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माता-पिता अपने बच्चों के जीवन में होने वाले सभी विकास और बदलाव में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। माता-पिता के सही मार्गदर्शन से ही बच्चे के चरित्र का विकास होता है। लेकिन बच्चों के प्रति पेरेंट्स की जिम्मेदारी कभी खतम नहीं होती चाहे वो कितने भी बड़े हो जाएं। समय आने पर आप इस जिम्मेदारी से दूर नहीं जा सकते, क्योंकि बच्चों को सही रास्ते पर रहने के लिए समय-समय पर अपने माता-पिता की जरूरत होती है। यहां आप, बच्चे के विकास में पेरेंट्स की क्या भूमिका होती है, उसके बारे में जानेंगे।
बच्चों का पालन-पोषण करने से लेकर उनके विकास तक ये सभी कार्य एक साथ चलते हैं। ऐसी कहावत है कि सेब पेड़ से दूर नहीं गिरता है और उसकी शाखा बढ़ती है क्योंकि टहनी बढ़ती है, और इसी तरह की पेरेंटिंग स्टाइल को माता-पिता अपने बच्चे की ग्रोथ और उसके डेवलपमेंट के लिए अपनाते हैं।
सभी विकास आपस में जुड़े हुए हैं और इन्हें किसी श्रेणियों के तहत परिभाषित नहीं किया जा सकता है। तो आइए इस बात पर ध्यान दें कि आखिर माता-पिता कैसे एक्टिव होकर अपने बच्चों के विकास में हिस्सा लेते हैं ताकि आने वाला समय और साल उनके लिए योग्य बने। बच्चों के विकास में पेरेंट्स का अहम किरदार होता है, हर चीज के लिए उन्हें जवाब देना होता है और साथ ही कभी न खत्म होने वाली जिम्मेदारी होती है। यह निम्नलिखित क्षेत्रों में बच्चों की प्रतिक्रिया, कार्यों, सोच और निर्णय को नियंत्रित करता है।
जब बच्चे बड़े हो रहे होते हैं, तब पॉजिटिव पेरेंटिंग उनके ज्ञान संबंधी, सामाजिक और समस्या को सुलझाने के स्किल में सुधार करता है। पॉजिटिव तरीके से अगर बच्चों की देखभाल की जाए तो वह उनकी प्रतिक्रियाओं पर भी असर डालता है और उन्हें बेहतर इंसान बनने में मदद करता है। शुरुआती सालों में आपसी बातचीत और प्रेरणा बहुत जरूरी है । यह विकास की समस्याओं को पहचानने, सभी स्थितियों को अच्छी तरह से संभालने और अनुशासन, समय का सही उपयोग करने और घर पर सरल रूटीन के जरिए प्रभावी समस्या का समाधान को अपनाने के बारे में है।
बच्चे घर पर माता-पिता कैसे बातचीत करते हैं और परिवार की कोई भी परेशानी को कैसे सुलझाते हैं ये सब ऑब्जर्व करते हैं। यह उन्हें कई प्रकार के अच्छे मूल्य सिखाता है जो बड़े होने के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। इसके जरिए बच्चा सीखता है कि कैसे दूसरों के साथ व्यवहार करना है, सामान्य लक्ष्य के लिए खेलना, टीम स्पिरिट, सही दोस्तों को चुनना और भी बहुत कुछ।
सिर्फ उम्र के साथ बच्चे का शरीरिक तरीके से बढ़ना ही काफी नहीं है। लेकिन बढ़ने के साथ बच्चे का स्वस्थ होना भी जरूरी है। बच्चे हेल्दी रहना भी सीखते हैं जैसे कि नियमित रूप से एक्सरसाइज करना, टीम के खिलाड़ी होकर एक्टिव रहना, सही डाइट लेना और सही वातावरण में बढ़ना भी। परफेक्ट फिजिकल हेल्थ पाने के लिए माता-पिता सही मार्गदर्शन दिखाते हैं, जैसे व्यायाम करना और सही डाइट लेना। पेरेंट्स को यह याद रखना चाहिए कि बच्चे सामने वाले को देखकर ही सीखते हैं।
माता-पिता की पेरेंटिंग स्टाइल बच्चों को नए तरीके से सीखने में, असफलताओं को स्वीकार करने और उन पर काबू पाने से, अनुशासन को समझने, प्रतिक्रिया को स्वीकार करने और पुरस्कार-और-दंड के कांसेप्ट को समझने में मदद करती है। यह उनकी प्रतिक्रिया को सही ढंग से नियंत्रित करने में मदद करता है और उसी तरह उनके दिमाग को भी ढालता है।
धर्म को समझना, प्रार्थना करना, सही गलत को जानना, सहानुभूति रखना, सही नैतिक मूल्यों का होना, अपने पेरेंट्स को महत्व देना और लक्ष्य-निर्धारण को मजबूत करना बच्चों में मुक्त भावना को व्यक्त करता है। अपने बच्चों को अधिक स्वीकार करने और अधिक से अधिक अच्छे में विश्वास करने के लिए सिखाने से उन्हें उद्देश्य की भावना प्राप्त करने में मदद मिल सकती है। कोशिश करें कि उन्हें सिर्फ एक धर्म की जानकारी न दें और उन्हें खुद से आध्यात्मिकता का पता लगाने दें।
यह स्वाभाविक है कि बच्चे अक्सर खेलने के लिए पिता की तरफ ही भागते हैं और यदि वे टेंशन, डर आदि महसूस करते हैं तो माँ के पास जाते हैं। लेकिन वे दिन अब चले गए जब सिर्फ पिता ही घर का खर्च उठाते थे और मांएं बच्चों की देखभाल करती और उनसे बातें करती थीं।
बच्चों के विकास में पिता का रोल हमेशा से ही बेहद महत्वपूर्ण रहा है। बच्चे अक्सर प्रेरित होने के लिए अपने पिता की ओर देखते हैं। इसी तरह,अब मांओं का भी बच्चों के विकास में किरदार काफी बढ़ गया है। ये सिर्फ बच्चे को पालने तक और देखभाल करने तक ही सीमित नहीं है। बच्चे के पहले स्पर्श और नजर से लेकर आने वाले सालों तक, पेरेंट्स छोटे बेबी को एक अच्छी तरह से विकसित, जिम्मेदार और देखभाल करने वाला बनाने के लिए जिम्मेदार होते हैं। बच्चों के विकास के टिप्स की लिस्ट में कोई भेदभाव नहीं है और यह माँ और पिता, दोनों पर समान रूप से लागू होता है।
बच्चे आसानी से नेगेटिव एनर्जी को महसूस कर लेते हैं। आपका बच्चा चाहे जितना भी छोटा क्यों न हो, अपनी समस्याओं को उसके साथ शेयर करें और आप उन्हें कैसे संभालते हैं ये भी बताएं। घर के छोटे-छोटे कामों में उन्हें हिस्सा लेने के लिए भी कहें। उन्हें क्रिएटिव होने के साथ पॉजिटिव तरीके से समस्या को कैसे हल करना है ये भी सिखाएं।
आपके बच्चे की जरूरतें चाहे कितनी भी छोटी हों, उन्हें समझना और पूरा करना आपके लिए बेहद जरूरी है। ऐसे में यह बच्चे को एहसास दिलाता है कि आप उनके लिए हर समय मौजूद हैं और उनकी कोई भी जरूरतें अनसुनी नहीं होंगी।
मोटिवेशन और प्यार तभी अच्छे फल देते हैं जब उन्हें सही तरीके से सींचा जाए, उन पर काम किया जाए, अच्छे से देखभाल की जाए। बच्चे को दिखाएं कि उसे हर समय प्यार किया जाता है और आप किसी भी स्थिति में उसके साथ हैं, चाहे कुछ भी हो।
किसी भी फैसले पर पहुंचने से पहले अपने बच्चे से बात जरूर करें और सुनें कि उसे क्या कहना है। हर बातचीत में, कोशिश करें कि आप अपने बच्चे के हिसाब से सोच रहे हों और उसे खुद को व्यक्त करने दें। यह याद रखें, पॉजिटिव तरीके से समझाना किसी भी नेगेटिव सजा और इल्जाम से बेहतर होता है।
बच्चे वही सीखते हैं जो वे घर पर देखते या सुनते हैं। अगर घर का माहौल खराब है, तो बच्चे को गलत शब्दों का प्रयोग करना, जोर-जोर से झगड़ना, लगातार लड़ना, बुरी आदतों में शामिल होना और गाली देना बिल्कुल सामान्य लगता है, अगर वह यह सब घर में देखता है।
एक हेल्दी लाइफस्टाइल बच्चे के भविष्य में अच्छी आदतें को शामिल करने में मदद करती है। यदि आप भी अच्छे रूटीन को फॉलो करती हैं जैसे कि, समय पर खाना और सोना, खाना खाते समय टीवी न देखना, तो आपका बच्चा भी इन सब चीजों को सीखेगा और इसका पालन करेगा।
याद रखें, जो परिवार एक साथ खाता है और प्रार्थना करता है वह हमेशा साथ रहता है ! इसी तरह अपने बच्चे को भी फैमिली के साथ खाना खाने के लिए कहें और परिवार के सदस्यों के साथ क्वालिटी समय बिताने का महत्व सिखाएं।
ऐसा मानना है कि कड़ी मेहनत से बेहद संतुष्टि मिलती है, और ऐसे में आपके लिए इनाम यह है कि आपका बच्चा कैसे समस्याओं से निपटना सीखता है, साथ ही असुरक्षाओं से डील करता है, दूसरों के साथ कैसे बातचीत करता है और आपके जैसा बनने की कोशिश करता है। इसलिए चाहे आप कितनी भी थकी हों दिन के अंत में उससे बात करें। वह यह सब सीखेगा और आपकी तरह ही अपने परिवार का ध्यान रखेगा।
इसका सबसे अच्छा उदाहरण है माता-पिता, जब आपके दो बच्चे हैं तो दोनों के साथ उनका कैसा व्यवहार रहता है और विशेष रूप से झगड़ों के बीच वो किसका साथ देते हैं। यदि आप अपने परिवार के सभी सदस्यों के साथ एक जैसा प्यार और व्यवहार करते हैं, तो बच्चे भी यही सीखेंगे और बिना किसी भेदभाव के सभी को प्यार देंगे और उनकी देखभाल करेंगे।
बच्चे को ऑब्जर्व करें कि क्या वो ईमानदारी को महत्व देता है, खासकर जब बात फैमिली और पैसों की आती हो। उसे सिखाएं कि चाहे कुछ भी हो, उसे सच बोलना चाहिए और हमेशा अपनी बात पर टिका रहना चाहिए। इसके अलावा, उसे जिम्मेदारी उठाना भी सिखाएं।
यदि आपका बच्चा किसी चीज में फेल होता है, तो उसे डांटने के बजाय प्यार से समझाने की कोशिश करें कि उसे अब क्यों और क्या करना चाहिए। लेकिन उसे यह जरूर बता दें कि कोई भी गलती आप दोनों के बीच या किसी के प्यार को कम नहीं करेगी।
माता-पिता को हमेशा यह याद रखना चाहिए कि एक-दूसरे को सपोर्ट करने वाला परिवार हमेशा सीखने के लिए मोटिवेट करता है और बेहतर भी बनाता है। इसलिए, आपको एक ऐसा माहौल तैयार करना चाहिए जो आपके बच्चे को उन सभी अच्छी आदतों को सीखने, पढ़ने और अभ्यास करने के लिए प्रेरित करे, जो आप उसके बड़े होने पर उसमें देखना चाहती हैं।
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