In this Article
- कहानी के पात्र (Characters Of The Story)
- अकबर-बीरबल की कहानी: बीरबल का बच्चा बनना (Birbal As A Child Story In Hindi)
- अकबर-बीरबल की कहानी: बीरबल का बच्चा बनना से सीख (Moral of Birbal As A Child Hindi Story)
- अकबर-बीरबल की कहानी: बीरबल का बच्चा बनना का कहानी प्रकार (Story Type of Birbal As A Child Hindi Story)
- अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
- निष्कर्ष (Conclusion)
अकबर-बीरबल की प्रसिद्ध कहानियों में से या एक बहुत ही मनोरंजक किस्सा है। एक बार अपने बच्चों की जिद की वजह से बीरबल को दरबार में पहुँचने में देर हो जाती है। बादशाह जब बीरबल से कहते हैं कि उन्हें बच्चों को ठीक से संभालना नहीं आता तो बीरबल कहते हैं कि यह एक मुश्किल काम है। अपनी बात को सिद्ध करने के लिए बीरबल अकबर से कहते हैं कि वह थोड़ी देर के लिए बच्चा बनेंगे जिसे बादशाह मान लेते हैं। लेकिन इसके बाद क्या होता है और क्या बीरबल अकबर से अपनी बात मनवा पाते हैं यही इस कहानी का सार है।
कहानी के पात्र (Characters Of The Story)
इस प्रसिद्ध कहानी के मुख्य पात्र इस प्रकार हैं –
- बादशाह अकबर
- बीरबल
अकबर-बीरबल की कहानी: बीरबल का बच्चा बनना (Birbal As A Child Story In Hindi)
एक बार की बात है। बादशाह अकबर के दरबार में एक समारोह था। बादशाह के साथ ही सभी दरबारी पहुँच गए थे लेकिन बीरबल का कहीं पता नहीं था। अकबर ने दरबारियों से पूछा –
“बीरबल कहाँ है?”
एक दरबारी ने जवाब दिया –
“आलमपनाह, वह अभी तक आए नहीं हैं।”
बीरबल दरबार में कभी देर से नहीं आते थे इसलिए अकबर को बड़ा ताज्जुब हुआ। कुछ देर के बाद बीरबल दरबार में पहुंचे और देर से आने के लिए उन्होंने बादशाह से माफी मांगी। अकबर ने जब उनसे देर से आने का कारण पूछा तो वह बोले कि आज मेरे छोटे बच्चों ने जिद पकड़ ली थी कि बाहर जाने नहीं देंगे। बच्चे बिल्कुल नहीं चाहते थे कि आज मैं उन्हें छोड़कर कहीं जाऊं। मुझे उन्हें समझाने में बहुत वक्त लगा और फिर भी मैं जैसे-तैसे छुपाते-छुपाते ही बाहर निकला।
अकबर को बीरबल की इन बातों पर बिल्कुल यकीन नहीं हुआ। उन्हें लगा कि वह देर से आने पर झूठा बहाना बना रहे हैं। उन्होंने बीरबल को कहा कि बच्चों को समझाना इतना भी कठिन काम नहीं है। अगर वे सुन नहीं रहे हों तो थोड़ा डांट-डपटकर चुप कराया जाता है। बीरबल जानते थे कि बच्चों के मासूम सवालों और जिद को पूरा करना कोई आसान बात नहीं होती। बादशाह से यह बात मनवाने के लिए बीरबल ने एक तरकीब सोची। उन्होंने अकबर से कहा कि आज वह यह साबित कर देंगे कि छोटे बच्चों को समझाना सच में बहुत मुश्किल होता है। हालांकि इसके लिए वह खुद एक छोटे बच्चे जैसा बर्ताव करेंगे। अकबर ने इस बात के लिए हामी भर दी।
बस फिर क्या था, अगले ही क्षण बीरबल एक बच्चे की तरह जोर जोर से रोने लगे। बादशाह उन्हें मनाने के लिए पास गए तो बीरबल उनकी बड़ी-बड़ी मूछों से खेलने लगे। कभी वे मूछों को खींचते, कभी उनकी गले में पड़ी मोतियों की माला को तोड़ने की कोशिश करते। अभी तक अकबर को कोई आपत्ति नहीं हो रही थी। थोड़ी देर के बाद बीरबल मूछों से खेलकर उकता गए और जोर से चिल्लाने लगे कि उन्हें भूख लगी है और गन्ना खाना है। बादशाह ने सेवकों को गन्ना लाने का फरमान सुनाया। जब गन्ना सामने आया तो बीरबल ने नयी जिद पकड़ ली कि उन्हें गन्ना छीलकर चाहिए। फिर एक सेवक गन्ने को छीलकर ले आया। अब बीरबल फिर से चिल्लाने लगे और बोले कि उन्हें गन्ने के छोटे टुकड़े चाहिए। इस नई जिद को पूरा करने के लिए गन्ने को फिर छोटे टुकड़ों में भी काटा गया और अकबर ने इन टुकड़ों को बीरबल को खाने के लिए कहा लेकिन बीरबल ने उन्हें जमीन पर फेंक दिया। अब अकबर बहुत नाराज हो गए। उन्होंने गुस्से में बीरबल से पूछा –
“तुम्हें गन्ना खाना है तो इसे क्यों फेंक रहे हो? खाओ इसे चुपचाप।”
अकबर की डांट सुनकर अब तो बीरबल ने अब और भी जोर से रोना व चिल्लाना शुरू कर दिया।
फिर अकबर ने अपने गुस्से पर काबू करके बीरबल को पुचकारते हुए पूछा –
“क्या बात है? क्यों रो रहे हो?”
इस पर बीरबल ने जवाब दिया –
“मुझे इतना छोटा नहीं एक बड़ा गन्ना चाहिए।”
फिर सेवकों से कहकर अकबर ने बीरबल को एक बड़ा गन्ना लाकर दिया, लेकिन बीरबल ने उसे हाथ भी नहीं लगाया।
अब बादशाह अकबर का संयम खत्म होने लगा था। उन्होंने बीरबल से कहा कि तुमने जिद की तो तुम्हें बड़ा गन्ना भी लाकर दे दिया गया है फिर तुम इसे क्यों नहीं खा रहे हो? तो बीरबल ने जवाब दिया –
“मुझे ये छोटे टुकड़े जोड़कर एक बड़ा गन्ना बनाना है और उसे ही खाना है।”
अकबर ने अब अपना सिर पकड़ लिया और जाकर कुर्सी पर बैठ गए।
बादशाह को परेशान देखकर बीरबल मन ही मन मुस्कुराए और उनके पास गए। उन्होंने अकबर से पूछा –
“क्या अब आप मानते हैं कि बच्चों को समझाना वाकई एक कठिन काम होता है?”
बादशाह ने बीरबल की ओर देखा और मुस्कुराते हुए हां में सर हिलाया।
अकबर-बीरबल की कहानी: बीरबल का बच्चा बनना से सीख (Moral of Birbal As A Child Hindi Story)
अकबर-बीरबल की कहानी: बीरबल का बच्चा बनना से यह सीख मिलती है कि किसी भी परिस्थिति में सूझबूझ के इस्तेमाल से न केवल समस्या हल की जा सकती है बल्कि लोगों से अपनी बात भी मनवाई जा सकती है।
अकबर-बीरबल की कहानी: बीरबल का बच्चा बनना का कहानी प्रकार (Story Type of Birbal As A Child Hindi Story)
यह कहानी अकबर-बीरबल की कहानी के अंतर्गत आती है जो मनोरंजक, शिक्षाप्रद और प्रेरक होती हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. बादशाह अकबर के सबसे प्रिय दरबारी कौन थे?
बादशाह अकबर के सबसे प्रिय दरबारी बीरबल थे।
2. बीरबल कौन थे?
बीरबल मुगल बादशाह अकबर के दरबार में प्रमुख वज़ीर और उनके नवरत्नों में से एक थे। वे अपनी तीव्र बुद्धि और हाजिर जवाबी के लिए जाने जाते थे।
3. अकबर के दरबार में नवरत्न क्या थे?
अकबर के दरबार में नवरत्न ऐसे 9 व्यक्ति थे जिन्हें किसी न किसी क्षेत्र में महारत हासिल थी।
निष्कर्ष (Conclusion)
सालों से अकबर और बीरबल की कहानियां हमारा मनोरंजन करती आई हैं और साथ ही बच्चों को नैतिक शिक्षा भी देती रही हैं। अपनी उत्कृष्ट बुद्धि, समझदारी और विनोदी स्वभाव के लिए जाने जाने वाले बीरबल से मुगल बादशाह अकबर को बहुत लगाव था। इसलिए उनके कई किस्से मशहूर हैं। बीरबल न केवल अकबर के एक दरबारी थे बल्कि उनके दोस्त और सलाहकार के रूप में भी उनके साथ रहते थे। बच्चों को इस तरह की कहानियां जरूर सुनानी चाहिए क्योंकि ये उन्हें मानवीय रिश्तों और मित्रता का महत्व भी समझाती हैं।
यह भी पढ़ें:
बीरबल की खिचड़ी की कहानी (Birbal Ki Khichdi Story In Hindi)
अकबर-बीरबल की कहानी: सबसे बड़ा हथियार (Biggest Weapon Story In Hindi)
अकबर-बीरबल की कहानी : सबसे बड़ा मनहूस कौन (The Unlucky Servant Story In Hindi)