथ हों तो उसके साथ बातचीत करें, उसे बताएं कि उसने मलत्याग किया है और अब आप उसका डायपर बदल रही हैं व नया डायपर बिलकुल साफ और आरामदायक है। उसे रंगीन किताबें दिखाएं और उनमें से कहानियाँ बनाएं ।
जबकि कुछ माता–पिता मानते हैं कि यदि कोई शिशु अनावश्यक रोता है, तो उसे रोते रहने दें और वह थोड़ी देर में रोना बंद कर देगा । यह आमतौर पर उन बच्चों पर लागू नहीं होता जो अभी केवल 3 महीने के हैं। शिशु,केवल भूख, तकलीफ या नींद जैसे कारणों से रोते हैं। इन सभी मामलों में माता–पिता का ध्यान, वैसे भी चाहिए होता है क्योंकि आपके बच्चे के पास आपसे बात करने का एकमात्र यही तरीका है। यदि शिशु रोता रहे और कोई भी उसके पास नहीं जाए, तो वह असुरक्षित महसूस करना शुरू कर देता है और लगातार तब तक रोटा है जब तक कि वह खुद को थका नहीं देता। इस उम्र में अत्याधिक ध्यान देने से शिशु बिगड़ता नहीं है । कभी–कभी एक शिशु सिर्फ आपका स्पर्श चाहता है और यह उसकी एक आवश्यक ज़रूरत भी है।
आप अपने शिशु को एक छोटी सी सैर के लिए या लंबे समय के लिए एक पिकनिक पर या शायद किसी और शहर में ले जाना चाहें। ऐसे में हर समय आपको ज़रूरी सामान साथ में ले जाना आवश्यक होता है। किसी भी समय बच्चे को किस चीज़ की आवश्यकता हो सकती है, यह कहा नहीं जा सकता और पूरी तैयारी के साथ जाना, बिना तैयारी के फंस जाने से बेहतर है। यदि आप उसे इधर–उधर ले जा रहे हैं तो एक शिशु प्रैम का उपयोग करें। यदि आप गर्मियों में किसी शहर की यात्रा करती हैं, तो उसके लिए हवादार कपड़े और उसे धूप से बचाने के लिए टोपी साथ रखें। डायपर, खिलौने, बोतल और वाइप्स जैसी अनिवार्य चीज़ें हमेशा अपने साथ रखें।
लगभग 12 सप्ताह के बाद, बच्चे पहले की तुलना में अधिक जागते हैं। वे अक्सर खुद को व्यस्त रख सकते हैं लेकिन कभी–कभी उन्हें प्रोत्साहन चाहिए होता है। हर दिन, अपने लाडले के साथ खेलने के लिए कुछ समय निकालें।आप उसके साथ उसके खिलौनों से खेल सकती हैं या आप उसे एक कहानी भी सुना सकती हैं। आप अपना पसंदीदा संगीत भी सुन सकती हैं और उसके साथ–साथ गाएं भी,अपने शिशु को आपका गाना सुनने दें। यह सभी गतिविधियाँ आप दोनों के बीच विश्वास और स्नेह का एक बहुत ही निजी बंधन बनाती हैं।
न माता–पिता और न ही शिशुओं को अनपेक्षित चीजें पसंद होती हैं। खाने, सोने और खेलने के लिए एक समय निश्चित करके, आपका शिशु धीरे–धीरे उस समय का आदि हो जाएगा। अच्छी दिनचर्या, उसे सुरक्षित और निर्भय महसूस कराती है और उसके निरंतर विकास में मदद करती है।
अगर बात करें 12 सप्ताह के बच्चे की देखभाल करने की तो शिशुओं को बहुत अधिक देखभाल और ध्यान की आवश्यकता होती है और यह बातें अभी भी उतनी सुव्यवस्थित नहीं हैं, जितनी होनी चाहिए। खुद को शांत रखना और किसी भी प्रकार की चिंता न होना आपको आनेवाली किसी भी समस्या का सामना करने में मदद कर सकता है। मातृत्व का आनंद लें और मान लें कि आप हर परिदृश्य में अपने शिशु के लिए एक अच्छी माँ साबित होंगी।
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