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8 सप्ताह यानि पूरे दो महीने, आपके बच्चे का इस दुनिया में आए हुए पूरे दो महीने हो चुके हैं, और यह कहना बिलकुल गलत नहीं होगा कि आपके मन में अपने बच्चे को लेकर ढेरों सवाल होंगे जिसका जवाब आप पाना चाहती होंगी, क्यों सही कहा न? क्या आप यह सोच रही हैं कि आपके दो माह के शिशु का कितनी तेजी से विकास होना चाहिए और इस दौरान उसका वजन कितना होना चाहिए? आपके इन सारे सवालों के जवाब इस लेख में मौजूद हैं, इसलिए अब आप चिंता न करें। आप अपने 8 सप्ताह के शिशु से जुड़ी तमाम बातें इस लेख के जरिए प्राप्त कर सकती हैं ।
आपका शिशु अपने दो माह तक के विकास को सफलतापूर्वक पूरा कर चुका है और अब तक आप उसके मनोभाव और व्यवहार को थोड़ा बहुत समझने भी लगी होंगी जैसे उसे कब दूध पिलाना है, उसके स्नान का समय और उसके साथ खेलना यह सब आपके बच्चे की दिनचर्या में शामिल हो जाएगा। अन्य महिलाएं क्या कर रही हैं उससे अपनी तुलना न करें। आप वही करें जो आपके और आपके बच्चे के लिए सुविधाजनक है। बच्चे हमेशा खुश रहते हैं जब तक उनका पेट भरा होता है और साथ ही जब उनकी नींद पूरी होती है, आप बस उनका डायपर समय पर बदल रहें, तो फिर आपका बच्चा आपको ज्यादा परेशान नहीं करेगा ।
8 सप्ताह के शिशु का वजन उसके जन्म के वजन से 900 ग्राम से 1.3 किलोग्राम के बीच बढ़ जाना चाहिए। वह लगभग 5 से.मी. तक लंबा होगा और उसके गाल, पेट, हाथ और पैरों पर कुछ भराव दिखाई देना शुरू हो जाएगा। आप ध्यान देंगी कि 8 सप्ताह के शिशु के विकास की गति के कारण वह शाम को अधिक दूध पीने की मांग करेगा और रात के समय दूध पीने में नखरे करेगा।
2 माह की आयु में आपके शिशु को प्रति 24 घंटे में कम से कम छह बार दूध पिलाने की आवश्यकता होगी। इस चरण में, उनमें तीव्र विकास होगा और वे पोषण की बढ़ती हुई मांग को पूरा करने के लिए शाम के समय अधिक दूध पिएगा। आपको बच्चे को स्तनपान करवाते समय थोड़े-थोड़े अंतराल में दूध पिलाना परेशानी वाला काम है। शिशु पर्याप्त दूध पी रहा है इसका पता लगाने का एक उचित तरीका यह है कि बच्चे की नियमित वृद्धि दर प्रति सप्ताह 150-200 ग्राम होनी चाहिए और एक दिन में 6 या अधिक बार पेशाब करे। जब शिशु पर्याप्त दूध पीता है तो वह शांत रहता है।
यदि आप बोतल से दूध पिला रही हैं, तो उसे थोड़ी अधिक भूख लग सकती है और वह अधिक दूध की मांग कर सकता है । उसकी आयु और वजन के अनुसार दूध की सही मात्रा जानने के लिए अपने चिकित्सक से बात करें और चिकित्सक द्वारा दिए गए निर्देश के अनुसार बच्चे को दूध पिलाएं ।
जन्म के शुरूआती सप्ताहों में शिशु 18 घंटे सोता है उसकी तुलना में 8 सप्ताह का शिशु दिन के 11-15 घंटे ही सोता है। हालांकि, इस चरण में, शिशु अभी भी रात को उठते हैं, लेकिन अब उसे लगातार 5-6 घंटे की गहरी नींद में सोते हैं। कुछ शिशु अनुमानित नींद से अधिक सोते हैं । जबकि कुछ बच्चों को सुलाए जाने पर, वह सोने से इनकार कर सकते हैं। आप अपने 8 सप्ताह के शिशु की नींद के समय को नियंत्रित नहीं कर सकती हैं, आपको उसके अनुरूप अपनी दिनचर्या बनाने की जरूरत है।
हालांकि इस समय यह महत्वपूर्ण है कि शिशुओं को पालने में लेटाया जाए ताकि वे खुद से सोना सीख सकें। जिन शिशुओं को हमेशा सोने के बाद पालने में लेटाया जाता है, वे सोने के लिए अपने माता–पिता पर निर्भर हो जाते हैं। इस कारण जब वह सोने और जागने के बीच की अवधि से गुजरते हैं, तो उनमें स्वयं शांत होने के कौशल का विकास नहीं हो पाता है ।
8 सप्ताह में आपके शिशु की अधिकांश क्रियाएं ऐसी होंगी जो आपको आश्चर्य में डाल देंगी । हालांकि, आपका बच्चा अभी भी चीजों और खिलौनों को पर्याप्त नियंत्रण के साथ नहीं पकड़ सकेगा, वैसे वह जल्द ही चीजों को मजबूती से पकड़ने लग जाएगा । अपने बच्चे से बातें करें, भले ही वह आपकी बातें समझ नहीं पा रहा हो, लेकिन जल्द ही वह आपकी बातों पर मुस्कुराकर प्रतिक्रिया देगा और हल्की आवाजें निकालना शुरू कर देगा।
यदि आपके घर में बड़े बच्चे भी हैं, तो उन्हें शिशु के साथ बातचीत करने दें और उनके साथ खेलने दें । आपका बच्चा धीरे-धीरे लोगों को पहचानने लगेगा और सबसे हास्यप्रद बात यह है कि वह चश्मा लगाने वाले लोगों को घूर कर देखने लगेगा। है न मजेदार?
यदि आपका शिशु अभी भी बार-बार रोने लगता है, तो इसमें कोई परेशानी वाली बात नहीं है। लेकिन, अगर आपका बच्चा लंबे समय तक लगातार रो रहा हो, तो यह आपके लिए एक चिंता का विषय हो सकता है, क्योंकि यह उन्हें थका सकता है जिससे वह बहुत चिड़चिड़े हो सकते हैं और उन्हें शांत करना बहुत मुश्किल हो सकता है । बच्चे पूर्वाह्न या अपराह्न के करीब ज्यादा रोते हैं, इसलिए आप पहले से ही एहतियात बरतें, आप इस बात का ख्याल रखें कि बच्चे का पेट भरा हुआ होना चाहिए और वे आरामदायक स्थिति में हों। यदि आप बच्चे में किसी प्रकार की कोई बेचैनी देखती हैं, तो चिंतित हो उठती हैं। यदि आपको संदेह है कि बच्चे को उदरशूल (कोलिक) हो सकता है, यह ऐसी बीमारी है जिससे लगभग आधे से ज्यादा बच्चे प्रभावित होते है, तो यह पता करने के लिए कि इससे कैसे निपटें, अपने बाल रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें।
आपके बच्चे की विकास की दर, वजन में वृद्धि और संक्रमण की जाँच के लिए 6 से 8 सप्ताह के बीच में शिशु को एक सामान्य जाँच की आवश्यकता होती है।
इस आयु में शिशुओं को 5 टीकों की एक साथ पहली खुराक दी जाती है जो शिशु को डिप्थीरिया, टिटनस, काली खाँसी, पोलियो और एच.आई.बी विषाणु से बचाती है। उन्हें न्यूमोकोकल का प्रथम टीका लगाया जाएगा जो उन्हें ऐसे जीवाणु संक्रमण से बचाता है जो मस्तिष्क शोथ और रूधिर विषैलता का कारण बनते हैं। डायरिया और अन्य बीमारी का कारण बनने वाले रोटावायरस संक्रमण से बचाने के लिए शिशु को बूंदों के रूप में मौखिक रोटावायरस टीकाकरण भी दिया जाता है।
इस चरण में बच्चे के लिए कुछ खेल गतिविधियां यहाँ बताई गई हैं।
दो महीने का आपका बच्चा अपनी पहुँच के भीतर की वस्तुओं पर झूलने की कोशिश करेगा, विशेष रूप से चमकदार और आकर्षक वस्तु। आप उनके झूले के ऊपर लटकने वाले सॉफ्ट टॉयज, झुनझुना आदि लगा सकती हैं जिसे बच्चा पकड़ने की कोशिश करेगा और इस प्रकार उसके हाथों की ताकत भी बढ़ने में मदद मिलेगी।
आपके शिशु का ध्यान आकर्षित करने के लिए उन्हें चमकीली और रंगीन वस्तुओं को दिखाने से बेहतर भला क्या हो सकता है। बच्चे को रंग बिरंगी मछली दिखाने के लिए उसे एक्वेरियम ले जाएं, यह बच्चे की दृष्टि में सुधार लाता है। आप एक सुन्दर एक्वेरियम या फिश टैंक अपने घर भी ला सकते हैं, जिसमें बहुत सारी रंगीन मछलियां हों और फिर देखिएगा आपका बच्चा इन्हे देखकर कितना उत्साहित हो जाएगा।
आप यूँ समझिए कि वह समय जब बच्चे अधिक चिड़चिड़ा महसूस करते हैं, अब वो समय समाप्त हो जाएगा, अब आप अपने बच्चे के साथ समय बिताने में आनंद महसूस करेंगी और उन्हें भी आपके साथ खेलने और समय बिताने में मजा आएगा।
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