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बच्चों की त्वचा बहुत ज्यादा कोमल और नाजुक होती है। यही कारण है कि उनकी त्वचा पर एक रैश आते ही माता-पिता परेशान हो जाते हैं। अगर आपके बच्चे को भी रैश हो रहे हैं, तो यह उसके लिए परेशानी का कारण बन सकता है। आपका बच्चा अपनी तकलीफ का कारण नहीं बता सकता, इसलिए वह चिड़चिड़ा हो जाता है और रोने लगता है। अगर आपके बच्चे के चेहरे पर रैश है और वह लगातार रो रहा है, तो पैरंट होने के नाते आपको उसकी मदद करने की कोशिश करनी चाहिए और समझना चाहिए कि रैश कितने तरह के होते हैं। ताकि आपको यह पता चल सके कि एक प्रोफेशनल सलाह कब लेनी चाहिए। आमतौर पर बच्चे के चेहरे पर होने वाला रैश नुकसान रहित होता है और यह अपने आप ही ठीक हो जाता है। लेकिन कभी-कभी यह रैश किसी गंभीर स्थिति का संकेत हो सकता है। विभिन्न प्रकार के रैशेज और उनके इलाज के बारे में जानने के लिए इस लेख को पूरा पढ़ें।
बच्चों की त्वचा बहुत ज्यादा नाजुक होने के कारण उन्हें रैश और इरिटेशन होने की संभावना भी बहुत ज्यादा होती है। यहाँ पर बच्चों के चेहरे पर होने वाले रैश के कुछ आम कारण दिए गए हैं।
चेहरे पर होने वाले रैश, किसी खास खाद्य सामग्री के कारण होने वाली एलर्जी का रिएक्शन हो सकते हैं। यह खाद्य सामग्री ब्रेस्टमिल्क के द्वारा आपके बच्चे में ट्रांसफर हो सकती है। अगर आपका बच्चा सप्लीमेंट्री फूड लेता है, तो फार्मूला में मौजूद किसी खास इनग्रेडिएंट से भी बच्चे को एलर्जी हो सकती है और उससे उसके चेहरे पर रैश आ सकते हैं।
कभी-कभी बच्चे के द्वारा पहने जाने वाले कपड़े अगर ठीक तरह से धुले हुए न हों, तो भी उसे रैश की समस्या हो सकती है। बच्चों के कपड़े, उसके बेडशीट या बच्चे के संपर्क में आने वाले अन्य कपड़ों को धोने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले डिटर्जेंट या सलूशन के कारण भी बच्चे को रैश की समस्या हो सकती है। इसी प्रकार क्रीम, साबुन या परफ्यूम जो कि बच्चों के लिए इस्तेमाल किया जाता है, उनसे भी इस तरह के रिएक्शन हो सकते हैं।
बच्चों की त्वचा अत्यधिक संवेदनशील होती है। जो कि वातावरण में आने वाले बदलावों के प्रति तुरंत रिएक्ट करती है। अगर हवा बहुत ज्यादा गर्म है या एसी बहुत अधिक ठंडा है, तो बच्चे की त्वचा में रूखापन आ सकता है और इससे रैश हो सकता है। बाहरी मौसम की स्थिति इसे और भी ज्यादा बढ़ा सकती है, जिससे बच्चे को परेशानी हो सकती है।
अगर आपके दोस्त या रिश्तेदार घर पर हमेशा ही आते हैं, तो ऐसा संभव नहीं हो पाता है, कि हर बार वे बच्चे को गोद में उठाने या उसके साथ खेलने से पहले अपने हाथों को सैनिटाइजर करें। हाथों को साफ किए बिना बच्चे को गोद में उठाने या छूने से कीटाणु और गंदगी बच्चे की नाजुक त्वचा के संपर्क में आ सकती है, जिससे उसे रिएक्शन हो सकता है। रैश खत्म होने के तुरंत बाद कीटाणुओं की उपस्थिति में यह दोबारा हो सकता है।
अगर घर में उचित सफाई का ध्यान नहीं रखा जाए, तो इससे भी एलर्जी के लक्षण हो सकते हैं। जिससे बच्चे को रैश हो सकते हैं। अगर आप नियमित रूप से अपने घर की या बच्चे के खिलौनों की सफाई नहीं करते हैं, तो कमरे में या खिलौनों में मौजूद धूल-मिट्टी और कीटाणु कमरे में ही घूमते रहते हैं। यह गंदगी बच्चे की सांसो के द्वारा अगर अंदर चली जाए या उसकी त्वचा की संपर्क में आ जाए, तो इससे भी रैश की समस्या हो सकती है और इन कीटाणुओं के कारण आपका बच्चा बीमार भी हो सकता है।
अगर आपके घर में पालतू जानवर हैं, तो उनकी उपस्थिति से भी आपके बच्चे को एलर्जी की समस्या हो सकती है। आमतौर पर पालतू जानवर के बाल घर में इधर-उधर बिखरे होते हैं, जिन से एलर्जी हो सकती है। अगर आप अपने पालतू जानवर के साथ खेलते हैं, तो बच्चे को गोद में उठाने के पहले अपने हाथों और अपने शरीर पर मौजूद पालतू जानवर के बाल और लार को साफ करना ना भूलें।
बच्चों में होने वाले रैशेज के कुछ सबसे आम प्रकार नीचे दिए गए हैं।
इन्फेंटाइल एग्जिमा को एटॉपिक डर्मेटाइटिस भी कहा जाता है। आमतौर पर रैश खुरदरे कपड़ों, केमिकल युक्त डिटर्जेंट या त्वचा में एलर्जी पैदा करने वाले अन्य पदार्थों के बच्चे की त्वचा के संपर्क में आने से होते हैं। यह सूखा, परतदार और लालीपन लिए हुए होता है और आमतौर पर चेहरे, पैर, छाती और बाहों पर देखा जाता है।
यह एक्ने बड़ों को होने वाले एक्ने के जितना बुरा नहीं होता है। यह बच्चे के चेहरे पर पिंपल के समान उभरे हुए दिखते हैं और इनका रंग गुलाबी होता है और ये माँ के हॉर्मोंस के संपर्क में आने से हो जाते हैं। बेबी एक्ने जन्म के दो-चार हफ्तों के बाद होते हैं, लेकिन आमतौर पर तीन-चार महीनों में अपने आप ही चले जाते हैं और बच्चे के चेहरे पर कोई निशान भी नहीं छोड़ते हैं।
इंपीटिगो त्वचा संबंधी एक आम समस्या है, जो कि संक्रामक होती है। इंपीटिगो बच्चे के चेहरे पर होता है, खासकर उसकी नाक के आसपास और उसके हाथों पर जो कि लाल रंग के फोड़े होते हैं और बहुत ज्यादा परेशान करते हैं। यह स्थिति बहुत ज्यादा कंटेजियस होती है और यह असल में एक इंफेक्शन होता है। आमतौर पर इसकी पहचान होने के तुरंत बाद डॉक्टर एंटीबायोटिक दवाओं की सलाह देते हैं।
अगर आप अपने बच्चे के चेहरे पर छोटे और सफेद रंग के पिनप्वाइंट उभार देखते हैं, तो यह मिलिया का साफ संकेत है। यह सब एपिडेरमल सिस्ट होते हैं। ये अपने आप ही ठीक हो जाते हैं, इसलिए इसमें इलाज की कोई जरूरत नहीं होती है।
आमतौर पर बच्चे के मुँह के आसपास, ठुड्डी, गर्दन के पास देखे जाने वाले इस रैश का कारण, इसके नाम में ही छुपा हुआ है। यह रैश बच्चे के मुँह से टपकने वाली अत्यधिक लार के कारण होता है। अगर समय-समय पर इस लार को साफ ना किया जाए और यह लार इस हिस्से में इसी तरह बनी रहे, तो इससे इस तरह के रैश बन जाते हैं।
मुख्य रूप से बच्चे के बालों वाली त्वचा में देखा जाने वाला यह रैश बाद में शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल सकता है। यह रैश कुछ छोटे लाल उभारों के रूप में और सिर की त्वचा में पीले रंग की सख्त पपड़ी के रूप में देखे जाते हैं, जो कि सिर की त्वचा के साथ-साथ आइब्रो और आईलैशेस की त्वचा में भी देखे जाते हैं। यह रैश खाने से होने वाली एलर्जी के लक्षण से होता है, खासकर बेबी फार्मूला और सप्लीमेंट्री खाने के कारण।
स्लैप्ड चीक सिंड्रोम एक वायरल इंफेक्शन है, जिससे एक या दोनों गालों पर चमकीले लाल रंग के रैश हो जाते हैं। गालों के ये रैश आमतौर पर कुछ दिनों में अपने-आप गायब हो जाते हैं, लेकिन अगर यह रैश शरीर के अन्य हिस्सों, जैसे कि – बाँह, छाती आदि पर भी हो जाएं, तो इसे ठीक होने में थोड़ा अधिक समय लग सकता है, यानि कि लगभग 7 से 10 दिन का समय लग सकता है। हालांकि यह स्कूल जाने वाले बच्चों में आमतौर पर अधिक होता है, लेकिन फिर भी यह किसी को भी हो सकता है। आमतौर पर इस रैश में दर्द नहीं होता है और ये अपने आप ही चले जाते हैं। हालांकि अगर आपका बच्चा लंबे समय से इससे जूझ रहा है, तो आप डॉक्टर की सलाह ले सकते हैं।
एलर्जिक रिएक्शन और सूखी त्वचा की समस्याओं के अलावा कुछ खास रैशेज के होने के पीछे कीड़ों के काटने से लेकर अत्यधिक गर्मी जैसे कई तरह के कारण हो सकते हैं। सालमन पैचेस, एरिडेमा टॉक्सिकम और मंगोलियन स्पॉट जैसी कुछ खास त्वचा संबंधी स्थितियां, जो कि मुख्य रूप से गर्दन और पीठ पर देखी जाती हैं, वह नुकसानरहित होती हैं और थोड़े समय के लिए होते हैं।
अगर आपके बच्चे को फेशियल रैश हैं, तो आपको सबसे पहले उस रैश से कारण होने वाली तकलीफ को कम करना चाहिए। इससे आपके बच्चे को थोड़ा आराम मिलेगा और रैश के फैलने या बदतर होने से बचाव होगा।
आपका डॉक्टर आपको कुछ लैवंडर बाम की सलाह दे सकता है, जिसे आप रुई की सहायता से अपने बच्चे की त्वचा पर लगा सकते हैं। इससे त्वचा को नमी मिलेगी, दर्द कम होगा और बच्चे को थोड़ी राहत भी मिलेगी। कुछ गंभीर परिस्थितियों में आपका डॉक्टर रैश को कंट्रोल करने के लिए हाइड्रोकॉर्टिसोने क्रीम या एंटीहिस्टामाइन के इस्तेमाल की सलाह भी दे सकता है।
बच्चे के चेहरे पर होने वाले रेड रैश, मिल्क रैश या हीट रैश जैसे अधिकतर रैश को घर पर ही आम घरेलू दवाओं की सहायता से मैनेज किया जा सकता है। अगर आपके बच्चे के चेहरे पर का रैश बहुत गंभीर नहीं है, तो आप इन घरेलू दवाओं को आजमा सकते हैं।
जैसा कि आप जानते हैं, बचाव इलाज से बेहतर होता है। इसलिए, क्यों न इसे समस्या निकलने से पहले ही समाप्त कर दिया जाए। यहाँ पर कुछ पॉइंट्स दिए गए हैं जिसके द्वारा आप बच्चों मेंरैश से बचाव कर सकते हैं।
अगर उचित सफाई का ध्यान न रखा जाए, तो बच्चे को होने वाले ये नुकसान रहित रैश नुकसानदायक भी बन सकते हैं। पर सही बातों का ध्यान रखकर, आप अपने बच्चे को बाहरी नुकसान से बचा सकते हैं और रैश को बढ़ने से रोक सकते हैं। इसके अलावा परेशान न हों, क्योंकि आपका बच्चा इस स्थिति से बाहर निकल जाएगा। अगर फिर भी आप श्योर नहीं हैं, तो डॉक्टर से बात करने में हिचक महसूस न करें।
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