अकबर-बीरबल की कहानी: हरा घोड़ा | Akbar And Birbal Story: The Green Horse Story In Hindi

हमेशा की तरह बादशाह अकबर और बीरबल की यह कहानी भी मनोरंजन से भरी हुई है। इस कहानी में अकबर एक बार और बीरबल को एक नामुमकिन कार्य करने का आदेश देते हैं, ताकि बीरबल उनके सामने हार मान जाएं। लेकिन बीरबल ने अपनी चतुराई और समझदारी से उस कठिन चुनौती को भी हल कर लिया और एक बार से फिर से महाराज को अपनी होशियारी से प्रसन्न कर दिया।

कहानी के पात्र (Characters Of Story)

  • बादशाह अकबर
  • बीरबल

अकबर-बीरबल की कहानी: हरा घोड़ा (Akbar-Birbal: The Green Horse Story In Hindi)

एक बार की बात है, बादशाह अकबर अपने चहेते दरबारी बीरबल के साथ बगीचे में टहलने के लिए निकले थे। उनका वह बगीचा बहुत बड़ा और खूबसूरत था। हर तरफ हरियाली और बगीचे में चारों ओर फूलों की भीनी-भीनी खुशबू फैली हुई थी, जिससे वहां का वातावरण और भी सुंदर लग रहा है।

ऐसे में बादशाह अकबर के मन में एक ख्याल आया और उन्होंने बीरबल से कहा –

“बीरबल! मेरा मन है कि मेरे इस हरे-भरे बगीचे में मैं हरे रंग के घोड़े पर बैठकर घूमूं। इसलिए मैं तुमको हुक्म देता हूं कि तुम 7 दिनों के अंदर मेरे लिए एक हराे घोड़े का इंतजाम करो। अगर तुम इस आदेश को पूरा नहीं कर सके, तो मुझे अपना चेहरा नहीं दिखाना।”

यह बात तो जगजाहिर थी कि दुनिया में कोई भी हरे रंग का घोड़ा नहीं होता है। यह बात अकबर और बीरबल दोनों को पता थी। लेकिन राजा चाहते थे कि बीरबल कभी तो किसी बात को लेकर अपने आप को असफल महसूस करे। इसी वजह से उन्होंने बीरबल ऐसा हुक्म दिया। लेकिन बीरबल बहुत चतुर थे, वो अच्छे से जानते थे की आखिर राजा क्या चाहते हैं। इसलिए वह भी घोड़ा ढूंढने का बहाना बनाकर 7 दिनों तक घूमते रहे।

जब बीरबल आठवें दिन अकबर के दरबार पहुंचे और कहा –

“बादशाह! आपके आदेश के हिसाब मैंने आपके लिए हरे घोड़े का इंतजाम कर दिया है। लेकिन उस घोड़े के मालिक की दो शर्ते हैं।”

अकबर ने भी उतावलेपन से उन दोनों शर्तों के बारे में पूछा। बीरबल ने उत्तर में कहा –

“हरा घोड़ा लाने के लिए आपको खुद जाना पड़ेगा।” अकबर इस शर्त के लिए राजी थे।

फिर बादशाह ने दूसरी शर्त के लिए पूछा। तब बीरबल बोले –

“घोड़े के मालिक की दूसरी शर्त यह है कि यदि आपको घोड़ा लाना है, तो आपको हफ्ते के सात दिनों को छोड़कर कोई एक भी दिन चुनना होगा।”

यह बात सुनकर बादशाह अकबर हैरान हो गए और बीरबल की तरफ देखने लगे। उस समय बीरबल ने बहुत ही शांति से जवाब दिया –

“बादशाह! घोड़े के मालिक का कहना है कि यदि हरे रंग का घोड़ा चाहिए तो उसकी इन शर्तों को मानना पड़ेगा।”

बादशाह अकबर अपने प्रिय बीरबल की इस होशियारी को देखकर बहुत खुश हुए और जान गए कि बीरबल को किसी भी चीज में हराना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है।

अकबर-बीरबल की कहानी: हरा घोड़ा से सीख (Moral of Akbar-Birbal: The Green Horse Hindi Story)

अकबर-बीरबल की यह कहानी हरा घोड़ा से यह सीख मिलती है कि सही समझ के साथ नामुमकिन लगने वाले काम को भी आसानी से किया जा सकता है।

अकबर-बीरबल की कहानी: हरा घोड़ा का कहानी प्रकार (Story Type of Akbar-Birbal: The Green Horse Hindi Story)

यह कहानी अकबर-बीरबल की कहानियों में आती है, जिसमें अकबर के हर मुश्किल सवाल का जवाब बीरबल बड़ी चतुरता से देते नजर आए।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. हरा घोड़ा की नैतिक कहानी क्या है?

अकबर और बीरबल की हरा घोड़ा वाली कहानी में ये बताया गया है कि आपके सामने कभी भी कोई भी मुश्किल आदेश या काम आ सकता है, इसलिए जल्दीबाजी में नहीं बल्कि सही दिमाग और सूझबूझ से काम करने की कोशिश करें, इससे आपको सफलता जरूर मिलेगी।

2. हमें मुश्किल समय में समझदारी से क्यों कार्य करना चाहिए?

मुश्किल परिस्थिति में हमेशा सही सूझबूझ और होशियारी से काम करना चाहिए, इससे कार्य सफल होते हैं। समझदारी से किया गया कार्य देर से ही सही लेकिन सफल होता है।

निष्कर्ष (Conclusion)

अकबर और बीरबल की इस कहानी से यह निष्कर्ष निकलता है कि कोई व्यक्ति आपको हराने की कोशिश जरूर करेगा, लेकिन उस समय आपको अपनी समझदारी से काम लेना चाहिए ताकि आपको कार्य को करने और समझने के लिए समय मिल जाएगा। उसके बाद आप अपने दिमाग का सही इस्तेमाल करके काम को पूरा करने में सफल बन सकते हैं।

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समर नक़वी

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