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बच्चे के जन्म के बाद, उसे भोजन के रूप में सिर्फ माँ का दूध ही दिया जाता है जो कि शुरुआती दिनों में पोषक तत्वों और खनिजों का प्राथमिक स्रोत होता है। शिशु के छह माह का होने के बाद उसे ठोस आहार की शुरुआत की जाती है और फिर धीरे-धीरे दूध छुड़ाने की प्रक्रिया का आरंभ होता है। शिशु का दूध छुड़ाने के लिए एक ऐसे योग्य विकल्प की आवश्यकता होती है जो माँ के दूध की जगह ले सके और साथ ही आवश्यक पोषक तत्व प्रदान कर सके।
अरारोट को वैज्ञानिक भाषा में मारंता अरुंडिनेसिया कहा जाता है। इसे अरारोट, टैपिओका, कुडजु और कसावा जैसे उष्णकटिबंधीय पौधों की जड़ों से स्टार्च के रूप में निकाला जाता है। यह आसानी से पचने वाला पदार्थ है जिसमें कैलोरी कम और आवश्यक पोषक तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं । अरारोट के ये गुण इसे शिशुओं के लिए एक उत्कृष्ट भोजन विकल्प बनाते हैं, खासकर तब जब बच्चे के आहार से माँ के दूध को कम करके अन्य खाद्य पदार्थों को बढ़ाने की प्रक्रिया शुरू हो गई हो।
अरारोट एक उर्जा से भरपूर खाद्य पदार्थ है जिसमें थियामिन, राइबोफ्लेविन, नियासिन और पाइरिडोक्सिन जैसे विटामिन बी होते हैं जो कार्बोहाइड्रेट, वसा और प्रोटीन को संश्लेषित करने में शरीर की मदद करते हैं।
अरारोट पोटेशियम का भी एक उत्कृष्ट स्रोत है, जो बच्चे की हृदय गति को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और इसमें फोलेट भी होता है, जो कोशिका विभाजन और डी.एन.ए. के संश्लेषण में मदद करता है।
यह सुपरफूड मैग्नीशियम, जस्ता और लोहे जैसे अन्य खनिजों से भी भरपूर है जो बच्चे के सामान्य कार्यों और वृद्धि में मदद करते हैं।
अरारोट स्टार्च एक बच्चे के लिए माँ के दूध के सबसे अच्छे विकल्पों में से एक माना जाता है। लस (ग्लूटेन) मुक्त होने से यह सुनिश्चित होता है कि इससे शिशु को कोई एलर्जी नहीं होगी ।
अरारोट पचाने में आसान होता है और यह शिशु का मलोत्सर्ग भी सहज बनाने में सहायता प्रदान करता है। यह आसानी से उपलब्ध है और बच्चे के सेवन के लिए पूरी तरह से सुरक्षित है।
बच्चे के लिए अरारोट के कई फायदे हैं:
दाँत आमतौर पर तब आना शुरू होते हैं जब बच्चे छह महीने के हो जाते हैं। मसूड़ों से दाँत निकलने की प्रक्रिया से बालक को दर्द और जलन हो सकती है। इस दौरान किसी चीज को चबाने या काटने से जलन से राहत मिलती है। अरारोट बिस्किट उन प्लास्टिक के खिलौनों का एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है, जिन्हें बच्चों को चबाने के लिए टीथर के रूप में दिया जाता है। अरारोट का उपयोग करके बेक किए गए बिस्किट आमतौर पर बहुत सख्त हो जाते हैं और बच्चे उन्हें अच्छे से चबा सकते हैं और इनके टुकड़े होने का डर नहीं रहता है।
अरारोट को कई तरीकों से बच्चे को दिया जा सकता है। अरारोट पाउडर से बने पदार्थ नीचे दिए गए हैं:
अरारोट, कॉर्न स्टार्च की तरह, एक गाढ़ापन देने वाला पदार्थ है और शिशु के आहार में ठोस खाद्य पदार्थ शामिल करने की तरफ पहला कदम है।
अरारोट डालकर बिस्किट बनाए जा सकते हैं जिसका उपयोग शिशु के दाँत निकलते समय उसे टीथर चबाने के लिए देकर किया जा सकता है।
इसे अधिक स्वादिष्ट बनाने के लिए इसमें दूध और गुड़ या पाम शुगर मिलाकर भी बच्चे को दिया जा सकता है।
दलिया एक और स्वादिष्ट विकल्प है। शिशुओं के लिए अरारोट दलिया बनाने की एक आसान विधि है – 1 कप अरारोट पाउडर, 3/4 कप पिघला हुआ गुड़ और 2 कप दूध साथ में मिलाएं और इसे मध्यम आंच पर लगभग तीन मिनट तक गर्म करें। एक बार घोल तैयार हो जाने के बाद, इसे ठंडा होने पर शिशु को दिया जा सकता है। दलिया को अधिक स्वादिष्ट बनाने के लिए इसमें कसा हुआ नारियल डाला जा सकता है।
यद्यपि शिशु के लिए माँ के दूध से बेहतर कुछ नहीं हो सकता, लेकिन जब उसका दूध छुड़ाने की आवश्यकता होती है तो अरारोट एक अच्छा विकल्प होता है। पेट के लिए इसके लाभ और इसका उच्च पोषण मूल्य इसे बच्चे के लिए एकदम उपयुक्त आहार बनाते हैं । पोषक तत्वों का एक अच्छा स्रोत होने के अलावा, अरारोट में औषधीय गुण भी हैं और यह त्वचा की समस्याओं जैसे चकत्ते और घावों को ठीक करने में मदद करता है और चेचक के दौरान भी फायदेमंद होता है।
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