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पेरेंट्स होने के नाते बच्चे को उसकी डेवलपमेंट माइलस्टोन पूरा करते हुए देखकर आपको गर्व महसूस होता होगा। और ऐसा हो भी क्यों न? यह छोटी-छोटी सफलताएं लंबे समय तक मदद करती हैं। इस समय तक बच्चा अलग-अलग तरीके की आवाजें निकालने लगा होगा, पलटने लगा होगा और अपने टमी टाइम को एन्जॉय करने लगा होगा। पर क्या आप जानती हैं कि बच्चे बैठना कब शुरू कर देते हैं? बच्चे सीधे बैठना कब शुरू करते हैं और आप अपने बच्चे की मदद कैसे करें, यह जानने के लिए आगे पढ़ें।
बच्चा 6 महीने की उम्र तक सीधे बैठना शुरू कर देता है। हालांकि कुछ बच्चे जल्दी बैठना शुरू कर देते हैं, लगभग 4 से 5 महीने की उम्र में। वहीं दूसरी तरफ कुछ बच्चे 7 से 8 महीने की उम्र में बैठना शुरू करते हैं। इसलिए पेरेंट्स को चिंता करने की जरूरत नहीं है। इस बात का ध्यान रखें कि हर बच्चे का विकास अपनी तेजी से होता है। आप उसे पूरा समय दें और कुछ भी करने के लिए जबरदस्ती न करें।
बच्चा सीधे बैठना शुरू करने से पहले निम्नलिखित कुछ स्किल्स सीख जाएगा, आइए जानें;
2 महीने का बच्चा कुछ मिनटों के लिए पेट के बल लेटकर अपने सिर को 45 डिग्री तक उठाने और होल्ड करने लगेगा।
3 महीने का बच्चा पेट के बल लेटकर अपना सिर और सीना 45 डिग्री तक उठाने लगेगा। उसका सिर पहले से ज्यादा सीधा और दृढ़ होगा।
4 महीने की उम्र होने पर बच्चा पेट के बल लेटकर अपने सिर को 90 डिग्री तक उठाने और होल्ड करने लगेगा। बच्चा कुछ चीजों का सपोर्ट लेकर बैठने का प्रयास भी करने लगेगा।
5 महीने का होने तक बच्चा पेट के बल लेट कर अपना पूरा शरीर उठाने का प्रयास करने लगेगा। वह पलटने लगेगा और बैठकर किसी के सहारे से सिर सीधा रखना शुरू कर देगा।
6 महीने का बच्चा सपोर्ट लेकर बैठने लगेगा और दोनों तरफ पलटने लगेगा।
7 महीने का होने पर बच्चा किसी सपोर्ट के बिना ही बैठने लगेगा और यहाँ तक कि शरीर के ऊपरी हिस्से को हिलाना शुरू कर देगा।
8 महीने की उम्र में बच्चा बिना सहारे के सीधे बैठना शुरू कर देगा। इस समय तक वह शरीर के ऊपरी हिस्से को ठीक से मूव करने लगेगा और सहारे से खड़ा होने लगेगा।
यदि आप अपने बच्चे को बैठने में मदद करना चाहती हैं तो यहाँ कुछ टिप्स बताए गए हैं, आइए जानें;
बच्चे को रोजाना पर्याप्त टमी टाइम देना बहुत जरूरी है। जैसे ही बच्चा अपना सिर नियंत्रित करना शुरू कर देता है आप उसे टमी टाइम देना शुरू कर दें जो लगभग 1 महीने की उम्र में होना चाहिए। शुरूआत में आप बच्चे को अपने पेट के ऊपर पेट के बल लिटाएं पर जैसे-जैसे वह बड़ा व मजबूत होने लगे वैसे-वैसे आप उसे सरफेस पर लिटाना शुरू कर दें।
जिस प्रकार से बच्चे की गर्दन व शरीर के ऊपरी मसल्स को मजबूत करने के लिए टमी टाइम बहुत जरूरी है उसी प्रकार से पेट, चेस्ट और धढ़ की मसल्स को मजबूर करने के लिए बैक टाइम भी जरूरी है। आप बच्चे को पीठ के बल लिटाएं और खेलने के लिए कुछ टॉयज दें। जल्दी आप देखेंगी कि बच्चे लुढ़कने लगा है।
बच्चे के वास्तव में बैठना शुरू करने से पहले आप उसे अभ्यास कराएं। इससे बच्चे को सिर्फ बैठने की आदत ही नहीं होगी बल्कि उसके सिर व गर्दन को स्ट्रेंथ मिलेगी। हालांकि यह करते समय आप बच्चे के शरीर को सपोर्ट दें।
आप बच्चे को बैठने में मदद के लिए अलग-अलग प्रॉप व टॉयज का उपयोग कर सकती हैं। कुछ तकियों का सहारा लेकर आप बच्चे को अपने पेट पर बैठाएं, उसके सामने खिलौने रखें और उसे उन खिलौनों तक पहुँचने में मदद करें। आप बच्चे को क्रिब में भी बैठा सकती हैं। हालांकि आप उसे अकेला न छोड़ें।
यहाँ कुछ पोजीशन बताई गई हैं जिससे बच्चा बैठना सीख सकता है, आइए जानें;
आप बच्चे को अपने पेट पर बैठाएं और उसे ऊपर व नीचे से सपोर्ट देती रहें। आप उसके सीने व हिप्स को सपोर्ट दें। यह पोजीशन 3 से 6 महीने के बच्चों के लिए अच्छी है।
बच्चे को बैठाने के लिए आप कुर्सी का उपयोग भी कर सकती हैं। यह उन बच्चों के लिए अच्छा है जिन्होंने हाल ही में बैठना शुरू किया है पर उनके शरीर के ऊपरी भाग को मजबूत करने की जरूरत है। लगभग 4 और 5 महीने के बच्चों को कुर्सी पर बैठाना चाहिए।
यह पोजीशन भी 4 से 5 महीने के बच्चों के लिए है। इसमें बच्चे को अपने पैर व चेस्ट का सपोर्ट मिलेगा और यदि वह एक तरफ लुढ़कता भी है तो अपने हाथ का सहारा ले सकता है।
आप बच्चे के चारों तरफ तकियां रख दें और उसके सामने एक खिलौना रख दें। अब बच्चे को उस खिलौने तक पहुँचने के लिए प्रेरित करें। बच्चे को ठीक से बैठने में मदद के लिए सभी तकियों को अच्छी तरह से एडजस्ट करें।
आप बच्चे का पैर दूर करके जमीन पर बैठाएं, उसकी कुछ दूरी पर टॉयज रख दें और बच्चे को अपने हाथ से वे टॉयज उठाने दें। यह पोजीशन 4 से 6 महीने के बच्चे के लिए है।
आप बच्चे को लॉन्ड्री बास्केट या बॉक्स में बैठाएं और उसे दोनों तरफ से सपोर्ट दें। आप बैठते समय बच्चे को अपने शरीर बैलेंस करने में मदद करें।
आप 6 से 8 महीने के बच्चे को इस पोजीशन में बैठाएं। आप बच्चे के पैरों को थोड़ी दूरी में रखते हुए पंजों को जोड़कर उसे फ्लोर पर बैठाएं। इस पोजीशन से बच्चे को अच्छा सपोर्ट मिलता है और वह अपने हाथों से खुद को सपोर्ट भी दे सकता है।
बच्चे को बहुत देर तक झूले में या सीट पर न बैठाएं। नई स्किल्स सीखने के लिए बच्चे का शरीर हिलाना बहुत जरूरी है। लंबे समय तक बाधित जगह पर रखने से बच्चे का विकास रुक सकता है।
आप बच्चे को कुछ आसान एक्सरसाइज करना सीखाएं पर यह बहुत ज्यादा न करें। हर बच्चा अलग होता है और उसकी डेवलपमेंटल माइलस्टोन भी अलग-अलग होती हैं। इसलिए आप उससे कुछ ऐसा करने की जबरदस्ती न करें जिसके लिए वह तैयार न हो। यदि बच्चे में देरी से विकास हो रहा है तो डॉक्टर से मिलें और इस बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करें।
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