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बैबलिंग आपके बच्चे के लिए भाषा की दुनिया का पहला पड़ाव है। बच्चे का बुदबुदाना या आधे अधूरे शब्दों का बोलना एक पॉजिटिव संकेत है और इसमें धीमी आवाज में बुदबुदाना, गुरगुराने की आवाज जैसे और कई साउंड शामिल हैं जिनका कभी-कभी कोई मतलब नहीं होता है। लेकिन डरे नहीं, अगर आपका बच्चा बुदबुदा रहा है और बड़बड़ा रहा है, तो हो सकता है कि उसका बोलना और कॉग्निटिव फंक्शन धीरे-धीरे डेवलप हो रहे हैं। यहाँ आपको बच्चे के बड़बड़ाने से जुड़ी किन बातों को जानना चाहिए, यह बताया गया है।
बच्चे का बड़बड़ाना या बैबलिंग तब शुरू होता है जब वह स्टेप्स में बात करना सीख रहा होता है, फिर वो धीरे धीरे शब्दों को जोड़ना शुरू कर देता है और फिर शब्दों को जोड़कर पूरे वाक्यांश या फ्रेज बोलने लगता है। बच्चा आमतौर पर ‘ए-गा’ या ‘ए-दा;’ जैसी आवाज के साथ बोलना शुरू करता है और धीरे-धीरे ऐसे शब्दों तक पहुँच जाता है, जिनका कोई अर्थ होता है। बड़बड़ाना बोलने का शुरूआती स्टेप हैं जो ये संकेत देता है कि बच्चे का ब्रेन और स्पीच फंक्शन दोनों सही से डेवलप हो रहे हैं, बैबलिंग के रूप में बच्चा बोलने का प्रयास करता है जिसमें वो कुछ शब्दों को बोलते-बोलते छोटे छोटे फ्रेज बोलना शुरू कर देता है।
बच्चे छह से सात महीने की उम्र तक बोलने का प्रयास शुरू कर देते हैं और फिर छोटे वाक्यों या फ्रेज (वाक्यांशों) में बात करने लगते हैं। बड़बड़ाने से यह शुरू करते हुए वो दो से चार शब्दों का वाक्य बोलने लगते हैं। देखा जाए तो बच्चा चार साल की उम्र तक ठीक से बोलना और बात करना सीखता है। इस पीरियड से पहले, वह बड़बड़ाने से दो से तीन शब्दों का फ्रेज बोलने तक प्रगति कर रहा होता है।
यहाँ कुछ तरीके दिए गए हैं जिनसे आप अपने बच्चे को बोलने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं-
जन्म से ही आप अपने बच्चे को बड़बड़ाते या ‘ऊह’ ‘आह’ सुनना एक्स्पेक्ट कर सकते हैं। इस जगह से आपका बच्चा लर्निंग और भाषा की अलग अलग तरह की साउंड और शेप को सीखने लगेगा। फिर कुछ कुछ शब्दों को बोलना शुरू करेगा और फिर दो से तीन शब्दों का फ्रेज बोलने लगेगा। यहाँ आपको एक टाइम टाइम बताई गई जो आप एक्स्पेक्ट कर सकती हैं।
जन्म के 6 महीने | 6-12 महीने | 12-24 महीने | |
1. आप क्या सुन सकते हैं | ‘बा’, ‘दा’, ‘ना’, और ‘आह-गू’ जैसे साउंड्स। | शब्द-आधारित साउंड जैसे ‘मा-मा’, ‘पा-पा’ आदि। | शब्दों को फ्रेज में बोलने लगेगा जैसे ‘मम्मा जा’ या ‘पापा ना’। |
2. बच्चा क्या करेगा | भाषा की अलग अलग आवाजों को सीखने लगेगा। | ज्यादा बेहतर तरीके से आवाज निकालने और शब्दों को बोलने लगेगा। | दो साल का होने से पहले ही वो लगभग 50 शब्दावली का उपयोग करने लगेगा। |
3. बच्चे की मदद कैसे करें | नेचुरल तरीके से बोलने का पैटर्न रखें और अपनी आवाज में गाना गाएं, ताकि बच्चा आवाज से एक्शन को जोड़ सके। | कोई भी चीज उठाकर एक शब्द बोलें ना कि वाक्य, जैसे कि शूज, बॉल, किट्टी आदि जब वो उस चीज की तरफ देख रहा हो। | आसान सवाल करें और आसान जवाब दें जैसे ‘बेबी को नींद आ रही है’ ‘खाने खाएं?’ |
4. आपको कब चिंतित होना चाहिए | अगर आपका बच्चा बड़बड़ा नहीं रहा है और आपको सुनने में कोई रूचि नहीं ले रहा है । | अगर आपका बच्चा कुछ रिएक्ट नहीं कर रहा है या अपने नाम पर कोई रिस्पांस नहीं दे रहा है, अगर सिंपल शब्द जैसे हाँ या ना नहीं समझ पा रहा है। | अगर आपका बच्चा दो साल का होने से पहले नहीं बोल रहा है तो यह नॉर्मल है, आपको केवल तभी चिंतित होना चाहिए जब बच्चा बड़बड़ा भी न रहा हो और इस उम्र में उसकी शब्दावली में भी कोई सुधार न देखा जा रहा हो। |
यदि आपका बच्चा बड़बड़ा नहीं रहा है या बड़े होने के साथ वो भाषा को लेकर इतना रिस्पॉन्सिव नहीं है तो यह आपके लिए चिंता करने वाली बात हो सकती है। यदि आपका बच्चा भाषा के संकेतों का जवाब नहीं देता है, बड़बड़ाने में या आपकी बात सुनने में कोई दिलचस्पी नहीं ले रहा है, तो यह हो सकता है उसे सुनने की समस्या हो जिसके कारण वो आपकी बातों पर कोई प्रक्रिया नहीं दे रहा है।
पास के स्कूल में बात करें और बच्चे के भाषा संबंधी मुद्दों के लिए जल्द से जल्द डॉक्टर के पास जाएं और जानें कि आगे आपको क्या करना है। यदि बच्चे का हकलाना छह महीने से ज्यादा समय तक बना रहता है, तो ऐसे मामले में भी उसे अपने डॉक्टर के पास ले जाएं और जांच कराएं।
जब आपका बच्चा चार साल का हो जाता है, तो वो आपकी बात ठीक से समझने लगता है और पाँच से छह शब्दों से ज्यादा का वाक्य बोलने लगता है। अब तक वो ग्रामर के कुछ बेसिक भी जान जाएगा और अजनबियों के साथ बातचीत करने और आपके द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब देने के लिए पर्याप्त रूप से बात करने में सक्षम हो जाएगा। एक बार जब आपका बच्चा बोलना शुरू कर देता है, तो हर दिन उसके साथ बातें करें। इसके लिए सबसे अच्छा है कि आप उन्हें कोई ऑब्जेक्ट दिखाएं और उन्हें इसके बारे में बताने के लिए कहें।
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