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अगर बेबी ब्रेस्टफीडिंग के दौरान सो जाए तो क्या करें

नर्सिंग के दौरान यदि बच्चा सो जाए तो इससे बहुत रिलैक्स मिलता है और आप उसे कडल कर लेती हैं। बच्चे या न्यूबॉर्न बेबी के मासूम से चेहरे को देखते रहने में बहुत सुकून मिलता है और कभी-कभी वह सोते समय भी मुस्कुरा देता है। हालांकि आपने कभी खुद से पूछा है कि क्या यह सही है? हाँ, बिलकुल पर हमेशा नहीं! तो ऐसा कब सही नहीं है इसके बारे में आप पूछ सकती हैं? आपके सभी सवालों के जवाब इस आर्टिकल में बताए गए हैं, जानने के लिए आगे पढ़ें। 

ब्रेस्टफीडिंग के दौरान छोटा बच्चा क्यों सो जाता है?

पहले कुछ महीनों में विशेषकर नहाने के बाद ब्रेस्टफीडिंग के दौरान बच्चे का सोना आम है। ज्यादातर एक्टिव और खेलने वाले बच्चे ब्रेस्टफीडिंग के दौरान शांत होते हैं और सो जाते हैं। यह सब नेचुरल है और इसके लिए चिंता करने की जरूरत नहीं है। शुरुआती महीनों या कभी-कभी पहले दो साल तक छोटे बच्चों का कोई भी पैटर्न या रूटीन सेट नहीं होता है। 

पहले कुछ महीनों तक बेबी या छोटा बच्चा 14 से 18 घंटे तक सोता है और कभी-कभी ज्यादा भी सो सकता है। इसलिए नर्सिंग के दौरान बच्चा सो जाता है क्योंकि यह उसके सोने का समय है। बच्चा थका हुआ हो सकता है और ब्रेस्टफीडिंग से सिर्फ बच्चे का पेट ही नहीं भरता है बल्कि उसे शांति भी मिलती है और वह सो जाता है। 

कुछ छोटे बच्चे अन्य की तुलना में ज्यादा क्यों सोते हैं?

क्या आपने कभी सोचा है कि कुछ न्यूबॉर्न बेबी अन्य की तुलना में ज्यादा क्यों सोते हैं, आइए जानें;

  • कुछ बच्चे जल्दी थक जाते हैं और नर्सिंग के दौरान तुरंत सो जाते हैं।
  • कुछ छोटे बच्चों को 20 मिनट तक निप्पल चूसने के बाद भी पर्याप्त दूध नहीं मिलता है और वे हार कर सो जाते हैं।

यह एक माँ के लिए चिंताजनक बात होती है कि बच्चे बिना दूध पिए ही सो गया। यह उसे बाद में समझ आता है कि समान कारणों से बच्चे का वजन नहीं बढ़ रहा है। निम्नलिखित संकेतों से यह जानें कि ब्रेस्टफीडिंग के अंत में बच्चे का पेट भर चुका है। वे संकेत इस प्रकार हैं, आइए जानें;

  • यदि बच्चा नर्सिंग की शुरूआत में अलर्ट और पूरी तरह से जागा हुआ है।
  • यदि फीडिंग के दौरान बच्चे द्वारा निगलने की आवाज सुनाई दे।
  • यदि नर्सिंग के बाद आपके ब्रेस्ट हल्के व खाली लगते हैं।
  • बच्चे की हथेली खुली हुई और रिलैक्स्ड है और हाथ नीचे की तरफ गिरते हुए हैं।

ऊपर बताए हुए संकेत यह दर्शाते हैं कि बेबी का पेट भर चुका है और चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। 

इस बात का ध्यान रखें कि यदि नर्सिंग के दौरान बच्चा मुट्ठी बंद करके सो जाता है और चेहरे पर चिंता की झलक दिखाई देती है तो इसका यह अर्थ है कि वो अभी भी भूखा है और लगातार चूसने के बाद चिड़चिड़ा कर सो गया है। 

यदि बच्चा पूरी तरह से ब्रेस्टफीडिंग नहीं करता है तो वह हर आधे घंटे में दूध पीने के लिए उठेगा और आपको व बच्चे को पर्याप्त नींद नहीं आएगी। ऐसी स्थिति में आप बच्चे को दूध पिलाते समय जागती रहना चाह सकती हैं। यदि आप बच्चे से ब्रेस्टफीडिंग छुड़ाने की योजना बना रही हैं और उसे अच्छी नींद प्रदान करना चाहती हैं तो छोटे बच्चों को ब्रेस्टफीडिंग के दौरान जगाए रखने के कुछ टिप्स निम्नलिखित हैं जो आपकी मदद कर सकते हैं। 

छोटे बच्चों को भूख लगने के संकेत

यहाँ पर बच्चे को भूख लगने के कुछ संकेत बताए गए हैं जिन्हें आप ब्रेस्टफीडिंग के दौरान सोते समय उसमें ऑब्जर्व करेंगी। यदि आप नहीं जानती हैं कि ऐसा क्यों होता है तो निम्नलिखित संकेतों को जानकार सुनिश्चित करें, आइए जानें;

1. रोने का तरीका

यदि बच्चे धीमी आवाज में रोना शुरू करता है और फिर तेजी से रोने के बाद धीरे-धीरे कम आवाज में रोने लगता है तो इसका अर्थ है कि उसे भूख लगी है। हालांकि सबसे पहले आप संकेतों को नोटिस करना चाहेंगी। 

2. मुट्ठी चूसना

यदि छोटा बच्चा अपनी मुट्ठी को चूसता है तो इसका अर्थ है कि उसे भूख लगी है। यह छोटे बच्चे को भूख लगने का सबसे पहले संकेत है। 

3. बेचैनी होना और नींद न आना

भूख लगने पर बच्चे को नींद कम आती है और वह बेचैनी के कारण जागता रहता है व क्रिब में ही मूव करता रहता है। इसके साथ ही वह रोने भी लगता है। 

4. दूध पीते समय मुंह खोलना

दूध पीते समय बच्चा मुंह खोल सकता है और ब्रेस्ट या बोतल खाली होने के बाद भी निप्पल चूसता है। इससे भी पता लगता है कि उसे भूख लगी है। 

ब्रेस्टफीडिंग के दौरान बेबी को जगाए रखने के टिप्स

पहले आप दिन में सोने का शेड्यूल बनाएं। आप खुद को 30 से 90 मिनट देने से दिन शुरू करें और जैसे ही बच्चा जागता है उसे दूध पिलाएं। एक नैप के बाद आप उसे दूसरी बार दूध पिलाएं। इससे बच्चे दूध पीते समय जागता रहेगा क्योंकि उसकी नींद पूरी हो चुकी है। हालांकि यदि बच्चे की स्लीपिंग साइकिल 120 मिनट या इससे ज्यादा की है तो आप उसे सोने से 20 मिनट पहले दूध पिलाएं ताकि भूख लगने की वजह से वह बहुत जल्दी न उठे। 

यदि आपको लगता है कि दूध पिलाने व नैप शेड्यूल के बाद भी बच्चा ठीक से दूध नहीं पी रहा है और ब्रेस्टफीडिंग के दौरान सो जाता है तो निम्नलिखित टिप्स जरूर अपनाएं, आइए जानें;

  • फीड कराने के दौरान आप बच्चे के मुंह व ब्रेस्ट के बीच उंगली रख कर सक्शन को ब्रेक करें।
  • थोड़ी-थोड़ी देर में या जब आपको लगता है कि बच्चा सो गया है तो आप ब्रेस्ट बदलें।
  • बच्चे के मुंह में ब्रेस्ट मिल्क की एक बूंद डालें तक वह चूसने के लिए दोबारा प्रेरित हो सके।
  • ब्रेस्टफीडिंग के दौरान ब्रेस्ट को दबाकर ब्रेस्ट मिल्क के बहाव को तेज कर दें।
  • फीडिंग के दौरान छोटे बच्चे का सिर, पेट और पैर पोंछने के लिए साथ में एक गीला कपड़ा रखें। इससे वह जागेगा और फिर से दूध पीने लगेगा।
  • बच्चे को सीधे बैठाकर डकार दिलाएं।

  • नींद को प्रेरित करने वाली पोजीशन में छोटे बच्चे को दूध न पिलाएं, जैसे फुटबॉल या स्ट्रैडलिंग पोजीशन।
  • छोटे बच्चे की बाजू के अंदर, पैरों या गले में थोड़ी-थोड़ी देर के बाद गुदगुदी करें ताकि वह जाग जाए।
  • दूध पिलाते समय बच्चे के पैर खुले रखें।
  • दूध पिलाने से पहले डायपर बदलें ताकि बच्चे फ्रेश महसूस कर सके।
  • कमरे की लाइट को डिम रखें।
  • वातावरण को एंगेजिंग बनाने के लिए कोई लाइट म्यूजिक चलाएं।
  • दूध पिलाते समय बेबी की रीढ़ पर हल्का हाथ फेरें।
  • बच्चा जैसे ही जागता है उसे दूध पिलाएं।

ब्रेस्टफीडिंग के दौरान सो जाना कोई बड़ी बात नहीं है क्योंकि बच्चा थका होने की वजह से भी ऐसा कर सकता है। हालांकि यदि वह पर्याप्त दूध नहीं पीता है तो यह एक गंभीर समस्या भी बन सकती है और बच्चे का वजन कम हो सकता है। ऊपर बताई हुई टिप्स से आप अपने बच्चे को एक्टिव रख सकती हैं और उसे जल्दी नींद भी नहीं आएगी। 

यह भी पढ़ें:

बच्चे दूध पीने से मना क्यों करते हैं?
स्तनपान के दौरान होने वाली आम समस्याएं और उनका समाधान
बेबी लैचिंग और सही तरीके से ब्रेस्टफीडिंग कराना – टिप्स व पोजीशन

सुरक्षा कटियार

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