7 महीने के बच्चे में आने वाले पड़ाव

7 महीने के बच्चे में आने वाले पड़ाव

सात महीने की उम्र में आपका बच्चा हंसता है, प्रारम्भिक संकेतों और भावनाओं को समझने लगता है, घुटनों के बल रेंगना शुरू कर देता है, चंचल होने लगता हैऔर यह देखना आपके लिए आनंद से भरपूर होता है। उसने प्रारम्भिक ठोस आहार लेना और आपको दिन भर अपनी हरकतों से चौकना भी शुरू कर दिया है। इस आयु वर्ग के बाद से आपका बच्चा और अधिक जिज्ञासु होता जाएगा, शब्दों का निर्माण करना शुरू कर देगा और अपने आसपास की दुनिया के प्रति व्यापक समझ प्राप्त करेगा।

7 महीने के बच्चे में आने वाले पड़ावों की तालिका

प्राप्त की गईं विकासात्मक उपलब्धियाँ उभरते विकासात्मक उपलब्धियाँ
छिपी हुई वस्तुओं का पता लगाने में कुशल हो जाते हैं। वस्तुओं को खोजने में सक्षम है।
‘नहीं’ शब्द का मतलब समझता है। एक शब्द के निर्देशों को समझना शुरू कर देते हैं।
आवाज़ के लहज़े की पहचान शुरू कर देते हैं। हाल में हुई बातों को ध्यान में रखना शुरू कर देते हैं और आवाज़ के विभिन्न लहजों को याद रखने लगते हैं।
चीजों को अधिक मजबूती से पकड़ना शुरू कर देता है। चिमटी जैसी पकड़ विकसित करते है।
वस्तुओं तक पहुँचने और उन्हें मुँह की ओर ले जाने की संभावना बढ़ जाती है।

प्रतिबिंब और दर्पण को समझने में सक्षम होते है।

वस्तुओं को उठाने के लिए हाथों का अधिकतर उपयोग करते हैं।

स्वयं और वयस्कों को पहचानने में बेहतर रूप से सक्षम होते है।

कारण और प्रभाव को पहचानते है। केवल कुछ कार्यों के परिणाम को याद रखेंगे ।

7 महीने की आयु तक आपके बच्चे को विकास के इन पड़ावों तक पहुँचना चाहिए

7 महीने की आयु तक आपके बच्चे को विकास के इन पड़ावों तक पहुँचना चाहिए

एक बार जब आपका बच्चा सात महीने का हो जाता है, तब विकास की निम्नलिखित गतिविधियों पर ध्यान दें:

संज्ञानात्मक विकास

आपके शिशु की चीजों को समझने और जानने की क्षमता लगातार बढ़ती है। इसलिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि आपके बच्चे का मस्तिष्क उसके शरीर की तुलना में तेज़ी से बढ़ रहा है ताकि वह उसे अपने आसपास के वातावरण के अनुकूल होने के लिए तैयार कर सके। इस दौरान आपका बच्चा भी कारण और प्रभाव का परीक्षण करना शुरू कर देता है और चीज़ों के आपसी संबंध को समझने लगता है ।

आप निम्न चीज़ों को पहचानकर अपने बच्चे के संज्ञानात्मक विकास में सहायता कर सकती हैं:

  1. हाल की घटनाओं की यादें विकसित करना शुरू कर देगा ।
  2. माता-पिता से लेकर देखभाल करने वालों तक अपने आसपास के लोगों के साथ बड़बड़ाकर बातचीत करना शुरू कर देगा।
  3. वस्तुओं पर खिलते हुए रंग और आकृतियां पसंद करेगा और उस तक पहुंचने का प्रयत्न करेगा।
  4. अपने आसपास की दुनिया के बारे में जिज्ञासा दर्शाना शुरू कर देगा, विशेष रूप से जो सामान उसके पहुँच से बाहर होगा।
  5. ‘नहीं’ शब्द के मतलब को समझता है।
  6. कुछ बच्चे बातचीत में अपने नाम को पहचानना शुरू कर सकते हैं।
  7. हिलती-डुलती वस्तुओं पर अधिक ध्यान देते हैं।
  8. कंबल या अन्य किसी जगह में छिपी हुई वस्तुओं को खोजने का प्रयास करेगा।

शारीरिक विकास

जब आपका बच्चा दर्पण में खुद को देखना शुरू कर देता है और संज्ञानात्मक (सोच-विचार से सम्बंधित) क्षमताओं के बढ़ने के कारण लोगों के भावों को बारीकी से समझने में सक्षम हो जाता है, तो वह शारीरिक रूप से भी मजबूत और दृढ़ होने लगेगा।

आपके बच्चे में ध्यान देने योग्य और उनके मोटर (संचालन संबंधी) कौशल को प्रोत्साहित करने के लिए यहाँ कुछ लक्षण दिए गए हैं

खाने की चीज़ों / छोटे या लम्बे टुकड़ों को तर्जनी उंगली और अंगूठे के बीच मजबूती से पकड़ना शुरू कर देंगे, जिन्हें ‘पिंसर ग्रिप’ भी कहा जाता है।

  1. पेट के बल घूमना और घुटने के बल रेंगना शुरू करना, घूमना या आगे बढ़ने की कोशिश करना।
  2. अपने हाथ और पैर को उद्देश्यपूर्वक मारना।
  3. छोटे खिलौने उठाना और उन्हें घुमाना।
  4. कुछ बच्चे कम से कम सहायता के साथ बैठने में सक्षम होते हैं।
  5. अपने पास की वस्तुओं तक एक या दोनों हाथों के सहारे से पहुँचते हैं।
  6. किसी भी छोटी वस्तु को अपने मुँह में डालने की कोशिश करते हैं।

सामाजिक और भावनात्मक विकास

सामाजिक और भावनात्मक विकास आपके बच्चे के जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है क्योंकि वह बड़ों की दुनिया में आने के लिए अपने संबंधों की नींव रखना शुरू कर देता है ।

आपके शिशु में कुछ महत्वपूर्ण चीजें विकसित होंगी :

  1. मुस्कुराना या हँसना या भावनाओं को सही ढंग से व्यक्त करना।
  2. अपने अभिभावकों या माता-पिता के भावों का बारीकी से निरीक्षण करना और उनकी नकल करने की कोशिश करनागे।
  3. पसंद और नापसंद सहित स्वयं के व्यक्तित्व का विकास करना शुरू कर देते हैं ।
  4. अपने आसपास के लोगों के साथ किसी भी गतिविधि में भाग लेना चाहेगा।
  5. अन्य बच्चों के प्रति संवेदनशील रहेगा और यदि वे रोते हैं तो वह भी रोएगा।
  6. शोरशराबे की ओर ध्यान देगा और फिर उस पर डर या घबराहट की प्रतिक्रिया देगा।

संचार कौशल

इशारों और आवाज़ों के साथ ध्यान आकर्षित करना उन चीजों में से एक हो सकती है जो आपका बच्चा अपने संचार कौशल (अभिव्यक्त करने की कला) को विकसित करते समय करता है।

अन्य कुछ हैं :

  1. अपनी बातों में ‘ओह’ और ‘आह’ जैसे स्वरों का प्रयोग शुरू करने लगते हैं।
  2. गले से गड़गड़ाहट जैसी आवाज़ निकलना शुरू कर देते हैं।
  3. अपने आसपास के लोगों के साथ बातचीत में भाग लेने का प्रयास करते हैं।
  4. प्रश्नों या कही हुई बातों की नकल करने के लिए अपनी आवाज़ का स्वर बदलते हैं।
  5. किसी भी कारण से अपनी ओर ध्यान आकर्षित करेंगे ।

बच्चों के दाँत निकलना

सात महीने के शिशु में मूलभूत शारीरिक बदलावों में से एक है दाँत आना जिसमें आपका शिशु धीरे-धीरे छोटे-छोटे दाँतों के उभरने का अनुभव करने लगता है। आप अपने बच्चे को मसला हुआ आहार जैसे केला, कटे हुए फल या खीरे जैसे खाद्य पदार्थ, जो कि उसके काटने व पचाने के लिए आसान हों, वो देकर दाँत आने की वजह से होने वाले दर्द या परेशानियों का समाधान कर सकती हैं।

ध्यान देने योग्य कुछ लक्षण :

  1. बच्चा अधिक लार गिराएगा।
  2. वह भोजन के प्रति या साधारण व्यवहार में भी चिड़चिड़ा होने लगेगा।
  3. बाधित नींद, रात में सो न पाना भी इसका एक लक्षण है।
  4. कानों को खींचना और गाल और ठुड्डी को रगड़ना, परेशान होने का एक निश्चित संकेत है।
  5. मसूड़ों से निकलते हुए दिखाई देने वाले दाँत।
  6. बुखार होना या चकत्ते पढ़ना ।
  7. दस्त या कब्ज होना ।

भोजन

इस उम्र में, आपके शिशु के भोजन की खुराक माँ के दूध और फार्मूला दूध को मिलाकर 113-250 ग्राम के बीच में होनी चाहिए :

  1. अपने बच्चे की पसंद की पसंद के हिसाब से कभी खाने को मसल के गाढ़ा बना कर या कभी पतला बना कर दें ।
  2. जैसे-जैसे वह अपनी पसंद या नापसंद विकसित कर रहा है, उसको खीरा, गाजर, बीन्स जैसी सब्ज़ियों और केले, सेब, नाशपाती जैसे फलों के बहुत सारे विकल्प दीजिए ।
  3. आयरन से भरपूर चावल, दलिया आपके शिशु के लिए दैनिक पोषण की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अच्छा है।
  4. हाथ से खाए जाने वाले भोजन को धीरे-धीरे देना शुरु करें।

डॉक्टर से परामर्श कब करें?

आपको हर बार अपने बच्चे के छींकने या हिचकी आने पर डॉक्टर को संपर्क करने की ज़रूरत नहीं है, लेकिन सुनिश्चित कर लें कि आप कुछ ज़रूरी लक्षणों पर भी ध्यान दे रहीं हों। ।

  1. बच्चे के दाँतों को धीरे-धीरे बेबी ब्रश से ब्रश करना शुरू करें लेकिन सुनिश्चित करें कि आप अपने डॉक्टर से सबसे सुरक्षित तरीके के बारे में पूछ लें।
  2. इस आयु वर्ग के शिशु दिन के दौरान 12-14 घंटों के बीच सोते हैं, जिनमें झपकियां भी शामिल हैं, इसलिए अगर आपका शिशु अच्छी नींद नहीं ले रहा है या उसका निद्रा-चक्र अनियमित है, तो डॉक्टर को अवश्य संपर्क करें।
  3. एक सामान्य नियम के रूप में यदि आपके बच्चे को 103 या उससे अधिक बुखार है, तो ये डॉक्टर से संपर्क करने का वक्त है।
  4. यदि आपके बच्चे को चकत्ते हो जाते हैं या वह दर्द में है।
  5. यदि आप सामान्य से कम डायपर बदलने (हर 8 घंटे में एक से कम) या शुष्क मुँह जैसे निर्जलीकरण के संकेत देखते हैं।
  6. स्पष्ट रूप साँस लेने में से कठिनाई हो रही हो तो ।
  7. तसुस्त हो और सहारे से भी न बैठ पा रहा हो।
  8. उसके क्रियाकलापों या चाल में सुस्ती है।

आपके बच्चे को विकास के पड़ावों तक पहुचाने में मदद करने के लिए सुझाव

आप कुछ सरल युक्तियों के साथ अपने बच्चे को उसकी बाल अवस्था में ही उसके विकास के महत्त्वपूर्ण पड़ावों को पार करने में उसकी सहायता कर सकती हैं।

  1. शारीरिक विकास के लिए, जब आपका बच्चा मोटर (संचालन संबंधी) कौशल विकसित करना शुरू करता है, तो यह सही समय होता है जब उसको किस छोटी कप या बीकर की सहायता से पानी पिलाना सिखाया जाए।
  1. पकड़ने के कौशल को और अच्छा बनाने के लिए आप खिलौनों को बच्चे की पहुँच से दूर रखें जिससे कि वो उस तक पहुँचने के लिए रेंग के जाए।
  2. आपका बच्चा शायद ‘नहीं’ जैसे कुछ ख़ास शब्दों को समझना शुरू कर देगा लेकिन वह एक खिलौने के बजाय उसके आसपास की चीज़ों को उठाता रहेगा। इससे निपटने का सबसे अच्छा तरीका ये है कि बच्चे का ध्यान किसी और चीज़ की ओर भटका दिया जाए।
  3. महत्वपूर्ण वस्तुओं को बच्चों की पहुँच से बाहर रखें ताकि वह अपने आसपास के खिलौनों की तरफ अधिक आकर्षित हो।
  4. पीक-ए-बू (लुका-छिपी) खेलना शुरू करें क्योंकि इससे वह छिपी हुई वस्तुओं को खोजने के लिए प्रोत्साहित होंगे ।
  5. अपने बच्चे से अक्सर बात किया करें और गाना गाया करें और ये धीरे-धीरे करें ताकि वे उनमें से कुछ शब्दों को सीखें, आपस में जोड़ें और इसमें भाग लें।
  6. बाय कहें, नमस्ते कहें और दैनिक क्रियाकलापों में सरल शिष्टाचार को सिखाना शुरू करें।
  7. कहानी की किताबें, चित्र वाली पुस्तकें उठाएं और अपने बच्चे को ज़ोर से पढ़ कर सुनाना शुरू करें।

अपने बच्चे के लिए खोज करने जैसा माहौल बनाएँ ताकि यह सुनिश्चित हो जाए कि वे हर प्रकार के पड़ाव को पार कर सकें और खुश व स्वस्थ रहें इसके अलावा, अगर आपका बच्चा किसी प्रकार का विकास करने में असमर्थ है, तो उसके साथ सख्ती से पेश न आएं। हर बच्चा अलग होता है और उसके अलग-अलग विकास चक्र होते हैं, इसलिए धैर्य रखें और अपने बच्चे के विकास को प्रोत्साहित करें।