गर्भावस्था

आसान प्रसव के लिए 12 टिप्स

बच्चे का जन्म माँ के जीवन की एक महत्वपूर्ण घटना होती है। डिलीवरी के दौरान उसे होने वाली पीड़ा और तकलीफ का वर्णन शब्दों में नहीं किया जा सकता। इसलिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि एक सहज और सामान्य प्रसव के लिए माँ शांत और तनाव मुक्त हो। यहाँ 12 ऐसे सरल उपाय दिए गए हैं जो आसान डिलीवरी के लिए बहुत मददगार साबित होते हैं। इनमें से कुछ को गर्भावस्था के दौरान और कुछ को प्रसव के दौरान उपयोग में लाया जा सकता है।

लेबर और प्रसव को आसान कैसे बनाएं

1. खजूर खाएं

अध्ययनों में पाया गया है कि एक आसान और जल्द प्रसव के लिए खजूर बहुत फायदेमंद होता है। खजूर में ऐसे तत्व होते हैं जो संकुचन के लिए आवश्यक हार्मोन ऑक्सीटोसिन की तरह काम करते हैं, इसलिए अंतिम एक महीने के दौरान इसका नियमित सेवन करना लाभ की बात है। खजूर गर्भाशय ग्रीवा (सर्विक्स) को चौड़ा करने के लिए भी मददगार होते हैं और इस प्रकार वे एक सहज और त्वरित प्रसव करवाते हैं।

2. रोजाना स्क्वाट करें

प्रसव को सुगम बनाने में सहायक होने के कारण स्क्वाट को सबसे अच्छा व्यायाम माना जाता है। स्क्वाट्स करने का सबसे अच्छा तरीका है, एक मेडिसिन बॉल लें और इसे पीठ के निचले हिस्से और दीवार के बीच रखकर, पंजों और घुटनों को जितना संभव हो, उतना फैलाकर घुमाएं । आसान डिलीवरी कराने के लिए गर्भवती महिलाओं को इस स्थिति में रोजाना 15 स्क्वाट्स करने की सलाह दी जाती है।

3. नियमित और पर्याप्त नींद लें

आसान और जल्द प्रसव के सभी सुझावों में से यह सुझाव पालन करने में सबसे आसान और प्रभावी है। जैसा कि पहले भी बताया गया है, प्रसव जैसी तनावपूर्ण और कष्टपूर्ण प्रक्रिया के लिए माँ को शांत रहने की आवश्यकता होती है। नियमित और पर्याप्त आराम करने वाली स्त्री ही इस थका देने वाली परिस्थिति को सहन करने में सक्षम हो सकती है । एक त्वरित और शांत प्रसव के लिए गर्भवती महिला को हर दिन कम से कम सात घंटे या उससे अधिक की नींद आवश्यक है । नरम, त्वचा के अनुकूल तकिए और रेक्लाइनर पलंग के साथ बेहतर तरीके से आराम कीजिए।

4. वॉटर बर्थ

यह एक प्रभावी बर्थिंग तकनीक हो सकती है। पानी प्रसव के दौरान महिला को शांत करता है और उसकी पीड़ा को कम करता है । कई बार डिलीवरी के दौरान महिलाओं पर इसके प्रभाव को देखा गया है। पानी तनावग्रस्त मांसपेशियों को शांत करने और सर्विक्स के फैलाव में भी मदद करता है और इस प्रकार प्रसव में सहायता करता है। यही कारण है कि कई बड़े अस्पतालों में इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए बर्थिंग पूल और टब पाए जाते हैं। यह बच्चे के बाहरी दुनिया में आने में मदद करने का एक अच्छा तरीका माना जाता है।

5. प्रसव के दौरान सीधे बैठें

डिलीवरी के समय लेटने और जोर लगाने की कोशिश करने के बजाय, बिस्तर पर सीधे बैठकर जोर लगाना बेहतर माना जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि गुरुत्वाकर्षण माँ और बच्चे के लाभ के लिए काम करता है। गुरुत्वाकर्षण के कारण बच्चे के सिर के कारण सर्विक्स पर जोर पड़ता है जिससे यह उसे अधिक तेजी से और अधिक आसानी से फैलने में मदद करता है। विभिन्न अन्य स्थितियों, जैसे कि घुटनों के बल बैठकर, उकड़ूँ बैठकर और खड़े रहकर भी देखा जा सकता है कि प्रसव के दौरान क्या सबसे अच्छा परिणाम देता है। शरीर की गति भी श्रोणि को चौड़ा करने में मदद करती है, जिससे बच्चे के सिर को आसानी से बाहर निकलने में मदद मिलती है।

6. प्रसव प्रशिक्षण लें

होने वाले माता-पिता के लिए स्त्री की गर्भावस्था एक मानसिक और शारीरिक रूप से थका देने वाली अवधि होती है, जहाँ सीखने के लिए बहुत सी नई चीजें होती हैं और बहुत सारी जिम्मेदारियों के साथ-साथ यह भी समझना होता है कि माता-पिता के रूप में क्या करें, क्या न करें। इसलिए बच्चे के जन्म के समय के लिए पहले से ही तैयार होकर यह सुनिश्चित करना हमेशा अच्छा होता है कि सब कुछ पूरी तरह ठीक से और योजना के अनुसार हो। प्रसव प्रशिक्षण आपके अज्ञात भय से निपटने में मददगार हो सकता है। यह गर्भवती महिला और उसके साथी को पानी की थैली के टूटने से लेकर गर्भनाल के काटने तक हर चीज के लिए तैयार होने में मदद करता है। पूरी प्रक्रिया को सरल और तीव्र बनाने वाली प्रसव की आसान युक्तियां बताने में भी प्रसव प्रशिक्षण लाभदायक हो सकता है।

7. श्वसन तकनीकों का अभ्यास करें

प्रसव एक अत्यंत पीड़ादायक अनुभव होता है। श्वसन की तकनीक होने वाली माँ को प्रसव के दौरान दर्द को बेहतर तरीके से सहने में और उसे आराम दिलाने में भी मदद करती है। श्वास की तकनीक संकुचन को लयबद्ध तरीके से  निश्चित अंतराल पर स्थापित करने में और महिला को अच्छी तरह और कुशलता से जोर लगाने में मदद करती है। श्वास की तकनीक यह भी सुनिश्चित करती है कि शरीर में पर्याप्त ऑक्सीजन हो और प्रसव की अत्यधिक पीड़ा और संकुचन से होने वाली ऐंठन के कारण माँ बेहोश न हो जाए।

8. मदद लें

प्रसव की तनावपूर्ण स्थिति में बेहतर परिणाम के लिए हर महिला के साथी को उसके साथ होना चाहिए जो उसे सहारा और सकारात्मकता दे सके। यह भी देखा गया है कि जिन महिलाओं के पास प्रसव के दौरान नर्स या दाई (प्रसव में महिलाओं का सहायता करने के लिए प्रशिक्षित महिला) होती है, उनको एपिड्यूरल या सी-सेक्शन सर्जरी की नौबत कम आती है और वे एक निर्बाध और सहज प्रसव के द्वारा शिशु को जन्म देती हैं।

9. अपना ध्यान हटाएं

एक औसत महिला को पहली बार प्रसव में अधिक समय लगता है, जो 12 से 15 घंटे के बीच कुछ भी हो सकता है। इस दौरान लयबद्ध रूप से अंदर और बाहर सांस लेना और संकुचन की कोशिश माँ को थका सकती है। बेहतर है कि बीच-बीच में कुछ और आजमाया जाए, जो ध्यान हटाने वाला, सुखदायक और सुकून देने वाला हो, जैसे नहाना या संगीत सुनना। यह नाटकीय रूप से चीजों को गति देने और एक आसान प्रसव का अनुभव प्रदान करने में मदद कर सकता है।

10. मालिश कराएं

प्रसव के समय अपने साथी से मालिश करवाना अच्छा होता है। यह मस्तिष्क में दर्द की संवेदनाओं को कम करने और सुन्न कर देने वाले उस दर्द को शांत करने में मदद कर सकता है, जिसे महिला प्रसव के दौरान अनुभव कर रही है। साथी से मालिश करवाने का मनोवैज्ञानिक प्रभाव भी पड़ता है, जिसमें महिला को अपने साथी की ओर से देखभाल और समर्थन का एहसास होता है। इससे प्रसव प्रक्रिया को तेज करने में भी बहुत मदद मिलती है।

11. सैर करें

आसान प्रसव में सहायता के लिए स्क्वाट्स के साथ ही सैर करना एक महिला के लिए गर्भावस्था के आखिरी चरण में एक शानदार व्यायाम है। चलने से बच्चे को सर्विक्स की ओर धकेलने में भी मदद मिलती है और जल्द प्रसव में सहायता होती है। शोध में यह भी देखा गया है कि चलने से ऑक्सीटोसिन हार्मोन के स्राव में मदद मिलती है, जो संकुचन और प्रसव के लिए लाभदायक है। गर्भावस्था के अंतिम चरण में चलने की गतिविशि अवश्य की जानी चाहिए क्योंकि इसका प्रभाव निचले हिस्से पर पड़ता है और स्क्वाट की तुलना में इसे करना आसान होता है।

12. विटामिन से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करें

ए, बी, सी और ई जैसे विटामिन, गर्भावस्था के अंतिम चरणों में हार्मोनल संतुलन बनाए रखने और साथ ही साथ एक बेहद कम चिकित्सीय हस्तक्षेप वाले त्वरित व सामान्य प्रसव के लिए गर्भाशय को मजबूत करने में महत्वपूर्ण होते हैं। विटामिन के भी माताओं के लिए आवश्यक होता है क्योंकि यह रक्त के थक्के को जमने में मदद करता है और जन्म के बाद रक्तस्राव,जो माँ के लिए घातक हो सकता है, की संभावना को कम करता है। विटामिन ए, बी, सी और ई का सेवन ताजे फलों के माध्यम से प्राकृतिक रूप में या विटामिन पूरकों के द्वारा प्रतिदिन किया जाना चाहिए और पालक जैसी पत्तेदार सब्जियों के द्वारा विटामिन के भी आहार में शामिल होना चाहिए ।

इन 12 आसान युक्तियों का पालन करने से होने वाले माता-पिता को बच्चे के जन्म के अनुभव को सरल बनाने और अपने अनमोल शिशु को इस दुनिया में जल्दी लाने में मदद मिल सकती है।

श्रेयसी चाफेकर

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