अपने बच्चे को दवाएं कैसे दें

अपने बच्चे को दवाएं कैसे दें

जब आपका बच्चा बीमार पड़ जाता है और चिड़चिड़ा हो जाता है, तो आपके पेरेंटिंग स्किल पर भी एक झटका लग सकता है। दवाएं या जो भी खाना उसे नापसंद है और उसे खिलाने के लिए आपने जितनी भी ट्रिक सीखी हैं, सभी बेकार साबित होने लगती हैं। उसके लगातार रोने से आपको तनाव महसूस हो सकता है। लेकिन आपको यह पता होता है, कि आपका छोटा सा बच्चा अच्छा महसूस नहीं कर रहा है और आप चाहेंगे, कि वह जल्द से जल्द ठीक हो जाए। बच्चे अक्सर दवा उगल सकते हैं या उल्टी भी कर सकते हैं और आप यह सोच कर परेशान हो सकते हैं, कि बिना उल्टी किए हुए बच्चे को दवा कैसे दें। अपने दिमाग को शांत रखकर, आप इसके लिए एक सही तरीका ढूंढ सकते हैं। 

अपने शिशु को दवा देने के चालाकी भरे तरीके

अपने बच्चे को दवा देने के लिए आप ये इंटरेस्टिंग तरीके आजमा सकते हैं: 

1. निर्देशों का पालन सही तरह से करना

  • किसी भी तरह की दवा देने से पहले, खुद आपको यह पता होना चाहिए, कि आप अपने बच्चे को क्या दे रहे हैं। 
  • जब डॉक्टर कोई खास दवा प्रिस्क्राइब करते हैं, तो वे आपको कुछ खास बिंदुओं का ध्यान रखने की या फिर दवा देने के किसी खास तरीके की सलाह दे सकते हैं। इन्हें ध्यान में रखें, खुराकों के बारे में नोट्स बनाएं, ताकि आपको इसके बारे में पूरी जानकारी हो और दवा देते समय आपको कोई दुविधा महसूस न हो। 
  • बच्चे को दी जाने वाली दवा, कई तरह के पहलुओं पर निर्भर करती है। जैसे आपके बच्चे की मौजूदा स्थिति, दवा के इनग्रेडिएंट्स और उनके प्रभाव, उसका गोलियों, सिरप या बूंदों के रूप में होना और उसकी सही खुराक और इनमें से प्रत्येक की बारंबारता। 
  • आखिरकार दवाएं केमिकल ही होते हैं और इनके कुछ निश्चित साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं। इनके बारे में अपने डॉक्टर से बात करें और किसी संभव साइड इफेक्ट के ऊपर नजर रखें, जो कि खतरनाक हो सकता है। अगर ऐसा कुछ दिखे, तो इसके किसी दूसरे विकल्प के लिए अपने डॉक्टर से रिक्वेस्ट करें।
  • बच्चे को दवा देने के बाद गोलियों और सिरप को सही तरह से स्टोर करना बहुत जरूरी है। इससे बच्चा या कोई अन्य व्यक्ति इनकी पहुँच से दूर रहता है और गलती से इनके सेवन की संभावना से भी बचाव होता है। साथ ही कुछ दवाओं के गर्मी या रोशनी के संपर्क में आने पर, उनके कंपोजीशन में बदलाव हो जाता है। इसलिए इस बात का ध्यान रखें, कि ये दवाएं किसी ठंडी और सूखी जगह पर, किसी डिब्बे में अच्छी तरह से रखी गई हों। 
  • इन्हें स्टोर करने के दौरान, उसी कंटेनर में रखना जरूरी है, जिनमें इन्हें खरीदा गया है। इस्तेमाल से पहले गोलियों को बाहर निकालकर किसी दूसरे डब्बे में रखने या फिर सिरप को उसके अपने बोतल से निकालकर किसी दूसरी बोतल में रखने से बचें। स्टोरेज बोतल का मटेरियल, दवा के साथ मिलकर रिएक्ट कर सकता है या किसी को यह लग सकता है, कि बोतल में कोई दूसरी चीज रखी गई है और गलती से उसका सेवन हो सकता है। 
  • दवा को सही तरह से लेना भी जरूरी है। अधिकतर सिरप एक मेजरिंग कप के साथ आते हैं, जिनमें सही निशान लगे होते हैं। बच्चे को दवा देने के लिए डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के अनुसार दवा की सही मात्रा को माप कर बच्चे को पिलाएं। इसके लिए किसी चम्मच या किसी दूसरे बर्तन का इस्तेमाल न करें। बूंदों के लिए दवा के साथ आने वाले ड्रॉपर का इस्तेमाल सबसे अच्छा होता है या फिर एक अलग ड्रॉपर खरीदें, जो कि स्टेराइल हो और उसे केवल इसी दवा के लिए इस्तेमाल करें। एक ही ड्रॉपर को अलग-अलग सिरप के लिए इस्तेमाल न करें। 
  • दवा देने के लिए हाथों के साफ होने के साथ-साथ सफाई से दवा पिलाना भी जरूरी है। दवा देते समय आपको बच्चे को पकड़ना पड़ेगा और अतिरिक्त दवा गिर जाने पर उसे साफ भी करना पड़ेगा और इसके लिए आपके हाथों का साफ होना जरूरी है। हाथ गंदे होने पर आगे चलकर बच्चा थोड़े और जर्म्स से संक्रमित हो सकता है और दवा भी बेकार हो सकती है। 
  • कभी भी अगर आपको यह महसूस हो, कि आपके बच्चे पर दवा का कोई रिएक्शन हो रहा है, बीमारी के लक्षण कमजोर होने के बजाय और भी मजबूत होते दिखें या आपके बच्चे की तकलीफ और भी बढ़ जाए, तो अपने डॉक्टर से संपर्क करने से हिचकें नहीं। अपने आप को शांत रखने की कोशिश करें और डॉक्टर को खुराक और उसके रिएक्शन की पूरी घटना को साफ-साफ बताएं। डॉक्टर के पास जितनी अधिक जानकारी होगी, वे आपको उससे निपटने के उतने ही बेहतर तरीके बता सकते हैं। 

2. शिशु को ओरल मेडिसिन देना

  • शिशुओं को मुँह से देने वाली दवाएं ज्यादातर सिरप के रूप में बनती हैं। इससे उन्हें दवा देना आसान हो जाता है। प्रिसक्राइब्ड मात्रा में खुराक लेने से पहले बोतल के ढक्कन को कस कर लगाएं और बोतल को अच्छी तरह हिलाएं। शायद ही कोई दवा ऐसी होती है, जिसे हिलाना न पड़े। इसलिए बोतल की पैकेजिंग पर दिए गए निर्देशों को पढ़ना जरूरी होता है। 
  • चूंकि दवा की खुराक की मात्रा का सही होना बहुत जरूरी है, इसलिए अधिकतर सिरप एक मेजरिंग कप के साथ या एक छोटे मुँह के साथ आते हैं, जिसमें सिरिंज को डाला जा सकता है। बाजार में छोटे सिरिंज उपलब्ध होते हैं, जिनके ऊपर वॉल्यूम के निशान लगे होते हैं। 
  • सिरिंज को बोतल में डालने से पहले प्लंजर को पूरी तरह से धकेलें। बोतल को उल्टा पकड़ें, फिर प्लंजर को तब तक खीचें, जब तक आपकी जरूरत जितनी दवा सही निशान तक नहीं पहुँच जाती। अगर बोतल का मुँह पूरा खुला हुआ है, तो आप सिरिंज को उसमें डुबोकर दवा को निकाल सकते हैं और बोतल को उल्टा करने की कोई जरूरत नहीं है।
  • बच्चे को दवा देते समय उसे सुरक्षित महसूस होना चाहिए। अपनी कोहनी का इस्तेमाल करके उसे पकड़ें, ताकि वह आराम से सिक्योर हो जाए। अपने कोहनी को थोड़ा ऊपर उठाएं, ताकि उसका सिर उसके पैरों से ऊपर हो जाए और वह थोड़ा झुका हुआ लगे। अगर आपके बच्चे का मूड अच्छा नहीं है, तो उसे कंबल या किसी कपड़े में लपेटें और उसे दवा देने से पहले शांत करें। अगर यह समस्या फिर भी बनी रहे, तो बच्चे को पकड़ने के लिए या उसे दवा देने के लिए किसी की मदद ले लें। 
  • दवा देने के लिए सिरिंज की पोजीशन भी जरूरी होती है। सिरिंज के टिप को बच्चे के मुँह में डालें और उसे कुछ इस तरह से पुश करें, कि दवा उसके गालों और उसके निचले मसूड़ों की ओर जाए। इससे दवा उसके मुँह में आसानी से जाएगी और उसे पीने में भी सुविधा होगी। दवा को सीधे बच्चे के गले में न डालें, क्योंकि यह उसके गले में अटक सकती है और वह दवा उगल सकता है। 
  • प्लंजर को दबाते समय उसे थोड़ा-थोड़ा दबाएं। पूरी दवा को एक साथ न डालें, क्योंकि एक बार में डालने से यह थोड़ा ज्यादा हो सकता है। थोड़ा सा दबाएं और बच्चों को दवा पीने दें। फिर इसे बार-बार दोहराएं। सिरिंज को बार-बार मुँह से निकालने की जरूरत नहीं है, क्योंकि आपका बच्चा ऐसे ही दवा को पी जाएगा। 
  • कुछ दवाएं ऐसी होती हैं, कि जिन्हें खाना खाने के बाद लेना होता है और वहीं कुछ को खाना खाने से पहले। ऐसे मामलों में केवल दवा के स्वाद को खत्म करने के लिए, बच्चे को कुछ भी खाने को न दें। अगर दवा खाना खाने से पहले लेनी है, तो अगर आप उसे अच्छा खाना खिलाएंगे, तो दवा का स्वाद वैसे भी मुँह से निकल जाएगा। 
  • अगर दवा पिलाने के बाद बच्चा उसे थोड़ा बहुत उगल देता है, तो आप उसे फिर से दवा देने के बारे में सोच सकते हैं। ऐसे मामलों में अधिकतर डॉक्टर दोबारा दवा न देने की सलाह देते हैं। साथ ही अगर दवा का स्वाद बहुत खराब है, तो आप इसका कोई दूसरा विकल्प चुन सकते हैं, जिसमें कोई फ्लेवर भी डाला गया हो। ऐसे कुछ फार्मासिस्ट होते हैं, जिनके पास दवा में थोड़ा फेरबदल करने के लिए लाइसेंस प्राप्त होता है। वे कोई फ्लेवर युक्त दवा दे सकते हैं, जिसे बच्चे को इसे पिलाना आसान हो जाए। 

3. शिशु के कान में इयर ड्रॉप्स डालना

  • इयर इन्फेक्शन या कान में दर्द पैदा करने वाली किसी बीमारी की स्थिति में, इयर ड्रॉप सबसे बेहतर इलाज है। इयर ड्रॉप के ये बोतल एक ड्रॉपर के साथ आते हैं। अगर ऐसा न हो, तो आप इसके लिए एक सिरिंज का इस्तेमाल कर सकते हैं। 
  • इयर ड्रॉप डालने से पहले, बोतल को अच्छी तरह से हिलाएं। इसके लिए अपने हाथ को अच्छी तरह से साफ कर लें। इसे हाथों के बीच रख कर अच्छी तरह से शेक करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि इससे दवा रूम टेंपरेचर तक आ जाती है, और इसे कान में जाने पर कोई परेशानी नहीं होती है। 
  • बच्चे को एक कपड़े में लपेट दें और उसे कुछ इस तरह से लिटाएं, कि उसका कान आपकी ओर हो। उसे बहला-फुसलाकर एक ही में दिशा में देखने के लिए व्यस्त रखें। अगर जरूरत पड़े तो आप उसे इस तरह से पकड़ भी सकते हैं। 
  • इयर कैनाल को अच्छी तरह से देखने के लिए, इयर लोब को बाहर की ओर धीरे से खींचे। जब यह दिखने लगे, तो ड्रॉपर के टिप को उस पर रखें या सिरिंज को इयर कैनाल के मुँह पर रखें। इसे कान के जितना नजदीक हो सके उतना नजदीक रखें, पर इसे स्पर्श न करें। 
  • कान की दवा की खुराक आमतौर पर बूंदों की संख्या में दी जाती है। सही मात्रा में बूंदों को डालने के लिए ड्रॉपर या प्लंजर को दबाए। इसे जल्दी करने की कोशिश करें, क्योंकि जैसे ही बच्चे को कान में कुछ जाता हुआ महसूस होगा, वह मचलने लगेगा। पूरी खुराक डालने तक अगर आपको जरूरी लगे, तो उसे पकड़े रहें। 
  • बच्चे को उसी पोजीशन में थोड़ी देर रहने दें, ताकि दवा अच्छी तरह से कान के अंदर चली जाए और सूख जाए। अपने बच्चे को शांत करें, ताकि वह अच्छा महसूस करे। अगर यह दवा दूसरे कान में भी देनी है, तो बच्चे की पोजीशन को बदलने से पहले थोड़ी देर इंतजार करें और इसी प्रक्रिया को दोहराएं। 

4. आई ड्रॉप या मरहम लगाना

  • आई ड्रॉप डालना या आँखों में मरहम लगाना, काफी चुनौतीपूर्ण हो सकता है और इसमें दक्ष हाथों की जरूरत होती है। अधिकतर आई ड्रॉप के बोतल दबाने के लायक होते हैं और इनमें पहले से ही एक नॉजल  बनी होती है, जिससे दवा बाहर निकल सकती है। अगर ऐसा न हो, तो आपको अलग से एक ड्रॉपर की जरूरत पड़ेगी। बोतल को अच्छी तरह से हिलाएं और अपने हाथों को धोएं। 
  • दवा देते समय सबसे बेहतर है, कि बच्चे को अपने करीब पकड़े रहें। इससे उन्हें सुरक्षित महसूस होता है और अपनी कोहनी में उन्हें पकड़ने से आप उन्हें अपनी जरूरत के अनुसार एडजस्ट भी कर सकते हैं। 
  • अब एक आँख की निचली आईलिड को थोड़ा नीचे खीचें। यह काम जितना संभव हो, उतनी सौम्यता से करें। इससे एक छोटा सा पॉकेट तैयार हो जाएगा, जिसमें आपको दवा डालनी है। 
  • अगर आपको आई ड्रॉप डालना है, तो इस एरिया के ऊपर ड्रॉपर का निशाना बनाएं और एक बूंद डाल दें और फिर आईलिड को छोड़ दें। आपका बच्चा कई बार पलकों को झपकाएगा और थोड़ी दवा बाहर भी आ सकती है, जिसमें कोई परेशानी नहीं है। 
  • अगर आप आँखों की क्रीम का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो आई लिड को नीचे खीचें और पॉकेट में थोड़ी सी दवा दबाकर निकाल दें। आईलिड को छोड़ दें। आपका बच्चा पलकों को झपकाएगा और दवा अच्छी तरह से फैल जाएगी। इस बात का ध्यान रखें, कि मरहम का नोजल आपके बच्चे की आई लिड से छूना नहीं चाहिए। 
  • एक कपड़ा अपने साथ रखें, ताकि आंसू या अतिरिक्त दवा को तुरंत साफ करने में आसानी हो। दूसरी आँख में दवा डालने से पहले, बच्चे को शांत होने दें, आँखों को खुलने दें और सामान्य रूप से इधर-उधर देखने दें। 
  • अगर कभी ऐसा करना मुश्किल हो जाता है, तो आप अपने बच्चे को आँखों को बंद करने दें और आँखों के अंदरूनी कोनों (नाक के करीब वाले) पर दवा की एक बूंद डाल दें। यह दवा आँखों के अंदर धीरे से चली जाएगी। यह तरीका अपनाने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श ले लें। 

5. रेक्टल सपोजिटरी (गुदा से डालने वाली दवा) डालना

  • कुछ दवाएं ऐसी होती हैं, जिन्हें बच्चे के मलद्वार के द्वारा डालने की जरूरत होती है। मेडिकल ग्लव्स पहनें, ताकि यह प्रक्रिया साफ रहे और आपके नाखूनों से आपके बच्चे को चोट न लगे। 
  • सपोजिटरी को अपने हाथों के बीच रगड़ कर गर्म करें और लुब्रिकेटिंग जेली लगाएं। लुब्रिकेशन के लिए पेट्रोलियम जेली का इस्तेमाल न करें। 
  • बच्चे को किसी ऐसी सतह पर रखें, जिसकी उसे आदत है और उसके पैरों को ऊपर उठाते हुए उसके कूल्हे को फैलाएं। जब उसका मलद्वार आपको दिखने लगे, तो सपोजिटरी को अंदर धीरे से अंदर डाल दें।  इसे पूरी गहराई में अंदर डालने की जरूरत नहीं है। 
  • कुछ मिनटों के लिए बच्चे के कूल्हे के दोनों हिस्सों को एक साथ सटाकर दबाएँ और उसका ध्यान भटकाने की कोशिश करें। डायपर को दोबारा लगाना न भूलें। 

छोटे बच्चे को दवा देना मुश्किल तो जरूर होता है, पर यह कोई रॉकेट साइंस नहीं है। कई लोग बच्चे को सोते समय दवा देना एक अच्छा तरीका मानते हैं, लेकिन यह तरीका हमेशा सही नहीं होता है। बच्चे को शांत करने के लिए कुछ खास तकनीकों का इस्तेमाल करके और धैर्य रखकर, आप बच्चे को तुरंत दवा देना सीख जाएंगे। जिसके बाद उसे दवा देकर, आप उसके साथ खेल भी सकेंगे। 

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