हर किसी को कभी न कभी गुस्सा आता है और बड़ों की तुलना में बच्चे जल्दी अपना आप खो बैठते हैं। यह गुस्सा फ्रस्टेशन, अकेलापन, डर, उदासी या खतरे की भावना पैदा होने की वजह से हो सकता है। हालांकि गुस्से को सीधे तौर पर बुरे बर्ताव के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि आपको यह जानने की कोशिश करनी चाहिए कि आप बच्चे को भावनाओं के इस तेज तूफान से डील करने में कैसे मदद करें।
यह देखकर कि आपका बच्चा अपने गुस्से से कैसे डील कर रहा है, आप यह तय कर सकती हैं कि क्या आपको बच्चे के एंगर इशू को लेकर चिंता करनी चाहिए और एंगर मैनेजमेंट पर ध्यान देना चाहिए या नहीं। यहाँ कुछ ऐसे संकेत बताए गए हैं, जिसे लेकर आपको चिंता करने की जरूरत है:
यह समझना कि बच्चे को गुस्सा किस कारण से आ रहा है, आपको उससे निपटने में काफी मदद मिलेगी और बच्चे में एंगर इशू को डील करने के लिए यह आपका पहला कदम होगा। आप एंगर मैनेजमेंट के जरिए बच्चे को सिखा सकती हैं कि उसे गुस्सा आने पर खुद को कैसे शांत रखना चाहिए।
आपको सबसे आसान तरीका लगता होगा बच्चे को डांट लगाकर, गुस्सा करके या टेलीविजन न देखने और खेलने न जाने देना जैसी सजा देकर। लेकिन सबसे बेहतर तरीका यह है कि आप बच्चे को खुद अपने गुस्से को कंट्रोल करना सिखाएं। यहाँ कुछ टिप्स दी गई हैं जो आपको सिखा सकती हैं कि बच्चों में एंगर इशू को कैसे डील करें।
अपने बच्चे से कहें कि जब तक वह शांत न हो जाए, तब तक के लिए अपने कमरे में रहे और थोड़ा ब्रेक ले। यदि आपका बच्चा शांत नहीं हो रहा है, तो उसे कमरे में भेजने से पहले इंतजार करें कि वो अपनी बात खत्म कर लें। हालांकि, अगर बच्चा गुस्से में बहुत ज्यादा आक्रामक हो जाता है या हिंसा करने लगता है, तो सबसे पहले उसे रोकना जरूरी है। आप यह प्रयास तब तक के लिए जारी रखें, जब तक कि उसका गुस्सा शांत न हो जाए। अपने आप को शांत करने के लिए बच्चे को ब्रीदिंग एक्सरसाइज सिखाएं और एक से दस तक गिनती गिनने को कहें, ये तरीका काफी मददगार साबित हो सकता है।
अक्सर, जब बच्चे क्रोधित होते हैं, तो वे नखरे करते हैं, चिल्लाते हैं या चीजें फेंकते या तोड़ते हैं, क्योंकि वे नहीं जानते कि अपना गुस्सा बातचीत करके से भी व्यक्त किया जा सकता है। आप उसे यह सिखाने में मदद करें, बातों या शब्दों की एक लिस्ट बताएं, जो उसे आपको अपनी भावनाएं जाहिर करने में मदद करेगी, और साथ ही यह बच्चे को अपना गुस्सा शांत करने में भी मदद करेगी। उदाहरण के लिए डरा हुआ, चिड़चिड़ा, इर्रिटेट, गुस्सा इत्यादि जैसे शब्द या वाक्य जैसे, “यह बात मुझे परेशान कर रही है”, “मुझे यह बात अच्छी नहीं लग रही”, अब मुझे गुस्सा आ रहा है”, इसी तरह उसे अपनी फीलिंग जाहिर करना सिखाएं।
जब गुस्सा आता है, तो बच्चा एड्रेनलीन रश महसूस करता है, जो उनकी एनर्जी और ताकत को और भी ज्यादा बढ़ा देता है जिसकी वजह से उनकी आवाज भी तेज हो जाती है। ये सभी चीजें अग्रेशन और हिंसा को बढ़ावा दे सकती हैं, जब तक कि आप एड्रेनलीन को किसी कम हानिकारक चीज की ओर चैनलाइज नहीं कर देती हैं। इस प्रकार आप अपने बच्चे को अपना गुस्सा पंचिंग बैग पर निकालने के लिए कह सकती हैं या वह अपने पिलो को पकड़ कर तब तक चिल्ला सकता है जब तक उसके अंदर की उग्रता खत्म न हो जाए।
जब बच्चा गुस्से में हो, तो उससे बात करने की कोशिश करें कि वह ऐसा क्यों महसूस कर रहा है। इससे उसे पता चलता है कि आप सिर्फ रिएक्ट करने के बजाय उसकी जरूरतों का जवाब देने के लिए प्रयास कर रही हैं। जब वह आपको अपनी बात सुनते देखता है, तो उसके शांत होने की संभावना अधिक होती है। उसे एहसास होता है कि आप उसे पहले जज करने के बजाय अपनी भावना व्यक्त करने दे रही हैं। यह तरीका बच्चे को गुस्से से निकपटने के लिए एक बेहतरीन टिप्स के तौर पर काम करता है।
अपने बच्चे को समझाएं कि गुस्से में अपनी खासतौर पर फीलिंग और इमोशन को व्यक्त करना ठीक है, लेकिन गुस्से में फिजिकल नहीं होना चाहिए। जैसे कि मारपीट करना, किसी को चोट पहुँचाना। उसे बताएं कि चिल्लाना, नाम पुकारना या बदतमीजी करना स्वीकार्य नहीं है, बजाय इसके शांति से बातें करना एक बेहतर तरीका है। जब भी बच्चा क्रोध में हो तो व्यवहार के इन नियमों को लागू करें, धीरे-धीरे आप वैसा ही रिजल्ट देखेंगी जैसा देखना चाहती हैं।
अगर आपको गुस्सा आने पर चिल्लाने की आदत है तो बच्चा भी यही सीखेगा। इसलिए, अपने आप को कंट्रोल करना सीखें और बच्चों पर किसी भी हाल में चीखें चिल्लाए नहीं। शांत रहकर और एक नॉर्मल टोन का प्रयोग करके, आप बच्चे को यह मैसेज देंगी कि बिना उत्तेजित हुए आप अपने गुस्से की भावनाओं को कंट्रोल कर सकती हैं और बेहतर रूप से डील कर सकती हैं।
बच्चे को उसके गुस्से को बेहतर तरीके से डील करने में मदद करने के लिए आपको एक डेली रूटीन बनाना होगा। सुनिश्चित करें कि बच्चा रोजाना लगभग 30 मिनट के लिए किसी फिजिकल एक्टिविटी, स्पोर्ट्स या अपनी किसी हॉबी में खुद को बिजी रखे, इससे बच्चे के अंदर की एक्सेस एनर्जी का बेहतर उपयोग हो सकेगा बजाय इसके कि वो अपनी इस एनर्जी का इस्तेमाल क्रोध के रूप में करें। आप बच्चे के साथ 15 मिनट का समय रोजाना बिताएं, उससे बातें करें और दोनों के बीच का बांड और मजबूत करें।
एक बार जब बच्चा अपना आपा खो बैठता है, तो स्थिति को संभालना मुश्किल हो जाता है। इसलिए, पहले से ही उन संकेतों की पहचान करने का प्रयास करें, जो बच्चे में क्रोध का इशारा करते हैं कि वह अब टैंट्रम दिखा रहा है और इसके लिए आपको कोई कदम उठाना चाहिए। आप उसे किसी एक्टिविटी में व्यस्त रखकर या बस उसे अपने गले से लगाकर ऐसा कर सकती हैं।
अपने बच्चे से बात करें जब वह अच्छे मूड में हों और जब वो गुस्से में हो तो उसे एक सेफ लोकेशन पर जाने दें। उदाहरण के लिए, बच्चे का बेडरूम, बरामदा, या बैकयार्ड जहाँ उसे कोई इस रूप में न देखे और बच्चे को दूसरों के सामने शर्मिंदा हुए बिना या भाई-बहनों द्वारा डिस्टर्ब किए बिना अपनी फीलिंग एक्सप्रेस करने के लिए एक सुरक्षित जगह मिले, जो उसके क्रोध को और बढ़ाने का कारण हो। उस जगह को कोई नेगेटिव याद से जोड़ने के बजाय उसे एक फन नेम दें जैसे ‘पार्किंग लॉट’ या ‘हिडवे’।
यह जानने की कोशिश करें कि आखिर किस वजह से बच्चे को गुस्सा आ जाता है। बहुत सारी अलग-अलग चीजें हो सकती हैं जो बच्चे को गुस्सा दिलाती हैं, समय के साथ आपको उसका पैटर्न समझ आने लगेगा और उसमें एंगर ट्रिगर करने वाली चीजों को दूर रखने से आप इसे बेहतर रूप से कंट्रोल करने में सक्षम होंगी। अगर बच्चा जिस बात से ट्रिगर हो रहा है उसे टाला नहीं जा सकता है, तो आप उससे बात करें कि किस कारण से उसका ऐसा रिएक्शन आ रहा है और शांत होने में मदद करें।
गुस्से के दौरान अपने बच्चे को गले लगाकर या उसका हाथ पकड़कर शांत करने की कोशिश करें। स्पर्श कई बच्चों पर प्रभाव डालता है और उन्हें शांत होने में मदद करता है।
अपने बच्चे को बताएं कि उसका क्रोध आपको कैसे प्रभावित कर रहा है। आप कह सकती हैं कि बच्चा आपसे इस तरह का बर्ताव करता है, तो आपको बहुत दुख होता है। या उसे यह बताने की कोशिश करें कि आप बहुत थक गई हैं और थोड़ा आराम करना चाहती हैं, तो क्या वह शांति से कोई दूसरी जगह ढूंढ सकता है।
अपने घर में कम्युनिकेशन का उचित ताल बनाए रखने के लिए आपको बच्चे के साथ सही तरह से कनेक्ट होना पड़ेगा। यह बात सिर्फ बच्चे के गुस्सा होने के दौरान लागू नहीं होती है बल्कि हर चीज के लिए बच्चे के साथ सही कम्युनिकेशन बनाए रखना जरूरी है। यदि ये सरल टिप्स आपके बच्चे को शांत करने में मदद नहीं करते हैं, तो आपको किसी प्रोफेशनल की मदद लेनी चाहिए। एक अच्छे थेरेपिस्ट से मिलाकर और फैमिली काउंसलिंग के साथ साथ इंडिविजुअल थेरेपी के द्वारा बच्चे को बेहतर महसूस कराया जा सकता है।
डिस्क्लेमर: यह जानकारी सिर्फ एक गाइड के रूप में आपको दी गई है और यह किसी योग्य पेशेवर मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह का विकल्प नहीं है।
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