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ब्रेस्टफीडिंग के शुरुआती दिनों के दौरान नई माँएं अक्सर इस बात को लेकर चिंतित रहती हैं, कि उनके बच्चे को पर्याप्त दूध मिल रहा है या नहीं। और यह वाजिब भी है, क्योंकि हर मां चाहती है, कि उसके बच्चे को पर्याप्त पोषण मिले और यह पता लगाना मुश्किल होता है, कि ब्रेस्टफीडिंग के दौरान बच्चा कितना दूध पी रहा है (क्योंकि बॉटल फीडिंग में दिए गए मेजरमेंट के कारण बच्चे के द्वारा पिए गए फार्मूला या ब्रेस्टमिल्क की वास्तविक मात्रा का पता आसानी से लगाया जा सकता है)। अगर बच्चा केवल ब्रेस्टफीड ही ले रहा हो, तो ऐसे में उसे पर्याप्त ब्रेस्टमिल्क मिलना और भी ज्यादा जरूरी हो जाता है।
यहां पर यह समझना भी जरूरी है, कि हर महिला का ब्रेस्टफीडिंग का अनुभव अलग होता है। कुछ महिलाओं की स्थिति हाइपर लेक्टेशन की होती है – जिसका मतलब यह है कि उनके शरीर में ब्रेस्टमिल्क जरूरत से ज्यादा बनता है, जिसे बच्चा पी भी नहीं पाता है। वहीं, कुछ महिलाओं में इसका उत्पादन कम होता है, जिसमें ब्रेस्टमिल्क को आने में समय लग जाता है। कुछ बच्चे आसानी से दूध पीना सीख जाते हैं, वहीं कुछ बच्चों को इस मामले में दिक्कतें आती हैं।
बच्चे भी अलग होते हैं। कुछ बच्चे दिन भर में कई बार दूध पीने के लिए उत्साहित होते हैं (इतना कि आप इस सोच में पड़ जाते हैं, कि उसे हर बार पर्याप्त दूध मिल रहा है या नहीं)। वहीं कुछ बच्चे घंटों बिना दूध पिए सोए रहते हैं (कि आपको लगने लगता है कि वे काफी थके हैं, इसलिए दूध पीने के लिए जाग नहीं रहे हैं)। ऐसी कन्फ्यूजिंग परिस्थिति में नई माँएं, कुछ खास संकेतों का पता लगा सकती हैं, जो कि इस बात का संकेत देते हैं, कि उनका ब्रेस्टमिल्क सप्लाई पर्याप्त है और बच्चे को हर बार दूध पीने पर पर्याप्त दूध मिल रहा है।
जब बच्चा खाना नहीं चाहता है या सामान्य से कम खाता है, तो माँएं चाहती हैं, कि वह थोड़ा और खा ले या बचा हुआ दूध भी पी ले। लेकिन इस बात को महत्व देना बहुत जरूरी है, कि आपका बच्चा अपनी भूख और पेट भरने के संकेत अच्छी तरह से समझता है। क्योंकि, हर दिन या हर बार खाने के समय, भूख कम या ज्यादा हो सकती है। अगर आप लगातार पेट भरने के बाद भी उसे खिलाना जारी रखेंगे या और खाने को कहेंगे, तो इससे वह अपने शरीर के संकेतों को नजरअंदाज करने का और जरूरत से अधिक खाने का आदि हो जाएगा। इसलिए बच्चे का पेट भर जाने पर आपको इसकी जानकारी होनी चाहिए। अपने बच्चे में नीचे दिए गए संकेतों को देखें, इससे आप यह जान पाएंगे कि उसका पेट भर चुका है:
अगर आपका बच्चा अपनी जीभ से निप्पल को धकेल देता है या अपना सिर ब्रेस्ट या बोतल से दूर हटाने की कोशिश करता है, तो इसका मतलब है कि उसका पेट भर चुका है।
अगर बच्चा दूध पीना छोड़ कर खेलना शुरू कर देता है या इधर-उधर देखने लगता है, तो यह इस बात का संकेत हो सकता है, कि उसकी भूख मिट चुकी है।
दूध पिलाने के बाद बच्चा ब्रेस्ट को देखकर रोने लगता है या चिड़चिड़ा हो जाता है, जो कि उसकी संतुष्टि का एक संकेत है।
अगर आपके बच्चे के दूध पीने की रफ्तार धीमी पड़ जाती है या हल्की पड़ जाती है और इसके बीच में लंबे गैप होते हैं, तो यह उसका पेट भरने का एक संकेत हो सकता है।
कुछ बच्चों को ब्रेस्टफीडिंग के दौरान पेट भरने के बाद नींद आने लगती है। दूध पीने के बाद, कुछ मिनटों के अंदर ही उन्हें संतुष्टि मिल जाती है, क्योंकि उनके पेट छोटे होते हैं और पेट भरने के बाद उन्हें नींद आने लगती है।
अगर आप देखते हैं, कि ब्रेस्टफीडिंग के अंत तक आपके बच्चे के हाथ रिलैक्स्ड रहते हैं और उसकी उंगलियां खुली रहती हैं, तो यह भी इस बात का एक संकेत हो सकता है, कि उसकी भूख मिट चुकी है।
अगर आपको ऐसा लगता है, कि आपके बच्चे का पोस्चर रिलैक्स होने लगा है और ढीला पड़ने लगा है, तो इसका मतलब है कि उसका पेट लगभग भर ही चुका है।
कुछ बच्चों को दूध पीने के बाद गीली डकार आती है, जिसमें थोड़ा सा दूध उनके मुंह से बाहर टपक जाता है। यह संतुष्टि का एक बड़ा संकेत है।
एक्सपर्ट्स मानते हैं, कि बच्चों में हिचकियां आना उनके पेट के भरे होने का संकेत है। पेट भरे होने के कारण जब खाना और एसिड ऊपर आ जाते हैं, तो रिफ्लेक्स के कारण हिचकियां हो सकती हैं।
बच्चा दूध खींचना बंद कर देता है और ब्रेस्ट को छोड़ देता है, जो कि उसके पेट के भर जाने का एक संकेत है।
ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली अधिकतर महिलाएं इस बात को लेकर चिंतित होती हैं, कि उनके बच्चे को पर्याप्त दूध मिल रहा है या नहीं। वहीं, सच्चाई यह है कि ब्रेस्टमिल्क का उत्पादन आमतौर पर डिमांड और सप्लाई के प्रिंसिपल के अनुसार काम करता है। इसलिए, ब्रेस्टफीडिंग महिलाएं कराने वाली महिलाओं को यह समझना चाहिए, कि शुरुआत में अगर उन्हें दूध के कम सप्लाई का अनुभव हो रहा है, तो जब बच्चा अच्छी तरह से दूध पीना शुरू कर देगा, तो उनका शरीर भी अधिक दूध बनाना शुरु कर देगा। आपका बच्चा जितना अधिक दूध पिएगा, आपका शरीर उतना ही अधिक दूध बनाएगा। इस बात का ध्यान रखें, कि बच्चे की फीडिंग पोजिशन के साथ-साथ मां की फीडिंग पोस्चर भी कंफर्टेबल हो। ब्रेस्ट बच्चे के पूरे मुंह में जाना चाहिए। बच्चे को पर्याप्त ब्रेस्टमिल्क मिलने के कुछ संकेत इस प्रकार हैं:
बच्चे का बढ़ता हुआ वजन, एक बेहतरीन सकारात्मक संकेत है, कि उसे पर्याप्त ब्रेस्टमिल्क मिल रहा है। बच्चे के जन्म के बाद शुरुआती कुछ दिनों के दौरान, थोड़ा सा वजन घटना आम बात है। लेकिन इस चरण के बाद बच्चे का वजन धीरे-धीरे बढ़ना चाहिए। 6 महीने तक बच्चे का वजन, जन्म के वजन से दोगुना हो जाना चाहिए और एक साल तक तिगुना हो जाना चाहिए।
जब बच्चे को पर्याप्त ब्रेस्टमिल्क मिलता है, तो वह दिन भर में कई बार पेशाब करता है और आपको हर दिन कई बार गीले डायपर बदलने पड़ सकते हैं। 24 घंटे में बच्चे का कम से कम 8 बार पेशाब करना अच्छा होता है।
जब बच्चे को पर्याप्त भोजन मिलता है, तो उसकी पॉटी का रंग जन्म के दूसरे हफ्ते तक गहरा पीला हो जाता है। जो बच्चे केवल ब्रेस्टमिल्क पर होते हैं, वे हर दिन पॉटी करते हैं।
जब बच्चा दूध पीकर संतुष्ट हो जाता है, तो वह खुश और एक्टिव दिखता है और अपनी संतुष्टि की प्रतिक्रिया देता है।
ब्रेस्टफीडिंग के दौरान दूध का घूंट भरने पर आपको आवाज सुनाई दे सकती है या आप उसके निचले जबड़े में छोटी-छोटी मूवमेंट्स को नोटिस कर सकते हैं, जो कि उसे पर्याप्त दूध मिलने का एक अच्छा संकेत है।
आपके भारी और सख्त ब्रेस्ट, फीडिंग के बाद मुलायम और हल्के हो जाते हैं, जो कि इस बात का संकेत होते हैं, कि आपके बच्चे ने ब्रेस्ट में मौजूद सारा दूध पी लिया है।
आमतौर पर एक नवजात शिशु दिन भर में 10 से 12 बार दूध पीता है। जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता जाता है, दूध पीने की उसकी संख्या भी कम होती जाती है। लेकिन उसकी बढ़ोतरी के दौरान वह सबसे अधिक बार दूध पीता है। ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली मांएं ब्रेस्टफीडिंग फ्रिकवेंसी इंडिकेटर को फॉलो कर सकती हैं, ताकि यह पता लगाया जा सके, कि बच्चे को पर्याप्त दूध मिला या नहीं।
आपका बच्चा शांति से और लंबे समय तक सोता है, जो कि उसे पर्याप्त दूध मिलने का संकेत है।
अगर लंबे समय तक दूध पिलाने के बाद भी, आपका बच्चा सुस्त या असंतुष्ट नजर आ रहा है, तो हो सकता है कि उसे पीने के लिए पर्याप्त दूध नहीं मिल रहा है।
कुछ बच्चों में आंखों और मुंह के सूखेपन की समस्या हो जाती है, जो कि डिहाइड्रेशन का संकेत हो सकता है और यह पर्याप्त ब्रेस्टमिल्क नहीं मिलने के कारण हो सकता है।
ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली मां को बेवजह इस बात को लेकर चिंता नहीं करनी चाहिए, कि उनके बच्चे को पर्याप्त दूध मिल रहा है कि नहीं। क्योंकि, असल में उसके संतुष्ट होने की संभावना ही अधिक होती है और किसी तरह की चिंताजनक स्थिति के मामले में हमेशा एक लेक्टेशन काउंसलर से परामर्श लेना चाहिए, ताकि उचित कदम उठाए जा सकें।
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