बच्चा ठीक से खाता नहीं – कारण और फीडिंग टिप्स

बच्चा ठीक से खाता नहीं: कारण, उपाय और फीडिंग टिप्स

जब आपका बच्चा 6 महीने का हो जाता है, तो वह ठोस खाद्य पदार्थों से परिचित होने के लिए तैयार हो जाता है। यदि आपका लाडला अच्छी तरह खाता है, तो आपको गर्व होगा, लेकिन अधिकांश बच्चे दूध से ठोस आहार की ओर बदलाव को जल्दी स्वीकार नहीं करते हैं। यद्यपि, जब बच्चे सॉलिड फूड खाने लगते हैं तो कुछ नया लगने के कारण वे इस एक्टिविटी का मजा लेते हैं, लेकिन शुरुआत में यह बहुत मेसी और ढेर सारे नखरों से भरी होती है। बच्चे नए स्वाद, नई बनावट आदि को परखते हैं, लेकिन, कभी-कभी, वे खाने से मना कर देते हैं! हालांकि, चिंता की कोई बात नहीं है क्योंकि ऐसे कई कारण हैं जिनके कारण बच्चा भोजन नहीं करेगा, और आपको उसे तुरंत डॉक्टर के पास ले जाने की आवश्यकता नहीं है। इस लेख में, हम कुछ कारणों पर चर्चा करेंगे कि आपका बच्चा खाने से मना क्यों कर रहा है और साथ ही उसे खिलाने के लिए टिप्स भी दिए गए हैं। अधिक जानने के लिए पढ़ें।

आपके बच्चे के ठीक से न खाने के कारण

जब आप देखते हैं कि आपका बच्चा ठीक से खा नहीं रहा है, तो यह आपके लिए परेशानी का कारण बन सकता है। वह आपको बोलकर बता नहीं सकता और इसलिए आपके लिए वजह समझना मुश्किल हो सकता है। यहाँ उन संभावित कारणों के बारे में बताया गया है जिनकी वजह से आपका बच्चा खाने से इनकार कर सकता है:

1.  फ्लूड की ज्यादा मात्रा

अपने बच्चे को बहुत अधिक तरल पदार्थ खिलाना एक कारण हो सकता है कि वह ठोस आहार न ले रहा हो। चाहे वह जूस या माँ का दूध, कुछ भी हो, अगर आपने अपने बच्चे को ठोस पदार्थ खिलाने से ठीक पहले बहुत अधिक फ्लूड दिया है, तो बच्चा भोजन से इंकार कर देगा।

2. बच्चे की आयु

आपका बच्चा ठोस आहार खाने से इसलिए भी मना कर सकता है क्योंकि वह बहुत छोटा है। बहुत सी माएं दूध से ठोस आहार की तरह बदलाव करने में गलती करती हैं। अपने बच्चे को ठोस आहार खिलाना शुरू करने का बेहतर समय वह है जब वह 6 महीने का हो।

3. ध्यान हटाने वाली बातें

आपका बच्चा तमाम चीजों से विचलित हो सकता है जैसे कि टीवी, बाहर का शोर, तेज संगीत आदि। शिशु अपने वातावरण को अलग तरह से समझना शुरू करते हैं, और जरा सा शोर भी उनका ध्यान भोजन से हटा सकता है।

4. वृद्धि के कारण

जैसे-जैसे बच्चा बढ़ता है, उसे खाने की आवश्यकता कम होती है, इसलिए यदि आपके बच्चे की भूख उम्र के साथ कम हो रही है, तो आपको चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। शिशु की वृद्धि नेचुरल तरीके से होती है, और आपको गर्व होना चाहिए कि आपका बच्चा डेवलपमेन्ट माइलस्टोन के अनुसार बढ़ रहा है।

5. भरा हुआ पेट

आपका बच्चा नन्हा जरूर है, लेकिन वह अपने पेट की जरूरत समझता है। यदि आपका शिशु कुछ भी खाना नहीं चाहता, मुँह बंद करके चम्मच को दूर धकेल रहा है तो वह यह बता रहा है कि उसका पेट भरा हुआ है। उस पर विश्वास करिए; वह अपने शरीर को अच्छी तरह से समझता है!

6. नया खाना नापसंद होना

यदि आपका बच्चा किसी नई चीज पसंद नहीं करता है, जो आप उसे दे रहे हैं, तो वह खाने से मना कर सकता है। एक माता-पिता के रूप में, आप इस स्थिति को संभाल सकते हैं और अपने बच्चे को समय के साथ इस चरण से आगे निकलने में मदद कर सकते हैं।

7. एलर्जी

आपके बच्चे को कुछ खाद्य पदार्थों से एलर्जी हो सकती है, और वह आपको यह बताने की कोशिश करेगा कि यह विशेष चीज उसके लिए अच्छी नहीं है। उसके व्यवहार की निगरानी करें, एलर्जी रिएक्शन की जांच करें और देखें कि क्या किसी खास चीज को खाने से उसे तकलीफ होती है।

8. बेबी एक्टिविटी

आपके बच्चे की भूख इस बात पर निर्भर करेगी कि वह कितना सक्रिय है। हम प्रत्येक भोजन से पहले या बाद में बच्चे को एक्टिविटी कराए जाने की सलाह नहीं देते; हालांकि, यह सुनिश्चित करें कि दिन के दौरान उचित अंतराल पर पर्याप्त एक्टिविटीज की जाएं। एक एक्टिव बच्चा अच्छी तरह से खाना खाएगा, जबकि एक कम एक्टिव बच्चा भोजन से मना कर देगा।

9. खाने का समय

सुनिश्चित करें कि आप खाने का एक निश्चित समय रखें, क्योंकि समय में कोई भी बदलाव बहुत ज्यादा भूख या भूख की हानि का कारण बन सकता है। बच्चे के भोजन के समय को कभी न जाने दें।

10. मूड

हाँ, बच्चे भी मूडी होते हैं और कभी-कभी, वे सिर्फ इसलिए नहीं खाना पसंद करेंगे क्योंकि वे मूड में नहीं हैं। आपका बच्चा थका हुआ हो सकता है, बहुत एक्साइटेड हो सकता है या बस किसी बात से परेशान हो सकता है और खाने से मना कर सकता है।

नीचे हमने कुछ टिप्स दिए हैं जो आपके बच्चे को खाना खिलाने में आपकी मदद कर सकते हैं।

बच्चे को खिलाने के लिए टिप्स

यहाँ कुछ सरल युक्तियां दी गई हैं, जिन्हें आप अपने बच्चे को ठीक से खिलाने के लिए अपने बिजी पेरेंटिंग शेड्यूल में शामिल कर सकते हैं:

1. बच्चे को खुद से खाने दें

जब बच्चा थोड़ा बड़ा हो जाए, तो उसे खुद से खाना खाने दें और जबर्दस्ती न खिलाएं। आप अपने बच्चे को फिंगर फूड भी दे सकते हैं। सुनिश्चित करें कि बच्चा अपने आहार को अच्छे से संभालता है और उसे खाने के लिए प्रोत्साहित करें।

2. सही आहार चुनें

यदि आप चाहते हैं कि बच्चा अपने आहार को चाव से खाए तो उसे तरह-तरह के हेल्दी फूड के विकल्प खिलाएं। अपने बच्चे के लिए आप जो भी बनाएं, उसके साथ क्रिएटिव होने की कोशिश करें। रंगीन सब्जियों और फलों के साथ प्रयोग करें, बच्चे रंग से आकर्षित होते हैं, और वे ऐसे खाद्य पदार्थ खाएंगे जो आकर्षक दिखते हैं।

3. धमकाएं नहीं

इस तरह की बातें कि अगर खाना नहीं खाया तो खिलौनों से नहीं खेलना, जैसी बातें करके बच्चे को डराएं या धमकाएं नहीं। ऐसा करने पर आपका बच्चा पॉजिटिव रिएक्शन नहीं देता है।

4. लालच न दें

जिस तरह से धमकी काम नहीं कर सकती, उसी तरह बच्चों को लालच देना भी हर समय काम नहीं करता। यदि आप भी उन माता-पिता में से एक हैं जो बच्चे को, ‘एक बाइट और खाओ तो आपको एक कुकी मिलेगी’, ऐसा कहते हैं, तो आप अपने बच्चे में खाने की गलत आदतों को प्रोत्साहित कर रहे हैं।

5. सब साथ में बैठकर खाएं

कोशिश करें कि पूरा परिवार एक साथ बैठकर खाना खाए। यदि बच्चे अपने भाई-बहनों या माता-पिता को उन चीजों को खाते हुए देखते हैं जो उन्हें पसंद नहीं है, तो वे उन्हें खाने की कोशिश करेंगे।

6. उम्मीद न छोड़ें

यदि बच्चा दृढ़ता से किसी चीज को खाने से मना करता है, तो इसे मेनू से न निकालें। शिशुओं को धीरे-धीरे नए स्वाद में एडजस्ट किया जाता है, और आपको उनके आहार में खाद्य पदार्थों को अलग-अलग तरीके से बार-बार शामिल करने की आवश्यकता होती है, जब तक उन्हें यह समझ न आ जाए कि उनके पास कोई विकल्प नहीं है। आपके बच्चे को इस तरह से अधिकांश स्वस्थ खाद्य पदार्थों की आदत होगी।

7. अलग-अलग आकार की चीजें बनाएं

एक बार जब आप ठोस आहार की शुरुआत करते हैं, तो सुनिश्चित करें कि आप इसे धीरे-धीरे करें। अपने बच्चे को कुछ खिलाने में बड़े टुकड़ें न लें, वह उन्हें चबा नहीं पाएगा। प्यूरी या सूप से शुरुआत करें। यदि आप पहले ही बच्चे को सूप और प्यूरी खिला चुके हैं और आपका बच्चा अभी भी अन्य पके हुए ठोस आहार को खाने के लिए तैयार नहीं है, तो आप कुछ समय के लिए सूप के विकल्प पर वापस आ सकते हैं और कुछ समय बाद फिर से एक-एक करके अन्य ठोस चीजें खिलाना शुरू कर सकते हैं।

8. मेसी होने दें

भोजन के दौरान अपने बच्चे को मेसी होने दें। बच्चों को नई चीजें देखना पसंद है और हर मील टाइम उनके लिए रोमांचक होना चाहिए। उन्हें खुद से खाने को परखने दें! वे उस नई चीज को देखकर फैलाएंगे, सूँघेंगे और इधर-उधर गिरा भी देंगे\, और धीरे-धीरे भोजन को समझेंगे।

9. छुपाकर खिलाएं

यदि वे किसी विशेष चीज को पसंद नहीं करते हैं, तो इसका स्वरूप बदलें और उन्हें इसके बारे में एक्साइट करें। जो चीज खाना उन्हें पसंद हो, उसके अंदर छुपाकर, जैसे मैश करके, उस नापसंद चीज को भर दें।

10. एक्सपर्ट से सलाह लें

किसी विशेषज्ञ से परामर्श करना हमेशा नेबेहतर होता है, खासकर अगर 2 साल का बच्चा खाना नहीं खा रहा है। आप न्यूट्रिशनिस्ट या पेडिअट्रिशन से बात कर सकते हैं, जो आपके बच्चे की जरूरतों के आधार पर एक उचित समाधान सुझा सकते हैं। एक्सपर्ट आपकी चिंता को दूर करने के लिए भी उपाय बता सकते हैं।

आपके बच्चे की भोजन की आदतें ज्यादातर इस बात पर निर्भर करती हैं कि उसे कितनी भूख लगती है और उसे क्या खाना पसंद है। लेकिन, कभी-कभी, वास्तविक मुद्दे पूरी तरह से अजीब हो सकते हैं। इसलिए, आपको अपने डॉक्टर या पेडिअट्रिशन के पास जाना चाहिए। यह जानने के लिए पढ़ें कि आपको डॉक्टर से कब सलाह लेनी चाहिए।

आपको डॉक्टर से कब बात करनी चाहिए?

कुछ दिनों के लिए अपने बच्चे के खाने की आदतों पर नजर रखें, जब वह भोजन से इनकार कर रहा हो। अगर सिर्फ कुछ ही दिन हुए हैं तो घबराइए नहीं। यह शायद इसलिए है क्योंकिआपका बच्चा एक नई ग्रोथ साइकिल में एडजस्ट हो रहा है। कुछ दिनों के बाद, यदि बच्चा अभी भी ठीकठाक मात्रा खाने से इनकार करता है, तो उसे पेडिअट्रिशन के पास ले जाना बेहतर होगा। एलर्जी के मामले में, आपको अपने बच्चे को तुरंत डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए।

इसके अलावा, दुर्लभ मामलों में, यदि आप अपने बच्चे में निम्न लक्षणों को देखते हैं, तो यह पेडिअट्रिशन से परामर्श करने का समय है:

  • मतली
  • मल में खून
  • तेज उल्टी
  • डिहाइड्रेशन
  • वजन में कमी
  • गैगिंग
  • लगातार डायरिया होना
  • पेट में दर्द

याद रखें, आप उस चरण से गुजर रहे हैं, जो लगभग हर माता-पिता अनुभव करते हैं। यदि आपका बच्चा खाने से मना करता है, तो चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है। इसका एक संभावित कारण यह है कि आपका नन्हा-मुन्ना आपको यह बताने की कोशिश कर रहा है कि उसे कुछ खास चीजें खाना पसंद नहीं है। इसलिए, जब आपका बच्चा भोजन से मना कर रहा हो, तब न तो उम्मीद छोड़ें और न ही घबराएं।

संसाधन और संदर्भ:

स्रोत १
स्रोत २
स्रोत ३
स्रोत ४
स्रोत ५

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