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बच्चे पेरेंट्स के जीवन का सबसे अहम भाग होते हैं और होने भी चाहिए। सही उम्र होने पर यदि बच्चा क्रॉलिंग करना यानी घुटनों के बल चलना शुरू नहीं करता है तो पेरेंट्स इसका कारण जानना चाहते हैं और डेवलपमेंट के इस महत्वपूर्ण माइलस्टोन तक पहुँचने में अपने बच्चे की मदद करते हैं। इस आर्टिकल में बच्चे के क्रॉलिंग करने में देरी होने और इससे संबंधित टिप्स के बारे में चर्चा की गई है, जानने के लिए आगे पढ़ें।
माँ के गर्भ से बाहर आकर बड़े होने तक हर बच्चे के हाथ पैर बढ़ते हैं और वह रोलिंग, क्रॉलिंग व अंत में ठीक से खड़े होना सीखता है। क्रॉलिंग एक नेचुरल तरीका है जिससे बच्चे की मसल्स मजबूत होती हैं क्योंकि वह खड़े होना सीखता है और यह एक महत्वपूर्ण डेवलपमेंटल माइलस्टोन है। इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि बच्चे जो देखते हैं उसी से सीखते हैं और आपका अटेंशन व प्यार पाने के लिए हाथ-पैर हिलाने, रोने आदि से उन्हें मोटीवेशन मिलता है।
जन्म के बाद शुरुआती सप्ताह बच्चे के लिए स्ट्रेचिंग के होते हैं। 3 से 5 महीने की उम्र तक वे रोल करना और हाथ पैरों को समझना शुरू कर देते हैं। आमतौर पर 8 महीने तक बच्चे क्रॉल करना सीख जाते हैं और एक्टिव होने लगते हैं। यदि बच्चे को घुटनों के बल चलना शुरू करने में देरी हो रही है या उसे क्रॉलिंग से संबंधित डेवलपमेंटल समस्याएं हो रही हैं तो कई तरीकों से आप उसमें यह देख सकती हैं। ज्यादातर आम कारण ही होते हैं जिन्हें ठीक किया जा सकता है। पर यदि निम्नलिखित संकेत मिलते हैं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें, आइए जानें;
यदि बच्चा 12 महीने के अंत तक क्रॉल करना या अन्य एक्टिविटीज करना शुरू कर देता है तो इसमें चिंता करने की जरूरत नहीं है। आप बच्चे को आसान एक्सरसाइज कराएं, जैसे पैरों की स्ट्रेचिंग, बैठाकर होल्ड करना, दोनों हाथों और घुटनों के बल चलने के लिए प्रेरित करना, बच्चे को पेट के नीचे ब्लैंकेट रोल करके रखकर उसके सहारे क्रॉल करने के लिए प्रेरित करना। आप बच्चे को आकर्षित करने के लिए फोन, आईना, टनल, पेट्स, खाना आदि जैसी चीजें भी दे सकती हैं जिससे उसका उत्साह बढ़े। कभी-कभी सिर्फ पेशाब करने के लिए भी बच्चे क्रॉल करना शुरू कर देते हैं।
कुछ बच्चे सिर्फ क्रॉल ही नहीं करते हैं बल्कि वे खड़े हो जाते हैं और कुछ कदम चलना शुरू कर देते हैं। इसमें चिंता न करें क्योंकि यह बच्चे की पर्सनालिटी है। पर बच्चे के क्रॉल करने में देरी के कुछ कारण भी हैं जिसमें आप उसकी मदद कर सकती हैं, आइए जानें;
बच्चों में पैर मुड़े रहने, फ्लैट पैर होने व पैर टेढ़े होने की समस्या आम है और इसी वजह से उन्हें क्रॉल करने में देरी होती है।
कैसे मदद करें
बच्चे को क्रॉल करने के लिए पर्याप्त प्रोत्साहन न मिलने या बच्चे के साथ अधिक समय न बिताने से भी उसके क्रॉल करना शुरू करने में देरी हो सकती है।
कैसे मदद करें
बच्चे में विकास के लिए मोटर कोऑर्डिनेशन और रेफ्लेक्सेस बहुत जरूरी है। बच्चे के रोने पर या वह क्रॉल नहीं कर पा रहा है तो आप हमेशा उसे गोद में न उठाएं। बच्चों को अटेंशन प्राप्त करना अच्छा लगता है और यहाँ पर धैर्य रखना जरूरी है। बच्चे को क्रॉल करने दें और साथ में आप भी क्रॉल करें। फ्लोर में कुछ कुशन या मैट्स और बच्चे से थोड़ी दुरी पर टॉयज रखें ताकि वह टॉयज को पकड़ने के लिए क्रॉल करे।
बच्चे के लिए टमी टाइम बहुत जरूरी है ताकि उसकी गर्दन की मसल्स विकसित हो सकें और वह क्रॉल करना शुरू करे।
कैसे मदद करें
बच्चे को पीठ के बल सुलाएं पर खेलते समय उसे पसंदीदा टॉयज के साथ पेट के बल लिटा दें और बच्चे को टॉयज पकड़ने के लिए प्रेरित करें। एसआईडीएस के डर से आप सोच सकती हैं कि बच्चे को पीठ के बल लिटाना ही सही है। यही कारण है कि ज्यादातर बच्चे सीधे चलना शुरू कर देते हैं और वे क्रॉलिंग नहीं करते हैं। क्रॉलिंग से बच्चे को अपना शरीर मूव करने में मदद मिलती है जिससे उसमें विकास होता है और आगे भी उसके मूवमेंट्स नियंत्रित रहते हैं। इसलिए यद्यपि क्रॉल न करना आम है पर बच्चे को यह भी सीखना चाहिए।
यदि पेट के बल लेटने पर बच्चा रोता है तो हो सकता है उसे यह करने में झिझक हो रही हो।
कैसे मदद करें
बच्चों में वजन बढ़ने की समस्या बहुत ज्यादा होती है और इसके लिए अधिक मेहनत करने की भी जरूरत है।
कैसे मदद करें
बच्चा क्रॉल करने के लिए अधिक समय लेगा।
कैसे मदद करें
यदि क्रॉल करते समय बच्चे के कपड़े पैर या हाथ में फंसते हैं तो इससे वह क्रॉलिंग नहीं कर पाएगा।
कैसे मदद करें:
बच्चे के विकास में समस्याओं, जैसे गर्दन की मसल्स मजबूत न होने की वजह से बच्चे की वृद्धि व उसके मूवमेंट्स में देरी हो सकती है।
कैसे मदद करें:
यदि बच्चे में अन्य मूवमेंट्स और शरीर का नियंत्रण सही है तो इस बात का ध्यान रखें कि क्रॉलिंग डॉक्टर के माइलस्टोन चार्ट में नहीं होगा और इसमें चिंता करने की जरूरत नहीं है। 4 से 6 महीने के बच्चे अपने पैरों का उपयोग करना शुरू कर देते हैं। 7 से 10 महीने की आयु में बच्चा अपने हाथों व घुटनों का उपयोग करने लगता है। कुछ बच्चे अन्य तरीकों से भी इधर-उधर घूमते हैं, जैसे रोल करके या फिर हिप्स के बल घिसट कर।
आप 5 महीने के बच्चे को पैदल चलाने के लिए उसे कुछ आसान एक्सरसाइज करा सकती हैं। बच्चे को सीधा या क्रॉल पोजीशन में रखें। यदि बच्चा सुरक्षित जगह पर है फिर भी आप उसे लगातार सपोर्ट करती रहें। जमीन पर मैट बिछाएं और थोड़ी-थोड़ी दूरी पर बच्चे के खिलौने डाल दें। साथ ही बच्चे को मैट पर क्रॉल करने में मदद करें।
यदि बच्चा इतना कमजोर है कि वह सीधा खड़ा नहीं हो पाता है या 12 महीने में क्रॉलिंग करना शुरू करता है तो चिंता न करें। बच्चे की मसल्स कमजोर हो, मसल टोन अच्छी न हो या हिप्स कमजोर हों फिर भी आप प्रयास करती रहें। यदि आपका 9 महीने का बच्चा खुद क्रॉलिंग नहीं कर पाता है या 15 महीनों तक वह सीधा खड़ा नहीं हो पा रहा है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। अन्य लक्षण, जैसे पंजों के बल चलने, पूरी तरह से नियंत्रित न कर पाने और छोटे व अनियंत्रित कदम रखने में भी आपको मेडिकल मदद की जरूरत हो सकती है। ये लक्षण अक्सर मसल टोन कमजोर होने की वजह से होते हैं। यदि आपको जोड़ों व मसल्स, ऑटिज्म या अन्य न्यूरोलॉजिकल समस्याओं से संबंधित कोई भी शंका है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
हर बच्चे में अलग-अलग तरीके से विकास होता है और डेवलपमेंटल माइलस्टोन को पूरा करने से ज्यादा जरूरी है ग्रोथ होना। कभी-कभी 6 महीने की उम्र का बच्चा खुद से खड़ा होने व क्रॉल करने लगता है या 9 और 12 महीने की आयु में क्रॉलिंग नहीं करता है। बच्चे में विकास के लिए सबसे जरूरी है कि आप इंतजार करें और माइलस्टोन पूरे होने के 2 से 3 महीने के बाद तक बदलावों को ऑब्जर्व करें।
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