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छोटे बच्चे को अकेले सोने की आदत डालना माता-पिता के लिए काफी मुश्किल भरा काम होता है। अगर आपने बचपन से ही उसे अकेले सोने की आदत नहीं डाली तो बड़ा होने पर उसे यह आदत डलवाना मुश्किल हो सकता है। हर बच्चे की सोने की आदत अलग होती है। कुछ बच्चे उनके खास कंबल, तकिया या पसंदीदा खिलौना लेकर सोना पसंद करते हैं, जबकि कुछ बच्चों को सोते समय मम्मी-पापा की जरूरत होती है। शुरुआत में यह बहुत प्यारा लगता है, लेकिन जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है, यह आदत परेशानी का कारण बन सकती है।
अगर आप कहीं बाहर हों या घूमने गए हों, तो बच्चे को अकेले सोने में काफी मुश्किल होती है। इसलिए, बच्चे को अकेले सोने की आदत डालना जरूरी है, ताकि वह बिना किसी परेशानी के आराम से सो सके। ऐसे में हम इस लेख में बच्चे को अकेले सोने की आदत कैसे डलवाएं उसके बारे में चर्चा करने वाले हैं।
जब बच्चा बहुत छोटा होता है, तो वो अपने माता-पिता के बहुत करीब होता है। ऐसे में उसका आपके पास सोना गलत नहीं है। लेकिन जैसे-जैसे वो बड़ा होने लगता है, उसे कभी न कभी अकेले सोने की आदत डालनी पड़ती है। इसके पीछे कुछ कारण हैं जिनसे बच्चे का अकेले सोना फायदेमंद हो सकता है। आइए जानते हैं:
बच्चे को सही उम्र में अकेले सोने की आदत सिखाना बहुत जरूरी है। अगर आप उसे बहुत जल्दी अकेले सुलाने की कोशिश करेंगी, तो उसे आपसे अलग होने का डर या तनाव होने लगेगा। वहीं, अगर बहुत देर से करेंगी, तो उसकी आदत बदलना बहुत मुश्किल हो जाएगा। इसलिए इसे सही समय पर करना जरूरी है। जब आपका बच्चा करीब 2 से 3 साल का हो जाए, तो ये सही समय होता है कि आप उसे अकेले सोने की कोशिश करवाएं। इसमें कुछ महीनों से लेकर एक साल तक का समय लग सकता है, जब तक कि बच्चा खुद से सोने और पूरी रात सोते रहने की आदत नहीं डाल लेता।
बच्चे को धीरे-धीरे अकेले सोने की आदत डालने के लिए ये यहां कुछ सरल तरीके दिए गए हैं, जो उसे धीरे-धीरे इस नई आदत को अपनाने में मदद कर सकते हैं।
बच्चे को एकदम से अकेले सोने के लिए मजबूर न करें। पहले हफ्ते में एक-दो दिन उसे अकेले सुलाने की कोशिश करें और देखें कि उसका बर्ताव कैसा है। धीरे-धीरे अकेले सोने के दिनों को बढ़ाते रहें। कुछ समय बाद, वो खुद से सोने की आदत को पसंद करने लगेगा और अकेले सोने लगेगा।
अक्सर बच्चों को सोने में दिक्कत होती है, लेकिन एक बार सो जाने के बाद वो ठीक से सोते रहते हैं। सोने से पहले एक रूटीन सेट करें, जैसे दांतों को ब्रश करना, पजामा पहनना, लाइट्स कम करना, गुडनाइट प्रेयर बोलना या कहानी पढ़ना। इससे बच्चा जल्दी ही इस प्रक्रिया का आदी हो जाएगा और आराम से सोने लगेगा।
अगर बच्चा आपके बहुत करीब है, तो उसे अनदेखा न करें। कई बार बच्चे सिर्फ माता-पिता की आवाज या उनके किसी खास कपड़े, जैसे शर्ट या कंबल से सुरक्षित महसूस करते हैं। आप उसे अपना तकिया, कंबल या पुरानी स्वेटर दे सकते हैं, ताकि उसे लगे कि आप उसके पास हैं।
जैसे ही लगे कि बच्चा अकेले सोने की आदत सीख रहा है, कभी-कभी वो रोते हुए आपके कमरे में आकर साथ सोने की जिद करेगा। उस समय उसे प्यार से वापस उसके कमरे में ले जाएं। कभी-कभी हो सकता है ये आसान न हो, लेकिन कोशिश करें कि आप उसके कमरे में न सोएं। अगर जरूरी हो, तो उसके कमरे के दरवाजे पर थोड़ी देर खड़े रहें, जब तक वो सो न जाए।
जब बच्चा पहली बार अच्छे तरीके से अकेले सो जाए, तो उसे बताएं कि आपको उस पर गर्व है। उसे उसकी पसंद का नाश्ता या ट्रीट दें। ये उसे बार-बार ऐसा करने के लिए प्रेरित करेगा और धीरे-धीरे ये उसकी आदत बन जाएगी। उसे ये भी बताएं कि वो बहुत बहादुर है और अगली बार भी अकेले सोने में उसे गर्व महसूस होगा।
इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, जैसे मोबाइल या टीवी, सोने में रुकावट डाल सकते हैं। बच्चे के सोने के समय से पहले इन चीजों का उपयोग सीमित करें और कोशिश करें कि उसके कमरे में कोई गैजेट्स न हों।
कभी-कभी माता-पिता बच्चे को सजा के रूप में अकेले सोने को कहते हैं, जब वो कुछ गलत करता है। इससे बच्चे के दिमाग में सोने के प्रति गलत धारणा बन सकती है और भविष्य में उसे नींद से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं, जैसे कि अकेले नींद न आना।
अगर शुरुआत में बच्चे को अकेले सोने में बहुत दिक्कत हो रही है, तो आप भी उसके कमरे में दूसरे बेड या अलग गद्दे पर सो सकती हैं। इससे थोड़ी शारीरिक दूरी बनी रहेगी और बच्चे को धीरे-धीरे अकेले सोने में मदद मिलेगी।
बच्चों का भूतों और राक्षसों से डर लगता है आप उनके पास रहे उन्हें बताएं की आप उनके साथ है डरने की कोई बात नहीं हैं और इस प्रकार उन्हें धीरे-धीरे शांत करें और जब बच्चा सो जाए तो बीच बीच में जाकर देखें वो ठीक से सो रहा है या नहीं।
अपने बच्चे को अपने आप सोने की इस अच्छी आदत को अपनाने के लिए उसे पुरस्कृत करें और उन्हें अपना पसंदीदा खिलौना या खाना दें।
आप बच्चे को सुलाने का एक समय निर्धारित कर लें और रोजाना उसी समय पर बच्चे को सुलाएं। यह रूटीन 20 से 25 मिनट का होना चाहिए और जिसमें रिलैक्सिंग एक्टिविटी शामिल करें जैसे बच्चे को नहलाना या मालिश करना, गाना गाना, नाइटसूट पहनना, उसके दाँत साफ करना, अगले दिन के लिए उसका स्कूल बैग तैयार करना और साथ में सोते समय कहानी पढ़ना आदि के साथ उसे प्यार करें।
अगर आपका बच्चा अच्छा महसूस नहीं कर रहा हों या जब उसे डर लग रहा हो तो आप उसे अपने साथ सोने दें।
जब आपको यह पता चल जाए कि अपने बच्चे को उसके खुद के बिस्तर में अकेले कैसे सुलाना है, तो आगे की प्रक्रिया काफी आसान हो जाती है। अकेले सोने से बच्चे में न सिर्फ आत्मविश्वास आता है, बल्कि यह उसे भविष्य में मजबूत और आत्मनिर्भर भी बनाता है। इसलिए, इस आदत को जितनी जल्दी हो सके, अपने बच्चे में डालने की कोशिश करें।
References/Resources:
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