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यदि बच्चे को दूध पिलाते समय आपको ब्रेस्ट में दर्द होता है तो इसका यह मतलब है कि वह ठीक से लैचिंग नहीं कर रहा है। लैचिंग ठीक से न होने पर बच्चा माँ का दूध ठीक से नहीं पी पाता है जिसकी वजह से उसे असुविधाएं होती हैं। ब्रेस्टफीडिंग की शुरूआत ही बच्चे के सही ढंग से लैचिंग करने से होती है और इस आर्टिकल में इससे संबंधित काफी जानकारी दी गई है। यदि आपका बच्चा छोटा है और आप उसे लैचिंग करने में मदद करना चाहती हैं तो उचित ब्रेस्टफीडिंग कराने से संबंधित कुछ आवश्यक टिप्स जानने के लिए इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें।
दूध पिलाते समय बच्चे को सही तरीके से लैच करने में मदद के लिए आप उसके मुंह में अपनी दो उंगलियां डालें और निप्पल्स की पोजीशन को एडजस्ट करें ताकि बच्चा अच्छी तरीके से दूध पी सके। यहाँ बताया गया है कि लैचिंग में आप बच्चे की मदद कैसे कर सकती हैं, आइए जानें;
सही पोजीशन की मदद से आप अपने बच्चे को बिना किसी समस्या के अच्छी तरह से ब्रेस्टफीड करा सकती हैं। क्रैडल पोजीशन में बच्चे को गोद में लेकर दूध पिलाया जाता है। क्रैडल पोजीशन में आने के लिए पहले आप बच्चे को इस प्रकार से गोद में लें कि उसका मुंह आपके निप्पल्स तक आए। उसे ऊँचा करने के लिए आप अपनी कोहनी के साथ तकिए का सहारा भी ले सकती हैं।
इस पोजीशन में बच्चे का सिर आपके फोरआर्म में होने के साथ उसकी पीठ व कंधे आपकी निचली हथेली व बाजु के सहारे होने चाहिए। यदि बच्चे की सही पोजीशन रहती है तो आप जब नीचे देखेंगी तो आपको बच्चे का बस साइड दिखेगा।
यह क्रैडल पोजीशन का दूसरा रूप है जिसमें आप तकिए के सहारे अपने हाथ को आराम देकर बच्चे को दूध पिलाती हैं। इस क्रॉस क्रैडल पोजीशन में बाएं हाथ से ब्रेस्ट को संभालते हुए यू शेप में आने आवश्यकता होती है (यदि आप बच्चे को बाएं ब्रेस्ट से दूध पिला रही हैं तो)।
इसमें आप अपने बच्चे का सिर दाएं हाथ की उंगलियों संभालते हुए प्यार से उसके कान के पीछे रखें। बच्चे का सिर आपके बाएं हाथ के अंगूठे और इंडेक्स उंगली और दाईं हथेली में होना चाहिए ताकि उसकी गर्दन को पर्याप्त सपोर्ट मिल सके।
बच्चे का मुंह निप्पल के निचले हिस्से से आधा इंच नीचे होना चाहिए क्योंकि आप धीरे-धीरे उसके शरीर को कंधे के आगे से ऊपर की ओर उठाती हैं।
यह पोजीशन उन महिलाओं के लिए सही है जिनके ट्विन्स हुए हैं, जिन्होंने सी-सेक्शन कराया है और जिनके बच्चे छोटे या ब्रेस्ट बड़े हैं। इसे सही से कर सकने में आपको काफी समय लग सकता है।
इस पोजीशन में आने के लिए पहले आप अपने आगे एक तकिया रखें और बच्चे का मुंह थोड़ा ऊपर की ओर करके उसे सपोर्ट दें ताकि गर्दन को भी उसी हाथ से सपोर्ट मिल सके। अब आप बच्चे को अपने करीब लाएं और उसके पैरों को अपने हाथ से सपोर्ट दें। इस पोजीशन से बच्चे को दूध पीने में मदद मिलती है।
साइड लाइंग पोजीशन उन मांओं के लिए सही है जिन्होंने सी-सेक्शन कराया है। इसमें बच्चे को दूध पिलाते समय आपको काफी आराम मिलता है।
इसे करने के लिए पहले आप करवट से लेट जाएं और बच्चे को अपनी ओर मुंह करके लिटाएं ताकि उसकी नाक व मुंह आपके निप्पल्स के सामने रहे। आप चाहें तो अपने निचले हाथ से बच्चे को सपोर्ट दे सकती हैं या फिर ब्लैंकेट से उसकी गर्दन को सपोर्ट दें और दूसरे हाथ से आप ब्रेस्ट को पकड़ें।
दूध पिलाने का सही तरीका और इसके संकेत पता होने से आप बच्चे के द्वारा लैचिंग न कर पाने की समस्या तुरंत खत्म हो जाएगी। इससे ब्रेस्टफीडिंग में कोई भी समस्या या कठिनाई नहीं होगी। यहाँ पर बच्चे को सही ब्रेस्टफीडिंग लैचिंग के कुछ संकेत बताए गए हैं, आइए जानें;
बच्चे को बेबी लैचिंग कराने से पहले और दौरान आपको कुछ चीजें ध्यान रखनी चाहिए। यहाँ पर बच्चे को दूध पिलाते समय मांओं के लिए याद रखने योग्य कुछ आवश्यक बातें बताई गई हैं, आइए जानते हैं;
यदि आप पहली बार बच्चे की दूध पिलाना शुरू कर रही हैं तो आपको इसके लिए हॉस्पिटल या बर्थिंग सेंटर में प्रीनेटल और ब्रेस्टफीडिंग की क्लास लेनी चाहिए। बेबी लैचिंग की ट्रेनर्स आपको इसका डेमो, वीडियो और लाइव रिकॉर्डिंग के माध्यम से बच्चे को दूध पिलाने के बारे में बताएंगी जिससे आपको इसमें बहुत आसानी होगी।
लैचिंग का तरीका सही करने के लिए सबसे पहले कम्फर्टेबल होना चाहिए। एक्सपर्ट्स के अनुसार आप बच्चे को रिक्लाइंड पोजीशन (लगभग 45 डिग्री) में दूध पिलाना शुरू करें और उसे अपने तरीके से तब तक एडजस्ट करें जब तक आपको सुविधा महसूस न हो। यदि आप अपनी पीठ को पर्याप्त सपोर्ट देते हुए पीछे की ओर बैठकर दूध पिलाती हैं तो इसमें आधे से ज्यादा मदद ग्रेविटी ही कर देती है और ब्रेस्टफीडिंग आपके लिए बहुत आसान हो जाएगी। शुरूआत में यदि आवश्यक हो तो आप अपने पति से बच्चे को पकड़ने के लिए कहें क्योंकि इससे आपको बहुत मदद मिलेगी।
बच्चा माँ का दूध प्राकृतिक तरीके से पीता है और शुरुआत में आप इसे और भी बेहतर बना सकती हैं क्योंकि आपके स्पर्श से बच्चे को मदद मिल सकती है। आपकी गंध और स्पर्श नर्सिंग में मदद करता है और बच्चे को शुरू से ही ठीक तरीके से दूध पीने में मदद करता है। आपको अपनी तरफ से इस बात का भी ध्यान रखना है कि आपके ब्रेस्ट में दूध की आपूर्ति ठीक से हो रही है।
पोजीशन को एडजस्ट करते समय आप वही करें जो आपके व बच्चे के लिए सुविधाजनक और सही हो। इस बात का ध्यान रखें कि लैचिंग करते समय बच्चे की ठोड़ी और गाल आपके ब्रेस्ट को छूने चाहिए। यदि इससे मदद मिलती है तो आप अपने बच्चे को अपने सीने पर भी रख सकती हैं।
यदि आपका बच्चा अच्छी तरह से लीचिंग करता है तो आपको ब्रेस्ट में खिंचाव महसूस होगा। इसके बदले में बच्चे का सिर और मुंह का निचला हिस्सा एक डायरेक्शन में मूव करेंगे ताकि वह माँ के ब्रेस्ट को अच्छी तरह से पकड़ सके।
कुछ मामलों में ब्रेस्टफीडिंग के दौरान निप्पल्स में सूजन आ सकती है, सिकुड़ सकते हैं, इनमें ब्लीडिंग हो सकती है या ये फट सकते हैं। आप इन लक्षणों पर ध्यान दें व यदि आपको ऐसा कुछ भी लगता है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
बेबी लैचिंग के यह तरीके बच्चे को ठीक से माँ का दूध पीने में मदद करते हैं और इससे उसका हेल्दी विकास होता है। यदि ब्रेस्टफीडिंग के तरीकों के लिए आपको अधिक मदद चाहिए तो आप प्रीनेटल केयर डिपार्टमेंट में डॉक्टर से सलाह ले सकती हैं या पीडियाट्रिक स्पेशलिस्ट से इस बारे में बात करें।
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