शिशु

बच्चे की आँखों में सूजन – कारण और उपचार

आँखों में किसी भी प्रकार की समस्या को बताना आपके बच्चे के लिए एक मुश्किल कार्य हो सकता है, जिससे आपकी भी परेशानी बढ़ सकती है। इसलिए, आँखों में सूजन, ऑंखें लाल दिखना, पानी बहना जैसे लक्षणों पर कड़ी नजर रखना महत्वपूर्ण है। बाल-रोग विशेषज्ञ से तुरंत संपर्क करने से आपके शिशु को और अधिक परेशानी या किसी छिपी हुई बीमारी से राहत में मदद मिलती है।

बच्चे की आँखों में सूजन का क्या कारण है

कभी-कभी बच्चे की आँखों में सूजन आना किसी भी प्रकार की चिंता का विषय नहीं होता है, यह अपने आप ही ठीक हो जाती है। लेकिन कुछ मामलों में, यदि ध्यान न दिया जाए तो यह समस्या और भी गंभीर हो सकती है। हमने आँखों की सूजन का कारण बनने वाले कारकों की एक सूची तैयार की है, वह इस प्रकार है;

1. एलर्जी

यदि आपका शिशु आँखों में जलन होने के कारकों, जैसे सिगरेट का धुंआ, पराग के कण, पालतू पशुओं की रूसी या धूल-कणों के संपर्क में आता है, तो संवेदनशीलता के कारण उसे एलर्जी होने की अधिक संभावना होती है। इसके कारण आमतौर पर बच्चे की आँखों में सूजन या इसके लाल होने के लक्षण दिखाई देते हैं। कभी-कभी बच्चे में तुरंत प्रभाव दिखाई देते हैं, इसलिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि हाल ही में वह किसके संपर्क में आया है।

2. बच्चों के दाँत निकलना

चूंकि आँखों और दाँतों की नसें आपस में जुड़ी होती हैं, इसलिए दाँत निकलने पर भी आँखों में सूजन हो सकती है।जांच करके यह सुनिश्चित करें कि क्या दाँत निकलने के बाद आँखों के नीचे कोई सूजन है।

3. मच्छर का काटाना

मच्छर के काटने से आँखें सूज जाती हैं। इस तरह की सूजन में दर्द नहीं होता है, बस खुजली होती है और एक नवजात शिशु में यह समस्या लगभग 10 दिनों तक रहती है। यह सूजन आमतौर पर गुलाबी या लाल रंग की दिखती है।

4. चोट लगना

आँखों के पास सिर की चोट से, आँखों में सूजन, जलन, लालपन या इससे और अधिक हो सकता है। छोटे बच्चे इधर-उधर अधिक घूमते हैं इसलिए उन्हें चोट लगने का खतरा ज्यादा होता है। कई बार आँखों में सूजन होने के बावजूद उन्हें कोई दर्द महसूस नहीं होता है।

5. आँख की बिलनी (स्टाय) और पलकों में गिल्टी (कलेज़ियन)

बिलनी या स्टाय एक छोटी लाल गांठ होती है जो पलक के किनारे या उसके नीचे हो सकती है और यह सूजन का कारण बनती है। अध्ययनों के अनुसार, यदि पलकों के फॉलिकल में सूजन आती है तो उसे ‘बिलनी’ कहा जाता है।ऐसी स्थिति में ज्यादातर दर्द होता है, लेकिन यह समस्या कुछ दिनों में अपने आप ठीक हो जाती है। दूसरी ओर, जब तैलीय ग्रंथि सूज जाती है और उससे खुले भाग में तेल जमा हो जाता है तो पलकों में गिल्टी हो जाती है जिसे कलेज़ियन भी कहते है। यह आमतौर पर स्टाय की तुलना में अधिक बड़ा होता है।

6. ब्लेफराइटिस

हमारी पलकों में एक तैलीय ग्रंथि होती है जिसमें कभी-कभी सूजन भी आ सकती है। इससे ब्लेफराइटिस हो सकता है जो सुबह (रात की नींद के बाद) के समय अधिक प्रभावी होता है। इसके लक्षण हैं, पलकों पर पपड़ी पड़ना, आँखों में सूजन, संवेदनशीलता और दर्द जिसके कारण आपके शिशु को खुजली या जलन महसूस हो सकती है और वह इसे छूने या रगड़ने का प्रयास करता है।

7. नवजात बच्चों का आँख आना

कभी-कभी शिशु को जन्म के समय संक्रमण का अधिक खतरा होता है जो नवजात शिशुओं में आँख आने का कारण हो सकता है। ऐसी स्थिति का सबसे आम कारण गोनोरिया, क्लैमाइडिया और हर्पीज है। इस समस्या के लक्षण हैं सूजी हुई लाल आँखें और अत्यधिक स्त्राव।

शिशुओं की आँखों में सूजन के लिए आसान उपचार

बच्चे की आँखों में सूजन ऊपर बताए हुए कारणों से हो सकती है, यदि यह ज्यादा प्रभावी नहीं है तो आप इसका उपचार घर पर भी कर सकते हैं। यहाँ कुछ उपाय दिए गए हैं, जो आपके शिशु की आँखों में सूजन को खत्म करने के लिए आपकी मदद कर सकते हैं।

1. ठंडा सेक (कोल्ड कंप्रेस)

सूजी हुई आँखों के लिए एक सरल उपाय है ठंडी सिकाई (कोल्ड कंप्रेस) करना। इसे अपने बच्चे की आँखों में कुछ मिनटों के लिए लगाएं, यह उसकी आँखों के लालपन और सूजन को कम करने में मदद करता है।

2. माँ के दूध की एक बूंद

माँ के दूध में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं जो आँखों के नीचे उत्पन्न सूजन को कम करने में मदद करते हैं। बच्चे की आँखों में किसी भी प्रकार की जलन या खुजली का इलाज करने के लिए आप माँ के दूध की कुछ बूंदें प्रभावित जगह पर डाल सकते हैं।

3. आँखें साफ रखें

अपने बच्चे की आँखों में सूजन और स्त्राव को रोकने के लिए, आपको गुनगुने पानी में गीले व स्वच्छ कपड़े से आँखों को साफ करने की आवश्यकता है। यदि आपके बच्चे की आँखें संक्रमित हैं, तो इसे एक साफ व ठंडे पानी से गीले कपड़े को निचोड़ कर पोंछने से मदद मिलेगी। अपने बच्चे के बालों को रोजाना धोने का नियम बनाएं क्योंकि इसमें परागकोश की धूल या पालतू जानवरों की रूसी हो सकती है जो आँखों में जलन पैदा कर सकती है।

4. सप्ताह में एक बार बिस्तर धोएं

एलर्जी के कारण आपके शिशु की आँखों में होनेवाली सूजन को रोकने के लिए, अपने बच्चे के बिस्तर को साप्ताहिक आधार पर गर्म पानी से धोएं। हाइपोएलर्जेनिक और सौम्य डिटर्जेंट का उपयोग करें और हमेशा सुनिश्चित करें कि आपके बच्चे के कमरे में पड़े कार्पेट को भी नियमित रूप से बदला जाना चाहिए।

डॉक्टर से संपर्क कब करें

साधारण कारणों की वजह से हल्की सूजन उतनी खतरनाक नहीं होती है और इसका उपचार घर पर ही किया जा सकता है।हालांकि अनेक स्थितियों में आपके बच्चे की समस्या को ठीक करने के लिए डॉक्टर द्वारा औषधीय चिकित्सा की आवश्यकता पड़ सकती है, निम्नलिखित लक्षणों में डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें;

1. अत्यधिक सूजन

यदि आपके बच्चे की एक या दोनों आँखों में अत्यधिक सूजन हो रही है और उसके कम होने की संभावना नहीं है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें, विशेषकर यदि बच्चे की आँख पूर्णतः प्रभावित हो चुकी है या लगभग बंद गई है।

2. बुखार

बुखार के साथ आँखों में सूजन एक प्रकार के संक्रमण का संकेत है जिसका इलाज तुरंत होना आवश्यक है।

3. अज्ञात कारण

यदि आपके बच्चे की आँख किसी अनजाने कारण की वजह से अत्यधिक सूजी हुई है तो डॉक्टर से संपर्क करना ही सर्वोत्तम विकल्प है जो इस समस्या के कारण को समझकर उपयुक्त इलाज की सलाह दे सकते हैं।

4. अत्यधिक लालपन

यदि बच्चे की आँखें व पलकें अत्यधिक लाल और सूजी हुई हैं और अनेक उपयुक्त उपचारों के बाद भी ठीक नहीं हो रही हैं तो डॉक्टर से जानकारी लेना जरुरी है।

5. दर्द और संवेदनशीलता

यदि बच्चे की प्रभावित आँख पर अत्यधिक दर्द व संवेदनशीलता है तो सुनिश्चित करें कि आप जल्द ही डॉक्टर की सलाह लें जो आपके बच्चे की तकलीफ को उपयुक्त उपचार से राहत देने में मदद कर सकते हैं।

यह जरूरी है कि आप सतर्क रहें और लक्षणों को पहचानें क्योंकि समस्या गंभीर हो सकती है। सूजी हुई आँखों के संक्रमण के कारण शिशु को अधिक कठिनाई हो सकती है इसलिए तत्काल चिकित्सा सहायता की सलाह दी जाती है। यदि आपको उन विशिष्ट कारकों के बारे में पता है जो आँखों की सूजन को बढ़ाते हैं, तो समस्या को संभालना कम चुनौतीपूर्ण होता है।

सुरक्षा कटियार

Recent Posts

अ अक्षर से शुरू होने वाले शब्द | A Akshar Se Shuru Hone Wale Shabd

हिंदी वह भाषा है जो हमारे देश में सबसे ज्यादा बोली जाती है। बच्चे की…

3 days ago

6 का पहाड़ा – 6 Ka Table In Hindi

बच्चों को गिनती सिखाने के बाद सबसे पहले हम उन्हें गिनतियों को कैसे जोड़ा और…

3 days ago

गर्भावस्था में मिर्गी के दौरे – Pregnancy Mein Mirgi Ke Daure

गर्भवती होना आसान नहीं होता और यदि कोई महिला गर्भावस्था के दौरान मिर्गी की बीमारी…

3 days ago

9 का पहाड़ा – 9 Ka Table In Hindi

गणित के पाठ्यक्रम में गुणा की समझ बच्चों को गुणनफल को तेजी से याद रखने…

5 days ago

2 से 10 का पहाड़ा – 2-10 Ka Table In Hindi

गणित की बुनियाद को मजबूत बनाने के लिए पहाड़े सीखना बेहद जरूरी है। खासकर बच्चों…

5 days ago

10 का पहाड़ा – 10 Ka Table In Hindi

10 का पहाड़ा बच्चों के लिए गणित के सबसे आसान और महत्वपूर्ण पहाड़ों में से…

5 days ago