शिशु

बच्चा अपने माता-पिता को कब पहचानना शुरू करता है?

आपका प्यारा सा बच्चा अब आपकी गोद में है – इस समय आप सोच रही होंगी कि बच्चा आपको पहचानेगा या नहीं! खैर वास्तव में एक छोटा बच्चा प्राकृतिक रूप से लोगों के चेहरे की ओर आकर्षित होता है और वह अन्य चीजों की तुलना में चेहरों को पहचानना या समझना पसंद करता है। एक नवजात शिशु अपने माता-पिता को कब से पहचानना शुरू करता है और यह प्रक्रिया किस प्रकार से होती है इस बारे में हमने यहाँ चर्चा की है, आइए जानते हैं। 

सबसे पहले बच्चा अपनी माँ को पहचानता है

नवजात शिशु सिर्फ अपनी माँ के पास ही सुविधाजनक महसूस करता है। यह माँ की खुशबू या जानी-पहचानी आवाज के कारण ही नहीं होता है बल्कि यह इसलिए होता है क्योंकि बच्चा पूरे दिन ज्यादातर अपनी माँ को देखता रहता है। कई मामलों में शिशु अन्य लोगों की तुलना में अपनी माँ के साथ ज्यादा रहता है इसलिए वह सबसे पहले उसे ही पहचानता है। समय के साथ बच्चा जब 3 महीने का होता है और कई चेहरों में अंतर समझना शुरू करता है तो वह अजनबी या अनजान चेहरों को देखकर परेशान हो सकता है। तो अब सवाल उठता है कि – क्या बच्चा जन्म से ही अपनी माँ को पहचानता है? खैर, इसमें काफी तर्क-वितर्क हो सकता है पर सभी मामलों में माँ वो पहली इंसान होती है जिससे एक न्यू बॉर्न बेबी सबसे पहले परिचित होता है। 

एक बच्चा अपने पिता को कब पहचानना शुरू करता है?

इसमें कोई भी स्टडी नहीं किया गया है कि एक बच्चा अपने पिता को कब पहचानना शुरू करता है। हालांकि यह माना जाता है कि बच्चा गर्भ से ही अपने पिता की आवाज समझ सकता है और इसमें प्रतिक्रियाएं देना शुरू कर देता है। इसी वजह से कई डॉक्टर सलाह देते हैं कि जब बच्चा गर्भ में होता है तो पिता को उससे बाते करनी चाहिए। जब बच्चे जन्म लेते हैं तो उनकी दृष्टी धुंधली होती है और समय के चलते कुछ सप्ताह के बाद (ज्यादातर मामलों में 2 सप्ताह के बाद) वे अपने माता और पिता दोनों के चेहरे पहचानना शुरू कर देते हैं। 

बच्चा अन्य लोगों को कब पहचानना शुरू करता है

वैसे तो यह प्रमाणित नहीं हुआ है जो माता-पिता को समझने में मदद कर सके कि उनका बच्चा लोगों को कब से पहचानना शुरू करता है। कुछ रिसर्च के अनुसार बच्चा अन्य लोगों व चीजों की तुलना में शुरूआत से ही अपनी माँ के चेहरे को पहचानना शुरू कर देता है पर कुछ महीनों या एक साल में बच्चा अपने परिवार के लोगों और कुछ करीबी दोस्तों से भी परिचित हो जाता है। बच्चा ज्यादा से ज्यादा उन्हीं लोगों को जल्दी पहचानना शुरू कर देता है जो ज्यादातर उसके पास रहते हैं या उससे मिलते रहते हैं। दूर के रिश्तेदारों को या कभी-कभी मिलने वालों को समझने में बच्चे को समय लगता है।

पहचानने के लिए लुक्स क्यों महत्वपूर्ण है?

जिस प्रकार से बड़े, सुंदरता की ओर आकर्षित होते हैं बिलकुल वैसे ही बच्चे भी सुंदर लोगों को देखना पसंद करते हैं। आप देख सकती हैं कि बच्चा लगातार उन चेहरों को देखता रहता है जो अन्य से अधिक सुंदर होते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बच्चे भी कुछ चेहरों की ओर आकर्षित होते हैं। 

2017 में हुए स्टडी में रिसर्चर्स ने पाया है कि बच्चे ज्यादातर सुंदर चेहरे की ओर आकर्षित होते हैं, यहाँ तक कि वे जन्म से पहले से ही ऐसे चेहरों को देखना पसंद करते हैं – बच्चों की यह पसंद माँ के गर्भ से ही शुरू हो जाती है! अध्ययन में गर्भावस्था के 34 सप्ताह के 39 भ्रूण को ऑब्जर्व किया गया है – जिसमें माँ के गर्भ में 2 विसजुअल स्ट्यूमली चेहरे को दर्शाती हैं जिनमें से एक उल्टी होती है। हाई क्वालिटी 4डी साउंड का उपयोग करके भ्रूण के सिर का हिलना देखा जा सकता है। यह ऑब्जर्व किया गया है कि बच्चा चेहरे के आकार के प्रोजेक्शन को ट्रैक करने के लिए अपने सिर को हिलाता है पर वह उल्टी स्ट्यूमली के साथ ऐसा नहीं करता है। जिससे यह प्रमाणित होता है कि भ्रूण अपना सिर चेहरे के पैटर्न को पहचानने के लिए नहीं हिलाता है बल्कि भ्रूण अपना सिर इसलिए हिलाता है क्योंकि वह उसके आकार की ओर आकर्षित होता है। 

अजनबी लोगों का बच्चों पर क्या प्रभाव पड़ता है

आपने यह अनुभव किया होगा कि बच्चा अपने परिवार के साथ ज्यादा खेलता और खुश रहता है पर अजनबी लोगों के सामने अजीब सा व्यवहार करता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि बच्चे अपने परिवार और परिचित लोगों के साथ अधिक सहज और सुरक्षित महसूस करते हैं और अजनबी चेहरों के साथ वे परेशान या चिंतित हो जाते हैं। अजनबी और अपरिचित लोगों के साथ बच्चे अक्सर जिज्ञासु और संदेही होते हैं जिससे वे बहुत अजीब सा व्यवहार करते हैं। यद्यपि यह जरूरी नहीं है कि बच्चा अपरिचित लोगों से डर या बेचैन हो जाता है पर हाँ अजनबी लोगों के साथ बच्चे असहज व असुविधाजनक महसूस करते हैं। 

ध्यान रखने योग्य कुछ बातें

बच्चों में जन्म से ही लोगों के साथ संबंध बनाने के गुण होते हैं। यद्यपि इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है लेकिन अक्सर बच्चे जगहों को पहचानने की तुलना में लोगों को जल्दी पहचानते हैं – ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उनकी दृष्टी का विकास अब भी हो रहा है। 3-4 महीने की आयु में एक बच्चा अपने माता-पिता को पहचानने लगता है और अन्य महीनों के चलते उसकी दृष्टी में भी सुधार होता रहता है। यदि आप देखती हैं कि बच्चा 4 महीने की आयु तक भी लोगों या जगह को नहीं पहचान पा रहा है तो आप डॉक्टर से संपर्क कर सकती हैं। शुरूआत में ही डॉक्टर द्वारा बच्चे की दृष्टी की जांच करने से होने वाली संभावित समस्याओं का उपचार समय पर हो सकता है। 

यदि आप पहली बार माता-पिता बने हैं तो आप यह जानने के लिए उत्सुक होंगे कि बच्चा आपको कब से पहचानना शुरू करेगा। एक माता-पिता होने के नाते धैर्य रखना ही आपके लिए बेहतर होगा। समय के साथ बच्चा कुछ महीनों का हो जाएगा और आप देखेंगी कि वह आपको देखकर मुस्कुराने लगा है। 

यह भी पढ़ें:

बच्चों का आँखें रगड़ना – कारण और बचाव
क्या बच्चे का इधर-उधर सिर हिलाना सामान्य है?

सुरक्षा कटियार

Recent Posts

मिट्टी के खिलौने की कहानी | Clay Toys Story In Hindi

इस कहानी में एक कुम्हार के बारे में बताया गया है, जो गांव में मिट्टी…

3 days ago

अकबर-बीरबल की कहानी: हरा घोड़ा | Akbar And Birbal Story: The Green Horse Story In Hindi

हमेशा की तरह बादशाह अकबर और बीरबल की यह कहानी भी मनोरंजन से भरी हुई…

3 days ago

ब्यूटी और बीस्ट की कहानी l The Story Of Beauty And The Beast In Hindi

ब्यूटी और बीस्ट एक फ्रेंच परी कथा है जो 18वीं शताब्दी में गैब्रिएल-सुजैन बारबोट डी…

3 days ago

गौरैया और घमंडी हाथी की कहानी | The Story Of Sparrow And Proud Elephant In Hindi

यह कहानी एक गौरैया चिड़िया और उसके पति की है, जो शांति से अपना जीवन…

2 weeks ago

गर्मी के मौसम पर निबंध (Essay On Summer Season In Hindi)

गर्मी का मौसम साल का सबसे गर्म मौसम होता है। बच्चों को ये मौसम बेहद…

2 weeks ago

दो लालची बिल्ली और बंदर की कहानी | The Two Cats And A Monkey Story In Hindi

दो लालची बिल्ली और एक बंदर की कहानी इस बारे में है कि दो लोगों…

2 weeks ago