पब्लिक ट्रांसपोर्ट में यात्रा एक ऐसी चीज है, जो कि हममें से ज्यादातर लोगों को कभी न कभी करनी ही पड़ती है। चाहे वह रिक्शा हो, ट्रेन हो या बस हो, अगर आप अच्छी तरह से तैयार न हों, तो चीजें गड़बड़ हो सकती हैं। सबसे पहले आपको टाइम टेबल के बारे में जानकारी होनी चाहिए, फिर आपको रूट का पता होना चाहिए और फिर आपको यह पता करना चाहिए, कि अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए किस ट्रेन या बस को चुनें। साथ ही जब आप सड़क पर मौजूद ट्रैफिक को देखती हैं, तो आप समय की कद्र करना शुरू कर देते हैं, वह भी एक अलग ही लेवल पर। जहां कई लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट की यात्रा को इन कारणों से बहुत पसंद करते हैं, वहीं जब बच्चे के साथ सफर करना हो, तो यह पूरा गेम ही बदल जाता है। अचानक बस की अनिश्चितता के कारण होने वाला रोमांच गायब हो जाता है।
बच्चे के साथ बस की यात्रा करना बहुत परेशानी भरा हो सकता है। लेकिन, यहां पर ऐसे 8 टिप्स दिए गए हैं, जिन्हें फॉलो करके आप अपनी परेशानियों को कम कर सकते हैं:
भीड़-भाड़ वाले समय में बस पर चढ़ना मुश्किल हो सकता है और अगर आपके साथ एक बच्चा हो, तो यह मुश्किल दोगुनी हो सकती है। बस को पूरी तरह से हॉल्ट तक आने तक इंतजार करें। साइड बार पर अच्छी तरह से पकड़ बनाएं और फिर बस पर चढ़ें। अगर संभव हो, तो बस कंडक्टर को इशारा करने की कोशिश करें, ताकि वह समझ जाए कि आप बस पर चढ़ रही हैं। अगर आपको ज्यादा घबराहट महसूस हो, तो अपने आसपास मौजूद लोगों को मदद करने को कहें। साथ ही हील वाले जूते या कोई दूसरे नाजुक या फैंसी फुटवियर के बजाए फ्लैट फुटवेयर पहनना अच्छा होगा। इससे आपकी बोर्डिंग आसान और आरामदायक हो जाएगी।
ज्यादातर बसों में ऐसी सीटें होती हैं, जो कि बच्चों, बुजुर्गों और महिलाओं के लिए रिजर्व होती हैं। ऐसी सीट लेने की कोशिश करें। आपके शहर के अनुसार अलग तरह के नियम होंगे। हो सकता है बाईं ओर की सीटें महिलाओं के लिए और दाईं ओर की सीटें पुरुषों के लिए रिजर्व हों। ऐसे नियमों का पालन करें।
इसके अलावा, एक ऐसी सीट चुनें, जो कि बस के पहियों के ठीक ऊपर न हो। ऐसी सीट पर झटके अधिक लगते हैं और बच्चे की तबीयत खराब हो सकती है और वह उल्टी कर सकता है।
बच्चे को शांत रखने के लिए खिड़की एक अच्छा तरीका है। उसे चलते हुए रंग, आवाजें और वाहन बहुत पसंद आएंगे। हालांकि कुछ बच्चों को ये आवाजें बहुत उत्तेजित कर सकती हैं और वे रोना शुरू कर सकते हैं। आपके बच्चे को क्या पसंद है, यह पता करें और उसके अनुसार एक सीट चुनें।
अगर आप खिड़की के पास बैठ रही हैं, तो इस बात का ध्यान रखें, कि बच्चे को अपनी गोद में ठीक से पकड़ें। किसी तरह की दुर्घटना से बचने के लिए अपनी बाहों को उसके इर्द-गिर्द लपेटे रखें।
एक भीड़ भरी बस परेशानी का कारण बन सकती है। अगर संभव हो, तो ऐसी बस में सफर करने की कोशिश करें, जिसमें ज्यादा भीड़ न हो। लेकिन आपको कभी-कभी एडजस्ट करना पड़ता है और एक भीड़ भरी बस पर बैठना पड़ता है।
ऐसे समय पर अच्छा यही है, कि बच्चे को एक हार्नेस में बिठा दें और अपने शरीर के ऊपरी हिस्से से सामने की ओर से उसे बांध लें। इस तरह से आपका शरीर एक शील्ड की तरह काम करेगा और इधर-उधर घूमते हाथों और कुहनियों से बच्चे का बचाव होगा। इसके अलावा, ऐसे आप आसानी से बच्चे से बात कर सकेंगी और भीड़ भरी बस में उसे शांत रख पाएंगी। बच्चे के लिए, मां का चेहरा देखना और उसकी बातों को सुनने से अच्छा और कुछ नहीं होता है।
हम सभी चाहते हैं, कि काश ऐसा नहीं होता ! लेकिन शरारती तत्व समाज का एक ऐसा हिस्सा हैं, जिनसे बचा नहीं जा सकता है। पब्लिक ट्रांसपोर्ट ऐसी आम जगहों में से एक है, जहां छेड़छाड़ और महिलाओं के साथ अभद्र व्यवहार की घटनाएं अक्सर सुनी जाती हैं।
अपने ध्यान को भटकने न दें और चौकन्नी रहें। अपने फोन को हमेशा अपने साथ रखें (पर इसे हाथ में न रखें) ताकि कोई इमरजेंसी होने पर आप इसका इस्तेमाल कर सकें और किसी को तुरंत संपर्क कर सकें। आपके या आपके बच्चे के अधिक करीब आने की कोशिश करते हुए संदेहास्पद लोगों पर नजर रखें। बच्चे के साथ देखकर कई लोग आपको मदद ऑफर कर सकते हैं। आपकी सबसे पहली प्राथमिकता होनी चाहिए, सुरक्षित रहना, ना कि शिष्टता! अपनी इंस्टिंक्ट को फॉलो करें और जब कोई मदद करने की कोशिश करे, तो ‘ना’ कहने से हिचकें नहीं।
अंत में, बस में सफर करने से पहले अपनी सुरक्षा का इंतजाम करें। पेपर स्प्रे एक ऐसी चीज है, जिसे आपको हर वक्त अपने साथ रखना चाहिए, खासकर जब आप भीड़-भाड़ वाली किसी जगह पर जा रही हों, तो।
पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर बहुत भीड़-भाड़ होती है। हर दिन कई जगहों से कई तरह के लोग बस की सवारी करते हैं। क्या पता, आप जिस सीट पर बैठने वाली हैं, उस पर पहले से कितने जर्म्स मौजूद हों। कौन कह सकता है, कि साइड बार को आखिरी बार जिस व्यक्ति ने छुआ था, उसे सर्दी-जुकाम हो या कोई वायरल इंफेक्शन हो।
अगर आपका बच्चा छोटा है, तो उसे अच्छी तरह से स्वैडल करें। वह अपने हाथों से जितनी कम चीजों को छुए, उतना अच्छा होगा अगर वह स्वैडल करने के लिए बहुत बड़ा है, तो उसके हाथों पर मिटेंस का इस्तेमाल करें। अगर यह भी संभव ना हो, तो इस बात का ध्यान रखें, कि आपके डायपर बैग में ऐसे जरूरी प्रोडक्ट्स हों, जिनके इस्तेमाल से आपका बच्चा इंफेक्शन से बच सकें। जितना संभव हो सके, सतहों को कम से कम छुएं और बच्चे को फिर से हाथ लगाने से पहले सैनिटाइजर का इस्तेमाल करना न भूलें।
प्रदूषण शहरी जिंदगी का एक अटूट हिस्सा है। इससे पूरी तरह से बचना असंभव है। लेकिन सुरक्षा की कुछ बेसिक बातों का ध्यान रखें, आप प्रदूषण के नकारात्मक प्रभावों से अपने स्वास्थ्य को बचा सकती हैं, खासकर हवा के प्रदूषण से।
जब तक आपका बच्चा कम से कम 6 महीने का नहीं हो जाता, तब तक जितना संभव हो सके, ट्रैफिक और धुएं के संपर्क से बचने की कोशिश करें। अगर सड़कों पर अधिक भीड़ भाड़ हो, तो विंडो सीट लेने से बचें। धुआं नवजात शिशुओं और छोटे बच्चों के शरीर में नहीं जाना चाहिए। इसी प्रकार शहर के भीड़भाड़ वाले हिस्सों में सफर के दौरान विंडो सीट लेने से बचें।
जहां हमारे लिए बस का सफर कोई बड़ी बात नहीं है, वहीं आपके बच्चे के लिए यह बहुत परेशानी भरा हो सकता है, जिसके कारण वह तंग कर सकता है – वह आपकी गोद में बेचैन हो सकता है, उल्टी कर सकता है और रोना शुरू कर सकता है।
जहां आप ऐसा करने से बच्चे को रोक नहीं सकतीं या स्थिति को नियंत्रित नहीं कर सकतीं, वहीं आप निश्चित रूप से एक पॉजिटिव नोट के साथ अपनी यात्रा की शुरुआत कर सकती हैं। इस बात का ध्यान रखें, कि आपके बच्चे का पेट भरा हुआ हो, उसने आरामदायक कपड़े पहने हों और बस पर बैठने से पहले उसने अच्छी तरह से आराम कर लिया हो। उसके डायपर को बदल दें, ताकि अगर वह पेशाब कर दे या पॉटी कर दे, तो आपको तुरंत डायपर बदलने की जरूरत न हो और आप अपनी मंजिल पर पहुंचने के बाद ऐसा कर सकें।
अंत में, इस बात का ध्यान रखें, कि आपके डायपर बैग में जरूरत की सभी चीजें मौजूद हों। अपने बच्चे का पसंदीदा खिलौना डायपर बैग में रख दें। अपने साथ एक पैसिफायर कैरी करना भी अच्छा होगा या कोई ऐसी चीज रखें, जो आपके बच्चे को शांत कर सके।
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