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गर्भावस्था के 8वें महीने में आने के बाद आपको महसूस होने लगेगा कि डिलीवरी का समय पास आ रहा है। बस कुछ समय बाद आपका बच्चा आपके पास होगा। गर्भावस्था के लिए यह समय बहुत महत्वपूर्ण है और डॉक्टर बच्चे की सही पोजीशन जांचने के लिए अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह दे सकते हैं। यदि आप 8 महीने की गर्भवती हैं तो अपने गर्भ में बच्चे की अलग-अलग पोजीशन व सही पोजीशन के बारे में जानने के लिए, इस लेख को पूरा पढ़ें।
गर्भावस्था के 32 सप्ताह पूरे होने के बाद बच्चा अक्सर हेड-डाउन पोजीशन में आ जाता है। इसका मतलब है कि बच्चे का सिर बर्थ कैनाल की तरफ होना चाहिए और उसके पैर अपनी माँ के रिब केज की तरफ होने चाहिए।
8 महीने की गर्भावस्था में बच्चे की निम्नलिखित पोजीशन हो सकती हैं, आइए जानते हैं;
जब गर्भाशय में बच्चे का सिर ऊपर की तरफ और उसके पैर बर्थ कैनाल की तरफ होते हैं तो यह बच्चे की ब्रीच पोजीशन होती है। जन्म से पहले लगभग 4% बच्चे ब्रीच पोजीशन में होते हैं। इस पोजीशन की वजह से बच्चे का सिर सबसे अंत में निकलता है जिससे बर्थ कैनाल के पैसेज में कॉम्प्लिकेशन हो सकते हैं। गर्भ में पल रहे बच्चे की यह पोजीशन सही नहीं होती है और इसकी वजह से बाद में बच्चे को हिप्स की समस्याएं हो सकती हैं। यदि बच्चा ब्रीच पोजीशन में है और नॉर्मल डिलीवरी की गई है तो जन्म के दौरान बच्चा ट्रॉमा में जा सकता है। ऐसे में यदि वजाइना से डिलीवरी की जा रही है तो बच्चे को चोट भी लग सकती है। यदि बच्चे की पोजीशन ब्रीच है तो सी-सेक्शन से डिलीवरी की जानी चाहिए।
जन्म से पहले सिर्फ 0.05% बच्चों की ट्रांस्वर्स पोजीशन होती है। इसमें बच्चा वर्टीकल यानी खड़ी स्थिति में होने के बजाय हॉरिजॉन्टल पोजीशन यानी आड़ी स्थिति में होता है। इस दौरान बच्चे का सिर माँ के पेट के एक तरफ या दूसरी तरफ होता है। गर्भाशय के आकार से जुड़ी समस्याएं होने के कारण बच्चा आड़ी पोजीशन में आ सकता है।
यह डिलीवरी की नॉर्मल पोजीशन का एक प्रकार होती है। इसमें बच्चे का सिर नीचे की तरफ बर्थ कैनाल की ओर होता है और पैर ऊपर की तरफ होते हैं। हालांकि गर्भ में पल रहे बच्चे का मुँह माँ की पीठ के बजाय माँ के पेट की तरफ होना चाहिए। इससे गर्भवती महिलाओं की पीठ में बहुत ज्यादा दर्द होता है और उनकी डिलीवरी की प्रक्रिया में काफी समय भी लगता है। इस पोजीशन को ऑक्सिपुट-पोस्टीरियर पोजीशन भी कहा जाता है।
सफलतापूर्वक और खतरों से मुक्त डिलीवरी के लिए गर्भावस्था के 8वें महीने में बच्चा सही पोजीशन में होना चाहिए। यदि डिलीवरी के दौरान आपका बच्चा सही पोजीशन में नहीं है तो इससे कई सारी कॉम्प्लीकेशन्स हो सकती हैं। गर्भ में बच्चे की पोजीशन सही करने के लिए कुछ प्रोसीजर किए जा सकते हैं।
सबसे पहले डॉक्टर बच्चे की पोजीशन को जानने के लिए आपको अल्ट्रासाउंड करवाने की सलाह दे सकते हैं। यदि बच्चे की पोजीशन ब्रीच है तो ज्यादातर डॉक्टर मैन्युअल तकनीक से उसकी पोजीशन को ठीक करते हैं। इसके लिए डॉक्टर ज्यादातर एक्सटर्नल सेफैलिक तकनीक करने की सलाह देते हैं। यदि गर्भावस्था के 36वें सप्ताह तक इस तकनीक का उपयोग किया जाता है तो यह फायदेमंद सिद्ध होती है क्योंकि इस समय बच्चे का आकार छोटा होता है जिसे ठीक स्थिति में लाना सरल है। इस तकनीक का उपयोग 42वें सप्ताह तक भी किया जा सकता है पर इसमें रिओरिएन्टेशन की संभावनाएं बहुत कम हो जाती हैं।
शुरूआत में गर्भवती महिला के गर्भाशय को आराम देने के लिए उसे टोकॉलिटिक दवा दी जाती है। यह किसी भी प्रतिकूल संकुचन को रोकता है । गर्भाशय के आरामदायक स्थिति में जाने के बाद डॉक्टर एक हाथ से बच्चे का सिर और दूसरे हाथ से उसके हिप्स को पकड़कर धीरे-धीरे उसकी पोजीशन बदलने का प्रयास करते हैं। इसे बच्चे को नुकसान पहुँचाए बिना बहुत धीरे से किया जाता है। पर यदि गर्भाशय सिकुड़ जाता है तो इससे महिला को बहुत ज्यादा दर्द हो सकता है।
यद्यपि इसके बाद वजाइनल डिलीवरी संभव हो सकती है पर डॉक्टर विशेषकर पहली बार हुई गर्भवती महिलाओं को इसकी सलाह नहीं देते हैं क्योंकि इसमें बहुत ज्यादा दर्द होता है। इसके बाद हो सकता है इमरजेंसी में डिलीवरी करने की सलाह दी जाए। इसमें गर्भवती महिला का दर्द कम करने के लिए उसे एपिडुरल एनेस्थीसिया दी जाती है। इसमें कुछ कॉम्प्लीकेशन्स की संभावनाएं होती हैं इसलिए इसे डॉक्टरों की पूर्ण देखरेख में किया जाता है।
आप गर्भ में पल रहे बच्चे की पोजीशन को ठीक करने के लिए निम्नलिखित कुछ उपाय कर सकती हैं, आइए जानते हैं;
गर्भ में पल रहे बच्चे की पोजीशन को ठीक करने के लिए टहलना भी एक बेहतरीन एक्सरसाइज है। जैसा कि इस समय आपकी डिलीवरी का दिन आने ही वाला है इसलिए आप लगभग आधे घंटे के लिए दिन में दो बार टहलें। रिदमिक मूवमेंट और ग्रेविटी के प्रभाव से आपके शरीर के अंदर ग्रेविटी का केंद्र अपने आप केंद्रित हो जाएगा। चूंकि बच्चे का सिर सबसे ज्यादा भारी होता है इसलिए उसका सिर जमीन की ओर मुड़ जाता है।
यदि आप गर्भावस्था की अंतिम तिमाही में योग करती हैं तो यह भी बहुत फायदेमंद सिद्ध हो सकता है। विशेषकर यदि आप पहली बार योग कर रही हैं और आपकी डिलीवरी का दिन पास में है तो योग करने का प्रयास न करें। साथ ही आप बहुत कठिन एक्सरसाइज बिलकुल भी न करें – इस समय पर आपको किसी की निगरानी में रहकर हल्के व सरल योगासन करने चाहिए।
यदि आप स्विमिंग करती हैं तो इससे बच्चे पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा और यह करना आपके लिए भी सरल होगा। ब्रेस्टस्ट्रोक में तैरने से पानी का उछाल बच्चे की पोजीशन को सरलता से बदलने में मदद करता है और इससे डिलीवरी में भी मदद मिलती है।
डिलीवरी का दिन पास आने तक बच्चे की पोजीशन सही होना बहुत जरूरी है। लगातार जांच के लिए जाने और आवश्यक सावधानियां बरतने से आपके बच्चे की पोजीशन सही रहती है और डिलीवरी बिना किसी खतरे के होती है।
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