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क्या बच्चे को दिनभर संभालने की थकान के बाद भी आप देर रात तक जागती रहती हैं? क्या जब आपका बच्चा और साथी एक अच्छी नींद में सो चुके होते हैं तब भी आप बिस्तर में करवटें बदलती हैं? दरअसल इसे पोस्टपार्टम इन्सोम्निया कहा जाता है। क्या लगातार रात में नींद न आने के कारण आप बहुत ज्यादा चिड़चिड़ा और असहाय महसूस करती हैं और सोचती हैं कि क्या इस चिड़चिड़ेपन से छुटकारा पाने का कोई उपाय है? हाँ, है।
डिलीवरी के बाद अनिद्रा या नींद न आना भी एक समस्या है जिसमें हाल ही में बनी नई माँ को सोने की जरूरत है लेकिन वातावरण के अनुकूल होने के कारण भी वह एक अच्छी नींद नहीं ले पाती है। यह डिलीवरी के 8 सप्ताह के बाद लगभग 60% महिलाओं को होता है।
आपके शरीर में, हॉर्मोन्स, लाइफस्टाइल और आदतों में अनेक बदलाव होने के बाद डिलीवरी के बाद नींद न आना सामान्य है। परिवार में आए नए नन्हे सदस्य की 24 घंटे देखभाल के साथ जीवन में बदलाव होने से अक्सर माता-पिता को चिंताएं होती हैं। यह जीवन का एक प्राकृतिक चरण है और यह अपने आप ही सामान्य भी हो जाएगा। हालांकि यदि डिलीवरी के बाद अनिद्रा की समस्या लंबे समय तक चलती है तो आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
बच्चे के जन्म के बाद नींद न आने के मुख्य रूप से 4 कारण निम्नलिखित हैं, आइए जानें;
डिलीवरी के बाद हॉर्मोन्स में उतार चढ़ाव भी नींद न आने का एक मुख्य कारण है। एस्ट्रोजन हॉर्मोन्स के कम होने से अनिद्रा और डिप्रेशन जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
कुछ हार्मोन आपके शरीर में उन तरल पदार्थों को खत्म करते हैं जिनकी गर्भावस्था के दौरान एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है। रात में पसीना आना इस प्रक्रिया का ही हिस्सा है जिसके कारण आपको चिपचिपाहट हो सकती है, गर्मी लग सकती है और आपको नींद भी नहीं आती है।
डिलीवरी के बाद एंग्जायटी, डिप्रेशन, चिंता और ऑब्सेसिव-कंपल्सिव डिसऑर्डर के कारण आपके मन में कई भावनाएं उत्पन्न होती हैं। इससे आपकी नींद की आदतों में प्रभाव पड़ता है और आपको अनिद्रा की समस्या भी हो सकती है।
माँ होने के नाते आपको अपने बच्चे को कभी भी दूध पिलाने की जरूरत पड़ सकती है। इससे आपकी नींद में बाधा भी आ सकती है। कभी-कभी बच्चे को दूध पिलाने के बाद आपको सोने में ज्यादा समय लग सकता है या आपको नींद नहीं भी आ सकती है।
बच्चे के जन्म के बाद नींद न आने के कुछ लक्षण निम्नलिखित हैं, आइए जानें;
आपको नींद की समस्या का जल्द से जल्द इलाज करवाना चाहिए ताकि यह ज्यादा प्रभावी न हो और आपकी डिप्रेशन, हाई ब्लड प्रेशर, और वजन इत्यादि से जुड़ी जटिलताओं को भी रोका जा सके। यहाँ कुछ ऐसे घरेलू उपचार दिए हुए हैं जो अनिद्रा की समस्या में आपकी मदद कर सकते हैं। हालांकि, नीचे दिए हुए घरेलू उपचारों का उपयोग करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
यह एक जल्दी होने वाला ट्रीटमेंट है। डिलीवरी के बाद महिलाओं पर की गई रिसर्च के माध्यम से यह सलाह दी जाती है कि 2 सप्ताह तक कैमोमाइल टी पीने से नींद और डिप्रेशन की समस्याओं में सुधार आता है। हालांकि, इस टी का प्रभाव ज्यादा से ज्यादा 4 सप्ताह तक रहता है।
कैमोमाइल टी की तरह ही यह भी एक शॉर्ट टर्म थेरेपी है। लैवेंडर की खुशबू एक माँ से उसके बच्चे में सकारात्मक भावनाओं को प्रेरित कर सकती है। डिलीवरी के बाद एक रिसर्च में महिलाओं को दो सप्ताह तक एक कप लैवेंडर टी दी गई। 2 सप्ताह के बाद महिलाओं ने अपने बच्चे के साथ एक मजबूत बॉन्ड महसूस करने के साथ-साथ कम डिप्रेशन और कम थकान भी महसूस की है। लैवेंडर टी का प्रभाव भी सिर्फ 4 सप्ताह के लिए ही रहता है।
एक अन्य रिसर्च में महिलाओं के कान के एक्यूप्रेशर पॉइंट जिसे शेन मेन प्रेशर पॉइंट भी कहा जाता है पर एक्यूप्रेशर का प्रयोग किया गया। यदि 2 सप्ताह तक लगभग 4 बार यह पॉइंट दबाए जाएं तो इसके परिणामस्वरूप महिलाओं की नींद में बहुत ज्यादा सुधार आता है।
ताइवान के एक एक्सपेरिमेंट में डिलीवरी के बाद कुछ महिलाओं की पीठ पर लगभग 20 मिनट तक मालिश की गई। इससे महिलाओं की नींद में काफी सुधार हुआ है। ऐरोमाथेरैपी तेल और लोशन से आप मालिश कर सकती हैं पर इसे शुरू करने से पहले यह सुनिश्चित करें कि आप बच्चे को दूध न पिलाएं। आप चाहें तो आराम के लिए योग भी कर सकती हैं।
न्यूरोलॉजिकल समस्याओं को कम करने में मैग्नीशियम और आयरन की मुख्य भूमिका होती है। इसलिए मिनरल-युक्त सप्लीमेंट्स लेने से नींद में सुधार होता है और डिप्रेशन भी कम होता है।
आप कुछ सुरक्षित और नॉन-एडिटिव ओ.टी.सी. नींद की दवाएं भी ले सकती हैं, जैसे नाइटौल, सोमिनेक्स या साधारण नींद की गोलियां भी। इसे आप बहुत कम समय के लिए ही लें। हालांकि यह ध्यान रखें कि इसका मुख्य एलिमेंट डाइफेनहाइड्रामाइन है जो कुछ महिलाओं में ब्रेस्ट मिल्क के बहाव पर प्रभाव डाल सकता है। कुछ प्राकृतिक प्रोडक्ट भी होते हैं जो आपकी मदद कर सकते हैं, जैसे सेरेनिटी। पर इसे लेने से पहले आप डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
एक अध्ययन के अनुसार कॉग्निटिव-बिहेविरियल उपचार की मदद से नींद के पैटर्न और प्रसव के बाद अनिद्रा व डिप्रेशन के साथ महिलाओं में व्यवहार संबंधी समस्याओं में सुधार हो सकता है। इसके लिए आपको किसी अनुभवी प्रोफेशनल की मदद लेनी चाहिए।
डिलीवरी के बाद अनिद्रा से जल्दी और सरलता से छुटकारा नहीं पाया जा सकता है। यहाँ कुछ टिप्स दिए हुए हैं जिनकी मदद से आप अपनी समस्या में सुधार ला सकती हैं। वे कौन से टिप्स हैं, आइए जानते हैं;
प्रयास करें कि आप तभी सोएं जब आपका बच्चा सोता है। अपने घर के सभी काम आप नैनी या परिवार के किसी सदस्य पर छोड़ दें। जब आपका बच्चा सोता है तब आपको भी सिर्फ आराम ही करना है। यदि आपको आसानी से नींद नहीं आती है तो आप कुछ ऐसा करें जिससे आराम मिले।
जितना जल्दी हो उतना जल्दी आप सो जाएं। इस समय आप इंटरनेट सर्फिंग न करें, अपने कमरे को सेट न करें या फोन पर बात भी न करें इत्यादि। हॉट सॉना, किताब पढ़ने, शांत म्यूजिक सुनने व कुछ सूदिंग पीकर आप जल्दी सोने का प्रयास करें। आप सोते समय ब्लैकआउट मास्क भी पहन सकती हैं।
आप सभी कामों को अपने साथी या परिवार के किसी सदस्य से भी शेयर कर सकती हैं, जैसे डायपर बदलना, बच्चे को नहलाना, बच्चे को कपड़े पहनाना, बच्चे की दूध की बोतल तैयार करना इत्यादि। यदि बच्चे का दूध रात में बनाना है तो इसमें भी आप किसी की मदद ले सकती हैं। यदि आपकी नींद की समस्याएं वास्तव में बहुत ज्यादा गंभीर हैं तो आप अपने बजाय परिवार के किसी सदस्य को बच्चे के पास सुला सकती हैं।
यदि आप अपने बच्चे के सोने के पैटर्न को जानती हैं तो आप अपने दिन को बहुत अच्छी तरह से प्लान कर सकती हैं। आप चिंता न करें और आराम से सोएं। यदि बच्चे को दूध पिलाने का शेड्यूल आपकी नींद के पैटर्न को प्रभावित करता है तो आप लैक्टेटिंग स्पेशलिस्ट की मदद ले सकती हैं।
इस दौरान आप मेडिटेशन, वॉक या शांतिदायक म्यूजिक सुनने का प्रयास करें। अध्ययनों के अनुसार चिंता को दूर करने और नींद को प्रेरित करने के लिए आप हल्की एक्सरसाइज व लंबी सांस की एक्सरसाइज भी कर सकती हैं।
यदि आप बहुत सारे कामों के बारे में सोच रही हैं तो अगले दिन उन्हें पूरा करने के लिए आप रात में ही उन्हें लिख लें। यदि आपको अपनी भावनाओं के प्रवाह को कम करना है तो आप सोते समय 100 से 1 तक उल्टी गिनती गिनें। यह दिमाग से सभी बातें निकालने और अच्छी नींद लाने का एक बेहतरीन तरीका है।
कॉफी पीने से नई माँ को मूड स्विंग्स हो सकते हैं और अंत में यह आपकी नींद को भी खराब कर सकता है। आप सिर्फ एक कप कॉफी दिन में 2 बजे तक ले सकती हैं।
सोने से लगभग 1 घंटे पहले आप अपने इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स बंद कर दें। आप बच्चे को दूध पिलाने से पहले इंटरनेट सर्फिंग न करें। लैपटॉप्स, सेल फोन्स और टीवी आपके मस्तिष्क को उत्तेजित कर सकते हैं और आपकी नींद को भी खराब कर सकते हैं।
आप अपने बेडरूम को सजा सकती हैं और अपने रूम की सेटिंग्स को ठीक भी कर सकती हैं। आप चाहें तो अपने कमरे की लाइट को हल्का या दीवारों का रंग सूदिंग कर सकती हैं। यदि हल्की रोशनी से आपकी नींद में बाधा आ रही है तो आप अपने कमरे की खिड़कियों पर गाढ़े रंग की ड्रेप्स लगाकर इसे बंद करके अपने कमरे में पूरा अंधेरा कर लें।
आप अपने कमरे का तापमान भी 68 से 72 डिग्री फारेनहाइट तक कर लें। अध्ययनों के अनुसार इतना तापमान आपके और आपके बच्चे के लिए बेहतर है।
प्रसव के बाद अनिद्रा की समस्याओं से संबंधित कुछ सवाल अक्सर पूछे जाते हैं, आइए जानें;
नींद और डिप्रेशन एक दूसरे से संबंधित हैं। हालांकि अभी तक यह नहीं पता लगा है कि किससे कौन सी समस्या होती है? यह जो भी है पर एक दूसरे से संबंधित हैं। यदि आप रात में सो नहीं पा रही हैं और आपको हमेशा बहुत थकान महसूस होती है तो हो सकता है कि आप डिलीवरी के बाद डिप्रेशन से पीड़ित हों। यदि यह बहुत तेजी से बढ़ता है और लंबे समय तक रहता है तो आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। साथ ही यह भी ध्यान रखें कि डिलीवरी के बाद अनिद्रा की समस्या डिप्रेशन के बिना भी हो सकती है।
स्लीप डेप्रिवेशन और अनिद्रा एक जैसी समस्याएं नहीं हैं। स्लीप डेप्रिवेशन उसे कहते हैं जब आपको बाहरी अशांति की वजह से नींद आने में कठिनाई होती है, जैसे बच्चा बीमार होने की वजह से, ज्यादा भारी काम कर लेने से या पड़ोस में पार्टी का शोर होने से।
वहीं दूसरी तरफ अनिद्रा तब होती है जब आप शांति में भी सो न पा रही हों। यह अक्सर अनिद्रा से संबंधित आंतरिक समस्याओं के कारण होता है, जैसे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं, जॉब या मैरिटल चिंताएं और अन्य कोई चिंताएं।
प्रसव के बाद नींद न आना सामान्य है और इसे सही उपायों से मैनेज भी किया जा सकता है।
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