बच्चे अपने माता–पिता को देखकर ही सब कुछ सीखते है जैसे आदतें, तौर–तरीके, बोलचाल इत्यादि। । बच्चों के लिए उनके माता–पिता हमेशा उनके उदहारण होते हैं, कभी–कभी मुसीबत पड़ने पर वो उनके द्वारा बताए गए मार्गदर्शन का पालन भी करते हैं, और बच्चों को छोटी उम्र से ही यह आदत पड़ जाती है।जैसे–जैसे बच्चे बढ़ते हैं, वह अपने माता–पिता के व्यवहार और कार्यों का अनुकरण करते हैं, बच्चों के लिए उनके माता–पिता आदर्श होते हैं। उनकी बुद्धिमत्ता और आदतें भी बच्चों में जाती है हैं।इसलिए, बच्चों को अच्छी और बुरी आदतों के बीच का अंतर समझाना और अच्छी आदतों को अपनाने के लिए कहना जरूरी होता है।
बच्चों को सही शिष्टाचार और अच्छी आदतें सिखाना मुश्किल कार्य महसूस हो सकता है। लेकिन आप धैर्य रखें और उन्हें सही रास्ते की ओर ले जाएं। नीचे वर्णित बातें अच्छी आदतें मानी जाती हैं जो बच्चों में होनी चाहिए:
सुझाव: भोजन को रंग–बिरंगा बनाएं।
बच्चे ज्यादातर फास्ट फूड, चिप्स, मिठाई, बिस्कुट, और चॉकलेट की मांग करते हैं। आपको उन्हें यह विश्वास दिलाना होगा कि स्वस्थ भोजन भी उतना ही स्वादिष्ट हो सकता है। उन्हें नूडल्स, पास्ता, केक, कुकीज, और पिज्जा घर पर बना कर खिलाएं।
बच्चों में स्वस्थ खान–पान की आदत को विकसित करने के लिए, रंग–बिरंगे व्यंजन बनाएं – लक्ष्य स्थापित करें कि हफ्ते के हर दिन इंद्रधनुष के रंगों में से किसी एक रंग का खाना उन्हें खाना पड़ेगा, इस तरह वह हर बार भोजन में विभिन्न रंगों से बना खाना खाएंगे। इससे न केवल स्वास्थ्य लाभ होता है, बल्कि बच्चों को इसे खाने में मज़ा भी आएगा। माता–पिता को नियमित रूप से , पौष्टिक और संतुलित भोजन करके बच्चों के लिए अच्छी मिसाल पेश करनी चाहिए।
सुझाव: बच्चों को बैठने के लिए प्रोत्साहित न करें, उन्हें चलने फिरने दें।
अपने बच्चों को बैठे रहने और सोफा पर आराम करने और टेलीविजन देखने की अनुमति देना, माता–पिता के रूप में आपकी ओर से एक बड़ी गलती होगी। अपने बच्चों को एक स्थानबद्ध जीवन शैली न अपनाने दें। उन्हें घर से बाहर निकलने के लिए प्रोत्साहित करें, चाहें टहलने या व्यायाम करने या बाहर जा कर खेलने के लिए। आप पारिवारिक कार्यक्रम का आयोजन करें, इसे कुछ मज़ेदार बनाएं, और अपने बच्चों को इसमें शामिल करें। अपने बच्चों को समझाएं कि पूरे समय एक ही स्थान पर बैठे रह कर टीवी देखते रहने से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। स्थानबद्ध जीवन शैली के कारण जो स्वास्थ्य संबंधी खतरे हो सकते हैं, वह हैं :
सुझाव: बच्चों को खाद्य–लेबल पढ़ने और समझने के लिए प्रोत्साहित करें।
एक निश्चित उम्र में, विशेष रूप से उनके किशोरावस्था के आसपास, आपका बच्चा अपने कपड़ों के लेबल में रुचि लेने लगता है । अपने बच्चों को उन अधिक महत्वपूर्ण लेबलों के बारे में शिक्षित करना शुरू करें, जिन पर उन्हें कम उम्र से ही ध्यान देना चाहिए – जैसे खाने की चीज़ो पर लगे लेबल।जब उन्हें यह आदत पड़ जाए, तो उन्हें इसी तरह से भोजन के पोषक तत्वों के बारे में जानने के लिए प्रोत्साहित करें।
उन्हें उनके पसंदीदा खाद्य पदार्थ दिखाएं और उस पर लिखी महत्वपूर्ण जानकारी की ओर उनका ध्यान आकर्षित करें। उन लेबलों को पढ़ना, पोषण मूल्य का विश्लेषण करना और फिर उसके महत्व को तय करने की आदत उन्हें डालें। उन्हें संतृप्त और असंतृप्त वसा, शक्कर, कैलोरी और कार्ब्स की मात्रा जैसे प्रमुख तत्वों पर ध्यान केंद्रित करने के बारे में समझाएं। आपके सक्रिय प्रयास अच्छी आदतों को विकसित करने में मदद करेंगे, जो वे जीवनभर पालन करते रहेंगे।
सुझाव: साथ में डिनर के समय का आनंद लेना अपनी प्राथमिकता बनाएं।
आज हमारा जीवन जितना व्यस्त रहता है, उसमें परिवार और बड़ों के साथ मूल्यवान समय बिताने के लिए शायद ही किसी के पास फुरसत रहती है। एक व्यस्त कार्य जीवन के कारण हो सकता है कि आप बच्चों के साथ बैठकर उनकी कहानियों और व्यक्तिगत मुद्दों को सुनने का समय न निकाल सकें। अपने परिवार के सदस्यों के साथ डिनर के समय का आनंद लेना को अपनी प्राथमिकता बनाएं। आप कई चीजों पर चर्चा कर सकते हैं और एक दूसरे के साथ अपने विचार साझा कर सकते हैं; इससे आपके बच्चों पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ेगा। एक साथ बैठ कर खाने के अन्य लाभों में निम्नलिखित शामिल हैं:
सुझाव: पानी पिएं, सोडा नहीं।
छोटे बच्चों द्वारा बड़ों का अनुकरण करते हुए शीतल पेय पीना आमतौर पर देखा जाता है। आपको अपने बच्चों का मार्गदर्शन करना चाहिए और सादा पानी पीने और सोडा से बचने के महत्व को सुदृढ़ करना चाहिए।
बस बच्चों को बताएं कि पानी स्वास्थ के लिए अच्छा होता है और यह कई बीमारियों से छुटकारा पाने में मदद करता है; जबकि शीतल पेय अस्वास्थ्यकर होते है, क्योंकि उनमें बहुत अधिक मात्रा में चीनी होती है जो कैलोरी को बढ़ाते हैं, जिससे वजन बढ़ता है। उन्हें शिक्षित करें कि पानी एक महत्वपूर्ण संसाधन है, और उचित हाइड्रेशन स्तर बनाए रखने के लिए पानी ज़्यादा मात्रा में पीना चाहिए। जब आपके बच्चे समझेंगे कि उनके शरीर के लिए पानी कितना महत्वपूर्ण है, तो वे नुकसानदायक पेय के बजाए पानी को चुनेंगे।
सुझाव: अपने बढ़ते बच्चों के लिए एक साफ सुथरा व्यवस्थित वातावरण उपलब्ध कराएं।
बच्चों को बचपन से ही स्वच्छता जरूर सिखाई जानी चाहिए। बच्चों के आसपास चीजों को ठीक से व्यवस्थित करके स्वच्छता सिखाना शुरू करें। जब वे चीजों को व्यवस्थित देखने के आदी हो जाएंगे, तो वे उन्हें भी उसी तरह रखना चाहेंगे। जब वे थोड़े बड़े हो जाए, तो आप उनकी सहायता कर सकते हैं और गंदगी को साफ करने और उन्हें सही तरीके से व्यवस्तित करने के लिए समय निर्धारित करें। नियमित रूप से ऐसा करने से, वह जल्द ही सीख जाएंगे और अपनी चीजों को स्वयं व्यवस्थित करने का प्रयास करेंगे।
सुझाव: उनके लिए बजट निर्धारित करें।
जैसे ही आपके बच्चे इतने ज़िम्मेदार बन जाएं कि वह जाकर सामान खरीदने के लिए रुपये–पैसे का उपयोग कर सकें, तब आप उन्हें कड़ी मेहनत की कमाई के मूल्य के बारे में शिक्षित करना शुरू करें। आप अपने बच्चों को पैसे बचाने की आदत डालने के लिए उन्हें कभी–कभी पॉकेट मनी दे सकते हैं या उनके साथ मिलकर गुल्लक में पैसे रख सकते हैं।
बच्चों को निर्धारित राशि दें और उन्हें अपने खर्चों का प्रबंधन करने और पैसे बचाने के लिए प्रोत्साहित करें। इस तरह, आपके बच्चे रुपये–पैसे का मूल्य समझेंगे और बचत करना शुरू करेंगे।
सुझाव: घर पर साझा करने की आदत को प्रोत्साहित करके शुरू करें।
बच्चों को कुछ चीज़ों का मूल्य समझ आना चाहिए, उन्हें आभारी होना सीखना चाहिए और इतना विनम्र होना चाहिए कि वे उन लोगों के साथ चीज़ों को साझा करें जो उन चीज़ों को खरीदने का सामर्थ्य नहीं रखते। उन्हें उन अमूर्त चीजों के बारे में भी सिखाएं जिन्हें साझा किया जा सकता है, जैसे कि भावनाएं, उमंग और कहानियां। बच्चे पहले अपने परिवार के साथ साझा करना सीखेंगे – माता–पिता, दादा–दादी, भाई–बहन, चचेरे भाई–बहन, विस्तारित परिवार के साथ और फिर अन्य लोगों के साथ। बांटने का यह आदत उसे एक बेहतर इंसान बनाएगी ।
सुझाव: अपने कचरे को इकट्ठा करने के लिए एक प्लास्टिक बैग अपने साथ रखें; इसे कचरे के बैग को घर ले आएं और इसे अपने कूड़ेदान में फेंके।
अपने बच्चों को सभ्य और ज़िम्मेदार नागरिक बनना सिखाएं। उन्हें बताएं कि सार्वजनिक स्थान कूड़ा फेंकने के लिए नहीं हैं और कचरे को निकटतम कूड़ेदान में फेंकना चाहिए। उन्हें इस आसान आदत को विकसित करने में मदद करें, और उन्हें हर जगह इसका पालन करने के लिए कहें, क्योंकि यह उन्हें बेहतर व्यक्ति बनने में मदद करेगा। उन्हें गंदगी न फैलाने की आदत डालें, और आपके बच्चे आपकी मिसाल का अनुकरण जरूर करेंगे। हमेशा जब घर के बाहर हों तो चीजों को फेंकने के लिए डस्टबिन की तलाश करें। घर से बाहर कदम रखने से पहले आप अपने साथ एक छोटा सा प्लास्टिक बैग लें और उसमें अपना सारा कचरा इकट्ठा करें – खाली पानी की बोतलें, पेपर नैपकिन आदि। रेस्तरां में गंदगी मेज पर छोड़ने या सड़क के किनारे पर फेंकने या कार की खिड़की से बाहर फेंकने के बजाय इसे घर ले आएं और कूड़ेदान में फेंके।
सुझाव: लोगों के साथ वैसा ही व्यवहार करें जैसा आप चाहते हैं कि आपके बच्चे उनके साथ व्यवहार करें – सम्मान के साथ और विनम्रता से।
विनम्र होना ऐसा गुण है जिसकी हर कोई प्रशंसा करता है। अपने बच्चों को लोगों का सम्मान करना सिखाएं, चाहे वे बुजुर्ग हों या उससे छोटे हों। उन्हें समझाएं कि भले ही वह किसी ऐसे व्यक्ति के सामने हो जो उन्हें पसंद नहीं है, तब भी उन्हें विनम्र और सभ्य तरीके से बात करनी चाहिए। उन्हें सभी के साथ शांत और सौहार्दपूर्ण व्यवहार करना चाहिए। ये गुण जीवन भर उनके साथ रहेंगे, और उन्हें हमेशा सम्मान की दृष्टि से देखा जाएगा। पहले अपने बच्चों के साथ सम्मान से पेश आना शुरू करें, और आप देखेंगे कि वह इस आदत को खुद ही सीख लेंगे। सेविका के साथ विनम्रता से पेश आएं। बच्चे जो देखते है वही करते है।
सुझाव: अलग अलग संस्कृतियों के लोगों के बीच दोस्ती को प्रोत्साहित करें और बढ़ावा दें।
बच्चे निर्दोष और निष्पक्ष पैदा होते हैं, और भेद–भाव सामाजिक अनुबंधन का हिस्सा है। माता–पिता के रूप में, आपको बस अपने बच्चों को भेदभाव करने की प्रवृत्ति से दूर रखना होगा। उन्हें निष्पक्ष रहना और सभी लोगों के साथ समान व्यवहार करना सिखाएं, चाहे वह अमीर हो या गरीब, दोस्त हो या दुश्मन। आप उन्हें हर धर्म या जाति के बच्चों के साथ दोस्ती करने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं।
सुझाव: बच्चों को टीवी पर बाल वृत्तचित्र और पशुओं के शो दिखाएं।
बच्चे आमतौर पर जानवरों और पक्षियों को अपने पास पा कर खुश हो जाते हैं। कुछ उनकी तरफ आकर्षित भी होते हैं, कुछ उनसे डरते हैं, कुछ रक्षात्मक हो जाते हैं, जबकि कुछ शांत रहते हैं। उन्हें शिक्षित किया जाना चाहिए कि पशु और पक्षी जीवित प्राणी हैं जो अपने तरीके से बातें करते हैं और स्नेहशील हो सकते हैं। उन्हें उन प्राणियों के बीच अंतर करना सीखना चाहिए – जो हानिकारक हैं और जो हानिकारक नहीं हैं। उन्हें हानिकारक पशुओं से दूर रहने और पालतू जानवरों के प्रति दयावान और स्नेहशील रहने सिखाए । उन्हें इसके बारे में सिखाने के लिए टीवी पर वृत्तचित्र और पशुओं के शो दिखाएं।
सुझाव: अपने बच्चों का किसी खेल में दाखिला कराएं।
अपने और अपने परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर टहलने, जॉगिंग करने, तैराकी, व्यायाम या घर पर योग करने जैसे शारीरिक कार्य को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं। अंततः व्यायाम पूरे परिवार के लिए फायदेमंद साबित होगा। बच्चों की दिनचर्या में शुरू से ही इसे शामिल करना उन्हें सक्रिय, सेहतमंद और लचीला बनाए रखेगा। इससे आपके बच्चों के लिए एक स्वस्थ जीवन शैली स्थापित करने में मदद मिलेगी। संगीत सुनते हुए कसरत कर के उसमें जोश लाएं। ऐसा करने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप अपने बच्चे को किसी खेल में दाखिला दिलाएं । यह उन्हें मूल्यवान जीवन के सबक भी सिखाएगा, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण है खिलाड़ी भाव।
सुझाव: हमेशा उनकी गलतियों और खामियों को रचनात्मक तरीके से बताएं।
आलोचना छोटे बच्चों को बना सकती है या बिगाड़ सकती है। कम उम्र में, हर कोई इतना बुद्धिमान नहीं होता कि वह आलोचनाओं को सकारात्मक रूप से ले सके। माता–पिता को अपने बच्चों पर नज़र रखनी चाहिए और उन्हें दूसरों के साथ व्यवहार और उनके रंग ढंग के बारे में समझाना चाहिए। बच्चों को समझाना चाहिए कि आलोचना दूसरों को चोट पहुंचा सकती है, इसलिए उन्हें दूसरों के बारे में गलत बातें नहीं बोलनी चाहिए। जिसे आप शायद ही जानते हों उसे केवल मज़े के लिए चिढ़ाना या धमकाना गलत है और स्वीकार्य नहीं है। ध्यान रखें कि आप अपने बच्चे के सामने कभी भी परिवार के सदस्यों के बारे में गलत बात न बोलें।
सुझाव: अपने बच्चों से झूठ न बोलें। सफेद झूठ भी झूठ ही है। हमेशा ईमानदार रहने की कोशिश करें।
ईमानदारी एक बहुत ही महत्वपूर्ण गुण है और बचपन से ही बच्चों को इसकी आदत डालनी चाहिए। माता–पिता होने के नाते, आप अपने बच्चों के लिए रोल मॉडल हैं। आपके कार्यों और शब्दों का उन पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है, चाहें वह सकारात्मक हो या नकारात्मक। हर समय ईमानदार रहें, विशेष रूप से बच्चों की उपस्थिति में। उन्हें हर परिस्थिति में सच बोलने के लिए प्रेरित करें।
सुझाव: उन्हें बागवानी, या खाना पकाने के लिए प्रोत्साहित करें।
यह ठीक ही कहा गया है कि धैर्य एक गुण है’, क्योंकि धैर्य रखने वाले लोग हमेशा शांत रहते हैं, और आज की तनावपूर्ण दुनिया में, हर कोई शांति चाहता है। अपने बच्चों में बचपन से धैर्य का गुण विकसित करें, जिससे वे बड़े होकर शांत और अमनपसंद रहें। उन्हें मस्त रहना, शांत रहना और अपनी बारी के आने का इंतज़ार करना या कुछ चीजों के लिए प्रतीक्षा करना सिखाएं और बताएं कि सब कुछ अपनी गति से ही होगा। उन्हें आश्वस्त करें कि धैर्य का फल निश्चित रूप से अच्छा होता है, और किसी भी प्रतिकूल स्थिति से आसानी से निपटा जा सकता है। उन्हें बागवानी, या खाना पकाने जैसी गतिविधियों को करने के लिए प्रोत्साहित करें, जहां परिणाम तत्काल नहीं मिलते, और धैर्य की आवश्यकता होती है।
सुझाव: दिन में दो बार प्रार्थना करने की आदत डालें।
अपने बच्चों को विनम्र रवैया रखने के लिए प्रोत्साहित करें और उन्हें सभी चीजों के लिए आभारी होना सिखाएं, चाहें बड़ी हों या छोटी। सुबह उठने के बाद और रात को सोने से पहले, दिन में दो बार प्रार्थना करने की आदत डालें, खुद भी इसका पालन करें, और आपके बच्चे आपसे सीखेंगे।
सुझाव: उन्हें गंदे हाथों के कारण होथों में लगे कीटाणुओं और उनसे होने वाली बीमारियों के बारे में सिखाएं।
छोटे बच्चों को भोजन से पहले और बाद में हाथ धोना सिखाया जाने वाला सबसे आम शिष्टाचार है। उन्हें बताएं कि हाथ धोने से आम बीमारियां जैसे फ्लू, सर्दी और अन्य संक्रमण से बचा जा सकता है। आपको उन्हें निम्नलिखित बुनियादी नियम सिखाने चाहिए:
सुझाव: इसे एक साथ करें – अपने बच्चे के साथ–साथ अपने दाँत ब्रश करें।
मुंह की स्वच्छता बहुत महत्वपूर्ण है और बचपन से ही अच्छी देखभाल करने की आवश्यकता होती है। बचपन से पली आदतें लंबे समय तक बनी रहेंगी। अक्सर बच्चे अपने दांतों को ब्रश करने में आलस करते हैं, लेकिन इस नियमित कार्य को मामूली नहीं मानना चाहिए। इनाम के रूप में, आप कभी–कभी उनकी पसंदीदा मिठाइयों खिला सकते हैं। उन्हें ब्रश करने के सही तरीकों के बारे में शिक्षित करें:
सुझाव: स्नान के बाद शरीर पोछतें समय इसे साफ करें।
कान आपके शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक हैं। अपने कानों की सफाई की सफ़ाई न करने से परेशानी और यहां तक कि संक्रमण भी हो सकता है। बचपन से ही नियमित रूप से कानों की सफाई के लिए अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए। बाहरी कान को रोज़ पानी से साफ़ किया जाना चाहिए और सूखे तौलिये से पोंछना चाहिए। जैसे–जैसे बच्चे बड़े होते हैं, आप उन्हें अपने कान खुद साफ़ करना सिखा सकते हैं।
सुझाव: ग्रीष्मकाल में दिन में दो बार स्नान करें।
स्नान एक बुनियादी जरूरत है और सभी उम्र के लोगों के लिए अनुशंसित है। सुबह उठने के बाद सबसे पहले इसे करना चाहिए। आप अपने बच्चों को गर्मियों के दिनों में दो बार नहला सकते हैं। नहीं तो, बच्चों को बाहर से खेल कर द घर आने के बाद स्नान करना चाहिए। स्नान करने से त्वचा फिर जीवंत हो उठती है और बच्चे तरोताज़ा महसूस करते हैं, साथ ही रात में अच्छी नींद भी आती है।
सुझाव: बच्चों को उनके बालों में कंघी करने का उचित तरीका सिखाएं।
बच्चों को अपने बाल साफ़ रखने चाहिए। यात्रा या बाहर खेलने के दौरान सिर और बाल अक्सर गंदे हो जाते हैं। उन्हें अपने बाल अक्सर धोने चाहिए, कम से कम दो या तीन दिनों में एक बार। यह उन्हें सुरक्षित रखेगा और जूँ के संक्रमण, रूसी और बालों के ज़्यादा झड़ने से दूर रखेगा।बालों को धोने से पहले नियमित रूप से उनके सिर पर तेल लगाने की आदत डालें। यह भी सुनिश्चित करें कि आप ऐसी कंघी का उपयोग करें जो उनके बालों को कंघी करते समय सिर को भी छूती हो। इससे सिर में रक्त परिसंचरण में सुधार होगा, और स्वस्थ बाल बढ़ेंगे।
सुझाव: उन्हें समझाएं कि कैसे उनके नाखून शरीर में कीटाणुओं के प्रवेश करने का कारण बन सकते हैं
बच्चे अक्सर अपनी उंगलियों को अपने मुंह में डालते हैं, इसलिए नाखूनों को साफ और गंदगी से मुक्त रखना जरूरी है। जैसे–जैसे बच्चे बढ़ते हैं, आप उन्हें अपने नाखूनों को छोटा और साफ रखने की जरूरत के बारे में बता सकते हैं। उन्हें समझाएं कि गंदे नाखूनों के कारण खुजाने से मुंह के ज़रिए शरीर में कीटाणु प्रवेश कर सकते हैं और वह उन्हें बीमार कर सकते हैं।
जैसे ही आपका बच्चा स्कूल जाना शुरू करता है, आपको अच्छे स्वास्थ्य और अच्छी आदतों के मूल्य के बारे में उन्हें बताना शुरू करना होगा। अच्छी आदतों के बारे में और , स्कूली बच्चों के पालन के अलावा भी यहां उपरोक्त सूचीबद्ध कुछ आवश्यक बातें बताई गई हैं।
सुझाव: इन शब्दों का प्रयोग जितनी बार आप कर सकते हैं, अपने बच्चों के साथ करें।
आपको अपने बच्चों को तीन जादुई शब्द “कृपया“, “धन्यवाद” और “क्षमा करें” सिखाना चाहिए, जो उन्हें कई परेशानियों से आसानी से निपटने में मदद करेंगे। इन सुनहरे शब्दों का उपयोग करने की आदत से समाज में सम्मान मिलता है और प्रशंसा भी मिलती है। आपके बच्चे विनम्र और गर्मजोशी से भरे नज़र आएंगे। अपने बच्चों के साथ अक्सर इन शब्दों का उपयोग करने का अभ्यास करें, और जल्द ही वे इन शब्दों का अक्सर प्रयोग करने लगेंगे।
सुझाव: हर दिन किसी एक व्यक्ति की मदद करने के लिए बच्चों को प्रोत्साहित करें।
बच्चों में मदद करने की प्रकृति को बढ़ावा दें। उन्हें विनम्रता और उदारता का रास्ता दिखाएं। जब भी और जहां भी संभव हो, जरूरतमंद लोगों को मदद करने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करें। अपने बच्चों की मौजूदगी में अपने हिस्से का काम करें; लोगों की मदद करें, चाहे वह आपके दोस्त हों या अजनबी हो, लेकिन साथ ही, उन्हें अजनबियों से सतर्क रहने के लिए सावधान करें।
सुझाव: आशावाद को बढ़ावा दें।
बच्चे बहुत संवेदनशील होते हैं और छोटी–छोटी चीजों से आसानी से हतोत्साहित हो जाते हैं या जब उनके मन का नहीं होता। बहुत जरूरी है कि आप शामिल हों और उनसे बात करें ताकि आप इस बात से अवगत हों कि आपके बच्चे क्या कर रहे हैं और क्या सोचते हैं, जिससे वे कोई भी नकारात्मक आत्म–चर्चा न करें। झूठी प्रशंसा करने से बचें; इसके बजाय, सही समय पर उनकी उपलब्धियों और प्रयासों को सराहें। आप बच्चों को उनकी क्षमताओं और अद्वितीय गुणों के बारे में उन्हें आश्वस्त करके उनके आत्म–सम्मान को विकसित करने में मदद कर सकते हैं और उन्हें इस बात का दिलासा दें कि कुछ भी हो उन्हें हमेशा प्यार किया जाएगा। उनकी सोच को इस प्रकार विकसित करने की कोशिश करें जिससे वह तार्किक और व्यावहारिक बनें, ताकि वह एक सकारात्मक तरीक़े से दिमाग लगा सकें और जीवन भर चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों का सामना करने के अनुसार सोच सकें।
सुझाव: सप्ताहांत पर प्ले–डेट्स का आयोजन करें।
ऐसा कहा जाता है कि स्कूल में की गई दोस्ती लंबे समय तक बनी रहती है, शायद जीवन भर के लिए भी। ऐसा इसलिए है क्योंकि बच्चे मासूम होते हैं; वे बिना किसी स्वार्थ के दोस्त बनाते हैं। और बचपन में दोस्त आपके बच्चों के सामाजिक विकास में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। बच्चे दोस्तों के साथ रहकर मूल्यवान जीवन कौशल जैसे बातचीत करना, सामाजिकता, सहयोग, समस्या को हल करना और टीम वर्क सीखते हैं।
किशोर और वयस्कता के दौरान, अच्छे दोस्त आपके बच्चों के सपोर्ट सिस्टम का हिस्सा बन जाते हैं। अपने बच्चों को दोस्त बनाने और उनके साथ मिलने–जुलने और समय व्यतीत करेंने के लिए प्रोत्साहित करें।
सुझाव: सुनिश्चित करें कि वे दिन की शुरुआत पौष्टिक, स्वस्थ भोजन से करें।
नाश्ता सभी उम्र के लोगों के लिए सबसे महत्वपूर्ण भोजन है। यह छोटे बच्चों और स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए विशेष रूप से जरूरी है, क्योंकि यह मस्तिष्क, मेटाबॉलिज़्म और शरीर के कार्यों में तेज़ी लाता है और पूरे दिन ऊर्जा प्रदान करता है। आप अपने बच्चों को उनके नाश्ते में अधिक फाइबर वाले अनाज दे सकते हैं, क्योंकि इस तरह के खाद्य पदार्थ मधुमेह और हृदय रोगों के जोखिम को कम करने में मदद करते हैं। नाश्ते करने की आदत उनके लिए वयस्कता में फायदेमंद साबित होगी। उन्हें नाश्ता न करने के हानिकारक परिणामों के बारे में बताएं और जोर देते रहें कि सुबह नाश्ता नहीं खाने से मोटापे की संभावना बढ़ जाती है।
सुझाव: बचपन से शुरू करें, और स्वावलंबन को प्रोत्साहित करें।
एक निश्चित उम्र के बाद, बच्चों को स्वयं भोजन करने पर ज़ोर दिया जाना चाहिए। हालांकि वे चम्मच और कांटे पकड़ना पसंद कर सकते हैं, लेकिन वे ठीक से पकड़ने में विफल हो जाते हैं और खाना इधर–उधर फैल जाता है। उन्हें सही तरीके से खाना खाना सिखाया जाना चाहिए। आप उनके साथ बड़ों के तरह का व्यवहार करें और उन्हें उचित तरीके से भोजन करने का शिष्टाचार सीखाना शुरू करें ।
सुझाव: हर दिन किसी न किसी तरह की शारीरिक गतिविधि के लिए 40 मिनट समर्पित करें।
बच्चों को उन गतिविधियों में संलग्न करके उन्हें शारीरिक रूप से सक्रिय रखा जाना चाहिए, जो उन्हें दिलचस्प लगते हैं, चाहे वो खेल हों, संगीत वाद्ययंत्र हो, तैराकी हो या जिमनास्टिक्स हों। यह आदत आपके बच्चों के विकास को हर तरह से बढ़ाएगी। बच्चे स्वस्थ और सतर्क रहेंगे; वे मजबूत होना सीखेंगे और बाद में वयस्कता में इन गतिविधियों को जारी रख सकते हैं। यदि आपके बच्चे खेलकूद के प्रति उत्सुक नहीं हैं या जिम क्लास में जाने से डरते हैं, तो उन्हें नई चीजों को आज़माने के लिए प्रोत्साहित करें और उन्हें अन्य गतिविधियों से अवगत कराएं। कभी न कभी, वे निश्चित रूप से इसे कुछ चुनौतीपूर्ण, सुखद और मजेदार पाएंगे।
सुझाव: इसे अपने बच्चों के सोने के समय नित्य काम का हिस्सा बनाएं।
अपने बच्चों में पढ़ने के प्रति रुचि जगाने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप इसे अपने बच्चों के खेलने और सोने के समय रोज़ के काम का हिस्सा बनासुझाव: एं। ऐसी किताबें चुनें, जो आपके बच्चों के लिए मज़ेदार हों। इसे दैनिक आदत बनाएं और इसे जारी रखें, क्योंकि यह बच्चों के आत्म–सम्मान को बढ़ावा देगी, उनके पढ़ने के कौशल को बढ़ाएगी और उनकी कल्पना, शब्दावली और रचनात्मकता को विकसित करने में मदद करेगी। यह माता–पिता के साथ रिश्ते और बातचीत को बेहतर बनाने में फायदेमंद साबित होता है।
सुझाव: समय की पाबंदी को प्रोत्साहित करें।
हम यह वाक्यांश कि “समय ही धन है” जानते हैं और समय के साथ–साथ पैसे का मूल्य भी जानते हैं। बच्चों को समय का उचित उपयोग करना सिखाया जाना चाहिए, समय पर तैयार होना सीखें, दैनिक कार्यक्रम का पालन करें, और समय के पाबंद रहें।
उन्हें समय पर स्कूल जाने की जरूरत को समझाएं, क्योंकि समय का पाबंद न होने के लिए उन्हें दंडित किया जा सकता है। एक परिवार के रूप में, आप कई कार्यों या पार्टियों में भाग लेते हैं। सुनिश्चित करें कि आप हर अवसर के लिए समय से पहले या समय पर पहुंच जाते हैं, और जैसे–जैसे बच्चे बढ़ते हैं, उनमें भी यही आदत विकसित होगी।
सुझाव: एक नियमित सोने के समय निर्धारित करें।
शिशु के साथ–साथ बढ़ते हुए बच्चे के लिए नींद बहुत महत्वपूर्ण है। आपको अपने बच्चों में बचपन से ही “जल्दी सोने और जल्दी उठने” की आदत डालनी चाहिए। स्कूल जाने वाले बच्चों को हर दिन सक्रिय और ऊर्जावान रहने की आवश्यकता होती है, जिसके लिए उन्हें पर्याप्त नींद की जरूरत होती है। नींद शरीर को दिन के दौरान खोई हुई सभी ऊर्जा को पुनःप्राप्त करने में मदद करती है। जल्दी सोने से आपके बच्चों को पर्याप्त आराम मिलेगा, जिससे बच्चे अगले दिन तरोताज़ा और स्फूर्तिमान महसूस करेंगे।
सुझाव: उनकी विफलताओं के समय उनका साथ दें।
असफल होने पर बच्चे उदास हो जाते हैं। माता–पिता होने के नाते यह आपकी ज़िम्मेदारी है कि आप उनका साथ दें और उन्हें सकारात्मक तरीके से हार स्वीकार करने और अगली बार अपना सर्वश्रेष्ठ देंने के लिए प्रेरित करें। उन्हें जीवन के उतार–चढ़ाव के बारे में बताया जाना चाहिए और यह समझाया जाना चाहिए कि हर हार स्थायी नहीं होती है। हमेशा जीतने या हारने के बारे में नहीं होता है,आपके द्वारा किए गए प्रयास और आपकी प्रगति भी महत्वपूर्ण होती हैं।
सुझाव: अपने बच्चों को सिखाएं कि जीवन में कोई शॉर्टकट नहीं हैं!
अपने बच्चों को मेहनत करने के महत्व के बारे में बताए। अपने सभी कार्यों में उन्हें पूरी कोशिश करने की आदत डालें चाहें वे कुछ भी करते हैं, चाहें पढ़ाई हो, लिखाई हो या किसी भी रचनात्मक कार्य में लगे हों। उन्हें इस तथ्य को सीखना चाहिए कि अच्छी किस्मत अकेले सफलता का साथ नहीं देती है; इसके लिए दृढ़ निश्चय और कड़ी मेहनत की आवश्यकता होती है। आप अपने बच्चों को उदाहरण देकर समझा सकते हैं कि आप जीविकोपार्जन के लिए कितनी मेहनत करते हैं।
सुझाव: खुद इन आदतों को छोड़ें, और आपका बच्चा आपका अनुकरण करेगा।
शराब पीना, धूम्रपान करना और नशीले पदार्थ लेने जैसी आदतें काफी हद तक पारिवारिक परिवेश और परवरिश पर निर्भर करती हैं। सुनिश्चित करें कि आप अपने बच्चों के जीवन में पूरी तरह से शामिल रहें, उनकी कमियों को जानें और उनका हर समय पर समर्थन करें, क्योंकि उपेक्षा और बातचीत की कमी से वे बाहरी प्रभावों की चपेट में आ सकते है। आपको अपने बच्चों को इस तरह की अस्वास्थ्यकर आदतों के बारे में शिक्षित करना चाहिए और उन्हें हर परिस्थिति में इनसे दूर रहना सिखाना चाहिए। इसके अलावा, बच्चों को उनके साथियों के प्रभाव में न आने दें। माता–पिता होने के नाते, आप सबसे पहले खुद को शराब न पीने और धूम्रपान न करने में मदद कर सकते हैं।
आप अपने बच्चों को अनुशासन सिखा सकते हैं, लेकिन आपका बच्चा इसका पालन करता है या नहीं, यह निर्भर करेगा कि आप माता–पिता होने के नाते अनुशासन को दिन–प्रतिदिन जीवन में कैसे शामिल करते हैं। उन्हें सही रास्ता दिखाएं और उन्हें सकारात्मक प्रबलीकरण और प्रशंसा से इस पर बने रहने के लिए प्रोत्साहित करें।
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