शिशु

अन्नप्राशन संस्कार – क्या है, महत्व, विधि, व्यंजन व टिप्स

हिन्दू धर्म के अनुसार मनुष्य के जीवन के हर महत्वपूर्ण पड़ावों को 16 भागों में विभाजित किया है। धर्म के आधार पर इन 16 भागों को संस्कार का नाम दिया गया है जिसे लोग पूर्ण विधि के साथ एक समारोह के रूप में आयोजित करते हैं। इन संस्कारों में से एक संस्कार ‘अन्नप्राशन संस्कार’ भी है जिसमें शिशु को पारंपरिक विधियों के साथ पहली बार अनाज से परिचित कराया जाता है। अन्नप्राशन संस्कार से पहले तक एक शिशु केवल माँ के दूध पर ही निर्भर रहता है इसलिए इसे एक महत्वपूर्ण अवसर माना जाता है। यदि आप भी अपने बच्चे का अन्नप्राशन संस्कार करने जा रही हैं तो इसकी पूर्ण विधि व महत्व जानने के लिए यह लेख पढ़ें।

अन्नप्राशन संस्कार क्या है

‘अन्नप्राशन’ संस्कृत का एक शब्द है जिसका अर्थ है ‘अनाज का सेवन करने की शुरुआत’। हिन्दू धर्म में कई संस्कारों में से यह भी एक संस्कार है जिसमें माता-पिता पूरी विधि, पूजा संस्कार के साथ अपने बच्चे को अन्न खिलाने की शुरुआत करते हैं। यह संस्कार बच्चे को पहली बार चावल खिलाकर किया जाता है। अक्सर माता-पिता अपने बच्चे के लिए इस संस्कार को पूरे परिवार के साथ करते हैं जिसे उसका का एक महत्वपूर्ण विकास भी माना जाता है। यह वह समय होता है जब बच्चा, माँ के दूध के साथ-साथ ठोस खाद्य पदार्थ का सेवन करना भी शुरू कर देता है। अन्नप्राशन एक का एक रिवाज है देश के विभिन्न राज्यों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे पश्चिम बंगाल में इसे मुखेभात, केरल में चोरूणु, गढ़वाल में भातखुलाई और इत्यादि। इस अनुष्ठान के बाद बच्चे को स्तनपान कराना धीरे-धीरे छुड़ाया जाता है और उसे ज्यादातर ठोस आहार ही दिया जाता है।

अन्नप्राशन संस्कार का महत्व

जैसा कि पहले भी बताया गया है कि अन्नप्राशन एक बच्चे के विकास में अगले कदम को दर्शाता है। वैदिक युग से शुरू हुई अन्नप्राशन की यह विधि, दक्षिण एशिया, ईरान के साथ-साथ पारसी लोगों में भी मनाई जाती है। अपने-अपने क्षेत्रों के संस्कार व रिवाजों के अनुसार, यह विधि बच्चे की 5 से 9 माह की आयु के बीच की जाती है। परंपरा के हिसाब से, यह संस्कार चार महीने से कम या एक वर्ष से ऊपर के बच्चे का नहीं किया जाता है। कई जगहों पर अन्नप्राशन संस्कार को पूरी महत्वता दी जाती है और इसके लिए एक समारोह का आयोजन किया जाता है जिसमें कई अतिथि आते हैं व एक बड़े स्थल में भोज कराना भी शामिल है। इस अवसर के लिए चुने गए शुभ मुहूर्त पर अन्नप्राशन मंत्र का संचालन करने के लिए पुजारी भी बुलाए जाते हैं।

अन्नप्राशन संस्कार समारोह का आयोजन

शुरु में अन्नप्राशन घर में ही मनाया जाता था। लेकिन, आज कल लोग इस अनुष्ठान को पार्टी हॉल जैसी जगहों पर करना पसंद करते हैं। इसका आयोजन मंदिर में भगवान के आशीर्वाद के साथ भी किया जाता है। यह समारोह एक दिन का होता है किन्तु यदि माता-पिता इस अनुष्ठान के साथ कुछ मनोरंजन व खेल भी शामिल करना चाहते हैं तो इसे दो दिनों तक भी मनाया जा सकता है।

अन्नप्राशन संस्कार विधि

अन्नप्राशन संस्कार की विधि बच्चे को उसके मामा की गोद में बैठाकर शुरू की जाती है, जिसमें मामा अपने भांजे को ठोस आहार का पहला निवाला खिलाते हैं। जब बच्चा पहला निवाला खा लेता है तो परिवार के बाकी सदस्य भी उसे थोड़ा-थोड़ा भोजन खिलाते हैं और साथ ही अनेकों उपहार भी दिए जाते हैं। इसी प्रकार से अन्नप्राशन की विधि पूर्ण की जाती है। इस प्रक्रिया के अंतिम में बच्चे के सामने कुछ सामग्री रखी जाती है जैसे मिट्टी, सोने के आभूषण, कलम, किताबें, भोजन व इत्यादि। अब इन चीजों में से बच्चे को किसी एक चीज का चुनाव करना होता है। रिवाज के अनुसार बच्चे का चयन ही उसके भविष्य का प्रतीक माना जाता है।

  • बच्चा यदि सोने के आभूषण चुनता है तो माना जाता है कि वह भविष्य में धनवान बनेगा।
  • यदि बच्चा कलम का चयन करता है तो इसका मतलब है कि वह बुद्धिमान होगा।
  • बच्चे के पुस्तक चुनने पर माना जाता है कि वह ज्ञानी होगा।
  • यदि वह मिट्टी चुनता है तो इसका मतलब है कि वह जायदाद के मामले में भाग्यशाली है।
  • और यदि बच्चे ने भोजन को चुना है तो मान्यता है कि वह सहानुभूति रखने वाला व्यक्ति व दानवीर होगा।

अन्नप्राशन के दौरान बच्चे के लिए विभिन्न व्यंजन

अन्नप्राशन के दौरान बच्चे के लिए चावल के साथ-साथ विभिन्न व्यंजन पकाए जाते हैं, वे इस प्रकार हैं;

  • चावल की खीर /पायस / पायसम
  • सादा मैश किया हुआ चावल घी के साथ
  • दाल, सांबर या रसम
  • फ्राईड राईस या पुलाव
  • मछली के व्यंजन
  • मीट के व्यंजन

अन्नप्राशन में के खीर या पायसम का क्या महत्व है

खीर या पायसम पूरे भारत में लोकप्रिय है और बच्चे को ठोस आहार से परिचित इन्हीं व्यंजनों से करवाया जाता है। यह आमतौर पर माँ या दादी द्वारा बनाया जाता है और यह स्वादिष्ट व्यंजन बच्चे को चांदी के बर्तन में खिलाया जाता है।

अन्नप्राशन के दौरान ध्यान रखने योग्य कुछ सावधानियां

इस समारोह के दौरान बच्चा बहुत छोटा होता है इसलिए बच्चे को ठोस आहार से परिचय करवाते समय कुछ सावधानियां बरतने की आवश्यकता होती है, आइए जानते हैं;

  • अगर बच्चा खीर नहीं खाना चाहता तो यह अनिवार्य नहीं है, आप अपने बच्चे को सादा चावल भी मैश करके खिला सकती हैं।
  • बच्चे का भोजन सही प्रक्रिया से व स्वस्थ वातावरण में पकाया जाना चाहिए, ताकि बच्चा स्वस्थ रहे।
  • बच्चे के लिए सुरक्षित खाद्य पदार्थों की जानकारी के लिए डॉक्टर से चर्चा करें।

सुरक्षित अन्नप्राशन समारोह के लिए कुछ टिप्स

वैसे तो अन्नप्राशन संस्कार एक सुरक्षित समारोह होता है किन्तु इसे सबके लिए मनोरंजक बनाने के लिए निम्नलिखित टिप्स दिए हुए हैं; आइए जानते हैं;

  • बच्चे को भोजन स्वच्छ हाथों से खिलाएं क्योंकि इस उम्र में उनको बहुत आसानी से संक्रमण हो सकता है।
  • अनुष्ठान से पहले बच्चे को अच्छी तरह से सोने दें ताकि वह संस्कार के दौरान चिड़चिड़ा न हो।
  • इस समारोह में बहुत अधिक मेहमानों को आमंत्रित न करें क्योंकि यह आपके बच्चे के लिए असुविधा पैदा कर सकता है।
  • अपने बच्चे को सूती के नर्म और आरामदायक कपड़े ही पहनाएं।
  • बच्चे को अधिक भारी, मोतियों से व धागों से कढ़ाई किए हुए कपड़े न पहनाएं क्योंकि इससे बच्चे की त्वचा को प्रभावित कर सकता है।
  • बच्चे को ढीले-ढाले कपड़े पहनाएं ताकि उसका पेट संकुचित न हो।
  • वातावरण अगर ठंडा है तो स्वेटर या कार्डिगन जरूर पास रखें।
  • बच्चे को साफ करने के लिए एक नरम तौलिया या नैपकिन रखें।
  • बच्चे को भीड़ से दूर व सुरक्षित जगह पर व्यस्त रखें।
  • बच्चे को अनुष्ठान की आग से दूर रखें क्योंकि इसका धुंआ उसकी आँखों व गले में जलन उत्पन्न कर सकता है।
  • बच्चे के लिए आयोजित किया हुआ समारोह स्थल खुला हुआ व हवादार हो ताकि मेहमानों को भी धुंआ व गर्मी से असुविधा न हो।
  • आमंत्रित मेहमानों को मिठाई व मेवे का नाश्ता करवाएं, यह विनम्रता को दर्शाता है।
  • अपने बच्चे के इस महत्वपूर्ण समारोह को यादगार बनाने के लिए उसकी तस्वीरें खिचवाएं और वीडियो बनवाएं।

एक बच्चे के जीवन में अन्नप्राशन का समारोह अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है और साथ ही यह बच्चे का विकास की ओर अगला कदम भी दर्शाता है।

यह भी पढ़ें:

बच्चे का मुंडन समारोह
बच्चों को ठंड में खिलाने के लिए 5 भारतीय खाद्य पदार्थ

सुरक्षा कटियार

Recent Posts

शारदीय नवरात्रि 2025 – तिथि, मुहूर्त और महत्व

हिन्दू धर्म में नवरात्रि के त्योहार का एक विशेष स्थान है। वैसे तो नवरात्रि साल…

19 hours ago

150 ‘द’ और ‘ध’ अक्षर से लड़कों के नाम अर्थ सहित

आजकल बच्चों के लिए छोटे और क्यूट नामों का बहुत चलन है। ऐसे ही नाम…

1 day ago

जुड़वां बच्चों के लिए मजेदार कोट्स l Quotes About Twins In Hindi

एक बच्चे का इस दुनिया में आना किसी भी माता-पिता के लिए सबसे खुशी भरा…

2 days ago

नवरात्रि 2025 के रंग

नवरात्रि हिंदुओं का एक बेहद पवित्र पर्व है। हमारे देश में नवरात्रि के दौरान हर…

2 days ago

पत्नी के लिए 17 रोमांटिक प्रेम पत्र l Romantic Love Letters For Wife In Hindi

हर शादीशुदा औरत के दिल में एक छोटी सी ख्वाहिश होती है कि उसका पति…

3 days ago

बच्चों के लिए 12 सर्वश्रेष्ठ प्रेरणादायक कहानियां

30जैसे–जैसे बच्चे बड़े होते हैं, आपको उनमें एक अलग ही व्यक्तित्व दिखाई देगा। क्योंकि बच्चे…

3 days ago