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अपने बच्चे के साथ कुछ हफ्ते बिताने के बाद आपको यह विश्वास होने लगेगा कि आप एक-दूसरे को अच्छी तरह से जानने लगे हैं। इस बात में भले ही कितनी सच्चाई क्यों न हो लेकिन कई बार आपका बच्चा आपको अपनी हरकतों से हैरान कर देगा और हो सकता है कि आप यह सोचने पर विवश हो जाएं कि, क्या सच में आप अपने बच्चे को पूरी तरह से समझने लगी हैं या नहीं। चिंता न करें, क्योंकि ये सभी संकेत आपके बच्चे की वृद्धि और विकास के संकेत हैं, जो तेजी से उसके आसपास की दुनिया के बारे में उसकी समझ को बढ़ा रही है।
हर बच्चे का विकास दूसरे बच्चे से थोड़ा अलग होता है। इसलिए, ऐसा कोई विशिष्ट नियम या मानदंड नहीं है जो बच्चे के विकास को परिभाषित करता हो। 3 सप्ताह के शिशु का विकास तेज गति से हो सकता है जिससे आपका बच्चा कम समय में ही आपको काफी अलग दिखने लगेगा। आपका बच्चा पहले की तुलना में अधिक आवाजें निकालना शुरू कर देगा और धीरे-धीरे अपना सिर घुमाकर चारों ओर देखने का प्रयास करेगा। अब उसकी आँखों में थोड़ी स्थिरता भी आने लगेगी और वह चीजों को पहले से बेहतर रूप में देख सकेगा।
सामान्य तौर पर, प्रत्येक लिंग के लिए 3 सप्ताह के बच्चे का वजन और लंबाई का सीमांकन किया जाता है। यदि शिशु बालिका है तो उसका वजन 3 किलो और लंबाई 52-53 से.मी. के बीच होनी चाहिए। वहीं अगर बालक शिशु की बात की जाए तो उसका वजन लगभग 4-4.5 कि.ग्रा. और लंबाई 53-54 से.मी. के बीच होनी चाहिए । जो बच्चे सामान्य रूप से ज्यादा बड़े होते हैं या समय से पहले पैदा होते हैं उन्हें इसमें शामिल नहीं किया जाता है।
इस उम्र के करीब आप देखेंगी कि आपका बच्चा तरह तरह के मुँह बनाने शुरू कर देगा या किसी विशेष ध्वनि को सुनने पर आपकी ओर देखकर मुस्कुराएगा और वह खुद भी कई प्रकार की आवाजें निकालना शुरू कर देगा ।
जैसे-जैसे आपके शिशु के शरीर के ऊपरी भाग में ताकत विकसित होने लगेगी, आप उसे उसकी छाती के बल लिटा पाएंगी जिससे वह अपने सिर को उठाने की कोशिश करेगा और अपनी बाहों पर जोर देकर उठने की कोशिश करेगा। इन प्रयासों से वह अपने शरीर में ताकत विकसित करेगा और खुद को मजबूती से संभालने में सक्षम होगा ।
बच्चा अपने माता पिता यानि आपके और अन्य लोगों के बीच का अंतर समझना शुरू कर देगा। आपका बच्चा दूसरे बच्चों और उनके माता-पिता से मिलने से, समाजिक पहलू को भी समझेगा और अपने आसपास विभिन्न प्रकार के लोगों को जानने की कोशिश करेगा।
पहले की तुलना में 3 सप्ताह का शिशु अधिक दूध पीने की मांग करता है। अधिक दूध पीने के लिए उन्हें अधिक प्रयास करना पड़ता है, जिसके कारण बच्चे को थकान हो सकती है। इस प्रकार या तो वो देर तक सोते रहते हैं या फिर दूध पीने के दौरान ही सो जाते है ।
चूंकि बच्चे का पेट अभी बहुत छोटा होता है, इसलिए वह बहुत अधिक मात्रा में दूध पीने में सक्षम नहीं होगा और इस वजह से आपको इसे थोड़ी थोड़ी देर में उन्हें दूध पिलाना पड़ सकता है। हर दो घंटे की अवधि के बाद आपको बच्चे को दूध देना होगा। यदि आपको बच्चे को स्तनपान कराने में दिक्कत होती है तो आप बच्चे को बोतल की मदद से दूध पिला सकती हैं और आपको ऐसा हर 4 घंटे में एक बार करना होगा है। बच्चे के लिए एक दिनचर्या निर्धारित न करें क्योंकि वह अपने विकास की ओर हैं इसलिए अभी उनकी बहुत सारी चीजों में लगातार बदलाव आता रहेगा। इसलिए अभी थोड़ा रुकना ही बेहतर होगा।
ज्यादा खाने के वजह से बच्चे अक्सर थकावट महसूस करते हैं क्योंकि ज्यादा दूध पीने के लिए बच्चे को ज्यादा ताकत लगती है, जिसके कारण बच्चे को तुरंत नींद आ जाती है । पेट भरा होने पर आपका बच्चा संतुष्ट और शांत रहता है जिसके कारण उसका शरीर खुद ब खुद नींद महसूस करने लगता है और वह सो जाता है ।
हर थोड़ी देर में दूध पिलाने के कारण 3 सप्ताह के बच्चे की नींद को निर्धारित नहीं किया जा सकता है, क्योंकि वे दूध पिलाने के कुछ घंटों बाद फिर से दूध पीने की मांग करते है। यदि आपका बच्चा दूध पिलाने के बाद भी आसानी से नहीं सोता है, तो अपने चिकित्सक से इसके बारे में जरूर बात करें । वह बच्चे के वजन बढ़ने के हिसाब से उसकी जाँच करेंगे। क्योंकि हो सकता है कि जन्म के समय की जटिलताओं की वजह से या समय से पहले जन्म लेने की वजह से आपका शिशु औरों के मुकाबले सोने में अधिक समय ले सकता है ।
बच्चे को ठीक तरह से सुलाने के लिए उन्हें एक हल्के कपड़े में लपेटें और फिर उन्हें पालने में लिटाएं। कई बार, बच्चे नींद से चौंक पड़ते हैं और खुद ही को चोट लगा सकते हैं। इसलिए उनका बचाव करने के लिए उन्हें कपड़े में लपेटकर ही सुलाएं। इस बात का ख्याल रखें कि बच्चा हमेशा पीठ के बल ही सोए।
हर इंसान में जन्म से ही कुछ चीजों का ज्ञान होता है, जिसमें वह निपुण होते है और यदि बात की जाए बच्चों की तो उनमें यह खूबी ज्यादा स्पष्ट रूप से नजर आती है, जैसा उनका स्तनपान करना, आस-पास की वस्तुओं को देखकर उनकी ओर लपकना या दूध पीते समय स्तन को मजबूती से पकड़ना, पैरों को हिलाना आदि। यह सारी ऐसी चीजे हैं, जो वह खुद से करते हैं। इस चरण में अक्सर बच्चे सोते समय चौंक के उठ जाते हैं और खुद से पलटने की कोशिश करते हैं । ये सब चीजें कई वर्षो तक जारी रहती है और उनके विकास के साथ उनके व्यव्हार में भी बहुत सारे बदलाव भी आते रहते हैं ।
यदि बच्चा जाग रहा हो तो, वह किसी भी आवाज या ध्वनि के सुनने पर अपनी प्रतिक्रिया देने लगेगा। वह आपके चेहरे के ओर ध्यान केंद्रित कर सकता है, विशेष तौर से नाक, कान की बाली, या आपका मुँह आदि। वह अपनी जीभ निकालेगा, तरह तरह की आवाजें करेगा और यह सभी चीजें आपके बच्चे की खोज का एक हिस्सा है । यह सभी चीजें आपके बच्चे के विकास के संकेत हैं ।
यहाँ 3 सप्ताह के बच्चे की देखभाल के लिए कुछ सुझाव दिए गए हैं।
इस उम्र में बच्चों को दूध पिलाने में काफी थकावट हो सकती है, लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि उन्हें नियमित रूप से दूध पिलाया जाए।हो सकता है वह दूध पीते-पीते ही सो जाए या दूध पीने के बाद जल्दी उठ जाएं । इसलिए, यह सुनिश्चित कर लें कि उन्हें उतना ही भोजन मिले जितना कि उन्हें चाहिए।
अपने बच्चे के सोने के बाद हो सकता है आप भी सोना चाहे, लेकिन यह शायद आपके लिए मुश्किल हो, क्योंकि हो सकता है कि बच्चा कुछ ही घंटों बाद नींद से उठ कर भूख के लिए रोने लगे, इससे भी कहीं ज्यादा, हो सकता है कि आपको अपने बच्चे को दूध पिलाने के बाद उसे अपनी गोद में लेकर सुलाना पड़े, क्योंकि उन्हें अपने आप सोने में परेशानी होती है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि बच्चे को अच्छी नींद आए।
जैसा कि बच्चे के शरीर के ऊपरी भाग में ताकत बढ़ने लगेगी, उनके लिए यह जानना जरूरी है । आपके बच्चे को कभी-कभी उसके पेट के बल लिटा दें, जिससे वह अपने सिर को ऊपर उठाने और अपनी बाहों का उपयोग करने की कोशिश कर सके। वह अपने आस-पास के वातावरण को देखने के लिए अपनी आँखों को चारों ओर घुमाने लगेगा। अगर वह रोने लगे, तो उसे फिर से पीठ के बल लिटाएं और बाद में फिर से उसे पेट के बल लिटाने की कोशिश करें।
ज्यादा खाने से मल में वृद्धि होती है। इसलिए आपको इसे पूरा समय बदलने की जरूरत पड़ेगी । इसके अलावा, आप इसके लिए एक जगह बना लीजिए, ताकि आपको बच्चे की नैपी बदलने के लिए ज्यादा भाग दौड़ न करनी पड़े।
इस समय तक, आपके बच्चे के पेट पर गांठ के समान दिखने वाला गर्भनाल, अब तक सूख के गिर गया होगा। हालांकि, ये क्षेत्र अभी भी थोड़ा संवेदनशील है। इसलिए, बच्चे को स्नान कराते समय सावधानी बरतें। ध्यान रखें कि क्षेत्र को कुछ समय के लिए हवा लगने दें ताकि यह जल्दी सूख सके।
हालांकि बच्चे को रोजाना नहलाना आवश्यक नहीं है, लेकिन सभी क्षेत्रों को साफ और सुव्यवस्थित रखने के लिए स्नान आवश्यक होता है। इसके अलावा, स्नान के बाद, आपका बच्चा शांत और आरामदायक महसूस करता है, जो उसे आसानी से सोने में भी मदद करता है।
कुछ शिशुओं को कब्ज का सामना करना पड़ता है। अपने बच्चे की मल त्याग का निरीक्षण करना महत्वपूर्ण है और यह भी जाँच करना जरूरी होता, कि क्या वह हर बार खाने के बाद मल त्याग कर रहे हैं। कुछ मामलों में, बोतल से दूध पीने वाले शिशु दिन में केवल 3 बार मल त्याग कर सकते है। किसी भी कारण यदि आपका बच्चा 2-3 दिन या उससे ज्यादा समय तक शौच नहीं करता है, तो उसे चिकित्सक को दिखाना आवश्यक है।
यदि बच्चे को पहले के सप्ताह में सारे टीके ठीक से दिए गए हों, तो इस सप्ताह में किसी भी टीकाकरण की आवश्यकता नहीं है।
अब आपका बच्चा अलग अलग आवाजें निकालेगा और दूसरों की आवाजों को सुनने पर प्रतिक्रिया भी देगा और तब आपको उनके के साथ बातें करने में मजा आएगा और वह आपकी बातों का जवाब देने की कोशिश भी करेंगे । आप जैसे जैसे आवाजें निकालेंगी वह भी आपको देखकर आपकी तरह ही आवाजें निकालने की कोशिश करेगा।पहले की तुलना में आपके बच्चे की दृष्टि बेहतर हो जाएगी, आप बच्चे के सामने मजेदार चेहरे बनाकर, अपने हाथों से इशारे कर के बच्चे साथ खेल सकती हैं। अपनी अगुंलियों से बच्चे के शरीर को गुद गुदी लगाएं और उन्हें हसाएं ।
इस चरण में अगर आपके बच्चे को दूध पिलाने के कारण दस्त होने की समस्या होती है, तो इस विषय पर अपने चिकित्सक से संपर्क करें। यदि यह एक सप्ताह से अधिक समय तक जारी रहता है और दिन में कई बार होता है, इसके साथ अगर रक्त भी आने लगे, तो तुरंत अपने चिकित्सक से सलाह लें।
बच्चा उल्टी या खाना उगल सकता है लेकिन ऐसा एक दिन से ज्यादा नहीं होना चाहिए और इसकी संख्या दिनभर में 10 बार से अधिक होनी चाहिए। इसके अलावा शौच भी रोजाना ठीक तरह से होना चाहिए। इसलिए, अगर बच्चे का दो दिनों तक लगातार मल त्याग नहीं होता है, तो अपने चिकित्सक को जल्द दिखाएं।
तीसरे सप्ताह तक आपका शिशु आपसे अधिक घुलने मिलने लगेगा। आप अपने बच्चे के साथ बहुत सारे मस्ती भरे पल बिताएंगी। इस पल अपने जीवनसाथी के साथ बांटे और अपने बच्चे की इन प्यारी प्यारी गतिविधियों का आनंद लें और हो सके तो बच्चे के सोने के समय में खुद भी आराम करें क्योंकि पर्याप्त आराम करना आपके लिए बेहद जरूरी है ।
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