शिशु

बच्चे का दिमागी विकास – दिमाग के स्वस्थ विकास में मदद कैसे करें

एक बढ़ते हुए बच्चे का विकास कई तरह के पहलुओं पर निर्भर करता है। उसके अंगों का डेवलपमेंट न केवल जेनेटिक्स पर आधारित होता है, बल्कि न्यूट्रीशन, वातावरण और एक्सरसाइज जैसे बाहरी पहलू भी उसे प्रभावित करते हैं। मस्तिष्क मानव शरीर के सबसे कॉम्प्लेक्स और रहस्यमय अंगों में से एक है। यह अनुभव से बढ़ता है और इसे सिखाया और पोषित किया जा सकता है। जिस तरह हर बच्चा अलग होता है, उसी तरह हर दिमाग भी अलग होता है और वह हर अनुभव को अलग तरीके से देखता है। इसलिए पेरेंट्स को यह समझना जरूरी है, कि वे अपने बच्चे के ब्रेन डवलपमेंट में स्वस्थ और सही तरीके से कैसे सहयोग कर सकते हैं। 

न्यूबॉर्न के रूप में बच्चे के दिमाग का विकास

नवजात शिशु के मस्तिष्क का आकार 5 साल की उम्र तक बढ़ता है, जिसमें से अधिकतर विकास जीवन के शुरुआती 2 वर्षों में होता है। वहीं, बौद्धिक विकास नए ज्ञान और नई यादों के लिए नए कनेक्शन या न्यूरॉन के निर्माण के साथ पूरे जीवन काल तक चलता रहता है। आपके बच्चे के दिमागी डेवलपमेंट के स्तर, मामले के अनुसार भिन्न हो सकते हैं, लेकिन डॉक्टर के पास रेफरेंस के लिए ऐसे कई बेंच मार्क होते हैं, जो कि समान आयु वर्ग के बच्चों के औसत डेवलपमेंट पर आधारित होता है। इससे डॉक्टरों को बच्चे के दिमागी विकास में किसी संभावित विलंब को पहचानने में मदद मिलती है, जो कि स्वास्थ्य या विकास संबंधी किसी समस्या का संकेत हो सकते हैं। 

बच्चे के दिमाग का डेवलपमेंट न केवल शारीरिक क्षमताओं के रूप में होता है, बल्कि भावनात्मक विकास और विभिन्न सेंस ऑर्गन्स की बेहतरी के रूप में भी होता है, जिसमें उसका, रोज की बातचीत में इस्तेमाल भाषा का सीखना भी शामिल है। बच्चे के दिमाग के विकास को कई माइलस्टोन के द्वारा ट्रैक किया जा सकता है, जैसे कि उसका अपने पेरेंट्स को पहचानना, किसी परिचित को देखकर हाथ हिलाना, वस्तुओं को पकड़ना, किसी खिलौने से खेलना, फीडिंग रिंग का इस्तेमाल करना आदि। ये सभी माइलस्टोन बच्चे की जानकारी को अब्सॉर्ब करने, उसे प्रोसेस करने और उसे लागू करने की क्षमता को दर्शाते हैं। यह जानकारी दिमाग के डेवलपमेंट को सपोर्ट करती है, जो कि आगे चलकर और अधिक जानकारी को इकट्ठा करने और उनका इस्तेमाल करने की क्षमता को सपोर्ट करती है। 

पेरेंट्स बच्चे के दिमागी विकास को कैसे बढ़ा सकते हैं?

एक पेरेंट के तौर पर बच्चे के दिमाग के फंक्शन को स्वस्थ्य तरीके से विकसित करने के बारे में सोचना, एक आम बात है। एक पेरेंट के तौर पर केवल आप ही लंबे समय तक अपने बच्चे के दिमाग के डेवलपमेंट को सपोर्ट कर सकते हैं। इस विकास को सपोर्ट देने का सबसे प्रभावी तरीका है, कि उनसे इंटरेक्ट किया जाए और उन्हें उनके वातावरण से इंटरेक्ट करने में मदद की जाए। ऐसा अनगिनत एक्टिविटीज और एक्सरसाइज के माध्यम से किया जा सकता है। 

आपके बच्चे के दिमागी विकास को बढ़ाने में मदद करने के लिए डाइट

  • दिमाग के विकास के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है पोषण, जो कि शुरुआती समय में माँ के दूध और/या फार्मूला दूध के माध्यम से बच्चे को मिल जाता है और 6 महीने की आयु के बाद कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और फैट खासकर ओमेगा फैटी एसिड और डीएचइए से भरपूर कई तरह के खान-पान के साथ होता है, जो कि बच्चे के दिमाग के डेवलपमेंट के लिए बहुत जरूरी होते हैं।
  • जब तक बच्चा केवल ब्रेस्टफीडिंग पर ही निर्भर होता है, माँ को एक संतुलित आहार लेना चाहिए, जिसमें सभी मौसमी फल, ड्राई फ्रूट, हरी और पत्तेदार सब्जियां, विभिन्न डेयरी प्रोडक्ट और मीट और मछली भी शामिल हों।
  • इन सबके साथ बच्चे को मल्टी विटामिन सप्लीमेंट भी दिए जा सकते हैं, ताकि शरीर के लिए जरूरी सभी पोषक तत्वों की पूर्ति की जा सके।
  • एक बार जब बच्चा हर तरह का खान-पान शुरू कर दे, तब उसकी क्षमता और सहनशक्ति के अनुसार ऊपर दिए गए खाद्य पदार्थों को भी बच्चे के डाइट में शामिल किया जाना चाहिए।

एक्टिविटीज जो आपके बच्चे के दिमाग के विकास को बढ़ाने में आपकी मदद कर सकती हैं

ऐसे अनेक तरीके हैं, जिनमें कई एक्टिविटीज के द्वारा आप अपने बच्चे के दिमाग के डेवलपमेंट को बढ़ा सकते हैं। 

  • बच्चे को पकड़ते या उसके साथ खेलते समय, उसकी आँखों में देखें और उससे इंटरेक्ट करें। आँखों में देखने से नजर अच्छी तरह से विकसित होती है।
  • अपने बच्चे के साथ बार-बार बात करें। इस बात का ध्यान रखें, कि आपका लहजा सौम्य हो और बोलने की गति धीमी हो। इससे आपके बच्चे को आवाज की नकल उतारने में मदद मिलती है और वह मुँह के मूवमेंट की नकल भी कर पाता है, इससे वह बोलना सीखने की कोशिश करता है।
  • धीरज रखें, हर बच्चा एक अलग गति से बढ़ता है। अपने बच्चे के डेवलपमेंट की गति बढ़ाने के लिए परेशान न हों। अभद्र भाषा का इस्तेमाल न करें और झुंझलाहट में उसे गलत नामों से न पुकारे। बच्चे बहुत ही एकाग्र होते हैं और वे भावनाओं को बड़ों से बेहतर समझते हैं। उन पर गुस्सा करने से उनके आत्मविश्वास में कमी आती है और उनके विकास में भी देरी होती है।
  • जब आप अपने बच्चे के साथ बैठे हों, तो उसके साथ-साथ उसके खिलौनों से भी इंटरैक्ट करें, इससे उसे, उनके एक्शन और उनके नतीजों के बीच के पारस्परिक संबंध को समझने में मदद मिलती है।
  • अपने बच्चे को अलग-अलग सतहों से इंटरेक्ट करने में मदद करें। चिकने काँच, पत्थर के काउंटर टॉप, कारपेट और फर्श पर उसकी हथेली को धीरे से रखें। इन सतहों पर उसकी हथेली को गाइड करें, इससे वह स्पर्श करके सीखता है और अपने आसपास के वातावरण को समझ पाता है।
  • सीमित समय के लिए, उसे उसकी आयु के अनुसार टीवी पर उचित प्रोग्राम देखने दें।
  • बच्चे के लिए गाना गाएं। गाने में अपने आसपास के वातावरण को शामिल करने की कोशिश करें। इससे उसकी सुनने की क्षमता बेहतर बनती है और वह विभिन्न आवाजों को पहचान पाता है।
  • बच्चे को नहलाते समय पानी से खेलें। रबड़ के बतख जैसे खिलौनों को शामिल करें, इससे बच्चा रिएक्ट करना सीखता है। और साथ ही वह इससे विभिन्न प्रकार के माहौल और उनके प्रभाव के बारे में भी सीखता है।

अपने बच्चे को सीखने में मदद करने के लिए आप और क्या कर सकते हैं, यह जानने के लिए अपने पेडिअट्रिशन से बात करें। इससे आपको अपने बच्चे के डेवलपमेंट को बढ़ाने के लिए और भी कई तकनीकों और तरीकों के बारे में पता चलेगा। हमेशा आयु के अनुसार उचित लर्निंग एक्टिविटी में हिस्सेदारी लें। इस बात का ध्यान रखें, कि जो ब्रेन डेवलपमेंट एक्टिविटी एक साल के बच्चे के लिए उचित होती है, वही एक्टिविटी 18 महीने के बच्चे के लिए उचित नहीं होती है। आपको अपने बच्चे के विकास के बारे में कोई भी चिंता या दुविधा हो, तो अपने डॉक्टर से बात करें। ऐसा करने पर वे बच्चे को नजदीक से ऑब्जर्व करेंगे और फिर पता करेंगे, कि अगला कदम क्या होना चाहिए। 

यह भी पढ़ें: 

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पूजा ठाकुर

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