शिशु

बेबी का नींद में रोना – कारण और शांत करने के तरीके

सभी पेरेंट्स अपने बच्चे के रोने पर प्रतिक्रिया देते हैं, हालांकि हर माता-पिता अलग-अलग तरह से अपने बच्चे को शांत करने का तरीका अपनाते हैं। कुछ त्वचा से त्वचा का संपर्क देते हैं, वहीं कुछ बच्चे को शांत करने के लिए हल्का संगीत लगाते हैं या गोद में झुलाते हैं। कुछ मांएं बच्चे को शांत करने के लिए ब्रेस्टफीडिंग कराने की कोशिश करती हैं कि शायद उनका बच्चा भूख के कारण रो रहा है। ये सभी उपाय ज्यादातर मामलों में काम करते हैं, लेकिन जब बच्चे नींद में रोने लगते हैं तो यह देखकर आप परेशान हो सकती हैं। यह पता लगाना कि आपके बेबी के रोने का कारण आखिर क्या है, इससे समस्या हल करने में मदद मिलेगी। इस बारे में और विस्तार से चर्चा करेंगे इसलिए पढ़ना जारी रखें। 

क्या सोते समय छोटे बच्चों का रोना नॉर्मल है?

बच्चों का सोने से पहले या जब उन्हें नींद आ रही हो, उस दौरान रोना काफी कॉमन है। यह बहुत सी मांओं के लिए परेशानी वाली बात हो सकती है, लेकिन इसमें परेशान होने जैसा कुछ भी नहीं है। पेरेंट्स को यह समझने की जरूरत है कि बच्चों की नींद का पैटर्न बड़ों से काफी अलग होता है।

बच्चे अपनी नींद का ज्यादातर समय आरईएम (रैपिड आई मूवमेंट) स्टेट में बिताते हैं, जो स्लीपिंग स्टेट होती है और इसमें सपने आते हैं। इस समय के दौरान आप बच्चे की पलकों को हिलते हुए देख सकती हैं। आप उसकी सांसों में भी थोड़ी अनियमितता देख सकती हैं, वह बार बार रोने जैसे आवाज निकलेगा जिससे आपको लगेगा कि बच्चा जागने वाला है।

एक्सपर्ट का कहना है कि चार महीने से लेकर एक साल की उम्र के बीच बच्चों का धीरे-धीरे रोना आम है। जबकि कुछ बच्चों का यह व्यवहार अपने आप चला जाता है, वहीं कुछ बच्चे ऐसे भी होते हैं जिन्हें रात में अच्छी नींद लेने की आदत को विकसित करने के लिए उनके रूटीन में बदलाव की आवश्यकता होती है।

छोटे बच्चे नींद में क्यों रोते हैं?

बच्चे अभी भी खुद को एक्सप्रेस करने का तरीका ढूंढ रहे होते हैं और रोना उनके लिए संवाद का एकमात्र जरिया होता है। कुछ ऐसे कारण होते हैं जो बच्चे को शारीरिक रूप से असहज महसूस कराते हैं और इसलिए, वो परेशान होकर रोने लगते हैं। यहाँ आपको ऐसे कुछ कारण दिए गए हैं:

1. गंदा डायपर

मां सबसे पहले यही चेक करती है कि कहीं बच्चे का डायपर गंदा तो नहीं हुआ है जिसकी वजह से वह रो रहा है। गंदे डायपर में रहने से बच्चा बिलकुल आरामदायक महसूस नहीं करता और आप इसे बदल दें ये बताने के लिए उनके पास रोने के अलावा और दूसरा कोई और तरीका नहीं होता है।

2. भूख

बच्चे का छोटा सा पेट ज्यादा मात्रा में दूध नहीं ले पाता है और उसे दिन में कई बार भूख लगती है, जिससे उसे कई बार फीडिंग कराने की आवश्यकता होती। अगर आप यह नोटिस करती हैं कि बच्चा रोना शुरू कर रहा है लेकिन पूरा नहीं जागा है, तो इसका मतलब है कि बच्चा भूखा है।

3. तापमान की समस्या

आपका बच्चा रात के दौरान गर्म या ठंडा महसूस कर रहा हो, तो उसे मदद की जरूरत होती है, ताकि आप उसे वापस उसकी आरामदायक स्थिति में ला सकें। अगर टेम्परेचर में बदलाव होता है, तो बच्चा परेशान हो जाएगा और रोने लगेगा। अगर ज्यादा ठंड न हो तो बच्चे को बहुत ज्यादा कवर करके न रखें, क्योंकि इससे बच्चे को आराम मिलने के बजाय और भी ज्यादा असहज महसूस होने लगता है।

4. ध्यान की जरूरत

बच्चा प्यार-दुलार और जो सुरक्षा उसे आपके पास होने से महसूस होती है, उसे पाने के लिए रोता है ताकि आप उस पर ध्यान दें। शिशुओं को आपके स्पर्श से यह महसूस होता है कि आप आसपास मौजूद हैं, वे अभी बहुत छोटे होते हैं, उनके लिए सभी चीजें बिलकुल नई होती है ऐसे में आपके पास होने से उन्हें सुरक्षित माहौल में होने का अहसास होता है। जब आप बेबी के पास नहीं होती हैं तो वह नींद में रोने लगता है ।

5. बुरे सपना देखना, डर या एंग्जायटी

बच्चे अभी भी इस दुनिया में नए हैं और वे कई चीजों का अनुभव पहली बार कर रहे हैं। बड़ों की तरह, वे भी अपनी नींद में चीजों को सपनों के रूप में प्रोसेस करते हैं। इसलिए, बुरे सपने के कारण डर और एंग्जायटी का अनुभव करना उनके लिए स्वाभाविक है। क्या बच्चों को भी बुरे सपने आ सकते हैं? ऐसा हो सकता है, लेकिन इस बात को पूरे यकीन के साथ नहीं कहा जा सकता ।

सोते हुए बेबी कैसे शांत करें?

हर माता-पिता का अपना एक तरीका होता है बच्चे को शांत कराने का। यदि आपका शिशु थोड़ा परेशान होता है या रोता है, तो इसका मतलब यह है कि वह नींद की एक स्टेट से दूसरी स्टेट के बीच ट्रांजीशन कर रहा होता है। ऐसे मामले में, पहले इंतजार करना और देखना बेहतर है कि क्या आपके बच्चे को किसी दिलासे की जरूरत है। अगर आपको लगता है कि ऐसे में आपके हस्तक्षेप की आवश्यकता है, तो बच्चे को नींद में अचानक रोने से रोकने के लिए कुछ आजमाए हुए आम तरीके अपनाएं।

1. बच्चे को हिलाएं

बच्चे को अपने शरीर के करीब रखें और उसे आराम दिलाने के लिए थपथपा कर आगे-पीछे हिलाएं। चाहें तो बेबी को गोद में लेकर हिलाएं या इसके बजाय एक रॉकिंग चेयर का उपयोग करें, ऐसे मूवमेंट करने से निश्चित रूप से बच्चे को शांत करने में मदद मिलेगी।

2. उसे लपेटें

गर्भ बहुत बड़ी जगह नहीं होती है और गर्भ में रहने के दौरान बच्चों को हर समय चारों ओर से घिरा या लपेटे रहने आदत होती है। यही कारण है कि उन्हें ज्यादा अच्छा महसूस होता है जब उन्हें स्वैडल किया जाता है या आपके करीब रैप किया जाता है। बच्चे को बिना किसी समस्या के नींद लेने के लिए आप ऐसा कर सकती हैं।

3. तापमान

यदि तापमान में बदलाव होता है, तो बेबी रात के दौरान ठंडक या गर्मी महसूस कर सकता है, इसलिए आपको मौसम के आधार पर उसे ठीक से कवर करना चाहिए। यदि आप बहुत ठंडे क्लाइमेट में रहते हैं या सर्दियों का मौसम है, तो उसे गर्म रखने के लिए अच्छी तरह गर्म कपड़े पहनाने की जरूरत होगी। अगर मौसम गर्म है, तो कुछ कपड़े कम कर दें और बेहतर तरीके से नींद आ सके इसके लिए कॉटन के ढ़ीले कपड़े पहनाएं।

4. आवाज सुनाएं

यह आपको अजीब लग सकता है, लेकिन गर्भ में शांति नहीं होती है। बच्चे को आपके शरीर के अंदर होने वाली सभी आवाजों को सुनने की आदत होती है, इसलिए बिलकुल शांति में सोना बच्चे के लिए असहज हो सकता है। बच्चे को शांत करने के लिए हशिंग साउंड सुनाएं।

5. समय के साथ जिसकी जरूरत हो वह करें

अगर आप चाहें तो सॉफ्ट साउंडट्रैक वेव, समुंदर की लहरों की आवाज, झरने या फिर बारिश की आवाज वाला संगीत बजा सकती हैं, जिससे बच्चे को और भी ज्यादा अच्छा महसूस होगा। इस प्रकार उसे रिलैक्स महसूस होगा और वो अपनी नींद आराम से पूरी कर सकेगा।

6. पैसिफायर

पैसिफायर छोटे बच्चों को शांत कराने के रूप में बेहतरीन तरीके से काम करता है। हालांकि वे आमतौर पर सात महीने के बाद पैसिफायर का प्रयोग ज्यादा करना पसंद नहीं करते हैं, लेकिन एक्सपर्ट का कहना है कि भले ही वे अधिक समय तक इसका उपयोग करें, इससे उनके विकास को नुकसान पहुंचने की संभावना नहीं होती।

7. त्वचा से त्वचा का संपर्क

बच्चे के लिए त्वचा से त्वचा का संपर्क बहुत सुकून देने वाला होता है क्योंकि यह उसे सुरक्षा का एहसास दिलाता है, यह जानकर कि आप उसके साथ हैं। अपने बेबी की स्किन से तब तक संपर्क बनाएं रखें जब तक कि आपको यह न लग जाए कि वह शांति से सो गया है।

माता-पिता यह भी जानना चाहते हैं कि क्या उन्हें डॉक्टर को अपने बच्चे के नींद में रोने के बारे में बताना चाहिए। डॉक्टर से सलाह कब लेनी चाहिए यह जानने के लिए नीचे पढ़ें।

डॉक्टर से कब परामर्श करें

आमतौर पर आपको डॉक्टर से परामर्श करने की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन अगर बेबी सोने के दौरान कई बार रोता है। आपने भी हर कोशिश कर ली है ताकि उसे शांत कराया जा सके, लेकिन फिर भी बच्चा रोता है, तो आपको डॉक्टर के पास जाने की जरूरत पड़ सकती है कि कहीं कुछ समस्या तो नहीं है। अगर आपने ऊपर बताए सभी उपायों को आजमा कर देखा है और कुछ काम नहीं आ रहा है तो आपको डॉक्टर के पास जाना चाहिए। ऐसा संभव है कि बच्चा किसी बीमारी या दांत निकलने की वजह से कर रहा हो जो आपको मालूम न हो, इसलिए डॉक्टर की सलाह लें।

ध्यान रहे कि बच्चे का एक निश्चित रूटीन होना चाहिए और उसकी सेहत का खास ख्याल रखना चाहिए, जिससे बच्चे को शांति और आराम की नींद लेने में मदद मिलती है। अपने बेबी के लिए एक बेड टाइम रूटीन बनाएं और रात के दौरान बच्चे की नींद खराब करने वाली किसी भी चीज को उससे दूर रखें।

यह भी पढ़ें:

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क्राई इट आउट मेथड – शिशुओं के लिए सोने की ट्रेनिंग
बच्चों की नींद संबंधी 10 समस्याएं और उनसे निपटने के प्रभावी उपाय

समर नक़वी

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