पैरेंटिंग संभवतः सबसे मुश्किल कामों में से एक है, लेकिन, फिर भी यह आपको एक अनोखी संतुष्टि देती है। एक पैरेंट होना मुश्किल है और पहली बार माँ बनने वाली महिलाओं के लिए, यह और भी कठिन हो सकता है। आप पैरेंटिंग, बच्चे के विकास के विभिन्न माइलस्टोन, बच्चे के व्यवहार आदि के बारे में बहुत सी किताबें पढ़ सकती हैं। लेकिन, जैसे ही बेबी जन्म लेता है और आप उसकी देखभाल करना शुरू करती हैं, तब आपको यह एहसास होता है, कि किसी भी अन्य चीज से ज्यादा किसी और का पैरेंटिंग का अनुभव आपको बेहतरीन तरीके से इसे सिखा सकता है। आपको पता चलता है, कि कभी-कभी आपको अपने सहज ज्ञान पर भी भरोसा करना चाहिए। आपको अपने बच्चे की जरूरतों को समझना पड़ता है और देखना पड़ता है, कि बच्चे के लिए सबसे बेहतर क्या है।
अपने पहले बच्चे के जन्म के बाद, आपने हर नई और अनुभवी माँ की बात को बहुत ध्यान से सुना होगा, अपने बच्चे के रोने पर परेशान हुई होंगी, उसके हर डेवलपमेंट माइलस्टोन की डिटेल्स को नोट किया होगा, उसे गोद में उठाने से पहले दस बार हाथ धोए होंगे और अपने घर आने वाले हर व्यक्ति को, बच्चे को छूने से पहले, उसके पालने के पास रखे हुए सैनिटाइजर का इस्तेमाल करने के लिए कहा होगा। पहली बार माँ बनने पर इस तरह के व्यवहार को समझा जा सकता है और इसमें कुछ भी गलत नहीं है। क्योंकि, उस वक्त आपके लिए सब कुछ नया होता है और आप माँ होने से जुड़ी बातें सीख रही होती हैं। लेकिन, फिर चीजें बदल जाती हैं और बच्चा थोड़ा बड़ा हो जाता है और इसके अलावा जब दूसरा बच्चा आपके जीवन में आ जाता है, तो आप भी बदल जाती हैं। आइए देखते हैं, कि अपने दूसरे बच्चे के पालन-पोषण के दौरान आप कौन से काम अलग तरह से करने लगती हैं (और आपको पता भी नहीं चलता है)।
जब आप दूसरी बार माँ बनती हैं, तो अपनी पैरेंटिंग स्टाइल में बहुत से बदलाव देख सकती हैं। जब आप अपने दूसरे बच्चे की देखभाल करती हैं, तो आपको यह एहसास होता है, कि आप पहले से काफी नरम हो चुकी होती हैं और छोटी-छोटी बातों को लेकर लंबे समय तक परेशान या चिंतित नहीं रहती हैं। आप दूसरे बच्चे के साथ अधिक रिलैक्स रहती हैं और ऐसी कुछ चीजें हैं, जिन्हें आप बच्चे की देखभाल के दौरान अलग तरह से करती हैं। आइए देखते हैं, कि वे क्या हैं।
पहली बार बनने वाली ज्यादातर माएं, बच्चे के आने के बाद जर्माफ़ोब्स में बदल जाती हैं और आपको भी पता नहीं चला होगा, कि आप भी वैसी कब बन गईं। अपने पहले बच्चे की देखभाल के दौरान, आपको ऐसा लगता होगा, कि आपके आसपास का वातावरण जर्म्स से भरा पड़ा है और वहाँ मौजूद हर एक चीज आपके मासूम बच्चे को नुकसान पहुँचा सकती है। अगर बेबी ने कभी पैसीफायर अपने मुँह गलती से गिरा दिया हो तो आपने उसे वापस देने से पहले स्टरलाइज किया होगा और पोंछकर साफ किया होगा। आपने पहले बच्चे की देखभाल के दौरान, न जाने कितने ही सैनिटाइजर और बेबी वाइप्स के पैकेट इस्तेमाल किए होंगे। लेकिन अपने दूसरे बच्चे के आने के बाद, आप संभवतः ऐसा करना जरूरी नहीं समझती हैं। अब आपको ऐसा नहीं लगता है, कि जर्म्स बेबी के खिलाफ कोई योजना बना रहे हैं। अगर आपके बच्चे का खिलौना जमीन पर गिर जाता है, तो आप उसे बिना सैनिटाइज किए हुए ही वापस दे देती हैं। अब आप यह समझती हैं, कि थोड़े बहुत जर्म्स बच्चे को नुकसान नहीं पहुँचाएंगे और आपको हर छोटी चीज के लिए पैनिक होने की जरूरत नहीं है।
पहली बार माँ बनने पर, आपने बेबी के विकास के पड़ावों को ट्रैक करने के लिए एक छोटी और प्यारी सी रिकॉर्ड बुक खरीदी होगी या फिर जब जब बच्चे ने कुछ नया किया होगा, तब तब आपने उसकी तस्वीरें ली होंगी और अपने फोन को उसकी पिक्चर्स से भर लिया होगा। आपको हर वह तारीख और समय याद होगा, जब वह पहली बार मुस्कुराया, जब उसने अपना पहला कदम रखा या जब उसके दांत आने शुरू हुए और अगर कभी भी उसके डेवलपमेंट माइलस्टोन पर पहुँचने में 2 दिनों की भी देर हुई होगी, तो आप बहुत फिक्रमंद हुई होंगी और परेशानी में बच्चे के पेडिअट्रिशन को कॉल भी किया होगा। लेकिन अब आप अपने दूसरे बच्चे के साथ यह सब नहीं करती हैं।
आपने उसकी ढेर सारी तस्वीरें ली होंगी, जो कि सामान्य है, लेकिन संभवतः अब आपने कोई फैंसी रिकॉर्ड बुक नहीं ली होगी। अब आपको पता होगा (या कम से कम आप अंदाजा लगा सकती हैं) कि उसके दांत आने कब शुरू होंगे या वह चलना या मुस्कुराना कब शुरू करेगा। अपने दूसरे बच्चे के डेवलपमेंट माइलस्टोन को रिकॉर्ड नहीं करने का यह अर्थ नहीं है, कि आप उससे कम प्यार करती हैं, बात सिर्फ इतनी सी है, कि अब आपको इन सभी बातों की जानकारी हो चुकी है और आप यह समझ चुकी हैं, कि इन्हें ट्रैक करें या न करें, बच्चे का विकास सही समय पर हो ही जाएगा। और अगर आप ईमानदारी से बात करती हैं, तो इस बात को स्वीकार करेंगी, कि अब आप अपने पहले बच्चे के माइलस्टोन बुक को चेक नहीं करती (कम से कम पहले की तरह तो नहीं)। इसलिए इसे फिर से करने का कोई अर्थ नहीं है। आप अपने बच्चे को प्यार से बड़ा कर रही हैं और उसे बस इसी की जरूरत है।
अपने पहले बच्चे के लिए आप हर क्यूट कपड़ा खरीदना चाहती होंगी (और आपने खरीदे भी होंगे), बिना यह सोचे, कि आपके बच्चे को क्यूट दिखने या न दिखने से कोई फर्क नहीं पड़ता है और ये कपड़े कुछ ही महीनों में बच्चे के लिए छोटे पड़ जाएंगे। लेकिन, अपने दूसरे बच्चे के जन्म के बाद आपको इस बात का एहसास हो गया होगा, कि आपके बच्चे को इतने सारे कपड़ों की जरूरत नहीं है, क्योंकि वह बहुत जल्दी बड़ा हो जाता है और उसके पीछे इतने सारे पैसे खर्च करने का कोई अर्थ नहीं है। इसलिए, संभवतः आप अपने दूसरे बच्चे के लिए कम से कम कपड़े खरीदती हैं और कई बार पहले बच्चे के पुराने कपड़े ही उसे पहनाती हैं (जो कि अब भी बिल्कुल नए लगते हैं)।
आमतौर पर, यह लगभग सभी नई माँओं के साथ होता है। जब आप पहली बार माँ बनती हैं, तो आपकी नींद आपके अनुमान और लोगों द्वारा कही गई बातों की तुलना में कहीं ज्यादा खराब होती है। नींद की कमी के कारण आपका मूड प्रभावित होता है और हर समय थकान महसूस होती है। पहली बार माँ बनने के कारण, आपको यह समझ नहीं आता है, कि आपको हमेशा ही इतनी थकावट क्यों महसूस होती है और अच्छी नींद बहुत ही कीमती महसूस होती है। पर, जैसे-जैसे समय बीतता जाता है, आपको यह एहसास होता है, कि जब तक बच्चा बड़ा नहीं हो जाता, तब तक आप इसके बारे में कुछ नहीं कर सकती और इसका कोई भी दूसरा तरीका नहीं है। इसके लिए, आप केवल अपने पार्टनर या परिवार के अन्य सदस्यों के ऊपर निर्भर कर सकती हैं, कि वे जब भी संभव हो सके आपकी थोड़ी मदद करें। अब, जबकि दूसरा बच्चा जीवन में आ चुका है, आप फिर से नींद की कमी के उसी दौर से गुजर रही हैं। लेकिन हम यह निश्चित रूप से कह सकते हैं, कि उसे लेकर आपका एटीट्यूड बदल चुका होगा। अब आपको पता होगा, कि दूसरे बच्चे के जन्म के बाद, पहले एक साल में आपको क्या उम्मीद रखनी चाहिए, आपको कितनी नींद मिलेगी और सबसे जरूरी बात, आप जानती हैं, कि यह समय बीत जाएगा, जो कि आपको इसे लेकर अधिक तनाव न लेने का सबसे मुख्य कारण है। आप इन सबसे अब बेहतर तरीके से निपट सकती हैं।
याद है वह दिन, जब आपके बच्चे ने दिन में तीन बार छींका था और आपने पेडिअट्रिशन से पूछा था, कि कहीं वह बीमार तो नहीं। नई माएं बच्चे के स्वास्थ्य को लेकर बहुत चिंतित रहती हैं और सर्दी जैसे मामूली लक्षण होने पर भी, उसे लेकर डॉक्टर के पास पहुँच जाती हैं या डॉक्टर को किसी भी समय कॉल कर देती हैं। आप भी इस दौर से गुजरी होंगी, लेकिन अब जबकि आप दूसरे बच्चे के माता-पिता बन चुके हैं, हम जानते हैं, अब आप पहले की तरह चिंतित नहीं होती होंगी। अब आप, हर बात को लेकर पहले की तुलना में काफी रिलैक्स्ड और कॉन्फिडेंट रहती हैं। अब आप जानती हैं, कि छोटी-मोटी समस्याओं से कैसे निपटना है। अगर बेबी रोता है, तो आप यह समझ सकती हैं, कि वह कोलिक या भूख या ऐसी ही किसी अन्य छोटी समस्या के कारण रो रहा है और उसकी देखभाल घर पर ही हो सकती है। कुल मिलाकर, अब आप अधिक अनुभवी हो चुकी हैं और डॉक्टर को केवल तभी कॉल करती हैं, जब बात वाकई में गंभीर हो।
जब आपको दो बच्चों की देखभाल करनी होती है, तब घर की साफ-सफाई के लिए और उसे व्यवस्थित रखने के लिए आपके पास समय नहीं होता है। जब तक आप बड़े बच्चे को स्कूल जाने के लिए तैयार करती हैं, छोटा बच्चा जाग चुका होता है और आप उसके साथ व्यस्त हो जाती हैं। जब आप उसे सुलाती हैं और घर की सफाई, कपड़े धोने या दूसरे कामों के बारे में सोचती हैं, तब आपको खयाल आता है, कि क्यों न इस समय को बच्चे के साथ एक झपकी लेने में एंजॉय किया जाए और घर के काम बाद में किए जाएं। जब आप अपने बच्चों के साथ व्यस्त होती हैं, तो लोग आपके घर को देखकर क्या कहेंगे, यह सोचने के लिए आपके पास समय नहीं होता। अब आप पहले की तरह सफाई पसंद नहीं होती हैं। आप घर को उतना ही साफ रखती हैं, जितना रख सकती हैं। इसका मतलब यही है कि आप समय के साथ चलना और अस्तव्यस्तता को गले लगाना सीख जाती हैं।
आपने एक कहावत कई बार सुनी होगी, ‘जितने मुँह उतनी बातें’। लेकिन, पहले बच्चे के जन्म के कुछ सालों के बाद ही, आपको इसका वास्तविक अर्थ समझ में आ गया होगा। उसके जन्म के बाद, आपने पैरेंटिंग के बारे में, अपने सामने आने वाली हर छोटी से छोटी जानकारी का स्वागत किया होगा, चाहे वह किसी अजनबी ने दिया हो या किसी रिश्तेदार ने। बच्चे के पालन पोषण के बारे में, उनके द्वारा कही गई हर बात को आपने ध्यान से सुना होगा, कि उन्होंने अपने बच्चे को रैश होने पर क्या किया या बच्चे ने जब परेशान किया तो उन्होंने क्या किया वगैरह-वगैरह। लेकिन, अपने बच्चे के जन्म के कुछ वर्षों के बाद आपको यह एहसास हुआ होगा, कि जरूरत से ज्यादा जानकारी होने पर, आपको फायदा कम और कन्फ्यूजन ज्यादा होता है। अब चूंकि आपके जीवन में दूसरा बच्चा आ चुका है, तो अब तक आप यह समझ चुकी होंगी, कि आपको हर किसी से सलाह लेने की कोई जरूरत नहीं है। अब आप अपने अंदर की आवाज पर विश्वास करती हैं और आप वो करती हैं, जो बच्चे के लिए सही है। आप यह पहले भी कर चुकी हैं और इसलिए आपको अपने ऊपर भरोसा है।
एक हेलीकॉप्टर पैरेंट वह होता है, जो अपने बच्चे की समस्याओं और आदतों का जरूरत से ज्यादा ध्यान रखता है। कई लोग जो पहली बार माता-पिता बनते हैं, वे अपने बच्चे की आदतों को लेकर बहुत अधिक चिंतित रहते हैं। ऐसा करने में वह एक हेलीकॉप्टर पैरेंट बन जाते हैं, जो कि हमेशा अपने बच्चे के आसपास घूमते रहते हैं, कि बच्चा ठीक से सो रहा है या नहीं, ठीक से खा रहा है या नहीं, ठीक से पॉटी कर रहा है या नहीं। कई मांओं को यह पता भी नहीं चलता, कि वह कब एक हेलीकॉप्टर पैरेंट में बदल गईं। लेकिन दूसरे बच्चे के जन्म के बाद, आपमें थोड़ा बहुत बदलाव जरूर आया होगा। अब आप अपने बच्चे की छोटी मोटी आदतों के बारे में अधिक चिंता नहीं करती हैं। अब आप पहले की तुलना में कहीं ज्यादा रिलैक्स्ड रहती हैं और वह पहली बार वाला डर अब खत्म हो चुका है।
पहली बार माँ बनना, दूसरी बार माँ बनने की तुलना में, काफी तनावपूर्ण और मुश्किल होता है। एक नई माँ के रूप में आपको बच्चे के पालन पोषण का अनुभव नहीं होता है, इसलिए आप कुछ खास चीजों को इस तरह से करती हैं। इसमें कोई शक नहीं है, कि आपसे भी गलतियां होती हैं, लेकिन आप जल्द ही अपने बच्चे के लिए बेस्ट माँ बनना सीख जाती हैं। लेकिन, जब दूसरा बच्चा आपके बीच आ जाता है, तब पहले बच्चे की तुलना में, छोटी मोटी बातों को लेकर आपकी चिंता और फिक्र काफी कम हो जाती है। हालांकि, हम यह नहीं कह रहे हैं, कि आप अपने दूसरे बच्चे को इतना प्यार नहीं करती, क्योंकि, हमें पता है, कि आप उसे भी उतना ही प्यार करती हैं और संभवतः बेहतरीन तरीके से आप उसकी देखभाल करते हैं। बात केवल इतनी सी है, कि आपके अनुभवों के कारण आपका ज्ञान बढ़ जाता है और इसलिए अपने दूसरे बच्चे के साथ अब आप थोड़ी रिलैक्स्ड रह सकती हैं, क्योंकि अब आप नई माँ नहीं हैं, बल्कि अब आप एक अनुभवी सुपर माँ बन चुकी हैं। आपका पैरेंटिंग स्टाइल अब एक बेफिक्र पैरेंटिंग में बदल चुका है। लेकिन हम जानते हैं, कि एक माँ के तौर पर, आप अपने बच्चे से बेहद प्यार करती हैं और उसकी बेहतरीन देखरेख के लिए हर संभव प्रयास करती हैं।
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