शिशु

आपका बच्चा पूरी रात सोने की शुरुआत कब करेगा?

पेरेंट्स होने के नाते आप सोचते होंगे, कि मेरा बच्चा बिना जागे पूरी रात सोना कब शुरू करेगा। नए पेरेंट्स के लिए बच्चे और उनका काम दोनों को एक साथ संभालना थकाने वाला हो सकता है। अधिकतर शिशुओं की सोने की आदतें अलग होती हैं, जो कि लगभग 6 महीने के बाद सामान्य होने लगती हैं। 

रात भर सोने का मतलब क्या होता है?

रात भर सोने का मतलब होता है, बिना जागे लगभग 6 से 8 घंटे का पूरा आराम मिलना। शिशुओं के लिए आमतौर पर, यह रात की फीडिंग के बाद होता है और यह बिना किसी रूकावट या परेशानी के लगातार चलता रहता है। जहाँ कुछ बच्चे 3 महीने की छोटी उम्र में ही 6 से 8 घंटे की लंबी नींद एक बार में ले सकते हैं, वहीं दूसरे बच्चों को इसमें अधिक समय लग सकता है। यह समय एक साल तक का भी हो सकता है। 

बच्चे के पूरी रात सोने से पहले विकास संबंधी बाधाएं

आपका बच्चा पूरी रात आराम से सो पाए, इसके पहले कई शारीरिक और मानसिक रुकावटें आती हैं, जिनसे उसे गुजारना पड़ता है: 

  • बढ़ी हुई फीडिंग और वजन में बढ़ोतरी
  • चौंकने या मोरो – रिफ्लेक्स में कमी, जिसमें बच्चों के पैर किसी तेज आवाज, सोने की पोजीशन में बदलाव या फिर बुरे सपने के कारण जोर से हिलते हैं। आमतौर पर यह 4 महीने के बाद गायब हो जाता है।
  • रात के समय फीडिंग का कम होना।
  • बच्चे का खुद की उंगली चूसकर या पैसीफायर का इस्तेमाल करके, खुद को शांत करने की क्षमता का विकास होना, ताकि अगर रात को उसकी नींद खुल जाए, तो वह खुद से ही सो सके।

अधिकतर बच्चे रात भर कब सोते हैं?

बच्चे जम्हाई लेने के लिए या अंगड़ाई लेने के लिए बीच में दो बार जागते हैं और फिर खुद ही सो जाते हैं। 

जब आपका बेबी थका हुआ और उनींदा होता है, तो बिस्तर पर रखने के बाद 5 से 10 मिनट के अंदर ही वह सो जाता है। आमतौर पर ऐसा 6 महीने के बाद देखा जाता है। 

0 से 4 महीने

जब बच्चा न्यूबॉर्न होता है, तो यह दुनिया उसके लिए नई होती है और इसलिए उसके सोने का कोई एक निश्चित पैटर्न नहीं होता है। वह बस जरूरत पड़ने पर सोता है और यह समय 45 मिनट से लेकर 120 मिनट तक कुछ भी हो सकता है। इस उम्र में बच्चे को पर्याप्त आराम मिलना ही मुख्य लक्ष्य होता है। आपके बच्चे को पूरे दिन में 12 से 16 घंटे तक सोना ही चाहिए। 

4 से 6 महीने

जब बच्चा 4 महीने का हो जाता है, तो उसकी दोपहर की नींद घटकर 4 से 3 बार तक हो जाती है और वह एक बार में 30 से 45 मिनट की नींद लेता है। जब उसकी उम्र 5 से 6 महीने की हो जाती है, तब अगर उसे मदद मिले, तो वह 2 से ढाई घंटे तक सो सकता है। इस समय तक आप बच्चे के लिए एक रूटीन तैयार करना शुरू कर सकते हैं। बच्चे की दोपहर की नींद को महत्व दें और उसके सोने के लिए एक अच्छा वातावरण तैयार करने की शुरुआत करें। दिन के दौरान उसके सोने का समय 3 से साढ़े 4 घंटे तक होना चाहिए और इसके साथ ही रात की नींद भी पूरी होनी चाहिए। 

7 से 9 महीने

इस उम्र के दौरान दिन में सोने का समय घटकर 3 से 2 बार तक हो जाता है। दोपहर में आपके बच्चे को कुल मिलाकर केवल तीन से चार घंटे की नींद की जरूरत होती है। सोने-जागने का एक निश्चित समय तय करके उसके रूटीन को निश्चित रखने की शुरुआत करें। बच्चे को हर बार दो से ढाई घंटे सुलाने की कोशिश करें। रात को सोने का भी एक रूटीन बनाना शुरू करें और कोशिश करें कि उसे फॉलो किया जाए। 

10 से 12 महीने

एक बार बच्चा एक साल की उम्र के करीब पहुँच जाता है, तो उसके दिन के अधिकतर समय का रूटीन बन जाता है। उसका फीडिंग टाइम और सोने का टाइम निश्चित हो जाता है। इसलिए दिन के समय केवल दो से ढाई घंटे की नींद के रूटीन को मेंटेन करना जरूरी है। कुल मिलाकर दिन के समय 3 से 4 घंटे की नींद आपके बच्चे के आराम और खुशी के लिए जरूरी है। रात के समय आप बच्चे को लंबे समय तक सुला सकते हैं और उसे अपने आप को शांत करना सिखा सकते हैं। बाद में सोने के समय को और बढ़ाया जा सकता है, ताकि बिस्तर पर रखने के बाद वह जल्दी ही सो जाए। 

जब बच्चे की उम्र 1 साल पार कर जाती है, तो दिन में सोने का समय घटाकर एक बार तक किया जा सकता है, जिसका समय 2 घंटे से अधिक का हो सकता है। बच्चे को सोने के नए पैटर्न के साथ एडजस्ट होने में थोड़ा समय लग सकता है, इसलिए धैर्य बनाए रखें और लगातार कोशिश करते रहें। अगर आप परेशान हो जाते हैं और बच्चे को सुला नहीं पाते हैं, तो थोड़ी देर के लिए चहलकदमी करें और फिर वापस आकर दोबारा शुरू करें। समय के साथ आपका बच्चा ऐसे रूटीन के साथ एडजस्ट करने में सक्षम हो जाएगा, जो कि आपके और आपके साथी के लिए भी सुविधाजनक होगा। 

आपके बच्चे को रात भर सोने में मदद के लिए कुछ टिप्स

पेरेंट होने के तौर पर, आपने कई रातें जागकर बिताई होंगी और आप यह सोचते होंगे, कि बेबीज पूरी रात सामान्य रूप से सोने की शुरुआत कब करते हैं। 

यहाँ पर कुछ टिप्स दिए गए हैं, जिनकी मदद से आपका बच्चा पूरी रात ठीक से सो पाएगा: 

  • एक नियमितता बनाए रखें, वीकेंड पर भी। अगर आपने सोने के लिए एक निश्चित समय तय किया है, तो चाहे कुछ भी हो जाए आप उसी समय बच्चे को सुलाएं।
  • जब बच्चे को नींद आने लगे और वह बिस्तर पर जाने के लिए बिल्कुल तैयार हो, तो उसे सुला दें।
  • बच्चे के सोने का साइकिल 40 मिनट का भी हो सकता है। इसका मतलब है, कि वह रात में कई बार जागेगा। इसका अर्थ यह न लगाएं, कि उसे भूख लगी है या उसे दूध पीने की जरूरत है।
  • रात में सोने से पहले उसे अच्छी तरह से दूध पिलाएं, ताकि सोने के समय उसका पेट भरा रहे।
  • जब सॉलिड फूड देने की शुरुआत करनी हो, तो इसे भी आराम से करें। आपको किसी भी चीज के लिए जल्दबाजी करने की जरूरत नहीं है। उसे सेमी-सॉलिड और मैश किया हुआ खाना देने से शुरुआत करें।
  • बच्चे की हरकतों को देखकर इशारे समझें और उसके शेड्यूल के अनुसार अपना तालमेल बैठाने की कोशिश करें। अगर बच्चा जम्हाई ले रहा हो और वह थका हुआ दिख रहा हो, तो उसे उसके बिस्तर पर ले जाएं और सुला दें।
  • सोने का एक रूटीन रखें, यानी कि हर दिन एक ही समय पर बच्चे को सुलाएं।
  • रात को सोने का रूटीन बनाएं ताकि बच्चा संकेतों को समझ सके और रूटीन के शुरू होने पर, उसे बिस्तर पर सोने की आदत हो जाए। सोने के समय कहानी पढ़कर सुनाना या सोने से पहले नहाना, स्लीपिंग टाइम के संकेत बन सकते हैं।

बच्चे को सुलाना एक चुनौती भरा काम हो सकता है। इसलिए इसके लिए एक पैटर्न सेट करते समय पर्याप्त मदद और सपोर्ट लें और एक टीम के तौर पर काम करें और जब कभी भी आप बहुत ज्यादा थके हों और काम को जारी न रख सकें, तो अपने साथी की मदद लें। सबसे जरूरी बात, यह याद रखें, कि इसमें समय लगता है। 

यह भी पढ़ें: 

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क्या छोटे बच्चे को करवट से सुलाना चाहिए?
बच्चे का बार-बार नींद से जागना – कारण और उपचार

पूजा ठाकुर

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