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अकबर और बीरबल की जोरू के गुलाम वाली कहानी में पुरुष के मन में अपनी पत्नियों के डर का विश्लेषण किया गया है। इस कहानी में बादशाह अकबर बीरबल की जोरू के गुलाम वाली बातों से बिलकुल सहमत नहीं थे, लेकिन समय के साथ और बीरबल की चतुराई ने बादशाह को अपने विचार बदलने पर मजबूर कर दिया। बादशाह के अंदर यह बदलाव कैसे आया और बीरबल ने इसके लिए क्या तरकीब लगाई उसके लिए कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
एक दिन बादशाह अकबर और बीरबल अपने दरबार में बैठकर जरूरी मुद्दों पर चर्चा कर रहे थे। उसी समय बीरबल बोले –
“मुझे यह महसूस होता है कि ज्यादातर आदमी जोरू के गुलाम होते हैं और अपनी बीवियों से डरते हैं।”
अकबर को बीरबल की कही गई ये बात बिलकुल भी अच्छी नहीं लगी। इसलिए उन्होंने इस बात को गलत बताकर विरोध किया।
लेकिन बीरबल अपनी कही हुई बात को मनवाने के लिए अड़ गए। उन्होंने बादशाह से बोला कि वह अपनी बात को सही साबित करके रहेंगे। लेकिन इसके लिए बादशाह को अपनी प्रजा में एक आदेश जारी करना होगा। आदेश ये था कि, “जो भी पुरुष अपनी पत्नी से डरता होगा, उसे राज दरबार में एक मुर्गी लाकर जमा करना होगा।” अकबर बीरबल की इस बात को मान गए।
दूसरे दिन जनता के बीच ढिंढोरा पीटा गया कि यदि कोई पुरुष अपनी बीवी से डरता है, तो उसे महल में बादशाह अकबर और बीरबल के पास एक मुर्गी को जमा करवाना होगा। इसके बाद महल में बहुत सारी मुर्गियां जमा हो गईं और वो सभी मुर्गियां महल के बगीचे में घूमने लग गई।
तभी बीरबल राजा के पास पहुंचे और बोले –
“बादशाह! महल में इतनी मुर्गियां इकट्ठी हो गई हैं कि अब आप एक मुर्गीखाना खोल सकते हैं। अब आप अपना दिया हुआ आदेश वापस ले सकते हैं।”
लेकिन, अकबर ने इन बातों पर ध्यान नहीं दिया और राजमहल में और भी मुर्गियां जमा होने लगीं।
इतनी सारी मुर्गियों के बढ़ने के बाद भी अकबर बीरबल की बातों को मानने के लिए तैयार नहीं थे, तो ऐसे में बीरबल ने अपनी बात साबित करने के लिए एक नई तरकीब निकाली। बीरबल अकबर के पास गए और कहा –
“जहाँपनाह, मैंने तो सुना है कि पड़ोसी राज्य में एक बहुत सुंदर राजकुमारी रहती है। अगर आपको चाहिए, तो आपके लिए मैं वहां बात करने जाऊं?”
ये सुनकर अकबर हैरान हो गए और बोले –
“बीरबल! तुम ऐसा कैसे बोल सकते हो? महल में पहले से दो बेगम हैं। अगर इस बात का पता उन्हें चल गया, तो मुझे कोई नहीं बचा सकता है।”
यह सुनते ही बीरबल तुरंत बोल पड़े –
“सरकार, आप भी मेरे पास दो मुर्गियां जमा करा दीजिए।”
बादशाह अकबर बीरबल की बातें सुनकर शरमा गए और उन्होंने उसी समय अपने आदेश को वापस ले लिया।
अकबर बीरबल की कहानी जोरू का गुलाम से हमें यह सीख मिलती है कि यदि आप में बात मनवाने का हुनर हो, तो अपनी चतुराई से कोई भी बात मनवा सकते हैं।
यह कहानी अकबर-बीरबल की कहानियों के अंतर्गत आती है जिसमें यह बताया गया कि अगर आप में बीरबल की तरह अपनी बात समझदारी से रखने का हुनर हो तो आप भी अपनी बात मनवा सकते हैं।
जोरू के गुलाम की इस कहानी में बताया गया है कि कैसे व्यक्ति अपनी बातों को साबित करने के लिए दिमाग का सही इस्तेमाल करता है, जिससे लोग खुद ही बात को मानने के लिए मजबूर हो जाते हैं।
इंसान को यदि अपनी बात को सही साबित करना हो, तो उसे बीरबल की तरह होशियारी से काम करना चाहिए। आपका तेज दिमाग ही आपको सच्चा और सही साबित करने में मदद करता है।
अकबर और बीरबल की जोरू का गुलाम कहानी से यह निष्कर्ष निकलता है कि यदि आपके पास बुद्धि हो तो आप किसी भी बात को आसानी से बता सकते हैं। जैसे बीरबल ने अपनी समझदारी और सूझबूझ से बादशाह अकबर को यह साबित कर दिया कि हर पति अपनी पत्नी से डरता है और जोरू का गुलाम है।
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