बधाई हो! अब वो समय करीब है जब आपका नन्हा सा मेहमान आपकी गोद में खेलने वाला है। लेकिन क्या आपने उसके लिए सब तैयारी कर ली है? छोटे बच्चे बहुत नाजुक होते हैं और बाहरी दुनिया के लिए बिलकुल भी तैयार नहीं होते है। ऐसे में उनका ध्यान रखने में छोटी सी लापरवाही भी नुकसान पहुंचा सकती है। इसलिए होने वाले माता-पिता को बच्चे के आने से पहले ही सारी तैयारियां कर लेनी चाहिए, ताकि जब बच्चा इस दुनिया में आए तो उसे कोई तकलीफ न हो।
बच्चे के आने से पहले इन चीजों और कामों की तैयारी जरूर कर लें:
बच्चे के जन्म के बाद शुरुआती हफ्तों और महीनों में आपको बाल रोग विशेषज्ञ के पास बार-बार जाना पड़ सकता है, ताकि इस बात का ध्यान रखा जा सके कि बच्चा ठीक से बढ़ रहा है। इस जिम्मेदारी को बेहतर तरीके से निभाने के लिए आप पहले से ही अपने बच्चे के डॉक्टर को चुन लें। इस मामले में आप अपने दोस्तों या परिवार से सलाह भी ले सकती हैं या जिस डॉक्टर पर आपको भरोसा है, उनके पास भी जा सकती हैं।
बच्चे को डॉक्टर के पास ले जाने के लिए कार सीट बहुत जरूरी है। इससे आपका बच्चा सीट पर सेफ्टी बेल्ट से अच्छी तरह बंधा रहेगा और कार में हिलने-डुलने के दौरान उसे कोई चोट नहीं लगेगी। अक्सर हम बच्चे को गोद में बैठा लेते हैं, लेकिन बच्चे की सुरक्षा के लिए कार सीट का उपयोग करना जरूरी है।
बेबी सीट्स अलग-अलग उम्र के बच्चों के लिए आती हैं – नवजात (0-1 साल), छोटे बच्चे (1-4 साल) और बड़े बच्चे (4-12 साल)। अगर आप एक ही सीट लेना चाहती हैं, तो टॉडलर सीट खरीद सकती हैं, जो 4 महीने से 4 साल तक के बच्चों के लिए होती है। आप अपने दोस्तों या रिश्तेदारों से भी बेबी सीट उधार ले सकती हैं जिनके बच्चे अब बड़े हो गए हैं और सीट का उपयोग नहीं कर रहे।
किसी मुसीबत या जरूरत के वक्त आपके पास कुछ जरूरी फोन नंबर होने चाहिए जैसे:
हमेशा जरूरी लोगों के नंबर फोन में रखें और स्पीड डायल में भी लगाकर रखें, ये मुसीबत के समय बहुत काम आएंगे। साथ ही, इन नंबरों की सूची को फ्रिज या घर की ऐसी जगह पर चिपका दें जहां से आसानी से देखी जा सके। ऐसे में जब भी आपको जरूरत पड़े, आपको तुरंत मदद मिल सकेगी।
यदि आपको अस्पताल जाते वक्त पता चले कि कार का टायर पंक्चर है या पेट्रोल खत्म हो जाए तो ऐसे में आपको बहुत दिक्कत हो सकती है। इसलिए हमेशा अपनी कार को सर्विसिंग करवाकर रखें और पेट्रोल पूरा भरा हुआ रखें।
आप नहीं चाहेंगी कि फोन की बैटरी जरूरत के समय में खत्म हो जाए। अपने फोन में जरूरी नंबर सेव करके रखें और एक अतिरिक्त चार्जर भी अपने अस्पताल के बैग में रखें। इसके साथ ही जब आपका बच्चा इस दुनिया में आने वाला होता है, वो पल आपके लिए जिंदगी का सबसे खास और यादगार होता है। इस पल को फोन के कैमरे में कैद करने से वो यादें हमेशा के लिए आपके पास रहती हैं।
नियत तारीख पास आने पर आपका प्रसव कभी भी शुरू हो सकता है, इसलिए अस्पताल जाने के लिए एक अस्पताल बैग की तैयारी करके रखें। उस बैग में अपनी जरूरत की सभी चीजों को जैसे कि अतिरिक्त अंडरवियर, कपड़े, मैटरनिटी ब्रा, पैड्स, जरूरी कागजात, चप्पल, लिप बाम और बाथरूम में लगने वाला सामान रखें। इन सब जरूरतों के साथ आप उस बैग में एक कैमरा, स्ट्रेस बॉल और अतिरिक्त फोन चार्जर भी रख सकती हैं।
अपने नन्हे बच्चे को तैयार करना मम्मी बनने की सबसे प्यारी खुशी होती है। बच्चे के कपड़े खरीदना और ये तय करना कि पहले दिन घर आते वक्त बच्चा क्या पहनेगा, ये सब बड़े रोमांचक पल होते हैं। अक्सर रिश्तेदार और दोस्त भी ढेर सारे कपड़े गिफ्ट कर देते हैं। लेकिन ध्यान रहे, चाहे कपड़े नए हों या गिफ्ट में मिले हों, उन्हें बच्चे को पहनाने से पहले हमेशा धो लें, क्योंकि उनमें कोई केमिकल या धूल हो सकती है जो बच्चे की नाजुक त्वचा को नुकसान पहुंचा सकती है।
बच्चे के आने की तैयारी में अपने घर को साफ करना बिलकुल भी न भूलें। बच्चे के आने से पहले घर को अच्छी तरह से साफ करना और उसे स्वच्छ वातावरण देना बेहद जरूरी है। क्योंकि नवजात शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहद कमजोर होती है। ध्यान रखें कि सफाई के समय ज्यादा केमिकल वाले क्लीनर का इस्तेमाल न हो, इससे गर्भवती महिला और बच्चे दोनों को नुकसान पहुंचता है।
यहां हमारा मतलब एक पूरा कमरा बनाने से नहीं है, बल्कि बच्चे के लिए एक छोटी सी जगह बनाने से है। शहरों में हर किसी के पास अलग कमरा होना मुमकिन नहीं है, लेकिन बच्चे के लिए बेड, छोटी अलमारी या मौजूदा अलमारी में उसके कपड़ों के लिए थोड़ी जगह बनाना जरूरी है। इससे घर के माहौल में नए मेहमान के साथ एडजस्ट करना काफी आसान हो जाता है।
जब बच्चा घुटने के बल रेंगना शुरू करेगा, तो घर में कई चीजें उसके लिए खतरा बन सकती हैं। जैसे, बिजली के सॉकेट्स, नुकीले कोने, हिलने-डुलने वाले फूलदान, लैंप, या आसानी से गिरने वाली चीजें। इनसे बच्चे को चोट लगने का डर रहता है। इसलिए घर को बेबी प्रूफ करना बहुत जरूरी है ताकि आपका बच्चा सुरक्षित रहे।
डिलीवरी के बाद या कभी-कभी उससे पहले, आप पारिवारिक परंपराओं के अनुसार अपने माता-पिता के घर या ससुराल में कुछ समय बिता सकती हैं। इसकी योजना अपनी सुविधा और विश्वास के अनुसार बनाएं। आजकल ज्यादातर लोग शहरों में रहते हैं, इसलिए अक्सर माता-पिता ही नई माँ की मदद के लिए उनके पास आते हैं।
ऑफिस में
ध्यान रखें कि आपकी मैटरनिटी लीव पहले मंजूर हो गई है और अपनी काम की जिम्मेदारियों को सहकर्मियों के बीच बांट दें। आप क्या करती हैं इस आधार पर कभी-कभी ऑफिस में आपकी जगह कुछ दिनों तक किसी और को भी रखना पड़ सकता है।
घर पर
घर के काम जैसे खाना बनाना, सफाई आदि के लिए मेड रखने से बहुत मदद मिलेगी। अन्य काम जैसे बिल भरना, गैस सिलेंडर ऑर्डर करना ये सब आपके पति या परिवार के किसी और सदस्य को करना पड़ेगा।
अगर आपके पहले से एक या ज्यादा बच्चे हैं, तो उन्हें नए भाई-बहन के आने के बारे में बताएं। उन्हें बताएं कि वे कैसे मदद कर सकते हैं, ताकि वे खुद को नजरअंदाज महसूस न करें। अगर आपके पास पालतू जानवर हैं, तो बच्चे के सोने के कमरे को उनके लिए सुरक्षित बनाएं।
बच्चे का नाम चुनने के लिए एक सूची तैयार करें। हर किसी का तरीका अलग होता है, कुछ लोग पहले से ही नाम तय कर लेते हैं, जबकि दूसरों को आखिरी वक्त तक इंतजार करना पसंद होता है। यह प्रक्रिया बहुत ही रोमांचक होती है।
बच्चे के जन्म के शुरुआती दिन बहुत ही खास होते हैं। अपने बच्चे की हंसती हुई तस्वीरें, पहले रेंगने और चलने की तस्वीरें और रोज के छोटे-छोटे पल कैद करने के लिए कैमरा हमेशा तैयार रखें। बच्चे बहुत जल्दी बड़े हो जाते हैं।
बच्चे का पहली बार स्वागत करना बेहद प्यारा पल होता है, इसलिए पहले से अच्छे से तैयारी करें। आखिरी मिनट की भागदौड़ से बचने के लिए सभी जरूरी चीजें पहले से रख लें और इस खास समय का पूरा आनंद लें।
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